मैरी कविता तुम हो Deepak Pradhan द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • द्वारावती - 70

    70लौटकर दोनों समुद्र तट पर आ गए। समुद्र का बर्ताव कुछ भिन्न...

  • Venom Mafiya - 7

    अब आगे दीवाली के बाद की सुबह अंश के लिए नई मुश्किलें लेकर आई...

  • My Devil Hubby Rebirth Love - 50

    अब आगे रुद्र तुम यह क्या कर रही हो क्या तुम पागल हो गई हों छ...

  • जंगल - भाग 7

          कुछ जंगली पन साथ पुख्ता होता है, जो कर्म किये जाते है।...

  • डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 69

    अब आगे,अर्जुन, अराध्या को कमरे से बाहर लाकर अब उसको जबरदस्ती...

श्रेणी
शेयर करे

मैरी कविता तुम हो

मैने जब जब लिखा तुम्हे ही देख देख लिखा मुझे लिखने का कोई सोख नही था तुम्हे जब भी देखा मेरी अंतर आत्मा से अनेक शब्दों की जैसे उत्पत्ति हो रही हो ओर मेने उन शब्दों की एक सुन्दर सी माला पिरोह कर तुम्हे ही पहनाई है।

मेरी कविता का शार तुम हो,मेरे लिखने की प्रेरणा तुम हो तुम कोई ओर नई मेरी कविता की आत्मा हो। तुम पर में क्या लिखू मेंरा में संसार तुम ही हो।

जब कभी तुम्हे लिखने या पढ़ने या के योग्य खुद को पाता हूं, खुद को बड़ा ही गोरवान्वित पाता हूँ मेरी प्यारी बाबू...

मै कभी किसी कहानी या कविता को कलात्मक रूप से अभिव्यक्त करना चाहता हूं
या कभी अपनी कवीता की कृतियों को छंदों की श्रृंखलाओं में विधिवता बांधना चाहता हूं
तब जाकर तुम्हारा जन्म होता है तब जा कर में तुम्हे लिख पाता हु मेरी प्यारी बाबू।
जब मेरा यह मानव हृदय अनन्त रूप में भटकता रहता है प्रेम रूपी भाव के अता सागर में कहि खो जाता हू जब में अपनी प्यारी कलम से तुम्हे लिखता हूँ।

मैरी कविता ठिक तुम्हारे रंग में ढल कर एक अध्भुत कृति का प्रमाण देती है
मेरी कविता यानी तुम बाबू, हां मेरी कविता की तुम हमशक्ल हो बाबू
जिस प्रकार तुम्हें रचने में मैं अक्सर स्वतंत्र हो जाता हूं
ठीक उसी प्रकार यह कविता भी अब आज़ाद हो चुकी है। जिसे में अपने शब्दों में निचे प्रकट करने वाला हूँ।

- मुझे विश्वास है कि मेरे पाठक मेरी कविता विभूत हे मुझे सन्देश देते हे में उनके अनुसार लिखता हूँ में जानता हु मेरे दिल अजीज पाठक याने मेरी बाबू के अनुशार ये रचना बहुत ही प्रतिष्टित होगी। मेरे इस सम्मानित पाठक मेरी बाबू का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।

-मेरी रचना मेरी बाबू पडे...

कवि से मत पूछो,
तो उसकी कविता से पूछो!
जिनके शब्दों की ताकत,
पल-प्रतिपल टकराते हैं!
और किसी का भी घमंड,
पल में चूर-चूर कर देते हैं!

मेरी कविता में,
हनुमान के समान ताकत हैं!
इसके शब्दों की ताकत में,
हकीम लुकमान की ताकत हैं!
मेरी कविता में,
दुश्मन के लिए ललकार कि ताकत हैं!
मेरी कविता में,
प्रेम भावनाओं की ताकत हैं!
मेरी कविता में,
बुराइयों से लड़ने की ताकत हैं!
मेरी कविता में,
महंगाई से लड़ने की ताकत हैं!
मेरी कविता में,
कांटों की चुभन लिखने की ताकत हैं!
मेरी कविता में,
फूलों की महक लिखने की ताकत हैं!
मेरी कविता में,
मुझ बुझे दीपक को जलाने की ताकत हैं!
मेरी कविता में,
हिंदुस्तान से पाकिस्तान को जवाब लिखने की ताकत हैं!

मेरी कविता मैं,
दिखावे की ताकत नहीं है!
मेरी कविता,
किसी ताज की मौहताज भी नहीं है!
मेरी कविता की ताकत,
संसार की सबसे बड़ी ताकत है!

बस शर्तें मेरी कविता,
किसी से भी डरे नहीं!
मेरी कविता हमेशा,
लोगों के दिलों का ताज बन जाए!
मेरी कविता हमेशा,
लोगों के जीने की आस बन जाए!
मेरी कविता हमेशा,
लोगों के दिलों का ताज बन जाए!
मेरी कविता...
बस मेरी कविता...
बस मेरी कविता मेरी ताकत बन जाए!
बाबू जब तुम मुझसे रूठा करोगी,
जानती हो तुम बहुत हसीन लगा करोगी!
आपने खुद पर तुम घुस्सा किया करोगी,
मेरे ख्यालो को याद कर कर रोया करोगी!

-क्या खूब लिखता हु बाबू...

जब तुम लाठी ले कर चला करोगी,
मै जानता हु मुझे बहुत याद किया करोगी!
वो छुप छुप कर मेरी कविताये पड़ा करोगी,
ग़ुस्से वाला लिखा जानता हु फाड़ दिया करोगी!

अपने चहरे की तमाम छुर्रिया छुपाया करोगी
निकाल कर फ़ोटो कॉलेग वाली दिखाया करोगी
जब चोट लगेगी अचानक कही रोया करोगी
लिख कर हथेली पर नाम मेरा मुस्कुराया करोगी

लाठी ले कर जब चला करोगी
जानती हो बुढ़िया लगा करोगी,फिर
थक कर बेठ जाना कही कोने में
उठा कर पड लेना डायरी मेरी अकेले में

तुम्हारा जिक्र मिलेगा उसके कोने कोने में।।।