हारा हुआ आदमी (भाग31) Kishanlal Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हारा हुआ आदमी (भाग31)

देवेन ने शालीनता से मना कर दिया था।
देवेन पत्नी को डॉ निर्मला के पास ले गया था।वह पहले मेडिकल रिप्रजेंटेटिव था।डॉ निर्मला से उसका अच्छा परिचय था।डॉ निर्मला ने निशा का अच्छी तरह चेकअप किया।फिर कुछ दवा लिखते हुए बोली,"खुराक का ध्यान रखे और नियमित चेक कराते रहे।"
देवेन खुद पत्नी का ध्यान रखने लगा।वह उसके लिए फल लाता।अपने हाथों से दवा और फल देता।हर महीने डॉ निर्मला के पास चेकअप के लिए ले जाता।और धीरे धीरे दिन गुज़रने लगे।
एक दिन देवेन बैंक से लौटा।घर मैं कॉलोनी की कुछ औरते थी।वह अंदर पहुंचकर बोला,"क्या हुआ?
निशा पलंग पर लेटी थी।
"लेबर पेन।अस्पताल ले जाना पड़ेगा।"
"मैं टैक्सी लेकर आता हूँ।"
कुछ देर बाद देवेन टैक्सी लेकर लौटा था।औरतो ने सावधानी से निशा को टेक्सी में बैठाया था।देवेन उसे डॉ निर्मला के नर्सिंग होम ले गया।वह निशा को टैक्सी में छोड़कर अंदर पहुंचा।डॉ निर्मला निकलने ही वाली थी।देवेन को देखते ही बोली,"क्या हुआ देवेन?"

"मैडम वाइफ को लेकर आया हूँ।"देवेन ने डॉक्टर निर्मला को बताया था।
"कहाँ है?"
"बाहर टैक्सी में।"
डॉ निर्मला ने नर्स को बुलाया था।वह बोली,"स्ट्रेचर भेजकर निशा को ले आओ।उसे लेबर रूम में ले चलो।मैं आयी।"
निशा को लेबर रूम में ले जाया गया।देवेन ने काउंटर पर निशा की फ़ाइल बनवाई थी।फिर वह बरामदे में टहलने लगा।
यह नर्सिंग होम काफी पुराना है और दिल्ली के अच्छे नर्सिंग होमो में इसकी गिनती होती है।डॉ निर्मला के पति भी डॉ है।पहले दोनों पति पत्नी सरकारी सेवा में थे।बाद में उन्होंने छोटा सा नर्सिंग होम खोला था।जो अब काफी बड़ा हो गया है।डॉ निर्मला के बेटा बहु भी डॉ है।वे भी इसी अस्पताल में है।उनके अलावा दूसरे डॉ भी रख रखे है।ओ पी डी भी दोनों समय अस्पताल में चलती है।नर्सिंग होम का नाम है।इसलिए दूर दूर से लोग दिखाने के लिए आते है।
देवेन कुछ देर तक चेयर पर बैठा रहा।लेकिन उसका मन नही लगा।तब वह कॉरिडोर मे चहल कदमी करने लगा।फिर वह क्लीनिक से बाहर निकल आया।बाहर चाय की दुकान थी।बेंच खाली पड़ी थी।वह उस पर बैठते हुए बोला,"एक चाय देना।"
देवेन चाय पीने लगा।चाय पीने के बाद वह फिर वह अंदर आ गया।चहल कदमी करते हुए वह अपनी पत्नी निशा के बारे में ही सोचने लगा।काफी देर हो गई थी।लेकिन कोई समाचार नही मिला था।और रात के दस बज गए।वह चहल कदमी कर रहा था।तभी एक नर्स उसके पास आई,"देवेन आप ही है?"
"जी।"देवेन बोला था
"आपकी पत्नी के लड़का हुआ है।"
"सच'समाचार सुनकर देवेन का चेहरा खिल उठा,"निशा कैसी है?कहाँ है?"
"फाइन।बिल्कुल ठीक है।आपकी पत्नी और बच्चा भी स्वस्थ है।"
"क्या मैं अपनी पत्नी से मिल सकता हूँ।"
"जरूर।आप मेरे साथ आइये।"देवेन नर्स के साथ चला गया।एक कमरे के पास लेजाकर नर्स बोली,"आप अंदर जा सकते है"।
निशा आंखे मूंद कर पलंग पर लेटी थी।नवजात शिशु उसकी बगल में था।
"मेरी प्यारी निशा।"देवेन ने प्यार से पत्नी के सिर परः हाथ रखा था।
पति के हाथ का स्पर्श मिलते ही निशा ने आंखे खोल दी।उसने गर्दन मोड़ कर देखा।सामने पति खड़ा था।पति पर नज़र पड़ते ही निशा का चेहरा शर्म से लाल हो गया।माँ बनने पर निशा पति से शर्मा गई।उसने नज़ारे झुका ली।
"पगली"देवेन ने पत्नी के गाल पर चुटकी ली थी।देवेन पत्नी के बगल में लेटे बेटे को देखते हुए बोला,"तुम पर गया है।