हारा हुआ आदमी (भाग30) Kishanlal Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हारा हुआ आदमी (भाग30)

"तभी मुझे बताना नही चाहती।"देवेन पत्नी के चेहरे को देखने लगा
"मुझे शर्म आती है।"निशा ने शर्माकर अपनी गर्दन नीचे झुका ली।
"शर्म और मुझसे?अपने पति से शर्म,"देवेन पत्नी के चेहरे को देखजर हंसते हुए बोला,"ऐसी कौनसी बात है जो जानेमन हमसे कहते हुए शरमा रही हैं।"
"है एक बात।"निशा नज़रे झुकाये हुए ही बोली थी।
"तब तो मैं जरूर सुनूंगा,"देवेन पत्नी को बांहो में भरते हुए बोला,"सुस्पेंस पैदा मत करो।जल्दी से बता दो।"
"तुम---निशा ने कहने के लिए अपना मुंह खोला था लेकिन उसकी जुबान लड़ खड़ा गई।उसका चेहरा अजीब सा हो गया।
"अरे तुम तो बताने से ऐसे घबरा रही हो।मानो चोरी करते हुए पकड़ी गई हो।"देवेन पत्नी की घबराहटदेखकर बोला,"जो भी बात है बता दो।"
"मुझसे नही बताया जाएगा।"
"निशा तुम मुझे जानती हो।जब तक तुमसे पूछ नही लूंगा।तुम्हारा पीछा नही छोडूंगा।इसलिए बता दो।"
"ऊं हूँ
निशा अबोध बालिका की तरह मचलने लगी।
"ठीक है मत बताओ "देवेन ने पत्नी को जोर से अपनी बाहों में कस लिया,"अब बताओगी नही।तब तक पीछा नहीं छोडूंगा।"
निशा समझ गई।देवेन बात जाने बिना उसका पीछा नहीं छोड़ेगा।इसलिए बोली,"मेरे दिन चढ़ गए हैं"।
"मतलब?"
"निरे बुद्धू हो।तुम बाप बनने वाले हो।"निशा ने शरमाकर अपना मुंह पति की छाती में छिपा लिया।
"सच?मैं बाप बनने वाला हूँ।"देवेन ने खुशी में पत्नी को गोद मे उठा लिया।और उसे गोद मे लेकर कमरे में चक्कर लगाने लगा।
"क्या करते हो?गिरोओगे मुझे।"
"सॉरी।"देवेन पत्नी को बिस्तर पर लिटाते हुए बोला,"आज से तुम कोई काम नही करोगी।सिर्फ आराम।"
"अच्छा पति देव फिर काम कौन करेगा"निशा पति को निहारते हुए बोली।
"अरे एक बाई रख लेते है।"
निशा नही चाहती थी लेकिन देवेन ने एक अधेड़ अनुभवी औरत को रख लिया।वह घर के सारे काम करती थी।निशा का ख्याल भी रखती थी।
देवेन, पत्नी के लिए मातृत्व,और गर्भ के दौरान कैसे ख्याल रखे।ऐसी अनेक पुस्तकें ख़रीद लाया।निशा उन किताबो को पढ़ती रहती
देवेन ने अपनी सास माया को निशा के गर्भवती होने का समाचार दिया था।वह खुश होते हुए बोली,"निशा को आगरा छोड़ जाओ।मैं यहां उसकी देखभाल कर लुंगी।"
देवेन की निशा से शादी को तीन साल हो चुके थे।पहले वह मेडिकल कम्पनी में सेल्स एजेंट था।अब वह बैंक में था।बैंक में नौकरी करते हए उसे दो साल हो रहे थे।इन बीते तीन सालों मैं वह निशा के इतना करीब आ चुका था कि निशा उसकी दिल की धड़कनों में समा चुकी थी।वह उसकी जिंदगी का अभिन्न अंग बन चुकी थी।उसे उससे इतना मोह हो चुका था कि वह उसके बिना अकेले रहने की कल्पना भी नही कर सकता था।देवेन ने कभी भी पत्नी को अकेले मैके नही भेजा था।
निशा जब भी अपने मैके आगरा गई।देवेन उसके साथ गया था।जितने दिन वह वहां रही वह भी साथ रहा था।
देवेन मेडिकल सेल्स एजेंट था।तब उसे टूर पर जाना पड़ता था।जब उसे लम्बे टूर पर कई दिनों के लिए जाना होता।तब वह पत्नी को आगरा जाने की सलाह देता।तब निशा कहती,"मैके तो जब भी जाऊंगी।तुम्हारे साथ ही।"
और वह कभी भी अकेले आगरा नही गई थी।जब निशा की मम्मी ने निशा को आगरा भेजने का प्रस्ताव रखा तो वह बोला,"मैने घर के सभी कामो के लिए एक बाई रख ली है।वह अधेड़ और अनुभवी है।फिर भी अगर कोई परेशानी आई तो निशा को ले आऊंगा।"