"आज हमारी राशि जरूर सच होगी।"नर्मदा चहकते हुए बोली,"मेरा ही नही, आज तेरा भी पति से मिलन जरूर होगा।"
निशा ने नर्मदा की बात पर ध्यान नही दिया औऱ चुपचाप घर की तरफ चल पडी।वह अपने फलेट के पास पहुंची, तो उसकी नजर मालती पर पडी थी।इतनी ठंड मे वह बाहर बैठकर सब्जी कयो काट रही है?
गोरी चिटटी औऱ तीखे नैन नकश की मालती भरी जवानी.मे विधवा हो गई थी।उसके दो बच्चे थे।उससें शादी करने को कई लोग तैयार थे,लेकिन उसके बच्चों को कोई अपनाना नही चाहता था।बच्चों के भविष्य को ध्यान मे रखते हुए उसने पुर्नविवाह नही किया था।वह ज्यादा पढी नही थी।निशा ने उसे अपने यहां काम पर रख रखा था।
"तू इतनी ठंड मे बाहर कयो बेठी है"?निशा बोली,"औऱ राहुल कहां है"?
राहुल, निशा का बेटा था।
"राहुल सो रहा है",मालती आलू छीलते हुए बोली,"आपसे मिलने कोई आया है"।
"मुझसे?"मालती की बात सुनकर निशा चोकते हुए बोली,"कहां है।"?
"मैने अंदर कमरे मे बैठा दिया है"।
"कौन है?कया नाम है?मुझसे कया काम है?तुमने कहा नही कॉलेज गई है।वहां जाकर मिल लो"।निशा ने कई प्रश्न मालती से कर डाले थे।
"दीदी मैंने पूछा था,लेकिन मुझे नहीं बताया।मैंने कॉलेज जाने को भी कहा था।लेकिन वह आपसे घर पर ही मिलना चाहते है"।
मालती की बात सुनकर निशा सोचने लगी।कौन है,जो उससे मिलना चाहता है।उसकीं अनुपस्थिति मे भी अकेला बैठा उसका इनतजार कर रहा है।
निशा पहले बेडरूम मे जाकर राहुल को देखना चाहती थी।पर कुछ सोचकर अपना इरादा बदल दिया।वह बेडरूम मे न जाकर अतिथि वाले कमरे मे चली आयी।
"तुम?"सोफे पर बैठे व्यक्ति पर नजर पडते ही निशा चोंकी थी,"तुम यहां कयो आये हो?"
"तुम आ गई?मै कबसे तुम्हारा इनतजार कर रहा हूं।मैंने तुम्हें कहां कहां नहीं ढूंढा।किस किस से नहीं पूछा।पर व्यर्थ।"निशा को देखकर देवेन उठते हुए बोला,
"तुम्हारा फोटो अखबार मे देखा था।तुम्हें राष्ट्रपति पुरस्कार मिला है।अखबार मे तुम्हारा परिचय भी था।उसको पढकर ही यहां तक आया हूं।"
"तुम्हारी हिम्मत कैसे हो गई मेरे पास आने की?"ध्रणा से मुंह बिदकाते हुए निशा बोली।
"तुम चुपचाप घर छोडकर चली आयी।मुझे कुछ कहने का मौका तो दिया होता।जो कुछ हुआ उसके लिए मै बहुत शर्मिंदा हूं।वेरी सॉरी।जो कुछ हुआ भूल नादानी-गलती चाहे जो कह लो।वास्तव मे मै निर्दोश हूं।फिर भी मै मानता हूं।गलती मेरी भी थी"।
देवेन अपनी सफाई मे कुछ कहना चाहता था।
"सच कह रहे हो।तुम बेकसूर हो।मम्मी की भी कोई गलती नहीं थी।",निशा व्यंग्य से बोली,"सारा कसूर मेरा था।दोषी मैं हूं।मुझे वहां नहीं आना चाहिए था।मुझे अफसोस है।मेरे वहां आने से तुम दोनों को डिस्टर्ब हुआ।मै तुम दोनो के बीच मे नही आना चाहती।इसलिए तुम लोगों से हमेशा को दूर चली आयी।अब तुम दोनो की हरकतों को देखने वाला कोई नहीं है।अब जो मन मे आये करना"।
"तुम्हें कुछ भी कहने का अधिकार है।मेरे गुनाह की चाहे जो सजा दे सकती हो।मै उफ्फ तक नहीं करुंगा",देवेन गिडगिडाया था,"मै अकेला नहीं रह सकता।मुझे प्लीज माफ कर दो"।
"तुम्हें पत्नी की नहीं, औरत के तन की जरुरत है।तुम प्यार के नही,वासना के भूखे भेडिये हो।तन की आग बुझाने को इतने नीचे गिर सकते हो।मैंने स्वप्न मे भी नहीं सोचा था",निशा व्यंग्य से बोली,"ऐसी हरकत जानवर ही करते है।जानवरों को हया शर्म नहीं होती।तुम्हारी हरकत देखकर मुझे यह कहने मे संकोच नहीं तुम नाली के गंदे -----