हारा हुआ आदमी (भाग 29) Kishanlal Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हारा हुआ आदमी (भाग 29)

बैंक में नौकरी लगने पर सबसे ज्यादा खुसी देवेन की पत्नी निशा को हुई थी।
पहले देवेन का टूरिंग जॉब था।वह महीने में बीस दिन दिल्ली से बाहर ही रहता था।पति के बाहर चले जाने पर निशा के पास कोई काम नही रहता।उसके पास समय ही समय था।वह सींचती इस समय को कैसे काटे अब पति की दिल्ली में ही बैंक में नौकरी लग गई थी। अब उसे समय का अभाव लगने लगा।
सुबह उठते ही निशा काम मे लग जाती।पति साढ़े नो बजे घर से निकलता था।वह पहले चाय बनाती फिर पति को उठाती थी।फिर दोनों साथ बैठकर चाय पीते।देवेन पहले अखबार देखता।फिर सेविंग,जूते पोलिस, नहाना आदि अपने कार्य करता।निशा रसोई में लग जाती।ब्रेकफास्ट के साथ पति के लिए लंच तैयार करना।
रसोई में काम करते हुए भी उसे पति के काम करने पड़ते।वह कभी बाथरूम से आवाज लगाता,"निशा तोलिया तो देना"।
कभी तैयार होते समय कहता,"निशा कमीज का बटन टूटा है।"
और निशा को रसोई से दौड़कर आना पड़ता।पति के तैयार हो जाने पर वे दोनों साथ बैठकर चाय नाश्ता करते।फिर निशा पति का टिफिन पैक करती।देवेन साढ़े नो बजे घर से निकल जाता।
पति के जाने के बाद उसका काम और बढ़ जाता।घर फैला पड़ा होता।निशा घर को दुरुस्त करने मे लग जाती।पहले वह पूरे घर का झाड़ू पोंछा करती।फिर कपड़े धोकर नहाती ।कपड़ो पर प्रेस करती।फिर अकेली बैठकर खाना खाती।इन सब कामो में दोपहर हो जाती।फिर कुछ देर के लिए लेट जाती और टी वी देखने लगती।
चार बजते ही वह हाथ मुँह धोती।कपड़े बदलती और ड्रेसिंग टेबल के सामने आ बैठती।देवेन चाहता था।वह सजी जनवरी रहे।इसलिए उसके आने से पहले वह तैयार हो जाती।
देवेन शाम को छ बजे तक घर आता।निशा मुस्कराकर पति का स्वागत करती।देवेन उसे बाहों में लेकर प्यार करता।निशा चाय बनाती तब तक देवेन हाथ मुँह धोकर कपड़े बदलता।दोनो साथ बैठकर चाय पीते।फिर देवेन पत्नी को साथ लेकर घूमने चला जाता।लौटकर आते तब निशा खाना बनाती।फिर वे साथ बैठकर खाते।फिर वे साथ बैठकर टी वी देखते।और इस तरह उनका दिन बीत जाता।
इतवार
छुट्टी का दिन।इस दिन स्कूल,बैंक सभी दफ्तर बन्द रहते है।देवेन की भी बैंक की छुट्टी रहती।वह देर से सोकर उठता।उड़के साथ निशा भी सोती रहती।एक दिन देवेन सो रहा था।अचानक बाथरूम से आती उबकाई की आवाज ने उसकी नींद तोड़ दी।वह उठकर तुरंत बाथरूम में गया,"क्या हो गया तुम्हे?"
"देवेन घबरा गया"
"कुछ नही"देवेन ने पत्नी की तरफ देखा था।
निशा नही बोली तब देवेन फिर बोला,"मैं डॉक्टर निर्मला को फोन कर देता हूँ।वह घर आकर तुम्हे देख लेगीं।"
"डॉक्टर को बुलाने की कोई जरूरत नही है।मुझे कुछ नही हुआ है।मैं बिल्कुल ठीक हूं।"
"झूंठ क्यो बोल रही हो।बताओ क्या हुआ है?मुझसे क्या छिपा रही हो।"
"तुमसे आजतक क्या छिपाया है,जो आज छिपाउंगी।'
",मैं पहले की बात नही कर रहा।आज की बात कर रहा हूँ।तुम मुझसे कुछ छिपा रही हो।"
"छिपाने जैसी कोई बात है ही नही।फिर क्यों छिपाउंगी।"
"मेरी कसम बताओ क्या बात है?देवेन ने पत्नी का हाथ अपने हाथ मे ले लिया।
"क़सम मत दिलाओ।मैं बता नही पाऊंगी।'
"तो तुम्हे मेरी क़सम की चिंता नही है।"देवेन ने पत्नी का हाथ छोड़ दिया।
"तुम तो यार नाराज हो गए,"निशा पति के हाथों को अपने हाथ मे लेकर बोली,"तुम मुझे जान से भी प्यारे हो।"