Choon Choon ka Murabba - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

चूँ चूँ का मुरब्बा - 3

भाग 3

अभी तक आपने पढ़ा कि रूबी ने रोमित की रचनओं को लोकल समाचार पत्र में प्रकाशित करने में किस तरह सहायता की . अब आगे पढ़िए कैसे रूबी के पिता ने उसकी शादी के लिए उसकी पढ़ाई बीच में छुड़वा दी …


भाग 3

कहानी - चूँ चूँ का मुरब्बा


“ रूबी , मैं तुम्हारा कौन लगता हूँ जो इतना कुछ करती आई हो मेरे लिए ? मैं तुम्हारे एहसानों के तले इतना दब जाऊँगा कि तुमसे नजरें मिलाने में मुझे शर्म आएगी . “


“ प्लीज , ऐसा मत सोचिये . सपने तो हमने कुछ और ही देखे थे कि सुख दुःख में सदा एक दूसरे का साथ देंगे . पर अब ऐसा संभव नहीं है तो कम से कम इतना तो मैं कर ही सकती हूँ माँ के लिए .”


रोमित की माँ एक सप्ताह बाद अस्पताल से डिस्चार्ज हो कर घर आयीं . माँ ने रूबी को ढेर सारी दुआएं दिए . रोमित के पेपर्स काफी अच्छे हुए .


रोमित छोटी मोटी कहानियां भी लिखने लगा था और वीकेंड विशेषांक में भी उसकी कहानियां छपने लगीं थीं . संपादक ने उसे सुझाव देते हुए कहा “ तुम्हारी कहानियां ज्यादा सीरियस होती हैं . कुछ सामयिक , व्यावहारिक और रोमांटिक लिखो तो ज्यादा छपेंगी .


एग्जाम के बाद की छुट्टियों में उसने कुछ और कहानियां लिखीं , पर वे संपादक को पसंद नहीं आयीं . बोर्ड का रिजल्ट आया . उसे 90 प्रतिशत अंक मिले और शहर के अच्छे कॉलेज में बी ए , हिंदी ऑनर्स में उसे दाखिला

मिल गया . उधर रूबी अब ट्वेल्फ्थ में थी . दोनों के स्कूल कॉलेज अलग थे , मिलना जुलना करीब बंद हो गया था . फोन पर भी बातें अब पहले की अपेक्षा कम ही होती थीं .


रूबी ने बोर्ड पास करने के बाद रोमित के कॉलेज में एडमिशन लिया . एक बार फिर से दोनों का मिलना जुलना शुरू हो गया . एक दिन दुग्गल साहब का ड्राइवर छुट्टी पर था , तो वे खुद रूबी को कॉलेज से लेने गए . रोमित और रूबी दोनों कॉलेज के लॉन में बैठे मूंगफली खा रहे थे और सट कर बैठे थे . बीच बीच में दोनों किसी बात पर हंस रहे थे . पापा को देख कर वह उठ खड़ी हुई और मूंगफली के छिल्के झाड़ते हुए अपने कपड़े सहेजने लगी . रोमित ने उन्हें नमस्ते किया पर उन्होंने उसकी ओर देखा भी नहीं . वे रूबी के साथ कार में बैठे और बैठते ही बोले “ मैंने तुमसे कहा था न कि दोस्ती और . . . . . “


“ हाँ पापा , मुझे याद है . रोमित से पुरानी जान पहचान के चलते कभी फ्री पीरियड में हम आमने सामने आ जाते हैं तो कुछ बात करने में क्या बुरा है ? इससे आगे कुछ नहीं बचा है हमारे बीच . रोमित समझदार है , उस दिन उसने आपकी बातें सुन ली थी . उसके मन में मेरे प्रति कोई ऐसी भावना नहीं है जिससे आपको चिंता करनी पड़े . “

समय का चक्र तेज गति से घूमने लगा था . रोमित बी ए फाइनल में था और रूबी सेकंड ईयर में . एक दिन अचानक रूबी ने उससे कहा “ हो सकता है कल के बाद मैं कॉलेज भी न आऊं . “


“ क्यों ? अचानक ऐसा क्यों ? “


“ कल लड़के वाले मुझे देखने आ रहे हैं . अगर शादी तय हो गयी तो शादी जल्द ही होगी . लड़के के पिता बड़े बिजनेसमैन हैं . पापा का कहना है कि इतना अच्छा अवसर वे हाथ से नहीं जाने देंगे . ‘


“ और तुम पढ़ाई बीच में ही छोड़ रही हो ? “


“ लड़के वालों का कहना है कि अगर पढ़ना चाहूँ तो उन्हीं के शहर के कॉलेज में आगे पढ़ सकती हूँ . “


“ ओके , गुड लक फॉर योर फ्यूचर . शादी में बुलाओगी तो ? “


“ मैं बुलाऊँ भी तो आप नहीं आएंगे क्योकि आपका निरादर होने से मुझे बहुत बुरा लगेगा . “


रोमित को शादी का निमंत्रण मिला था , उसने किसी दोस्त के हाथों बुके और गिफ्ट के साथ शुभकामनाएं भेज दी पर खुद नहीं गया .


रूबी के जाने के बाद रोमित की रचनाएँ न्यूज़ पेपर में छपनी बहुत कम हो गयीं थीं , यदा कदा ही कुछ छपती . रूबी ने भी देखा कि उस न्यूज़ पेपर में रोमित की रचनाएँ अब नहीं छप रहीं थीं . उसने रोमित को फ़ोन कर पूछा “ क्या आपने रचनाएँ न्यूज़ पेपर में भेजना बंद कर दिया है ? “

“ नहीं , अभी तक तो भेजते आया हूँ , पर अब बंद कर दूंगा . “


“ क्यों ? “


“ जब उन्हें छापना ही नहीं है तो क्यों अपना वक़्त उनके पीछे बर्बाद करूँ ? मैं तो समझ ही रहा था , यह सब तुम्हारे चलते ही हो रहा था . “


“ एक बार उनसे मिल कर तो देखिये . या कहें तो मैं पापा से बात करूँ ? “


“ नहीं , कोई जरूरत नहीं है . आखिर खैरात के भरोसे तो जिंदगी भर नहीं रह सकता हूँ . और अब फाइनल एग्जाम भी सर पर है . “


“ ठीक है , पर अगर मेरे लिए आपके मन में जरा भी जगह है तो प्लीज आप लिखना नहीं छोड़ेंगे . एग्जाम के बाद लिखते रहें . और आपने कहा था कि संपादक ने कहानियों के लिए कुछ सुझाव दिए हैं . आप उन्हें ध्यान में रखते हुए समय की मांग के अनुसार कहानियां लिखते रहें . हो सकता है आगे चल कर आप स्वयं अपनी कहानी संग्रह छपवाएं . “


“ क्या तुम भी मुंगेरी लाल के हसीन सपने मुझे दिखलाने लगी . “


“ नो , मैं सीरियसली बोल रही हूँ .


रोमित का फाइनल एग्जाम समाप्त हो चुका था . अब उसके पास लिखने के लिए काफी समय था .रूबी के कथनानुसार वह कवितायेँ और कहानियां लिखता रहा . दो महीने बाद वह बी ए पास कर चुका था . इसी बीच उसकी माँ की तबीयत फिर ख़राब रहने लगी . वह नौकरी के लिए भाग दौड़ कर रहा था . माँ की देखभाल के लिए कोई आदमी उनके पास चाहिए था . माँ बार बार शादी के लिए दबाव दे रही थी , बोलती बहू आ जाएगी तो घर की चिंता उसे नहीं करनी होगी . उसने भी सोचा कि माँ ठीक ही कह रही है , आखिर उसे एक दिन शादी करनी ही है . यह सोच कर वह शादी के लिए तैयार हो गया .


माँ के इलाज पर काफी पैसे खर्च करने पड़े थे , माँ अब नौकरी के लायक नहीं थी , साहूकार से सूद पर भी पैसे लेने पड़े थे . वह दिन भर नौकरी के लिए भाग दौड़ करता रहा , पर कोई मन लायक नौकरी नहीं मिल रही थी . हार कर उसने पेट्रोल पम्प की नौकरी पकड़ ली . कभी कभी रूबी के पिता की कार में भी उसने पेट्रोल भरा था . इस नौकरी से किसी तरह से साहूकार के सूद और घर के खर्चे चलने लगे थे .


नौकरी से जब समय बचता तो वह लिखने बैठता . रूबी बीच बीच में उसे फोन कर लिखने के लिए प्रोत्साहित करती और हौसला रखने के लिए कहती , बोलती एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी . वह अब अन्य समाचार पत्रों और प्रकाशकों के दफ्तर जाने लगा था . तीन साल बीत गए ,पर सिवाय एक दो छिटपुट रचनाओं के प्रकाशन के अतिरिक्त उसे कोई सफलता हाथ नहीं लगी .


क्रमशः

अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED