शाकाहारी शेर Sandeep Shrivastava द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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शाकाहारी शेर

रघुवन के शेर, शेरसिंह का आजकल हाल बहुत बुरा था| एक तो बढ़ती आयु के कारण पहले जैसी चुस्ती फुर्ती नहीं रही, दूसरे एक दिन शिकार करते हुए उसके पैर में चोट लग गई थी तो बिल्कुल ही लाचार हो गया| अब उसके सामने प्रतिदिन के भोजन की बहुत ही बड़ी समस्या थी| कुछ दिन किसी तरह यहाँ वहां से आधा पेट भर के काम चलाया| पर धीरे धीरे उसकी हिम्मत टूटने लगी।परन्तु ज्यादा दिन कैसे इस तरह व्यतीत होंगे, यह एक बड़ा प्रश्न था| समस्या का हल निकालने के लिए उसने अपनी पुरानी विश्वास पात्र लाली लोमड़ी को बुलावा भेजा|लाली आई तो शेरसिंह ने उसे अपनी समस्या बताई| दोनों के बीच बहुत देर तक विचार विमर्श हुआ| फिर एक योजना बनी जिसके अनुसार शेरसिंह को शाकाहारी बनना था| रोज एक शाकाहारी जानवर से मित्रता करना था| फिर उसके निकट जाके मौका पाते ही उसका शिकार करना था|

अगले दिन लाली ने रघुवन में मुनादी कर दी कि शेरसिंह शाकाहारी हो गया है और उससे अब किसी को कोई खतरा नहीं है| सारे जानवर आश्चर्यचकित थे| शेरसिंह मैदान में आया, सब को देख के मुस्कुराया और सिर झुका के घास खाने का नाटक करने लगा| अन्य शाकाहारी जानवर दूर से ही उसे देखते रहे| लाली सबको उससे मित्रता करने को उकसाती रही|

इधर शाकाहारी जानवरों की भी चुपके चुपके मंत्रणा चल रही थी| सबको आशंका थी कि आगे क्या होने वाला है? कुछ शेरसिंह से मित्रता करना चाह रहे थे और कुछ आशंकित थे|
बाबा वानर ने सबको समझाया “आगें कह मृदु बचन बनाई। पाछें अनहित मन कुटिलाई॥” फिर वो आगे बोले “जब कोई आगे बहुत ही ज्यादा मीठा बनता है तो समझ जाओ की वो पीठ पीछे कोई चाल चल रहा है|”
भोलू भालू बोला “जब आपका मित्र चालाक हो तो आपको भी मित्रता चालाकी के साथ करना चाहिए| सब लोग अपने अपने कान इधर लाओ|” सब भोलू के पास आ गए और भोलू ने सबको अपनी योजना बताई|

तेजस हिरण रघुवन का सबसे तेज हिरण था| वो कभी भी किसी भी दौड़ में नहीं हारा था| वो मैदान में शेरसिंह के आसपास घूमता हुआ घास खाने लगा| शेरसिंह घास खाने का नाटक करता हुआ धीरे धीरे तेजस के पास पहुँच रहा था| तेजस एक दम चौकस था| शेरसिंह ने अपना मुख तेजस की ओर करके अपने पैर एक दो कदम पीछे किये| शेरसिंह तेजस के ऊपर छलांग लगाने को तैयार हुआ| शेरसिंह ने छलांग लगाई,..... पर तेजस शेरसिंह की पकड़ में आने के पहले ही फुर्ती से अपने स्थान से भाग चूका था| शेरसिंह धरती पे जैसे ही गिरा उस पर लम्बी घास में छिपी हुई सुहानी सेही ने अपने काँटों की बौछार कर दी| शेरसिंह घायल होकर कराहता हुआ अपनी गुफा में दुबक गया| लाली चुपके से मौका देख कर खिसक ली| सबने चैन की साँस ली|

उस दिन के बाद फिर कभी भी किसी ने शेरसिंह को शिकार करते नहीं देखा| अब यह समझो कि वो सही में शाकाहारी बन गया हो या फिर कुछ और …. | पर सारे रघुवन वासी बहुत प्रसन्न थे|

फिर सबने मिलकर पार्टी करी|