विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 23 S Bhagyam Sharma द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 23

अध्याय 23

मदुरई।

विवेक सेलफोन पर चिल्लाया।

"विष्णु! तुम क्या बोल रहे हो?"

"हमने जो सोचा था..... वह हो गया बॉस! डॉक्टर अमरदीप को किडनैप कर लिया गया। कल सुबह वह जिंदा नहीं रहेंगे।"

"आखिर में तुमने उसे छोड़ दिया?"

"मैं 5 मिनट लेट...."

"अब क्या करें?"

"आप तुरंत मदुरई से फ्लाइट पकड़कर चेन्नई आ जाइए। सुबह होने तक डॉ अमरदीप को छुड़ाना है......"

"होगा क्या?"

"इस विष्णु से नहीं होने वाला कोई काम इस दुनिया में नहीं है बॉस! मुझसे वह नहीं होगा..... तो इस दुनिया में किसी से नहीं होगा बॉस! आप तुरंत निकल कर आ जाइए। आपकी मदद मुझे समय पर जरूरत पड़ेगी।"

"ठीक है....!"

विवेक मदुरई से हवाई जहाज से... चेन्नई पहुंचा रात के 12:00 बजे थे।

"हॉस्पिटल रिसेप्शन में विष्णु थोड़े नींद की खुमारी में एक पुस्तक को पलट कर देख रहा था।

हॉस्पिटल सुनसान था।

"आइए बॉस!" विष्णु धीरे से बोला।

"क्या कर रहा है रे...? डॉ अमरदीप को छुड़ा लेंगे?"

"और एक घंटे के अंदर छुड़ा लेंगे बॉस! आपके आने का ही वेट कर रहा हूं।"

कहकर विष्णु.... आसपास देखने के बाद अपने सेलफोन बाहर निकालकर वीडियो ऑप्शन में जाकर उसे ऑन करके विवेक को दिखाया।

"यह एक मिनट वीडियो - कम - ऑडियो यहां बैठकर देखो बॉस!"

विवेक सोफा में जाकर बैठ, प्ले को दबाया। सेल फोन में वह एक दृश्य दिखाई दिया।

"यह कौन है ?"

विष्णु धीरे से बोला।

"बॉस इसका नाम पुष्पम है। इस हॉस्पिटल में स्टाफ नर्स का काम करती है। मैं डॉक्टर को देखने रात में यहां आया तब... यह अंदर टेलीफोन पर चोर निगाहों से इधर-उधर देख कर किसी से बात कर रही थी।

"इस नर्स के पास कोई सबूत है सोच कर... उसके निगाहों पर पड़े बिना एक तरफ खड़े होकर उसके बात को मैंने रिकॉर्ड कर लिया। ऑडियो को अपने कान में सेट करके देखो..."

विवेक ने देखा।

नर्स पुष्पम धीमी आवाज में टेलीफोन पर बातें कर रही थी।

"नहीं.... डॉक्टर को कोई संदेह नहीं हुआ..."

"...."

"इंक्वायरी आएगी तो मैं देख लूंगी।"

"....।"

"इस तीसरे पत्थर के साथ रोक लेंगे।"

"....."

"तुरंत नहीं करेंगे। डॉक्टर से मुझे कुछ बात करनी है। खाने को कुछ भी मत देना। दो दिन जाने दो। आदमी भूख से बेहोशी में होगा उसी समय ऑपरेशन कर देंगे। 42 घंटे में उसने जो बदमाशियां की है उसे उसके बारे में सोचने दो। दुखी होने दो.... भूख और प्यास से उसके शरीर के एक-एक सेल को तड़पने दो....!"

उसके बाद भी कुछ समझ में नहीं आने वाले शब्दों के साथ वीडियो एक मिनट चलकर खत्म हो गया।

विवेक प्रसन्न होकर गर्दन ऊपर की।

"फैंटास्टिक विष्णु....!"

"इसी शब्द को रूपला मैडम को भी बोलना चाहिए सर!"

"वह पुष्पम अभी"

"आज उसकी नाइट ड्यूटी है। मेटरनिटी वार्ड में होगी

!"

"जाकर उसे दबोचे?"

"इसीलिए तो बॉस इंतजार कर रहा हूं।"

"दोनों मेटरनिटी वार्ड की तरह चलने लगे।

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