विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 9 S Bhagyam Sharma द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 9

अध्याय 9

विवेक, विष्णु और इंस्पेक्टर पंगजाटशन तीनों उस छोटे हॉस्पिटल के अंदर घुसे ।

आउट पेशेंट, इन पेशेंट वार्ड को पारकर हॉस्पिटल के पीछे मर्चुरी के कमरे में पहुंचे। कमरे के अंदर ए.सी. की ठंडी हवा भरी हुई थी.... एक टिन के मेज पर रिटायर्ड डी.जी.पी. बालचंद्रन की बाड़ी... सीधी पड़ी थी।

शरीर के छाती की तरफ और सिर के तरफ का भाग खुला हुआ था। हवा में फॉर्मलीन की गंध आ रही थी। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर सुकुमारन पास में आए।

"मिस्टर विवेक ! बालाचंद्रन की हत्या बड़ी कठोरता से हुई है। उनका हृदय जहां पर था वहां पर क्या है देखिए....?

विवेक ने देखा।

दिमाग के अंदर शॉक लगा हो उसे ऐसा महसूस हुआ।

बालचंद्रन के शरीर में हृदय की जगह हथेली जितना एक पत्थर रखा हुआ था।

विवेक और विष्णु एकदम से शॉक में आ गए जैसे खड़े रहे.... डॉक्टर सुकुमारन आगे बोले।

"बालचंद्रन का रात में ही किसी ने किडनैप करके एक सुरक्षित जगह में ले जाकर किसी होशियार सर्जन से ऑपरेशन करा कर.... हॉर्ट को निकाल लिया। जहां पर ह्रदय था वहां पर एक पत्थर रख दिया और सिलाई कर दी। बीच में एक लाइन खींच दी। इतनी कठोरता से उनकी हत्या करने लायक उन पर क्या नाराजगी थी पता नहीं....?"

विवेक सदमे से बाहर निकल कर पूछा "डॉक्टर ...! आपके कहे हुए स्टेटमेंट को रख कर देखें तो.... इस मर्डर को किसी डॉक्टर ने किया होगा ऐसा आप कह रहे हो क्या ?"

"हंड्रेड परसेंट ! क्योंकि... इनका एक ओपन हार्ट सर्जरी किया है। एक डॉक्टर के सिवाय कोई इतना परफेक्ट नहीं कर सकता। मेरे जीवन काल में मैंने ऐसा एक मैटर नहीं देखा।"

"इस हत्या का मोटिव क्या है ऐसा प्रॉपर इन्वेस्टिगेशन करें तो.... अपराधी के पास जा सकते हैं...." - डॉक्टर कह ही रहे थे इंस्पेक्टर पंगजाटशन पास में आए। उन्होंने बोलना शुरू किया।

"सर....! बालचंद्रन की एक डॉटर है। उसका नाम सिम्हा है। विदेश में पढ़ी हुई लड़की है। अभी उसने मुन्नार स्टेट में स्टे किया है। एक कॉन्स्टेबल को भेजकर.... उस लड़की को समाचार दिया।

"समाचार को सुनते ही वह बेहोश होकर गिर गई। उसको हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया ऐसा समाचार है। वह लड़की जब होश में आए तब ही उसकी इंक्वायरी कर सकते हैं।"

"इट्स ओके मिस्टर पंगजाटशन...? मुझे अभी तुरंत बालाचंद्रन स्टेट बंगले में जाना है। उनके कमरे को देखना है। सबसे पहले वह जो सेलफोन यूज कर रहे थे वह हमारे हाथ में आना चाहिए।"

विवेक के बोलते समय ही.... एक कांस्टेबल तेजी से अंदर आकर पंगजाटशन के सामने खड़ा हुआ।

"सर....!"

"क्या है ?"

"बालचंद्रन की लड़की सिम्हा आ गई। अंदर आने के लिए रो रही है नाटक भी कर रही है। उसे अंदर भेजूं क्या ?"

"नहीं....! इस हालत में कोई भी लड़की अपने पिताजी को देखना पसंद नहीं करेगी। उसको बोलो.... पोस्टमार्टम हो रहा है उस लड़की को आउट पेशेंट वार्ड में बैठाओ।"

"यस... सर !"

कॉन्स्टेबल के जाते ही.... डॉक्टर सुकुमारन पास में धीरे से आकर खड़े हुए।

"सर !"

"कहिए डॉक्टर....."

"बालचंद्रन के शरीर को पोस्टमार्टम करते समय उनके लीवर को डिसेक्ट कर देखा तो, उसमें बिना पचा खाने के साथ उसमें एक सिम कार्ड भी था। बालाचंद्रन शायद उसे निगल गए होंगे ऐसा सोचता हूं.... ऐसे कहते हुए अपने कोट के पॉकेट में से एक छोटे पॉलिथीन के कवर में संभालकर रखे हुए सिम कार्ड को निकाल कर दिया।

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