अध्याय 18
टीवी में समाचार आ रहे थे।
'डॉक्टर का ऑपरेशन असफल होने से.... पूरे परिवार ने सायनाइड खाकर आत्महत्या कर लिया। स्क्रॉल साइप्रो नामक बीमारी के जहरीले वायरस से प्रभावित पोरको नामक युवा का डॉक्टर अमरदीप ने ओपन स्टमक ऑपरेशन किया। उस ऑपरेशन की सफलता सिर्फ 10% ही होती है डॉक्टर के बोलने के बाद भी वह कुटुम्ब ऑपरेशन के लिए राजी हो गया ।
"पोरको के अप्पा तिरुचिरंमंपलम, उनकी पत्नी, और तीन लड़कियां भगवान के ऊपर भरोसा कर ऑपरेशन जरूर सफल होगा ऐसे एक विश्वास से बाहर खड़ी हुई थी। परंतु ऑपरेशन के असफल होते ही... उस सदमे को सहन नहीं कर पाए... डॉक्टर के सामने ही एक साथ पूरे परिवार ने सायनाइड खाकर एक मिनट में आत्महत्या कर ली। उन लोगों को आई.सी.यू. में ले जाकर चिकित्सा देने पर भी... डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए।"
टीवी के सामने सोफे पर बैठे डॉ. अमरदीप के कंधे पर उनकी पत्नी कनकम ने हाथ रखा ।
"क्या बात है जी....!"
"हुम..."
"टीवी को पहले ऑफ करो.... इस न्यूज़ को सुनने से ही मन को तकलीफ हो रही है...."
डॉ. अमरदीप चश्मे को उतारकर अपनी गीली आंखों को पोछा। "कनकम! न्यूज़ को सुनने से ही तुम्हें तकलीफ हो रही है तुम बोल रही हो... पर मैंने तो यह घटना अपनी आँखों से देखा। मेरी आंखों के सामने ही वह बुजुर्ग, उनकी पत्नी वे तीनों लड़कियां जिनके मुंह से, नाक से खून आ रहा था। अपने अस्पताल में मैंने कितने ही मौतें देखी है। परंतु इस तरह का एक साथ कभी नहीं देखा।"
"पोरको जिंदा रहेगा ऐसा बहुत विश्वास किया था। वह बहुत बड़ा रिस्क वाला ऑपरेशन था आपने उन्हें समझा दिया था ?"
"मैंने उन्हें बता दिया था कनकम...! उन तीनों लड़कियों को अलग से बुलाकर मैंने बता दिया। उसके लिए वे राजी हो गई। परंतु इस तरह आत्महत्या का निर्णय ले लेंगे मुझे पता नहीं था । मन बहुत व्यतीत है....! मेरा हॉस्पिटल जाने का मन ही नहीं करता। एक हफ्ते के लिए कहीं टूर पर जा कर आते हैं कनकम....! तभी मेरे मन को थोड़ी शांति मिलेगी।"
"जाकर आएंगे ...! कुंबकोणम की तरफ चलें.... नवग्रहम के मंदिरों के दर्शन करके आएंगे।'
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