विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 16 S Bhagyam Sharma द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 16

अध्याय 16

डॉ. अमरदीप ऑपरेशन के कमरे से एक दीर्घ श्वास छोड़ कर थके हुए बाहर आए।

पोरको के पिता तिरुचिरंमंपलम, अपनी पत्नी और तीनों लड़कियों के साथ डॉक्टर की तरफ तेजी से आए।

"डा... डॉक्टर...!"

अमरदीप उनके चेहरों को न देख पाने से सिर झुका लिया।

"डॉक्टर ! क्यों बोले बिना खड़े हो? पोरको का ऑपरेशन सही ढंग से हो गया...? उसकी जान को अब कोई खतरा तो नहीं है ना?"

अमरदीप अपने चश्मे को उतारा। उनकी आंखों में आंसू चमकने लगे।

"सॉरी....! वह स्क्रोल साइप्रो, मुझ से जीत गया....पोरको को मैं बचा नहीं पाया...."

वह पूरा परिवार स्तंभित खड़ा था।

"डा... डॉक्टर !"

"मैंने बहुत ट्राई किया परंतु उसे समाप्त नहीं कर पाया। एक ही समय में वह वायरस हृदय में, दिमाग में, लिवर में तीनों पर अटैक कर दिया.... तो तुरंत मृत्यु...."

अमरदीप के कहते समय ही तिरुचिरंमंपलम अपनी औरत को और तीन लड़कियों को आंखों से कुछ इशारा किया....

उन्होंने अपने पास छुपा कर रखी हुई एक पुड़िया निकाल कर.... अपने मुंह में डाला। तिरुचिरंमंपलम ने भी अपने मुंह में डाला।

सायनाइड पाउडर।

कुछ ही क्षण!

मुंह में नाक के द्वारों से खून आया.... पांचों लोग गिर गए।

डॉ. अमरदीप जोर से चिल्लाए ।

"सिस्टर !"

स्टाफ नर्स पुष्पम हॉस्पिटल कर्मचारी सब घबराकर दौड़कर आए।

"यह पांच लोगों ने सायनाइड खा लिया। तुरंत इन्हें आई.सी.यू. में ले कर जाने तैयारी करो।"

दूसरे क्षण....

स्ट्रेचर उड़ कर आए।

एक-एक को उठाकर स्ट्रेचर पर डाला।

डालते समय उन्हें पता चल गया -

बिना जान का शरीर है ।

तिरुचिरंमंपलम सिर्फ एक बार आंखें खोल कर देखा फिर आंखें बंद हो गई ।

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