रिस्की लव - 24 Ashish Kumar Trivedi द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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रिस्की लव - 24



(24)

अंजली ने मानवी को एक नाइट क्लब में वेटरेस का काम दिलवा दिया था। उस क्लब में कोई ना कोई पार्टी होती रहती थी। मानवी पार्टी में मेहमानों को शराब सर्व करती थी।‌ अक्सर उसके मन में हूक उठती थी। कभी वह भी ऐसी ही रंगीन पार्टियां दिया करती थी। आज उसे पार्टी में वेटरेस का काम करना पड़ता था। पर वह अपने आप को समझाती थी कि पुजारी के घर वह जैसी ज़िंदगी जी रही थी उससे यह ज़िंदगी बहुत अच्छी है। कम से कम यहाँ वह उस चमक दमक के नज़दीक तो थी जिसकी वह आदी रही थी।
उसने अपने रहने की अलग व्यवस्था कर ली थी। ज़िंदगी कुछ आगे बढ़ी थी। पर अभी वह राह नहीं मिली थी जिस पर चलकर अंजन से बदला ले सकती। अक्सर वह निर्भय के बारे में सोचती थी। उस दिन दोनों साथ में कूदे थे। लेकिन वह बहकर ना जाने कहाँ चला गया था। कभी कभी उसे लगता था कि कहीं वह डूब तो नहीं गया। पर उसका मन यह मानने के लिए तैयार नहीं था। उसे लगता था कि वह भी कहीं अपने जीवन की नई शुरुआत कर रहा होगा।
वेटरेस का काम करते हुए भी चार महीने बीत गए। अभी तक कोई रास्ता नहीं मिला था। एक बार फिर मानवी को हताशा होने लगी थी।

निर्भय बीच पर टहल कर आया तो देखा कि मानवी गार्डन में बैठी है। वह कुछ सोच रही थी। निर्भय ने उसके कंधे पर हाथ रखा। मानवी ने उसे देखकर कहा,
"बहुत देर तक बीच पर टहलते रहे।"
"हाँ आज मन बार बार पीछे की तरफ भाग रहा है। बीच पर बैठकर वही सोच रहा था।"
"मैं भी अभी उन दिनों के बारे में सोच रही थी जब एक बार फिर नए सिरे से जीवन शुरू करने की राह निकाल रही थी।"
निर्भय कुछ सोचते हुए बोला,
"अंजन हमें तलाशने के लिए लंदन की गलियां छान रहा होगा। पर हमें नहीं खोज पाएगा।"
मानवी के चेहरे पर मुस्कान आ गई। निर्भय ने आगे कहा,
"उसके ड्राइवर ने उसे बचा लिया। उस दिन भागते समय मैंने उंगली दिखाकर चेतावनी भी दी थी। पर वह स्वामीभक्त निकला। अंजन को हॉस्पिटल पहुँचाकर मौत के मुंह से बाहर ले आया।"
मानवी ने कहा,
"हमने उसे धमकाया तो डरकर भाग गया। ना जाने कहाँ है ?"
"कहीं भी हो। हमें उससे कोई खतरा नहीं है। उसके पास हमारी कोई पहचान नहीं है। तभी तो अंजन ने उस जासूस के ज़रिए हमारी जानकारी हासिल की थी।"
"पर हम जैसा चाहते थे अंजन वैसे ही गुमराह हो गया।"
निर्भय के चेहरे पर एक ज़हरीली मुस्कान थी।‌ वह बोला,
"मुझे लगता है कि उसके ड्राइवर ने उसे बचाकर अच्छा ही किया। अब उसे तड़पते देखने में ज्यादा मज़ा आ रहा है। अगर उस दिन मर गया होता तो यह मज़ा ना मिल पाता।"
"यह बात तो है। मुझे भी अब बहुत अच्छा लग रहा है। अब वह बच ही गया है तो हम इसी तरह उसे तड़पाएंगे।"
दोनों एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुराए और हाई फाइव दिया।

मानवी अपने कमरे में बैठी सोच रही थी कि अंजन का बच जाना बुरा नहीं हुआ। अगर वह उस दिन के हमले में मर जाता तो शायद उसके दिल को इतनी ठंडक ना मिल पाती। मज़ा तो उसे तड़पाने में है। यह जानकर वह कितना छटपटा रहा है कि उस पर हमला कराने वाले वही हैं जिन्हें उसने अपने आदमी के माध्यम से मरवाने की कोशिश की थी।
निर्भय ने उसे समझाया भी था कि अंजन को जान से मारने की जगह तिल तिल मरने को मजबूर करते हैं। उसका सबकुछ छीनकर उसे नंगा कर देते हैं। तब अधिक मज़ा आएगा। लेकिन तब बदले की आग में जलती हुई मानवी को लग रहा था कि जैसे अंजन ने उसके भाइयों को मरवाया। उसे जान से मारने की कोशिश की। उसी तरह उसे मार दिया जाए।
मानवी एक बार फिर पुराने समय को याद करने लगी।

मानवी वेटरेस का काम करते हुए ऊबने लगी थी। हर पल उसके दिल में नफरत के शोले उठते रहते थे। ‌ अंजन से बदला लेकर वह अपने दिल को ठंडक पहुंँचाना चाहती थी। इसलिए हर पल छटपटाहट महसूस करती थी।
क्लब में एक टूरिस्ट ने रोज़ रोज़ आना शुरू किया था। अधेड़ उम्र का मार्वल डिसूज़ा गोवा में ही पला बढ़ा था। पर पिछले पच्चीस साल से लंदन में रह रहा था। मानवी की खूबसूरती पर वह फिदा हो गया था। उसकी इस दीवानगी में मानवी को आगे बढ़ने की राह दिखाई दी।
मार्वल का लंदन में बिज़नेस था। काफी पैसे वाला था। गोवा अपने किसी रिश्तेदार की शादी में आया था। पर उसने कुछ दिन गोवा में गुजारने का निर्णय लिया। वह मानवी को ऐसे इशारे देता था जैसे कि उसके साथ रिश्ता बनाना चाहता हो। मानवी तो बस वह सीढ़ी तलाश रही थी जिस पर पैर रखकर वह ऊपर जा सके। उसने मार्वल के इशारों का जवाब देना शुरू कर दिया।
एक दिन मार्वल को शराब देते समय उसने एक चिट भी पकड़ा दी। इशारे से कहा कि उसे फोन करे। क्लब बंद होने पर सुबह करीब साढ़े तीन बजे मार्वल ने मानवी को फोन किया। उससे कहा कि वह उसे उसके घर पर आकर मिले।
उस दिन के बाद अक्सर ही मानवी उसके घर जाने लगी। उसने भी अपने रूप का जादू उस पर चलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अपने ऑफ डे में वह पूरा दिन ही मार्वल के साथ बिताती थी। मार्वल उसका दीवाना बन गया था।
लंदन से बार बार उसके बिज़नेस पार्टनर का फोन आ रहा था कि वह अब लौट आए। मार्वल जब भी वापस जाने की सोचता था मानवी की कशिश उसे रोक लेती थी। उसे मानवी की लत लग गई थी। एक दिन उसने मानवी के सामने प्रस्ताव रखा कि वह उसके साथ लंदन चले। मानवी तो कई दिनों से उसकी तरफ से इस प्रस्ताव के आने का इंतज़ार कर रही थी। प्रस्ताव पाकर वह मन ही मन खुश थी। लेकिन एकदम से मार्वल की बात ना मानकर उसने ऐसा दिखाया जैसे कि यहाँ सबकुछ छोड़कर चले जाना उसके लिए आसान नहीं होगा। वह जानती थी कि उसका इस तरह एकदम से ना मानना उसके लिए ही फायदेमंद होगा।
मार्वल किसी भी कीमत पर उसे ले जाना चाहता था। उसने कहा कि वह उसके साथ शादी करने को भी तैयार है। मानवी के लिए उसकी दौलत की मालकिन बनने का यह अच्छा अवसर था। मार्वल ने उसके साथ चर्च में शादी कर ली। मानवी ने अपना नाम बदलकर जेनिफर रख लिया।
नई पहचान के साथ वह लंदन चली गई।
नई पहचान के साथ मानवी को वह सबकुछ वापस मिल गया था जिसके लिए वह तरस रही थी। उसने एक बार फिर उसी तरह का जीवन जीना शुरु कर दिया जैसा वह मुंबई में जीती थी। दिल खोलकर खर्च करती थी। पार्टियां करती थी।
मार्वल को उसका यह बदला हुआ रूप अच्छा नहीं लगा। पहले वह उसके इशारों पर काम करती थी। अब उसकी तरफ ध्यान भी नहीं देती थी। अक्सर उसकी कही बात को अनसुना कर देती थी। दोनों के बीच झगड़े होने लगे। मार्वल उसे तलाक देने की धमकी देने लगा। पर वह कुछ करता उससे पहले ही बीमारी ने उसे आकर घेर लिया। कुछ महीनों तक बीमारी से जूझने के बाद वह अपनी सारी दौलत जेनिफर उर्फ मानवी के लिए छोड़कर चला गया।
मानवी अब पूरी तरह से आज़ाद हो गई थी। वह मार्वल की दौलत पर ऐश करने लगी। वह कुछ समय के लिए अंजन से बदला लेने की बात भी भूल गई थी। एक दिन वह एक नाइट क्लब में गई थी। अचानक उसकी नज़र वहाँ अंजन पर पड़ी। वह डांस फ्लोर पर उछल कूद कर एक लड़की को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था। कुछ देर बाद वह उस लड़की के साथ बात करने लगा।
मानवी के अंदर बदले की आग पूरी तरह नहीं बुझी थी। इस घटना ने उसे कुरेद कर भड़का दिया था।

निर्भय ने उसके कमरे का दरवाज़ा खटखटाया। मानवी ने उसे अंदर आने के लिए कहा। निर्भय ने उसे कुछ बताया। सुनकर मानवी खुश हो गई।


अंजन के अचानक लंदन आने से उसका दोस्त सागर खत्री भी अचरज में पड़ गया था। अंजन ने उसे बताया कि उसके लिए उन दोनों हमला करने वालों का पता लगाना बहुत ज़रूरी है। इसलिए उससे भारत में रुका नहीं गया। वह खुद ही यहाँ चला आया।
सागर ने बताया कि उसका ईमेल मिलने के बाद ही उसने अपने आदमियों को काम पर लगा दिया था। अभी तक कुछ पता तो नहीं चला है। पर उसे उम्मीद है कि जल्दी ही सफलता मिलेगी।
अंजन मानवी और निर्भय को तलाश करने के प्रयास में खुद भी लग गया। पर एक हफ्ता बीतने के बाद भी उसे कोई सफलता नहीं मिली थी। उसने मीरा से मिलने की कोशिश की तो पता चला कि वह लंदन में नहीं है। उसने एक आदमी को इस निर्देश के साथ मीरा के घर पर नज़र रखने के लिए नियुक्त कर दिया था कि जैसे ही मीरा लंदन आए उसे सूचना दे दी जाए।

सागर खत्री और अंजन बैठकर शराब पी रहे थे। दोनों इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि आखिर इतनी कोशिश करने के बाद भी दोनों मिले क्यों नहीं। सागर ने कहा,
"लंदन क्या उसके आसपास के इलाकों में भी तलाश किया। पर दोनों का कोई पता नहीं चला। फिर भी मैंने अपने आदमियों को कह दिया है कि कोशिश ना छोड़ें।"
उसने अंजन की तरफ देखकर कहा,
"पर मुझे लगता है कि तुमने मुझे जो जानकारी दी है वह पूरी नहीं है। जो मुझे बताया है उसके अलावा भी बहुत कुछ है जो तुम बता नहीं रहे हो। सही यही होगा कि तुम मुझे सारी बात बताओ।"
अंजन ने मानवी के बारे में उसे कुछ नहीं बताया था। लेकिन अब सागर ने जब पूँछा था तो उसे लग रहा था कि सब बता देना चाहिए। उसने सागर को मानवी और निर्भय की सारी सच्चाई बता दी।