द ईमेल भारत खतरे में - (भाग 4) मदन सिंह शेखावत द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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द ईमेल भारत खतरे में - (भाग 4)


में चांदनी चौक के लखोरी रेस्टोरेंट में शबनम के साथ पहुंच गया था। यह रेस्टोरेंट काफी प्रसिद्ध था। अभी तक शिवानी का आना बाकी था। मेने पहले ही वी आई पी वाली टेबल को आरक्षित कर लिया था। मेने शबनम को उसके खाने की मनपसंद डिश के लिए पूछा तो हमेशा की तरह एक ही जवाब पनीर टिक्का मिला। जब तक शिवानी नही आती है तब तक मेने शबनम से बातचीत शुरू कर दी

"एक बात बताओ शबनम क्या तुम्हें लगता है शिवानी का अंदाजा सही है।"

"ये तो उसकी सारी बात सुनने के बाद ही कुछ कह सकती हूं।" शबनम ने उत्तर दिया।

इतने में वेटर हमारे लिए स्वागत वाला पेय हमारी टेबल पर रख दिया। कुछ समय बाद सामने से शिवानी आते हुए नज़र आई। इस बार वह पटियाला सलवार सूट पहने हुए थी। सुनहरे बाल खुले हुए थे। हम दोनों को अभिवादन करते हुए तीसरी कुर्सी पर बैठ गई। मेने शिवानी को उसकी मनपसंद खाने के लिए पूछ कर वेटर को खाने का आदेश दे दिया।

अब मेने शिवानी को ईमेल वाली पहेली के बारे में अपनी बात रखने को कहा।

शिवानी:- सर में 99 प्रतिशत निश्चित हूँ कि ये ईमेल पाकिस्तान से किया गया है।

मेने शिवानी से इतना दृढ़ विश्वास होने की वजह पूछी। शिवानी ने मुझसे लेपटॉप को खोल कर उस ईमेल को स्क्रीन पर लाने के लिए कहा।

शिवानी: "देखिए सर जब हम इस ईमेल के शब्दों को बड़ा करते है मतलब ज़ूम करते है तो इन अंग्रेजी शब्दों के अंत मे आप छोटी छोटी बिंदु (डॉट) देख रहे हो ऐसे फोंट सिर्फ पाकिस्तान के आई एस आई ने अपने लिए खुफिया संदेश भेजने के लिए बनाया था जिनको ना तो कॉपी ओर पेस्ट किया जा सके अगर ऐसा हो भी जाये तो पेस्ट करने पर इनका क्रम बदल जाता है।"

में ओर शबनम शिवानी का चेहरा ही ताक रहे थे। मैंने तो मन मे सोचा कि मेरी पोस्ट शिवानी को सुपुर्द कर देना चाहिए।
शिवानी यही नही रुकने वाली थी। मैंने सोचा मेरे हिसाब से पांच मिनट शिवानी के लिए बहुत ज्यादा थे।

शिवानी:- "सर इस ईमेल की मुख्य बात ये है कि जिसने भी आपको ये ईमेल भेजा है उसने पहले इस पाकिस्तानी ईमेल को हैक किया उसकी तसवीर मोबाइल से ली फिर उसे आपको भेजाइसलिए इसको कॉपी पेस्ट नही किया गया है अगर आप इसे ओर ज़ूम करते हो तो इसके बैकग्राउंड से साफ पता चलता है इसकी तसवीर खिंची गई है। ओर एक बात जो सिर्फ मेरा अंदाजा है जिसने भी आपको ये ईमेल भेजा है उसे इस ईमेल का भेद पता है।"

इतना कहकर शिवानी अपनी बात खत्म की। ये सुनकर मेरे मुंह से एक ही बात निकली।

"बहुत शानदार। तुम सच मे अद्भुत हो।" मेंने ताली बजाकर शिवानी की तारीफ की।

मुझे शिवानी की हर बात पर विश्वास हो रहा था। शबनम भी सोच रही थी कि इस तरह से हमने दिमाग क्यों नही लगाया। इतने में हमारा खाना टेबल पर आ गया और हमने खाना खाना शुरू कर दिया। में बहुत खुश था कम से कम शिवानी की वजह से ईमेल कुछ सुराग हाथ लगा।

"क्या शिवानी तुम इस ईमेल को क्रैक कर सकती हो" मेरा इस सवाल का जवाब शायद शिवानी के पास नही था।

"माफी चाहती हूँ मुझे नही लगता कि में इस ईमेल को क्रेक कर पाऊंगी। इसे तो कोई अनुभवी ही क्रेक कर सकता है।"

में फिर शबनम की तरफ देखा वो तो अपने पनीर टिक्का में खोई हुई थी। इस ईमेल को क्रेक करने के लिए मैंने पहले ही बहुत अनुभवी व्यक्तियों से संपर्क कर लिया था। कोई भी सफल नही हुआ। ये बात मैने शिवानी को बता दी।

"कोई तो होगा जो इस ईमेल को क्रेक कर सकता है।" मेने दोनों से सवाल किया।

ये बात सुनकर शबनम ओर शिवानी मेरी तरफ देखने लग गई। इतने में शिवानी ने एक सुझाव दिया।

" एक है लेकिन उसको कोई अता पता नही है।"

"शिवानी तुम बताओ रॉ के लिए किसी को ढूंढना बहुत आसान काम है" लेकिन शिवानी के जवाब से में सुन्न हो गया।

"राजवीर सिंह" शिवानी के इस नाम से शबनम तपाक से बोली।

"राजवीर सिंह जो रॉ का मशहूर एजेंट जिसको भारत सरकार ने गद्दार घोषित किया जिसे पिछले 8 साल से सब ढूढ़ रहे है।"

शिवानी की हाँ ने हमें बहुत बड़े असमंजस में डाल दिया।