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द ईमेल भारत खतरे में - (भाग 2)

"हवा में उड़ता जाए मेरा लाल दुप्पटा मल मल का"

जब तक मे रात को 9 बजे घर पहुंचा बच्चे सो चुके थे। देव मेरा 5 साल का लड़का जो आइंस्टाइन की तरह सोचता है और पिंकी मेरी 7 साल की बेटी जो मेरी हर काम मे साथ देती है। सुरभि टी वी पर अपने पसंदीदा धारावाहिक देख रही थी। मुझे देखकर ज्यादा नाराज नही थी वो जानती थी कि मेरा जॉब केसा है।

"माफी चाहता हूं में बच्चे तो नाराज होंगे शायद।" मेने उदास मन से सुरभि को कहा। मन तो उदास था ही क्योंकि ईमेल का रहस्य अभी भी रहस्य ही था।
"ऐसा मत बोलो मैंने बच्चों को समझा दिया था कि पापा की विशेष कार्य पर व्यस्त है। बच्चे मान भी गए थे।लेकिन तुम उदास लग रहे हो। क्या बात है।" सुरभि की इस बात से मेरा मन हल्का हो गया।

मैंने सुरभि को सब बता दिया। सुरभि को भी यकीन नही हो रहा था कि कोई मुझ को ऐसा ईमेल क्यों करेगा। लेकिन अभी समय रात का खाना खाने का था। हम दोनों खाना खाने के बाद थोड़ा गार्डन में घूमने के बाद सो गए।

अगले दिन में सुबह जब ऑफिस पहुंचा उसके कुछ समय बाद ही सतीश सर ने मुझे अपने केबिन में बुला लिया। मुझे लगा कि शायद वो ईमेल पर कुछ चर्चा करने वाले है। उनके केबिन में नारायण शर्मा और जगदीश प्रसाद पहले से मौजूद थे। ये दोनों इंटेलिजेंस विभाग में काम करते थे। ये दूसरी संस्थाओं जैसे इंटेलिजेंस ब्यूरो, रक्षा इंटेलिजेंस, पुलिस इंटेलिजेंस से इनपुट का आदान प्रदान करते है। शायद सतीश सर मेरे ईमेल के लिए दूसरी संस्थाओं से कोई इनपुट लेना चाहते थे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
"अनुपम गुड़ मोर्निंग आओ बेठो तुमसे एक महत्वपूर्ण इनपुट पर चर्चा करनी है"
में जगदीश के पास वाली कुर्सी पर बैठ गया। सर ने बताया कि कुछ समय से रक्षा इंटेलिजेंस, इंटेलिजेंस ब्यूरो दोनों ने अपने वायरलेस ओर दूसरे तरीके से एक गाना बहुत सुना जा रहा है।
"हवा में उड़ता जाए मेरा लाल दुपट्टा मल मल का"
सतीश सर :- पहले भी इनपुट मिल चुके है कि आंतकवादी भारत की वायु सेना के किसी एयर बेस पर हमला करने वाले है। इस गाने पर गौर करे तो हवा वायु सेना को इंगित करती है ओर उड़ता को हम उदमपुर एयर बेस मान सकते है। लेकिन अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है। जगदीश ओर नारायण लगातार दूसरी संस्थाओं से संपर्क बनाए रखेंगे और अनुपम तूमको अगले कुछ दिन इसी इनपुट पर काम करना है।

मेरे को कुछ समझ नही आ रहा था। अक्सर पापा कहा करते थे कि काम वो ही करो जिसे करने के लिए मन और दिल दोनों एक साथ हो। एक मेरा मन और दिल दोनों तो बस उस ईमेल में उलझा हुआ था। इतने में नारायण ने एक सुझाव दिया
"सर हमको कोई खतरा नही लेना चाहिए हमे बॉर्डर के पास वाले सबी एयर बेस के पास अपने एजेंट को सक्रिय कर देना चाहिए। ऐसे किसी गाने के संदेश चाहे वो सोशल मीडिया, फ़ोन पर या आपस मे गाते हुए नजर आए तो जल्दी कार्यवाही करनी चाहिए।"
सतीश सर इस सुझाव से बहुत खुश हुए और मुझे कहा कि सभी अंडर कवर एजेंट को सूचना जल्द से जल्द पहुंचा दी जाए। कुछ देर ईस इनपुट पर चर्चा हुई और जगदीश ओर नारायण चले गए।
सर मुझे सभी एजेंट को सूचना देने ली लिस्ट दी ताकि में उनको खुफिया संदेश उन तक पहुंचा सकू। सर मुझ से इस इनपुट पर अपनी राय के लिए कहा।
मेरा कहना है कि" हो सकता है कि आंतकवादियों का कोई मिशन का राज खुल गया हो या फिर वो कुछ बड़ा करने के लिए और उसे दबाने के लिए इस गाने का सहारा ले रहे हो क्योंकि ये गाना सभी इंटेलिजेंस संस्थाओं ने सुना है जैसा आपने कहा। या फिर किसी बड़े हमले के लिए इस गाने से हमे गुमराह कर रहे हो। सर में गलत भी हो सकता हूँ लेकिन हमको इस इनपुट के दूसरे एंगल को भी देखना चाहिए।"

मुझे कोई अंदाजा नहीं था कि में क्या राय दे रहा था बस मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था। लेकिन मुझे ये भी पता था कि सतीश सर मेरी राय से सहमत नहीं होंगे।
सतीश सर :- "कही तुम कल वाले ईमेल से ऐसा तो नही बोल रहे हो देखो अनुपम सभी इंटेलिजेंस संस्थाये इसी इनपुट पर काम कर रही है। ये सभी गलत नहीं हो सकती है। और रक्षा मंत्री भी मुझे फ़ोन कर कहा है जिससे लगता है कि वो भी इस इनपुट के लिए बहुत गंभीर है। अगर ऐसा कोई हमला हुआ तो रॉ पर बहुत बड़ी गाज गिरेगी। हो सकता हमारे फण्ड में कटौती हो जाये फिर तो काम करना और मुश्किल हो जाएगा।"

सर ने मुझे भी इस इनपुट पर बहूत गंभीर कर दिया। में अपने केबिन में आने के बाद इस गाने को पूरा सुना। गाना बहुत ही शानदार था। बरसात फिल्म का गाना जिसने लता मंगेशकर ने गया था जिसके संगीतकार शंकर जय किशन थे। लेकिन मन अभी भी उस ईमेल को लेकर गंभीर था।

दूसरा भाग समाप्त। अगले भाग की तैयारी शुरु।

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