कोख - दोषी कौन (अंतिम भाग) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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कोख - दोषी कौन (अंतिम भाग)

"माँ बनकर ही औरत सम्पूर्ण कहलाती है।इसलिए हर औरस्त माँ बनना चाहती है।मैं भी।लेकिन अभी हमारी शादी को सिर्फ एक साल हुआ है।तुम जानते हो हमारी लाइन मे फिगर का बहुत महत्त्व है।इसलिए अभी से माँ बनकर मैं अपनी फिगर नहीं बिगाड़ना चाहती,",कृतिका बोली,"अभी हमारी उम्र ही क्या है?बच्चे के बारे में कुछ साल बाद सोचेंगे।"
पति ने समझाया था। माँ बनकर भी वह अपनी फिगर बनाये रख सकती है।लेकिन पति की बात उसने नही मानी औऱ वह पति के समझाने और मना करने के
आईजूद वह अकली डॉ रत्ना के पास जा पहुंची।उसका चेकअप करने के बाद समझाया था,"गर्भपात कराना तुम्हारे लिए नुकसानदायक हो सकता है।"
"आप तो---
"मैं पैसे के लालच में ऐसा काम नही करती जो डॉक्टरी पैसे के खिलाफ हो या जिससे मरीज को नुकसान हो।"कृतिका की बात सुनकर डॉ रत्ना बोली थी।
डॉक्टर रत्ना ने कृतिका का गर्भपात करने से मना कर दिया।वह कई डॉक्टरों से मिली।लेकिन जब कोई डॉक्टर गर्भपात के लिए तैयार नही हुआ।तब एक सहेली की सलाह पर उसने एक नर्स की सलाह ली।पैसों के लालच में नर्स ने उसका गर्भपात कर दिया।
कृतिका ने पति की बात नही मानी थी।पति के मना करने के बावजूद उसने गर्भपात करा लिया था।प्रवीण पत्नी के इस कृत्य से नाराज था।महीनों तक दोनो के बीच अनबोला रहा।लेकिन एक छत के नीचे रहते हुए पति पत्नी कब तक एक दूसरे से नाराज या दूर रह सकते थे।
कृतिका ने पति को मना लिया।वह गर्भधारण से बचने के लिए सावधानी बरतने लगी।और कई साल गुजर गए।
कृतिका किसी के घर जाती तो बच्चे की किलकारी या बाल सुलभ लीलाये देखने को मिलती।बच्चों के झग़डे कोलाहल,शोर सुनने को मिलता।अपनी सोसाइटी में भी वह बच्चों को खेलते,लड़ते झगडते देखती।और यह सब देखकर उसे अपना घर खाली खाली,सुना सुना से लगने लगा।उसे लगने लगा कि बिना बच्चे के दाम्पत्य अधूरा है।वह अपने को अधरी महसूस करने लगीं।
और कृतिका के मन मे भी माँ बनने की इच्छा जागृत हो उठी।पहले वह गर्भ से बचने के लिए सावधानी बरतती थी।और माँ बनने के लिए उसने सुरक्षा के उपाय अपनाना बन्द कर दिया।और समय गुज़रता रहा लेकिन उसके मा बनने की आस नही बंधी तब वह पति से बोली,"अब तो मैं कोई सावधानी नही बरत रही फिर भी मा बनने की आस नही बंधी है।"
" एक बार डॉ को दिखा लो।"
और एक दिन वह पति के साथ डर रत्ना के जा पहुंची।डॉ रत्ना की बात सुनकर कृतिका ने पूछा था,"डॉ मैं माँ क्यो नही बन सकती?"
"तुमसे मैने मना किया था।लेकिन तुमने मेरी बात नही मानी और गर्भपात करा लिया",डॉ रत्ना बोली,"तुम्हारा गर्भाशय बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है।अब तुम कभी भी माँ नही बन सकती।
डॉ की बात सुनकर कुछ देर के लिए वह स्तब्ध रह गई फिर बोली,"डॉ इसका कोई इलाज तो होगा।*
"सॉरी।अभी तक इस का कोई इलाज नही है।शायद भविष्य में हो जाये।"
डॉ रत्ना की बात सुनकर कृतिका का मा बनने का सपना टूट गया था।दोष किसको दे?ईश्वर ने तो उसे पूर्ण नारी बनाया था।माँ बनने की क्षमता प्रदान की थी।लेकिन फिगर बनाये रखने के चक्कर मे उसने अपने हाथों से ही अपनी कोख को उजाड़ लिया था।