"सॉरी",डॉक्टर रत्ना,कृतिका का चेकअप करने के बाद बोली,"अब तुम कभी भी माँ नही बन सकती।"
कृतिका से प्रवीण की मुलाकात एक फैशन पार्टी में हुई थी।प्रवीण को कृतिका की सुंदरता ने मोहित कर लिया था।कृतिका, प्रवीण के सौम्य व्यवहार और व्यक्तित्व से प्रभावित हुई थी।पहली मुलाकात में ही दोनो ने एक दूसरे की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया और वे दोस्त बन गए।
प्रवीण इंजीनियर था।कृतिका एंकर के साथ मॉडलिंग भी करती थी।दोस्त बननेके बाद रोज मुलाकात संभव नही थी क्योकि दोनो अपने अपने काम मे व्यस्त रहते थे।लेकिन वे फोन पर बात करना नही भूलते थे।फोन पर उनकी रोज बाते होती थी।वे फेसबुक,व्हाट्सएप पर घण्टो चैट करते।सुबह दोनो एक दूसरे को गुड मॉर्निंग का मैसेज करना नही भूलते थे।रात को चैट करते समय वे एक दूसरे को पूरे दिन की गतिविधि बताना नही भूलते थे।सिलसिला आगे बढ़ा और जब वे फ्रीए होते तब मिलने भी लगे।वे साथ घूमते,खाते पीते और पिक्चर देखते।प्रवीण को समुंदर किनारे एकांत में बैठना बहुत अच्छा लगता था।प्रवीण, कृतिका की गोद मे सिर रखकर लेट जाता और घण्टो उसके सौन्दर्य की निहारता रहता।
कृतिका का रंग गोरा था।उसकी देह कमसिन और छरहरी थी।उसकी चाल में अल्हड़पन और आवाज कोयलसी मीठी थी।वह जब मुस्कराती तो उसके गालो में पड़ने वाले गड्ढे उसकी सुंदरता को द्विगुणित कर देते।उसकी हँसी पर प्रवीण फिदा था।जब भी वह खिल खिलाकर हंसती प्रवीण कहना न भूलता,"तुम हँसती हो तो ऐसा लगता है सारी की सारी शराब सुराहीदार गर्दन से एक ही बार मे उड़ेल दी गई हो।"
समय गुज़रने के साथ वे इतने करीब आ गए कि एक दिन प्रवीण बोला,"घर मे अकेले मन नही लगता।घर सुना सुना खाली खाली सा लगता है।"
"तो"कृतिका ने प्रश्नसूचक नज़रो से देखा था।
"मै शादी करके तुम्हे अपनी बनाना चाहता हूँ।"
"तो बना लो।मना किसने किया है।"कृतिका ने जवाब देने में देर नही लगाई थी।
कृतिका के दिल की बात जानने के बाद उसने भी देर नही की और शादी करके उसे अपनी पत्नी बना लिया।
शादी करके वे दोनों ही खुश थे।प्रवीण जैसी सुशील,सूंदर,शिक्षित पत्नी चाहता था।कृतिका बिल्कुल वैसी ही थी।कृतिका ने जैसे पति का सपना देखा था।उसे वैसा ही पति मिला था।प्रवीण पत्नी को बहुत चाहता था।प्यार करता था।और उसका पूरा ख्याल रखता था।कृतिका भी प्रवीण को पति रूप में पाकर खुश थी।जब वह सहेलियों के सामने पति की तारीफ करती तो सहेलियों को उस से ईर्ष्या होती थी।धीरे धीरे उनके दिन हँसी खुशी गुज़र रहे थे।
एक दिन सुबह जब प्रवीण अखबार पढ़ रहा था।तब कृतिका उसके पास आकर बोली,"मेरे दिन चढ़ गए है।"
"सच"
पत्नी के गर्भवती होने की बात सुनकर प्रवीण इतना खुश हुआ कि उसने अखबार फेंकर कृतिका को गोद मे उठा लिया।उसे गोद मे लेकर घूमते हुए बोला,"मैं बाप बनने वाला हूँ।"
"अभी इतना खुश होने की जरूरत नही है"पति को खुश देखकर कृतिका बोली।
"तुमने समाचार ही खुश होने का सुनाया है।इस समाचार को सुनने के लिए हर मर्द लालायित रहता है।इस समाचार को सुनकर हर मर्द खुश होता है"प्रवीण पत्नी की बात सुनकर बोला,"फिर मैं क्यो नही खुश होऊ?"
"मुझे एबॉर्शन कराना है।"
"क्या?"पत्नी की बात सुनकर प्रवीण चोंकते हुए आश्चर्य से बोला,"हर विवाहित औरत माँ बनना चाहती है और तुम नही