उस महल की सरगोशियाँ - 7 Neelam Kulshreshtha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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उस महल की सरगोशियाँ - 7

एपीसोड - 7

उसने राजमाता का राजमहल में इंतज़ार करते हुये चाय का ख़ाली कप मेज़ पर रक्खा था और सोनल देवी के साथ हुई लीना देवी से मुलाक़ात को याद करने लगी थी। उनसे मिलने से पहले ही उसने सुन रक्खा था कि ये किसी हाई स्कूल, इंग्लिश मीडियम की प्रिंसीपल थीं। ये अचानक स्कूल के एक क्लर्क के साथ गायब हो गईं थीं। पांच बरस बाद ये अपने शहर में फिर प्रगट हुईं तो ये उस क्लर्क की पत्नी थीं व इनके पास काफ़ी पैसा आ चुका था। जब इन्होंने अपना लोकल चैनल आरम्भ किया तो उसके उद्घाटन की तस्वीर के साथ इनके विचार अख़बार में पढ़ने को मिले थे, "मैं ` एड्युएण्ट `यानि कि मनोरंजन के साथ शिक्षा दी जाये इस पर विश्वास करतीं हूँ। इसलिए बच्चों व बड़ों के मनोरंजन के साथ शिक्षा देने के लिए इस चैनल को शुरू किया है। "

***

लीना देवी ने अपने भव्य ऑफ़िस में उनका स्वागत किया था .उनकी रॉयल भव्य पसंद उनके ऑफिस के नक्काशीदार सोफ़ों में दीवार पर लगीं विशाल ऑइल पेंटिंग्स व चाइना क्ले के फूलदानों में दिखाई दे रही थी। वे बतातीं रहीं थीं कि किस तरह उनके रजवाड़े में रानियों को अंग्रेज़ी शिक्षिका नियुक्त करके पढ़ाया जाता था। उन्होंने भूल से ये नहीं बताया जो उसे किसी से पता लगा था कि जैसे ही उनके पिता की कोई रानी पैंतीस वर्ष की हो जाती थी, वह एक नई शादी कर लेते थे। सारी जानकारी देने के बाद उन्होंने मुलामियत से उससे पूछा था, "आपका नाम बहुत सुना है। आप अगर हमारे चैनल के लिये विज्ञापन इकठ्ठा कर सकतीं हों तो आपको मैं सीनियर पी आर ओ की पोस्ट दे सकतीं हूँ। "

उसका मन हुआ वह ज़ोर से चिल्लाये, "मैंने जर्नलिज़्म की दुकान नहीं खोल रक्खी है। " लेकिन वह टालते हुये बोली, "मेरे पास कोई न कोई प्रोजेक्ट रहता है। मैं समय नहीं निकाल पाऊँगी। "

वह नखरे दिखाते हुये बोलीं थीं, "अरे ! फ़्री लांसर तो अपने कोई भी प्रोजेक्ट चुन सकते हैं। दे आर नॉट स्लेव ऑफ़ एनीबडी । आप वो प्रोजेक्ट्स छोड़िये। हमारे लिये काम करिये। आई विल गिव यू हैंडसम सैलेरी। "

"जी, मैंने अपनी रूचि से अपने प्रोजेक्ट्स चुने हैं। मुझे माफ़ करें। " वह तेज़ी से बोलती हुई वहां से चल दी थी। पंद्रह दिन बाद ही उसने सुन लिया था कि लीना देवी व उनके पति के पच्चीस ऑफिसेज़ पर पुलिस का छापा पड़ गया व वे दोनों जेल में हैं। कितनी शांति मिलती है दुनियाँ को बाज़ार समझने वाले व बाज़ार बनाने वालों के ऐसे हश्र पर या इस तरह के` रॉयल एटीकेट्स` पर।

महल के कक्ष में थोड़ा और इंतज़ार करने के बाद राजमाता की सेविका आ गई थी, "आपको राजमाता तीसरे कक्ष में मिलेंगी। "

तीसरे कक्ष में उसके मखमली सोफ़े पर बैठते ही सिर पर सिल्क की सफ़ेद साड़ी का आँचल लिए राजमाता आ गईं थीं।वह अभिवादन करती खड़ी हो गई थी। वे अपनी अपने नाम के अस्पताल की व्यस्त्तता, शहर में समाजसेवा की बातों को बतातीं रहीं थीं। अचानक उन्होंने उससे पूछा था, " हमारे हॉस्पिटल के एक गायनोकॉलोजिस्ट, मेडिकल एडवाइज़र डॉक्टर के .एन. कुलश्रेष्ठ थे, अब तो नहीं रहे। आप क्या उन की कोई रिलेटिव हैं ?"

"जी बहुत दूर का रिश्ता है। मुझे लगता है उन्होंने बड़ौदा स्टेट में इतना नाम कमाया है कि हर तीसरा चौथा व्यक्ति मुझसे यही प्रश्न पूछता है। "

अब वह उन्हें क्या बताती कि वे उसकी मम्मी की बुआ के जेठ के लड़के थे। उनके बड़े भाई नेवी में अधिकारी चुने गए तो उन्होंने भी यू पी से उन्हीं के पास मुम्बई जाकर मेडीकल की पढ़ाई की थी।

"आपको मैं एक संयोग बताऊँ। मैं व महाराजा शिप से लन्दन जा रहे थे। रास्ते में मेरी तबियत ख़राब हो गई थी। जब पूछताछ की तो शिप पर ये ही एक डॉक्टर थे जिन्होंने मुझे देखा। जल्दी ही इनकी दी हुई दवाइयों से मेरी तबियत ठीक होने लगी। लंदन भी ये मुझे देखने आते रहे। इनकी क़ाबलियत देखकर महाराजा साहब ने इन्हें बड़ौदा के हमारे अस्पताल को सँभालने का ऑफ़र दिया। वो इन्होने मान लिया। "

"आपको एक बात पता है कि इनकी पहली पत्नी उत्तर प्रदेश के राजा कासगंज की बेटीं थीं ? "   लक्ष्मी विलास पैलेस में राजमाता ने उत्तर दिया, "नो, आई डो`न्ट नो। मैं तो इनकी दूसरी पत्नी एनी यानि निर्मला कुलश्रेष्ठ को जानतीं हूँ, जो ज्यू [यहूदी ]हैं। `

"जी हाँ, निर्मला कुलश्रेष्ठ के बंगले पर जब कुछ फ़ैमिलीज़ का गेट टुगेदर होता है तो उनसे मेरा मिलना होता है। "

"जब हमारा महिला दरबार लगता था तब वे ट्रेडीशनल लहंगा या साड़ी पहनकर आतीं थीं। शी वाज़ सच अ प्रिटी लेडी एट दैट टाइम। उस पर ज़री के लिबास --हमारा दरबार उस नीली आँखों वाली स्लिम विदेशी सुंदरता से जगमगा जाता था। `

 

उसके लिये कल्पना करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि नीली आँखों वाली एनी आंटी की सुंदरता उनके चेहरे से टपकती है लेकिन अब मोटी होकर विदेशी मक्खन का पहाड़ हो गईं हैं।उसने उन्हें ब्यॉय कट काले सफ़ेद बालों में अक्सर घुटनों तक की टाइट फ़्रॉक में ही देखा है

"आप उनकी पहली पत्नी को जानतीं हैं ?"

लक्ष्मी विलास पैलेस में राजमाता ने उत्तर दिया, "नो, आई डो`न्ट नो। मैं तो इनकी दूसरी पत्नी एनी यानि निर्मला कुलश्रेष्ठ को जानतीं हूँ, जो ज्यू [यहूदी ]हैं। `

"जी हाँ, निर्मला कुलश्रेष्ठ के बंगले पर जब कुछ फ़ैमिलीज़ का गेट टुगेदर होता है तो उनसे मेरा मिलना होता है। "

"जब हमारा महिला दरबार लगता था तब वे ट्रेडीशनल लहंगा या साड़ी पहनकर आतीं थीं। शी वाज़ सच अ प्रिटी लेडी एट दैट टाइम। उस पर ज़री के लिबास --हमारा दरबार उस नीली आँखों वाली स्लिम विदेशी सुंदरता से जगमगा जाता था। ` `

उसके लिये कल्पना करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि नीली आँखों वाली एनी आंटी की सुंदरता उनके चेहरे से टपकती है लेकिन अब मोटी होकर विदेशी मक्खन का पहाड़ हो गईं हैं।उसने उन्हें ब्यॉय कट काले सफ़ेद बालों में अक्सर घुटनों तक की टाइट फ़्रॉक में ही देखा है

"आप उनकी पहली पत्नी को जानतीं हैं ?"

नीलम कुलश्रेष्ठ

kneeli@rediffmail.com