ना छलो मुझे Neerja Pandey द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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ना छलो मुझे

आदित्य का आज रिज़ल्ट आना था। आई आई एम सी की इंट्रेस परीक्षा उसने दी थी। पेपर अच्छा हुआ था,उसे पूरी उम्मीद थी कि उसका सेलेक्शन हो जाएगा।
जैसे ही मोबाइल में नोटिफिकेशन कि आवाज आई । उसने देखा कि रिजल्ट जारी हो गया था। अपना रोल नंबर देखा तो खुशी से उछल गया।
उसका सेलेक्शन हो गया था।
आई आई एम सी अमरावती में उसका सेलेक्शन हुआ था। जो वो चाहता था वही हुआ। वो एक अच्छा जर्नलिस्ट बनना चाहता था। उस दिशा में उसका ये पहला कदम था। उसकी मंजिल और उसमें बस एक वर्ष का फासला था।
बड़े ही जोश से आदित्य ने जाने की तैयारी की । वो फैसला कर चुका था कि उसे हर सेमेस्टर में अव्वल रहना है।
अपने निश्चय का पक्का आदित्य खुद को साबित कर देना चाहता था।
पूरी लगन से पढ़ाई करने लगा।
परिणाम ये हुआ कि आदित्य पहले सेमेस्टर में टॉप पर रहा। जो भी प्रोजेक्ट दिया जाता आदित्य सबसे अच्छा तैयार करके सबसे पहले देता।
फाइनल सेमेस्टर के पहले से ही कोरोना ने धीरे - धीरे अपना पैर पूरे देश में फैलाना शुरू कर दिया। एक एक करके सारे शिक्षण संस्थान
बंद होने लगे।
आदित्य का कॉलेज भी बंद हो गया। आनन फानन में हॉस्टल खाली करने का नोटिस आ गया। जरूरी बुक्स और नोट्स ले आदित्य किसी
तरह कभी किसी से कभी किसी से लिफ्ट लेकर घर आगया। एक सेमेस्टर बाकी था। धीरे धीरे विकल्प के रूप में ऑन लाइन क्लास शुरू हो गई। जब कोरोना का कहर कम होने के बजाय घातक रूप लेने लगा तो दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा भी ऑन लाइन ही ले ली गई।
आदित्य परेशान है गया की अगर कॉलेज में परीक्षा होती तो तुरंत प्लेसमेंट भी हो जाता। उसे पूरी उम्मीद थी कि उसका बहुत अच्छे पैकैज पर प्लेसमेंट हो जाएगा । पर कोरोना ने उसके सारे अरमानों
पर पानी फर दिया था।
रिजल्ट आ गया । अच्छे नंबर होने के बावजूद कोरोना की मंदी का असर था कि मन मुताबिक प्लेसमेंट नहीं मिल रहा था।
क्या करें क्या ना करें इसी उधेड़बुन में समय बीतता है रहा था। अपना
रीज्यूमे कई जगह भेज रखा था आदित्य ने।
एक दिन अचानक एक मैसेज आया आदित्य को ,फिर कॉल आई कि आपको भारत और इंग्लैंड के बीच होने वाले टेस्ट मैच की कवरेज के लिए सेलेक्ट किया गया है। आपको *** हजार रुपए हर मैच की कवरेज के लिए दिया जाएगा। ऐसे ही चैलेंजिंग ऑफर की ख्वाहिश आदित्य को थी। वो झट से राजी हो गया। तुरंत अपने घर में ये खुशखबरी सब को सुनाई। कई सारे सपने उसके आंखों में तैरने लगे।
अब इंतजार था ऑफिशियल मेल आने का ।
एक दिन बिता दो दिन बीता तीन दिन बीता पर मेल ना आया। आदित्य हर मैसेज पर मोबाइल चेक करता की कहीं वही मेल तो नहीं है। मेल की बजाय चौथे दिन फिर फोन ही आया कि बॉस के यहां किसी कि तबियत ज्यादा खराब है इस कारण मेल नहीं आया है जल्दी ही आपको मेल आएगा। अब आदित्य को कुछ गड़बड़ी की आशंका हुई।
पर उसने किसी से कुछ कहा नहीं।
अगले दिन फिर कॉल आई कि बॉस के यहां जो बीमार था उसकी डेथ हो गई है। आप बस थोड़ा सा और इंतजार करिए।
शाम को फिर फोन आया कि हमें इस प्रोग्राम के लिए 80000 रुपए कि आवश्यक्ता थी हमने 60000 तो कलेक्ट कर लिया है बीस हजार कम पड़ रहे है आप प्लीज डिपॉजिट कर दे सैलरी के साथ हम वापस कर देंगे आपको। जिसे आदित्य अब तक सर कह रहा था ,अब वो व्यक्ति आदित्य को सर कहने लगा था।
अब आदित्य श्योर हो गया कि उससे साइबर ठगी की जा रही है। उसने भी उस व्यक्ति को सबक सिखाने की ठान ली। अब वो अपने शहर के साइबर क्राइम सेल से संपर्क किया । उन लोगो ने कॉल ट्रेस करने की व्यवस्था कर दी। अब आदित्य और उस अपराधी के बीच जो भी बात होती वो सुनते और लोकेशन ट्रेस करते।
जब आदित्य के मजबूरी जाहिर की कि वो 20000 देने में असमर्थ है तो वो धीरे धीरे रुपए कम करता गया। फिर आदित्य को साइबर पुलिस ने 5000 रुपए देने को कहा। आदित्य अपने आप को बिल्कुल नार्मल रख कर बात करता था। उसने अपने दिमाग का इस्तेमाल करते हुए कहा, "मैंने आपको देखा नहीं है , आपको जानता नहीं हूं ,कैसे पैसे दे दूं? आप आओ **** पर इस जगह पर मै पैसे दे दूंगा।
आदित्य की इस योजना को उस व्यक्ति को जरा सा भी आभास नहीं हुआ। उसने सोचा कि एक बार पैसे लेने के बाद कौन सा मुझे ढूंढ पाएगा। यही सोच कर उसने आदित्य से कहा, " मैं ट्रेन से जा रहा हूं, जो आपके शहर से साढ़े पांच पर गुजरेगी आप आकर पैसे दे दो । उसके तुरंत बाद मैं आपको ज्वाइनिंग लेटर दे दूंगा।
आदित्य उसकी सारी साजिश को समझ रहा था । पर उसकी हां में हां मिलाता जा रहा था। ये सारी बातें साइबर टीम ने सुनी थी ।
तय समय पर ट्रेन आई आदित्य उससे मिला और रुपए दिए। रंगे हाथों पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछ ताछ में एक बहुत बड़ी साइबर क्रिमनल रैकेट का खुलासा हुआ । जो इस तरह भोले भाले पढ़े लिखे युवाओं को ठगते थे।
आदित्य को इस साइबर क्रिमिनल को पकड़वाने के लिए बहुत अच्छी सैलरी पर प्लेसमेंट हो गया।