"रोल साउंड..... कैमरा....... एंड.... एक्शन.... .. .. .. .. .. .. .. .. कट। कट। कट।
दिल से स्माइल करो रोहिणी। चलो एक बार और।"
"कट। कट। क्या रोहिणी! आज हुआ क्या है तुम्हें??? ये आठवाँ टेक था।"
डायरेक्टर का सब्र टूट रहा था, "अब तक सारे शॉट्स एक या दो बार में ओके हो गए लेकिन जो सब से छोटा और आसान शॉट है, सिर्फ एक स्माइल ही तो करनी है, वही तुमसे नहीं हो पा रहा है! क्या हो गया है तुम्हें?"
सफलता के पायदान पर तेज़ी से चढ़ती अभिनेत्री रोहिणी अपने जीवन की सबसे महत्वाकांक्षी फ़िल्म शूट कर रही थी।
"पता नहीं सर।"
"तुम्हारी तबियत तो ठीक है?"
"हाँ मैं ठीक हूँ सर।"
"चलो आधे घंटे का ब्रेक लेते हैं।ओके? एवरीवन, सी यू इन थर्टी मिनिट्स। रोहिणी तुम एक काम करो तुम अपने रूम में जाओ। थोड़ा रिलैक्स करो और आईने में देख कर थोड़ा रिहर्सल करो।"
"ओके"
अपने सुईट में आकर उसने ए.सी. चालू किया और धम्म से सोफे पर पसर गयी। वहीं टेबल पर पड़े अपने वैनिटी किट में से उसने आईना निकाला और उसमें खुद को निहारते हुए मुस्कुराने की कोशिश करने लगी। हर बार पूरे दिल से मुस्कुराने की कोशिश करती, लेकिन खुद ही संतुष्ट नहीं हो पा रही थी। तभी अचानक उसे अपने सुईट के बाथरूम से कुछ आवाज़ें सुनाई पड़ीं। उसने उठकर दरवाज़ा खोला तो वहाँ हाउसकीपिंग वाली एक लड़की सफाई कर रही थी। जैसे ही उस लड़की ने पलट कर देखा, "रोहिणी मैडम, आप!!"
उसके चेहरे ओर आश्चर्य और खुशी के मिश्रित भाव थे। एक प्रशंसक होने के नाते अचानक लगे इस सुखद धक्के से उसने खुद को उबारा, "मैडम आपके रूम और रेस्टरूम की सफाई हो गयी है। मुझे नहीं पता था की आप इस समय रूम में आयेंगी।"
रोहिणी उस लड़की की मुस्कान को देखती ही रह गयी। वो लड़की बहुत खूबसूरत तो नहीं थी, लेकिन निश्छल, निरागस और कितनी सहज थी वो मुस्कान। और इतनी संक्रामक भी कि रोहिणी के होंठ भी उसका प्रतिउत्तर देने से न रुक सके।
एक सेल्फी लेकर वो लड़की चली गई। रोहिणी रेस्टरूम के आईने में खुद को निहारती उस लड़की की सहज मुस्कान से अपनी मुस्कान की टेढ़ी-सी लकीर को मिलाने की कोशिश करने लगी। होंठ फैलते लेकिन ज़्यादा देर तक ठहर न पाते।वह बार बार कोशिश करती रही। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी उसके गालों और होठों की मांसपेशियाँ नाकाम रहीं।
महीन टाँकों की लकीरें, उभरे हुए होंठों के अंदर दबी सुइयों की चुभन, मेकअप सब कुछ छुपा जाता है। अपने खूबसूरत चेहरे को उंगलियों से टटोलती उस शीर्ष अभिनेत्री का वह हर एक दर्द ताज़ा हो गया।
प्रकृति के बनाये सौंदर्य पर भारी इंडस्ट्री के सौंदर्य मापदंडों के अनुसार, वो जैसा चाहती थी वैसा सीधी नाक, उठे हुए कपोल और उभरे हुए होंठ तो उसे मिल चुके थे, उसकी कीमत भी उसने लाखों में चुकाई थी, लेकिन क्या केवल पैसों में ही चुकाई थी उसने यह कीमत। नहीं, कुछ तो था जो खो गया था, कहीं ज़्यादा कीमती, कहीं ज़्यादा नायाब। जिसे....... वो आईने में ढूंढने की कोशिश ही करती रह गयी।