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आलिंगन (The BIG One)

फेसबुक पर बहुत सारे लाइक्स, लव इमोजीस आ रही थी, छाया बहुत ही आह्लादित थी । इतने वर्षो बाद उसे परिवार के साथ भ्रमण का अवसर मिला था और वहां उसने बहुत दिनों बाद अलग से एकल पिक्चर्स क्लिक करवाई थी, परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करते करते कभी अपनी ओर ध्यान ही नहीं गया, हमेशा खिला खिला रहने वाला चेहरा कितना निस्तेज हो गया था, बढ़ती उम्र के साथ साथ सब कुछ बदलने सा लगता है, सब दिन एक से नहीं हो सकते, संभवतया यही जीवन हैं |

“इतने सारे लव इमोजीस!” कौन भेज रहा हैं, उत्सुकता से छाया ने अपने मोबाइल पर लॉगिन किया।

यह तो आकाश हैं, कॉलेज का सबसे चर्चित किरदार, गठीला बदन, गोरा रंग, तीखे नैन नक्श, हंसमुख चेहरा और घुंघराले बाल, हमेशा ही लड़कियों से घिरा रहता , इतना आकर्षक व्यक्तित्व , मोहक छवि की लड़किया अनायास ही उसकी ओर आकर्षित हो जाती थी, कॉलेज के वार्षिक महोत्सव में उसने भी आकाश के साथ एक युगल डांस शो में भाग लिया था और अगले दिन पूरे कॉलेज में उन दोनों की जोड़ी के प्रदर्शन के चर्चे थे, सभी अपनी अपनी ओर से नयी नयी कहानी गढ़ रहे थे , एक बार तो उसके मन में भी आकाश के लिए प्रेम के अंकुर प्रस्फुटित होने लगे थे परन्तु किसी तरह उसने अपने को सयंमित किया था उस को ज्ञात था की उसके पिता जी ने रवि के साथ उसका रिश्ता तय कर दिया है, और वह अपने परिवार वालो के विरुद्ध कोई भी कदम उठाकर उनको दुखी नहीं करना चाहती थी | परन्तु अब वह कहाँ हैं, क्या करता हैं, और एकाएक फेसबुक पर देख कर उसको आश्चर्य हुआ था |

"थैंक यू “छाया ने उसको एक इमोजीस के साथ प्रतिउत्तर में मैसेज किया |

"क्यों ऐसी फोटो पोस्ट करती हो रात में, लोगों की नींद ही उड़ जाये " आकाश ने अपने चिरपरिचित शैली में लिखा

"तुम नहीं सुधरोगे!" छाया मन ही मन प्रफुल्लित हो रही थी अपनी प्रशंसा सुनकर

"सच में! तुम आज भी उतनी ही सुन्दर लग रही हो , जरा भी नहीं बदली , लग ही नहीं रहा की इतने बड़े बड़े बच्चे हैं तुम्हारे "

"और साथ में अंकल जी कौन हैं?" आकाश ने रवि के साथ उसकी फोटो को देखकर छेड़ते हुए लिखा

"अंकल जी तो तुम भी हो गए हो " छाया ने खीजते हुए लिखा

"पर लगता नहीं हूँ, अभी भी दो -चार गर्लफ्रेंड बन जाएँगी “आकाश ने गर्वित होते हुए लिखा

"नाईस डीपी " छाया ने भी आकाश की प्रशंसा कर दी

और भी बहुत से प्रश्न थे उसके मन में जो वह पूछना चाहती थी , पर “शुभ रात्रि” कह कर उसने अपनी बात समाप्त कर दी |

एकाएक वह भीतर ही भीतर प्रफुल्लित हो रही थी, जैसे उसके शिथिल जीवन में फिर से नयी स्फूर्ति लौट आयी हो, वह समझ नहीं पा रही थी ऐसा क्यों हो रहा है, उम्र के इस पड़ाव में किसी के प्रति उसका आकर्षण क्या उचित हैं, यही सोचते हुए वह किचन से सबके लिए दैनिक कार्यक्रम की भांति दूध बना कर ले आयी |

रवि भी सुबह से शाम तक काम में इतना व्यस्त रहते हैं की दूध पीते ही तुरंत नींद के आगोश में समा गए, पर यह क्या उसकी नींद क्यों उड़ी हुई थी |

तथापि रवि के साथ शुरू शुरू में जिंदगी बहुत ही रोमांचक थी , वह उसकी किसी भी बात को मना नहीं करते थे , कई कई बार तो छुट्टी लेकर उसकी देखभाल किया करते थे , शाम को जल्दी घर आना फिर बाहर घूमने जाना , रात्रि में वापसी में डिनर करते हुए , तदनन्तर बड़े चौक पर आइसक्रीम खाते हुए आते थे | वह भी स्फूर्ति से सभी काम शीघ्र ही निपटा लेती थी , दिनचर्या बहुत अच्छे से चल रही थी।

उसे याद हैं की किस तरह वह अपने आगोश में भर कर प्यार की बौछारें करने लगते थे, कभी कभी तो इस प्रेम प्रसंग में सुबह कब हुई पता ही नहीं चलता था, कितनी बार रवि को इस कारण विलम्ब भी हो जाता था परन्तु कभी उन्होंने उलाहना नहीं दिया| वह अपने आप को सचमुच कितना भाग्यशाली नारी समझती थी की उसको कितना अच्छा पति और परिवार मिला।

पहले एकता तथा दो वर्ष बाद आये अंकित के जन्म के बाद वह देखभाल में ऐसा खोयी की उसको पता ही नहीं चला रवि कब उससे दूर होते चले गए | रवि ने भी अपने आप को काम में इतना बिजी कर लिया था उनको तनिक भी समय का ध्यान नहीं रहता था, जिम्मेदारियां बढ़ने के साथ साथ पैसो की आवश्यकता बढ़ने लगती हैं, इसलिए देर से आने का उसे कभी भी बुरा नहीं लगा था |

उसने भी आजकल के बच्चों की ही तरह सोशल मीडिया में अपने आप को रमा लिया था और किस तरह वह अपने पुराने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर जुड़ गयी थी, दिन भर काम काज के मध्य में जब भी उसको समय मिलता वह इसी में खो जाती थी |

परन्तु एकाएक आकाश के एक मैसेज ने उसको अतीत के सुनहरी यादों के सागर में धकेल दिया था, कॉलेज में कितने स्वप्न देखे थे उसने, कितनी पारंगत थी वह नृत्यकला में, कितने सारे स्टेज शोज में उसने प्रदर्शन किया था और कितने ही शोज में उसको नृत्यकला आयोजित करने का अवसर मिला था, संभवत: नृत्यकला में ही उसे अपना करियर दिखने लगा था, परन्तु जीवन कब कैसे मोड़ लेता हैं ज्ञात नहीं होता, पिता जी के ऊपर २ लड़कियों की शादी का भार था , बड़ी होने के कारण छाया के लिए रिश्ते की खोज की गति वेगवान हो गयी थी, और कॉलेज के आखिरी साल समाप्त होते होते एक बहुत ही अच्छे परिवार का अच्छा जीविकोपार्जन वाला लड़का मिल गया था, उसके पिता जी अविलम्ब इस अवसर का लाभ उठाना चाहते थे।

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आकाश के मैसेज बहुधा ही आने लगे थे और छाया भी संभवत: इसी प्रतीक्षा में रहती थी, धीरे धीरे दोनों के बीच में सामंजस्य बढ़ने लगा था, और छाया भी हर तरह के मेसेजेस का आनंद ले रही थी, यदा कदा ऐसी टिप्पणी करता रहता था की उसका मन प्रफुल्लित हो जाता था, वस्तुत: वह अपने और रवि के मध्य आए शून्य को भरना चाहती थी |

"बहुत सुन्दर" हमेशा की ही भांति उसने उसकी स्टेटस में लगी फोटो को देखकर टिप्पणी करी थी |

"धन्यवाद " छाया ने भी प्रतिउत्तर में लिख दिया

"अच्छा, तुम भी हो क्या इसमें ? " आकाश ने छेड़ते हुए लिखा

"तुम बहुत ही बद्तमीज़ हो " छाया ने खीजते हुए लिखा

"अच्छा, मैं तुम्हारे शहर आ रहा हूँ पांच - सात दिनों के लिए, राज होटल में रुकूंगा, क्या हम लोग मिल सकते हैं?" आकाश ने पूछा

छाया यह बात जानकर बहुत ही उत्साहित हो गयी थी, परन्तु घरवालों से क्या कहेगी, कहाँ जा रही है अकेले, इतने वर्षों में अकेले कहीं निकली ही नहीं पहले रवि और उसके बाद अंकित के बड़े होने के बाद उसके साथ ही निकलती रही हैं | क्या इस भांति उसका अकेले भेंट करना उचित होगा, इसी उधेड़भुन में उसे भान ही नहीं रहा की रात्रि का भोजन अभी तक नहीं बना हैं |

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आकाश को उसने देखा तो एकटक देखती ही रह गयी, अब तो पहले से भी अधिक आकर्षक छवि हो गयी थी उसकी, छाया को आता देख अविलम्ब उसने एक सभ्य मेज़बान की भांति उसका अभिवादन किया |

छाया अभी भी उस पर से नज़रें नहीं हटा पा रही थी।

"देखती ही रहोगी कि कुछ बोलोगी भी " आकाश ने सामने वाली कुर्सी पर बैठते हुए बोला

"हाँ देखो आकाश मैं किसी को बता कर नहीं आईं हूँ, इसलिए अधिक समय नहीं दे पाऊंगी " छाया ने अपना मौन तोड़ते हुए कहा |

"अच्छा बताओ क्या लोगी? " आकाश ने अपनी बात आगे बढ़ायी

“कुछ नहीं, मुझे यहाँ थोड़ी घुटन हो रही है, मुझे अब चलना चाहिए” छाया ने थोड़ी आकुलता से कहा

"अरे सुनो तो " कहते हुए उसने छाया का हाथ पकड़ लिया और अपनी ओर खींचा

छाया अवाक् थी, वह अचेत हो रही थी, आकाश ने अपना हाथ उसके कटि पर रखा और वह उसके और निकट आ गयी थी, दोनों की श्वास एक दुसरे से टकराकर एक विलक्षण वातावरण सृजित कर रही थी , संभवत: वह उसके मोह पाश में बंधती चली जा रही थी, अगले ही पल वह आकाश ने जैसे ही आलिंगन करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया उसने क्रोधित अवस्था में उसका हाथ झिड़क दिया |

एकाएक वह अपनी चिरनिद्रा से जाग्रत हो चुकी थी , उसने इधर उधर देखा तो वह अपने बिस्तर पर थी और रवि का हाथ उसके मुख पर और एक टांग उसके कटि पर थी, उसने अति उत्साह में रवि को एक बड़ा सा आलिंगन किया और दोबारा अपनी आँखे बंद कर ली |

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