The Author Prabodh Kumar Govil फॉलो Current Read बैंगन - 29 By Prabodh Kumar Govil हिंदी फिक्शन कहानी Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books प्यार तो होना ही था - 2 डॉक्टर को आभास हुआ कोई उनकी और मिश्रा जी की बातें सुन रहा... Devil I Hate You - 24 जिसे सुन रुही ,,,,,आयुष की तरफ देखते हुए ,,,,,,,ठीक है ,,,,,... शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 36 "शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -३६)ज्योति जी,जो ऐन ज... नफ़रत-ए-इश्क - 21 तपस्या विराट के यादों में खोई हुई रिमोट उठा कर म्यूजिक सिस्ट... मेरी गुड़िया सयानी हो गई ..... 'तेरी मेरी बने नहीं और तेरे बिना कटे नहीं' कुछ ऐसा ह... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Prabodh Kumar Govil द्वारा हिंदी फिक्शन कहानी कुल प्रकरण : 40 शेयर करे बैंगन - 29 (4) 1.9k 5.6k 2 अगले ही दिन दोनों बातें बिल्कुल साफ हो गईं। एक तो मुझे ये पता चल गया कि भाई ने सचमुच तन्मय को न तो पहचाना है और न ही वो ये अनुमान लगा पाया कि तन्मय उन्हीं के घर में फूल बेचने आने पर गलती से उनके गोदाम वाले हिस्से में पहुंच जाने के कारण पकड़ा गया था। भाई तो ये ही समझ रहा था कि किसी लड़के के उनके गोदाम में घुस कर तांक- झांक करने के कारण वहां के कर्मचारियों ने उसे पकड़ा और पुलिस के हवाले कर दिया। और बाद में मेरे कहने पर भाई ने सोचा कि संयोग से पकड़ा गया लड़का मेरा मुलाजिम है और इसीलिए वो लड़के को छुड़ाने के लिए मेरी मदद करने लगा। लेकिन इस सारे घटनाक्रम से मेरे दिमाग़ में अब एक और खटका हुआ। तो क्या भाई को भी ये बात पता नहीं है कि उसके बंगले के वाशरूम का ही उसके गोदाम वाले हिस्से से कोई कनेक्शन है? क्या सचमुच भाई कोई ग़लत काम या कारोबार नहीं कर रहा? क्या जिस आदमी ने भाई को ये बंगला बेचा उसने भी इस ख़ुफ़िया वाशरूम के बारे में भाई को कोई जानकारी नहीं दी? हो सकता है कि बंगले के पुराने मालिक ने बंगला बेचते समय इस वाशरूम को नष्ट करने या स्थिर बना देने की गरज़ से भाई को पहले कुछ न बताया हो पर बाद में सौदा पट जाने के बाद वह जल्दी में वाशरूम का काम न करा सका हो। उसे भी तो प्रॉपर्टी बेच कर विदेश चले जाने की जल्दी थी ही। और वो चला भी गया। क्या गड़बड़ झाला था ये सब? मेरा अपना अनुभव और तन्मय का प्रत्यक्ष अनुभव ये कहता था कि ये वाशरूम वास्तव में कोई तल पर चलने वाली "लिफ्ट" है जो चलकर बंगले के बाहर बनी पड़ोस की इमारत से जुड़ती है। लेकिन भाई का या घर के किसी भी सदस्य का कभी भी इस बारे में कोई बात न करना इसे संदिग्ध बनाता था। जाहिर था कि या तो किसी को इसके बारे में सचमुच कुछ मालूम न हो, या फिर भाई ने मुझे इस बारे में जानबूझ कर कुछ बताया न हो। जब भाई ने शुरू में मुझे घर दिखाया था तो बंगले के पिछवाड़े के दरवाज़े से ही निकल कर हम लोग पड़ोस वाली इमारत में पहुंचे थे जहां भाई का शो रूम था। तब इस तरह की खुफिया लिफ्ट का कहीं कोई ज़िक्र तक न था। दूसरे, अब मुझे सचमुच ऐसा लगने लगा कि यदि वास्तव में ये वाशरूम भाई ने किसी ग़लत उपयोग के लिए सुरक्षित रखा हुआ हो तो इसे वह ताला लगा कर बंद भी तो रख सकता था। इसे इस तरह हर समय खुला क्यों छोड़ा जाता? हां, ज़रूर यही बात होगी कि भाई को इस गुप्त सुविधा के बाबत कुछ पता ही नहीं होगा। लो, मैं बेकार ही तिल का ताड़ बनाकर उसके पीछे पड़ गया और खुफिया तहकीकात में जुट गया। मुझे तो अब खुद भाई को ये बात बता देनी चाहिए कि इस वाशरूम में क्या खासियत है! ज़रूर घर के किसी अन्य सदस्य का अब तक इस बात पर ध्यान गया ही नहीं है। किसी को कुछ मालूम ही नहीं है। मैं बात का बतंगड़ बनाए घूम रहा हूं और खामख्वाह परेशान हो रहा हूं। मुझे इस ख्याल से बहुत सुकून सा मिला। मैं अब इंतजार करने लगा कि शाम को भाई आयेगा तो मैं ये राज की बात उसे बता कर चौंका दूंगा कि मैंने घर में एक जादुई ख़ुफ़िया वाशरूम ढूंढा है। घर के सब लोग इस अनोखी लिफ्ट के बारे में जानकर सचमुच दंग रह जाएंगे। अच्छा हुआ जो उस दिन सबसे मज़ाक करके सबको तंग करने के चक्कर में मुझे संयोग से ही इसके बारे में पता चल गया। इसीलिए मेरी मुठभेड़ पुलिस से हो गई जो बगल वाली इमारत में आई हुई होगी और कोई तहकीकात कर रही होगी। उस दिन रात को होटल के डिनर में उन पुलिस वालों ने मुझे पहचाना भी कहां था? क्योंकि मैं भाई के परिवार के साथ जो था। अब मैं उतावला हो रहा था कि जल्दी से भाई आए और मैं ये जादू सबको दिखाऊं। ‹ पिछला प्रकरणबैंगन - 28 › अगला प्रकरण बैंगन - 30 Download Our App