अगले दिन सुबह 10:00 बजे के आसपास सुदर्शन यादव दो कांस्टेबल के साथ उपस्थित हुए I तब तक इंस्पेक्टर जयदीप तैयार हो गए थे I दोनों कांस्टेबल के चेहरे को देखकर जयदीप समझ गए कि इनमें से किसी का भी मन उस जंगल में जाने का नहीं है शायद जोर-जबर्दस्ती से यादव जी ने उनको राजी किया है I
जयदीप को देखते ही यादव ने एक सलामी देकर
मुस्कुरा कर बोले - " नमस्कार सर , आपने जैसा
कहा था हम आ गए अब जितनी जल्दी हो उस
जंगल से सर्च करके चले आते तो अच्छा होता I "
जयदीप ने केवल सिर हिलाया ज्यादा कुछ नहीं कहा I
वह बाकी सभी के लिए प्रतीक्षा करने लगे , दिमाग में पूरा प्लान बनाने लगे कि किस प्रकार वह इस सर्च को अंजाम देंगे I उसके बाद परिकल्पना के अनुसार जयदीप, भोला, सुदर्शन व उनके दो कांस्टेबल, आशीष और राजेंद्र रवाना हुए जंगल की तरफ I जंगल में पड़े हुए 3 मृत शरीर को खोजना ही इस अभियान का उद्देश्य है I
इसी बीच बारिश शुरू हो गई आसमान कल से ही
इसके संकेत दे रहा था लेकिन बारिश इतनी जल्दी
शुरू हो जाएगी उनमें से किसी ने अनुमान नहीं लगाया
था I साथ में छाता भी किसी ने नहीं लाया इसीलिए
भीगने के अलावा कोई उपाय नहीं है I गाड़ी आकर
खड़ा हुआ उस जंगल के सीमा पर , एक - एक कर
सभी उतरे , आसपास लोग व घर तो दूर की बात
कोई कौवा तक नहीं दिख रहा I जंगल के आसपास
कुछ ना हो पर चिड़ियों के रहने की आशा तो किया
था इंस्पेक्टर जयदीप ने और एक जिस दृश्य को
देखकर उन्हें अदभुत लगा वह यह था कि जंगल के
चारों तरफ से घिरा हुआ कोहरे का वलय , मानो
बड़े छाते की तरह किसी ने जंगल को छुपा कर रखा है I
शीतकाल के सुबह की ठंडी हवा और ऊपर से
बारिश, कोहरा इतना घना है इसमें आश्चर्य की बात
नहीं यही सोचा इंस्पेक्टर जयदीप ने I
बारिश के कारण रोशनी कम है और जंगल के भीतर
रोशनी इससे भी कम होगी यह उन्हें पता है I इतने कम
रोशनी में ठीक से दिशा निर्देश करने में भी कठिनाई होगी I
जयदीप और आशीष सबसे आगे चल रहे हैं बाकी
उनके पीछे पीछे चल रहे हैं जंगल के और भी अंदर I
" अच्छा आशीष हम लोग किस तरफ जाएं जिससे
उन्हें खोजा जा सके ?" चलते - चलते जयदीप ने
आशीष से पूछा I
आशीष मानो इस दुनिया में है ही नहीं लौट गया है
उस दिन के उस भयानक दृश्यों के पास , पैर के पास
बहुत सारे लताएं पड़ी हुई है उन्हीं के ऊपर पैर रखकर
आगे बढ़ रहे हैं वह सभी I
" सर यहां से थोड़ी दूर आगे ही है लेकिन मैं ठीक से
बता नहीं सकता I " आशीष की आवाज में डर स्पष्ट है I
जयदीप ने एक बार आशीष को संदेह की दृष्टि से देखा I
उधर हवलदार भोला कुछ पीछे रह गए मूत्र त्याग के
चक्कर में , लताएं वह पत्तों के ऊपर मूत्र त्याग करने
में व्यस्त थे वह, बाकी सभी कुछ आगे निकल गए हैं
इसका ध्यान नहीं था उन्हें , एकाएक उन्हें लगा कि
उनके चारों तरफ एक घने कोहरे का वृत्त बन गया है I
पहले उस पर ध्यान न देने पर भी कुछ देर में उन्हें लगा
मानो वह कोहरा उनके पूरे शरीर पर एक जोर का
दबाव बना रही है I वहां से जल्द से जल्द निकलने
का सोचा उन्होंने लेकिन प्रयास व्यर्थ हो गया I किसी
वस्तु ने उनके दोनों पैरों को पकड़ लिया है बहुत जोर
लगाने के बाद भी वह अपने पैरों को छुड़ा नहीं पा रहे I
चिल्लाने से भी कोई काम नहीं होगा क्योंकि उस
कोहरे ने उनके गले को दबा रखा है I अपने ऊपर
घटते या सब घटना देख डर के मारे उनके पूरे शरीर
से पसीना बहाने लगा I दोनों पैरों को छुड़ाने के चक्कर
में हो गया एक डरावनी घटना उनके दोनों पैर वहीं रह
गए लेकिन शरीर कट कर उनसे अलग हो गया I वह
जमीन पर दर्द से कराहते हुए गिरे और चारों तरफ
खून ही खून निकलने लगा I उन्होंने देखा उनके चारों
तरफ का कोहरा धीरे-धीरे अब एक आकार में बदल
रहा है और उनके सीने पर एक दबाव बनाने लगा I
वह अब सांस नहीं ले पा रहे , उसी समय उन्होंने
अनुभव किया कि जहां से पैर कटा था वहीं से कुछ
उनके अंदर प्रवेश कर रहा है उधर देखते ही उनकी
आंखें फटी की फटी रह गई I उन्होंने देखा जिस
जंगली फूल और लताओं के ऊपर वह खड़े थे वही
अब अद्भुत तरीके से उनके शरीर के अंदर प्रवेश कर
रहा है वह सब मानो केवल लताएं नहीं है वह कुछ
और ही है I...
राजेंद्र सभी के बीच अभी चल रहे थे I इधर - उधर
मानसी को खोजने की चेष्टा करने पर भी वह सफल
नहीं हो रहे I कोहरा इतना घना है कि बीच-बीच में
एक दूसरे का हाथ पैर भी नहीं दिखाई दे रहा
इसीलिए सभी एक साथ इकट्ठे होकर जा रहे हैं जंगल
के और भी अंदर , जंगल के जितने अंदर वह सभी
जा रहे हैं कोहरा उतना ही घना होता जा रहा है I
एकाएक राजेंद्र को ऐसा लगा कि उनके ग्रुप में
कोई एक कम है I यही आशंका उनके मन में बार-बार
आ रहा है I इंस्पेक्टर जयदीप को वह देख नहीं पा
रहे लेकिन वह सामने ही हैं यह सोच जोर से
बोले - " जयदीप जी , हवलदार भोला क्या आपके
साथ हैं I वह थोड़े से पीछे रह गए थे I " कुछ दूर से
राजेंद्र की बात को सुना जयदीप ने इतनी देर बाद
हवलदार भोला पर उनका ध्यान गया I बात तो सच
है भोला तो आस पास नहीं है I आशीष के चेहरे पर
डर की रेखा साफ दिखाई दे रहा है I कांपते हुए
आवाज में वह बोला - " सर मैं कह रहा था न इस
जंगल में कुछ है चलिए सर यहां से अभी भी हमारे
पास समय है I चलिए सर ! "
जयदीप गुस्से में बोले - " शट अप , अब एक और
बार कुछ बोला तो तुम्हें यहीं शूट कर दूंगा I "
आशीष ने डर से सिर झुका लिया I
" भोला….. "
जयदीप की आवाज मानो कहीं से प्रतिध्वनी बनकर
वापस आ रहा है अब उन्होंने चलना बंद किया I
इसी बीच आशीष एकाएक खांसना शुरू कर दिया
वह खांसी रुक ही नहीं रही I देखने से ऐसा लग रहा
है मानो उसे सांस लेने में परेशानी हो रही है I
इसी तरह आशीष बोला - " सर लगता है इस कोहरे
के बीच में से कोई मेरे सीने व गले पर दबाव बना रहा
है I मैं ठीक से सांस नहीं ले पा रहा I "
यह बात जयदीप को विश्वास नहीं हो रहा कुछ आगे
जाते जाते वह बोलते रहे - " डोंट प्ले विद माय माइंड , तुमने अभी तक नहीं बता पाया बॉडी कहां पर है ? और अब यह सब बहाना……….. आशीष.……….."
बात समाप्त नहीं हुआ पर वो आश्चर्य होकर इधर -
उधर देखने लगे क्योंकि वहां पर आशीष अब नहीं है
और उसके जगह पर है आ गया है घना कोहरा , एक
क्षण के लिए वह भी डर गए पर वह आगे बढ़ते रहे
लेकिन घने कोहरे के अलावा वहां कुछ भी नहीं I
" यह कैसे संभव हो सकता है अभी तो यहीं पर सभी
थे फिर गए कहां ? यादव जी, आशीष , राजेंद्र "
नहीं, कोई भी उनके आवाज का उत्तर नहीं दे रहा I
एकाएक कुछ सुनकर वह चारों तरफ देखने लगे I
ठीक से सुनते ही उन्हें पता चल गया कि एक ही
तरह उनके बोले गए बात कोई दोहरा रहा है बार-बार
" डोंट प्ले विद माय माइंड , डोंट प्ले विद माय माइंड ,
डोंट प्ले विद माय माइंड, डोंट प्ले विद माय माइंड !"
शायद वह छुपा हुआ है उन घने कोहरे के पीछे I
" कौन है , कौन है वहां पर ? "
जयदीप चिल्लाने लगे उनके आवाज में डर भरा हुआ है ।
अब उन्होंने जो देखा उससे उनका पूरा शरीर बर्फ की
तरह जम गया । उन्होंने देखा कि कोहरे का एक भाग
एक आकृति में परिवर्तन हो रहा है और वह आकृति
धीरे - धीरे आगे आ रहा है उनकी तरफ , उनको ऐसा
लगा कि वह चारों तरफ से घिरे हैं लताओं से I जिधर भी नजर जाती उधर केवल कोहरा ही कोहरा, यह किस दुनिया में आ गए वह ? क्या यह उनके मन की भूल है ?लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया कि जमीन पर पड़े हुए लताओं ने धीरे-धीरे उनके पैरों को जकड़ना शुरू कर दिया है और उनके शरीर में घुसने के लिए पूरी तरह से तैयार है I …………..
।।अगला भाग क्रमशः।।
@rahul