विश्वासघात--भाग(१९) Saroj Verma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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विश्वासघात--भाग(१९)

दूसरे दिन प्रदीप को कालेज मे मधु दिखी,मधु का रूपरंग पूरी तरह से बदला हुआ था,उसने आज सादी सी सूती साड़ी पहन रखी थी और लम्बे बालों की चोटी बना रखी थी,हाथों में कुछ किताबें थीं,बस एकदम सादे तरीके से आज वो काँलेज आई थी।।
प्रदीप ने देखा तो दूर से ही आवाज़ दी__
मधु...मधु जरा ठहरो तो।।
मधु ,प्रदीप की आवाज़ सुनकर रूक गई और प्रदीप उसके पास पहुँचा,उसने जैसे ही मधु को देखा तो बोला___
आज भी साड़ी,सो ब्यूटीफुल!!
जी किसी ने फ़रमाया था कि साड़ी पहना करो तो हमें थोड़ा रह़म आ गया उन पर,मधु बोली।।
क्या मैं जान सकता हूँ कि आखिर किसने कहा था,प्रदीप ने पूछा।।
जी,हैं कोई खड़ूस शायर साहब! कल तो उनकी शायरी से सिर में बहुत दर्द हो गया,मधु बोली।।
ओह....लगता है बहुत तक़लीफ़ हुई आपको,प्रदीप बोला।।
जी,हाँ जनाब! बहुत ही ज्यादा तकलीफ़,मधु बोली।।
तो आप उन्हें शायरी सुनाने से मना कर देतीं,प्रदीप बोला।।
हिम्मत ना हुई मना करने की,बेचारे का दिल टूट जाता ना!मधु बोली।।
लगता है आपको बहुत फ़िक्र है उनका दिल टूटने की,प्रदीप बोला ।।
वैसे इतनी भी नहीं है लेकिन इन्सानियत के नाते इतना तो करना ही पड़ता है,मधु बोली।।
ये भी खूब कही आपने,तो फिर आपको उनसे केवल हमदर्दी है,मौहब्बत नहीं,प्रदीप बोला।।
हाँ,आप ये भी कह सकते हैं,मधु बोली।।
हाय! ज़ालिम ने दिल तोड़ दिया,प्रदीप बोला।।
जी,जनाब! देखिए तो आपके दिल के टुकड़े कहाँ कहाँ बिखरे पड़े हैं,देखिए तो एक तो मेरे पैरों के ही पास पड़ा है,मधु बोली।।
कमबख़त ने इतने टुकड़े कर दिए दिल के,कैसे जुड़ेगे समझ नहीं आता,प्रदीप बोला।।
लाइए मुझे दे दीजिए अपने दिल के टुकड़े मैं गोंद लगाकर जोड़ दूँगी,मधु बोली।।
सच! तो आप मेरा दिल लेंगीं,प्रदीप ने पूछा।।
जनाब! दिल नहीं,दिल के टुकड़े,मधु बोली।।
जी,मोहतरमा! मेरा भी वही मतलब़ था,प्रदीप बोला।।
चलिए,हटिए भी! ज्यादा बातें मत बनाइए,हमें सब पता है,मधु बोली।।
हम भी तो सुनें,आपको क्या पता है जी? प्रदीप बोला।।
कुछ नहीं जी! अब मुझे इजाजत दीजिए,क्लास अटेंड करनी है,मधु बोली।।
तो ठीक जब आपकी क्लास खतम हो जाए तो कैंटीन में मिलेंगीं क्या? प्रदीप ने पूछा।।
जी नहीं,इतना वक्त नहीं है,हमारे पास,मधु बोली।।
ये कहकर तो आपने तो जैसा मेरा एक बार फिर से दिल तोड़ दिया,प्रदीप बोला।।
ठीक है लेकिन केवल कुछ ही देर के लिए,मधु बोली।।
ठीक है तो मैं इन्तज़ार करूँगा और दोनों ही अपनी अपनी क्लास अटेंड करने चले गए।।
क्लास अटेंड करने के बाद दोनों कैन्टीन में मिले और दोनों की बातें ऐसी ही चलती रहीं।।

उधर शक्तिसिंह जी के घर में फोन की घण्टी बजी____
हेलो!
जी आप कौन? शक्तिसिंह जी ने पूछा।।
जी,नहीं पहचाना आपने,उस तरफ से आवाज़ आई।।
जी नहीं,शक्तिसिंह जी बोले।।
अरे,जमींदार साहब! मैं नटराज....नटराज सिघांनिया बोल रहा हूँ,उस तरफ से आवाज़ आई।।
अच्छा....अच्छा...जी आप! माफ़ कीजिएगा,मैने पहचाना नहीं,शक्तिसिंह जी बोले।।
जी! वो आपके भतीजे नाहर सिंह जी की फैक्ट्री के लिए एक जमीन देखी है,उसी सिलसिले में आपसे बात करना चाहता था,नटराज बोला।।
जी ! आप मुझे बता दीजिए,मैं नाहर को ख़बर कर देता हूँ,वो काशी गया हुआ हैं,वहाँ उसके कोई दोस्त रहते हैं,उन्होंने बुलाया था,लड़की देखने के लिए,शक्तिसिंह जी बोले।।
तो क्या मिस्टर नाहर शादी करने वाले हैं,नटराज ने पूछा।।
जी नहीं,बस ऐसे ही देखने गया है,हजारों लड़कियाँ तो देख चुका है लेकिन उसे कोई पसंद आए,तब तो,शक्तिसिंह जी बोले।।
अच्छा....अच्छा...ठीक है अब मैं टेलीफोन रखता हूँ,उनको ख़बर पहुँचा दीजिएगा कि जमीन मिल गई है,नटराज बोला।।
जी बहुत अच्छा,मै ख़बर पहुँचा दूँगा,जी नमस्ते और इतना कहकर शक्तिसिंह जी ने फोन रख दिया।।
शक्तिसिंह जी ने लीला को बुलाया और कहा___
अजी !सुनती हो,अब क्या करूँ? फिर से एक नया झूठ बोलना पड़ा।।
तो सत्य की लड़ाई जो जीतनी है,इतना झूठ तो बोलना ही पड़ेगा ना,लीला बोली।।
तो फिर संदीप को शाम बुलाते हैं और कहते हैं कि कल नाहर सिंह बनने को तैयार हो जाओं,इतने दिन हो गए हैं टालते हुए,कल तो जरूर नटराज से मिलने जाना होगा,शक्तिसिंह जी बोले।।
हाँ,जी! अब समय आ गया है,नटराज का पर्दाफाश करने का,उसने कितनें लोगों की जिन्दगियाँ बर्बाद की हैं,लीला बोली।।
सही कहती हो जी! अब नटराज के किए की सज़ा उसे मिलनी ही चाहिए,शक्तिसिंह जी बोले।।
और दोनों की बातें ऐसे ही चलती रहीं,

शाम को लीला ने ड्राइवर को भेजकर संदीप को उसके कमरे से बुलवा लिया,अब योजना बनी कि अगले दिन क्या करना है।।
अगले दिन शक्तिसिंह और संदीप निकल पड़े नटराज के आँफिस की ओर __
पार्किंग में मोटर खड़ी की और आफिस पहुँचे,रेसेप्शन पर कहा कि नटराज साहब से मिलना है।।
रेसेप्शिनस्ट बोली___
आप लोग वहाँ बैठें,मै अभी उन्हें सूचित करती हूँ।।
कुछ देर बाद नटराज ने शक्तिसिंह और संदीप को अपने आँफिस में बुलाया और बोला___
मै तो समझा कि आप लोग भूल गए।।
जी नहीं!मैं थोड़ा बाहर चला गया था इसलिए ना पाया,आपकी तकलीफ़ के लिए माँफी चाहता हूँ,नाहरसिंह बना संदीप बोला।।
जी कोई बात नही,अगर आपलोंग मशरूफ़ ना हो तो अभी जमीन देखने चल सकते हैं,नटराज बोला।।
हमें क्या एतराज हो सकता है भला!शक्तिसिंह जी बोले।।
तो चलिए आपको जमीन दिखाकर लाता हूँ,बहुत ही बढ़िया लोकेशन है,फैक्ट्री के लिए,नटराज बोला।।
तो चलिए ! देर किस बात की,शक्तिसिंह जी बोले।।
और सब जमीन देखने चल पड़े ,जमीन वाकई अच्छी थी,सबको पसंद आई लेकिन वो जमीन नटराज की ही थी,जिसे वो संदीप को दुगुने दामों पर बेचना चाहता था।
सब जमीन देखकर लौटै ही थे कि नटराज बोला__
चलिए मेरे यहाँ चाय पीने चलते हैं।।
फिर कभी,शक्तिसिंह बोले।।
ठीक है तो फिर कभी डिनर पर आइए,नटराज बोला।।
जी,जूरूर ,शक्तिसिंह ने ये कहकर पीछा छुड़ाने की कोशिश की लेकिन नटराज फिर बोला ___
तो शाम को क्लब में ही मुलाकात होगी,आइएगा जूरूर।।
जी पूरी कोशिश रहेगी,अगर कोई काम ना पड़ा तो,शक्तिसिंह जी बोले।।
अच्छा तो मै चलता हूँ और इतना कहकर नटराज चला गया।।
शक्तिसिंह बोले__
बेटा!नाहर सिंह शाम के लिए कमर कस लो,क्लब चलना है।।
फिर से,हे भगवान! फिर वही दारू की गंध और सिगार,संदीप बोला।
अब ये तो झेलना ही पडेगा,मियाँ! इतनी जद्दोजहद तो करनी ही पड़ेगी,शक्तिसिंह जी बोले।।
दोनों घर पहुँचे और शाम की तैयारियाँ शुरू कर दी,दोनों सूट बूट पहनकर फिर से दूल्हे की तरह सँजकर बाहर निकले,
लीला और कुसुम से बोले कि भाई! हम लोग तो जा रहे हैं,तुम लोग खाना खा लेना हमारा इंतज़ार मत करना हो सकता हैं आज शायद जरा ज्यादा देर हो जाए।।
लीला बोली ,ठीक है जी!
और दोनों क्लब पहुँचें,आज नाहर सिंह ने दाँव नहीं लगाया,दोनों चुपचाप जाकर एक टेबल पर बैठ गए और दारू पीने का नाटक करने लगें।।
तभी सबकी नजरें एक ओर टिक गईं,दोनों ने सोचा आखिर बात क्या है ?जो सब उस ओर ही देख रहे हैं___
संदीप ने देखा तो जूली चली आ रही थीं,स्लीपलेस लाल रंग की बाँडीकोन घुटने तक की मिनी ड्रेस में,जो की शरीर से एकदम चिपकी हुई थी,लाल रंग के हाईहील्स,हाथों में लाल रंग के नेट वाले ग्लब्स,एक ही ऊँगली में डाइमंड रिंग,दाहिनी कलाई मे डाइमंड ब्रेसलेट,ऊँचा सा हेयरस्टाइल,पलकों में गहरा काला आईलाइनर , होंठों पर सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक और ऊँगलियों में सिगरेट दबी हुई,जिसके कश़ लगाते हुए वो क्लब में दाखिल हुई,देखने वालें बस आहें भरकर रह गए और वो अपने प्रोग्राम के लिए तैयार होने चली गई।।
शक्तिसिंह और संदीप उसका जलवा देखते ही रह गए,कुछ देर दोनों ऐसे ही दारू पीने का नाटक करते रहे,तभी एण्ट्री हुई नटराज की।।
उसने यहाँ वहाँ नज़रें दौड़ाई और दोनों को टेबल पर बैठे देखा,नटराज उन दोनों के पास जाकर बोला___
आप लोग जूली से मिलें।।
जी नहीं,हमें इन सब में कोई दिलचस्पी नहीं है,नाहर सिंह बने संदीप ने कहा।।।
अज़ीब बात है,माश़ाल्लाह आप अभी नौजवान है और आपको इन सब में दिलचस्पी नहीं है,नटराज बोला।।
अजी,इन्हें कहने दीजिए,ये जनाब़ तो बूढ़े हो चुके हैं,जरा हमारी मुलाकात ही करवा दीजिए,उन मोहतरमा से,शक्तिसिंह जी बोलें।।
जमींदार साहब! आपकी उम्र तो हो गई है लेकिन मालूम होता है कि अभी तक आपका आशिकाना मिज़ाज नहीं गया,नटराज बोला।।
अजी! छोड़िए,ये उम्र की बातें,दिल जवान होना चाहिए और फिर अभी हमारे बालों में इतनी भी सुफ़ेदी नहीं आई हैं,शक्तिसिंह जी बोले।।
हा....हा...हा...हा...सही कहा आपने ! तो देर किस बात की है,चलिए जूली से मिलवाता हूँ आपको,नटराज बोला।।
जी! चलिए,हम तो कब से बे़क़रार बैठे हैं,जब से उन्हें आते हुए देखा है,बस तब से आहें भर रहे हैं,बड़ी कात़िलाना जान पड़तीं हैं आपकी जूली जी,शक्तिसिंह जी बोले।।
और सब जूली से मिलने मेकअप रूप पहुँचे,जहाँ वो अपने कैबरे डान्स के लिए तैयार हो रही थी,नटराज ने जूली के मेकअप रूम के दरवाज़े पर दस्तक दी,जूली ने शोख़ी भरें अन्द़ाज में पूछा___
कौन है?
मैं हूँ नटराज! क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ? नटराज ने पूछा।।
जी! आइए...आइए....,जूली ने कहा।।
सब अन्दर पहुँचे,जूली ने सबको देखा और पूछा___
सिघांनिया साहब! ये आज किसे मिलवाने लाएं हैं आप! जूली ने नटराज से पूछा।।
ये हमारे कुछ ख़ास मेहमानों में से एक हैं,नटराज बोला।।
जी बहुत खूब,बहुत खुशी हुई आप दोनों से मिलकर,जूली बोली।।
ये जमींदार शक्तिसिंह और ये हैं इनके दोस्त के बेटे नाहर सिंह,नटराज बोला।।
ओह....नाइस मीट यू! लेकिन अभी मुझे जाना होगा,बाहर अभी मेरा शो है,फिर कभी मिलती हूँ आपसे,जूली बोली।।
ठीक है तो तुम जाओ,हम भी बाहर चलकर तुम्हारा शो देखते हैं,नटराज बोला।।
और सबने मिलकर शो देखा और आज तो नाहर सिंह को थोड़ी शराब पीनी ही पड़ी,नटराज ने जो कहा था,लेकिन शक्तिसिंह ने देखा कि नाहर सिंह को चढ़ रही है,ऐसा ना हो की नशें की हालत में ये सच्चाई उगल दे,इसलिए समय रहते शक्तिसिंह ने नटराज से घर जाने की इज़ाज़त ली और दोनों घर चले आएं,घर आकर संदीप को जो उल्टियाँ हुईं कि उसकी हालत खराब़ हो गई,उसने पहले कभी शराब पी ही नहीं थी इसलिए हज़म ना कर सका।।
दूसरे दिन सुबह शक्तिसिंह ने लीला से शिकायत करते हुए कहा कि___
अजी! तुम्हारे भतीजे तो लड़कियों से भी गये गुजरे है,देखो तो जवान लड़का है और इतनी सी शराब हज़म नहीं होती,वो तो समय रहते लिवा लाया क्लब से नहीं तो आज ही सारा भेद खुल जाता।।
अच्छा जी!जिसने कभी शराब की शकल भी ना देखी हो, उससे आप पूरी बोतल गटकने की उम्मीद रखते हैं,सीख जाएगा धीरे धीरे,लीला बोली।।
ये भी सही है लेकिन उस मरदूत ने आज शाम भी क्लब में बुलाया है,शक्तिसिंह जी बोले।।
जाना तो पड़ेगा,नहीं तो उसके बारें में जानकारियाँ कैसे मिलेगीं,लीला बोली।।
सही कहती हो,तो आज भी चले ही जाते हैं,शक्तिसिंह जी बोले।।

शाम हुई आज फिर दोनों तैयार होकर क्लब की ओर चल पड़े,क्लब मे पहुँचे ही थे कि मोनिका,नाहर को डान्स के लिए ले गई, नाहर ,मोनिका के संग डान्स करने लगा और आज बातों ही बातों में नटराज ने शक्तिसिंह से पूछ लिया ____
जमींदार साहब! नाहर सिंह जी लड़की देखने गए थे ना !बनारस तो क्या हुआ? कुछ बात बनी।।
नहीं,जनाब!को कोई जँचती ही नहीं,ना जाने कौन सी हूर परी चाहिए,शक्तिसिंह जी बोले।।
हमारी नज़र में है एक लड़की,आप कहो तो बात चलाऊँ,नटराज बोला।।
जी,ये तो उनकी बुआ ही जाने,माँ बाप के जाने के बाद एक वो ही रिश्तेदार रह गई हैं नाहर सिंह की जिनकी वो पूरी तरह से बात मानता है,शक्तिसिंह जी बोले।।
बुआ! आपने कभी बताया नहीं कि उनकी कोई बुआ भी हैं,नटराज बोला।।
जी कभी उनका ज़िक्र ही नहीं हुआ और शायद मेरे दिमाग से निकल गया,शक्तिसिंह जी बोले।।
तो फिर कल ही आइए मेरे घर नाहर जी की बुआ के संग,मेरी भी इसी बहाने उनसे मुलाकात हो जाएगी,नटराज बोला।।
जी ठीक है,तो कल ही आते हैं हमलोग,शक्तिसिंह जी बोले।।
वो दोनों और थोड़ी देर क्लब में रहें,थोड़ी बहुत शराब़ पी और कुछ देर ठहर कर घर चले आएं,घर आकर शक्तिसिंह तो सोच में पड़ गए,सबने पूछा कि क्या हुआ?
शक्तिसिंह बोले___
अब बुआ कहाँ से लाऊँ,लीला को ले नहीं जा सकते,क्योंकि उसे साधना और मधु पहचानतीं हैं,तो क्या करूँ?
तभी कुसुम बोली___
किराए पर बुला लेते हैं बुआ।।
ना किसी को कुछ पता चल गया तो,तुम तो पागल हो बिना सिर पैर की बातें करती हो,अकल तो हैं नहीं,संदीप बोला।।
इतना गुस्सा क्यों हो रहे हो,नहीं मिल रही बुआ तो मैं क्या करूँ,मैं बन जाऊँ क्या बुआ,कुसुम गुस्से से बोली।।
हाँ! ये ही ठीक रहेगा,नकली सुफे़द बाल,सुफ़ेद साड़ी,आँखों पर चश्मा,बस इतना ही करना पड़ेगा और तुम बुआ जैसी लगोगी,शक्तिसिंह जी बोले।।
क्या ?अब कुसुम को बुआ बनाएंगे आप! लीला बोली।।
हाँ,और क्या ? घर की बात घर में ही रहेगी,किसी को पता ही नहीं चलेगा,शक्तिसिंह जी बोले।।
मैं और अभिनय,भला कैसे होगा मुझसे,कुसुम बोली।।
सब हो जाएगा,कल ही दोपहर में रिहर्सल करते हैं,शक्तिसिंह जी बोलें.....

क्रमशः_____
सरोज वर्मा____