नैना अश्क ना हो... - भाग 17 Neerja Pandey द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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नैना अश्क ना हो... - भाग 17

भाग 17


तीन वर्ष साथ बिताने के बाद दोनों परिवारों को अलग होना बहुत कष्टकर
प्रतीत हो रहा था। निर्मला जी का तो तो रो - रो कर बुरा हाल था । निर्मला
जी और शाश्वत की मां दो सखियों की भांति हो गई थी। अपना सारा वक्त
एक दूसरे के साथ ही बिताती थी । कभी वो उनके यहां तो , कभी ये उनके
यहां। एक घर में , नाश्ता बनता तो दूसरे घर में लंच बन जाता। डिनर
तो हमेशा ही सब एक साथ करते , कभी इनके घर तो कभी उनके घर।
शाश्वत की मां भी बहुत दुखी थी। पर जाना तो था ही।
प्रशांत ने उनके जाने की सारी व्यवस्था कर दी । सामान का ट्रक निकल
जाने पर खुद प्रशांत सभी को छोड़ने आगरा गया।
एक सप्ताह तक रुक कर प्रशांत ने सब कुछ घर में व्यवस्थित करवा दिया।
साक्षी का एडमिशन भी यही होना था। पर उसके आने से नवल जी और गायत्री बिल्कुल अकेले हो गए थे। गायत्री जी का रो रो कर बुरा हाल था।
वो दोनो अगले ही दिन ट्रेन से आगरा के लिए रवाना हो गए।
अचानक मम्मी पापा को देख नव्या हतप्रभ रह गई। साक्षी दौड़ कर उनके
गले लग गई । उसे भी उन्हे छोड़ कर आने के बाद अच्छा नहीं लग रहा था।
गायत्री जी शांतनु जी से कहने लगी, " भाई साहब , भाभी जी मैंने नव्या के बिना तो जीना सीख लिया था,पर अब साक्षी के बिना मै नहीं जी पा रही।
मुझे अपनी बिटिया से अलग मत करिए। मै अब इसे छोड़ कर नहीं जाऊंगी।"
इतना कह कर अपने डबडबा आए आंखो को गायत्री जी पोछने लगी। मैं साक्षी को वही फिर से अपने पास रख कर पढ़ाना चाहती हूं।"
साक्षी की मां का मन नहीं था, पर गायत्री जी का अनुरोध देख कर शांतनु जी
और साक्षी की मां ने हां कर दिया।
नवल जी गायत्री जी पांच दिन तक वहां रुके । प्रशांत भी रुका था । शाम को सब साथ में घूमने जाते । बड़ा ही सुखद वातावरण था। प्रशांत ने पूरे परिवार
का दिल जीत लिया था।
एक दिन शाम को जब शांतनु जी और नवल जी बैठे थे । सुबह प्रशांत को भी
दिल्ली जाना था और नवल जी,गायत्री को भी साक्षी के साथ घर के लिए निकलना था। नव्या और प्रशांत मिल कर बाहर लॉन में गमले लाइन से लगा रहे थे । शांतनु जी ने उन्हे साथ काम करते देख कर कहा, "नवल जी नव्या और प्रशांत दोनों एक साथ कितने अच्छे लगते है। क्या आप भी वही सोच रहे हैं , जो मैं सोच रहा हूं?"
नवल जी मायूसी से बोले, "हमारे चाहने या ना चाहने से क्या होता है ?
जब तक वो ना चाहे।"
शांतनु जी ने कहा, "वो बच्ची है, उसे क्या पता जिंदगी कैसे जी जाती है।
ये हमारा और आपका फर्ज है कि उसके जिंदगी को सही रास्ते पर लाए।"


फिर दोनों में खुसुर - फुसुर शुरू हो गई । तय हुआ कि को भी करना है ।
अभी ही करना है। वरना फिर प्रशांत कब आएगा कुछ पता नहीं। फिर योजना बन गई इसमें साक्षी को भी शामिल कर लिया गया।

पर दोनों ने ये विचार किया कि पता नहीं प्रशांत के मन में क्या है ? पहले ये तो पता कर लिया जाए।

फिर उन दोनों ने प्रशांत को अकेले में बुला कर उससे बात की, कि नव्या उन्हें कैसी लगती है ? अचानक से ये प्रश्न सुनकर प्रशांत घबरा गया कि उससे कोई ग़लती तो नहीं हो गई। उसे रिलैक्स करते हुए ,अपना मंतव्य समझाया कि अगर तुम्हें नव्या अच्छी लगती हो , और उसे अपनाने में कोई परेशानी ना ही तो हम दोनों की इच्छा है कि तुम नव्या को अपना लो।

प्रशांत ने झिझकते हुए कहा, " वो मेरे दोस्त की पत्नी हैं, मैनें उस नज़र से उन्हें देखा नहीं । ना .... ही मेरे मन में कभी ये बात आई। मैं तो बस ये चाहता हूं कि वो खुश रहे । शाश्वत और उनका साथ रहा हीं कितने दिनों का ! अब वो पूरी जिंदगी अकेले बिता दें ये मैं भी नहीं चाहता। मान लीजिए .. मैं तैयार भी हो जाता हूं तो वो कभी नहीं राजी होंगी ।"

"उसकी चिंता मत करो । ये हमारा काम है। बस तुम अपनी तरफ से हां कर दो।" उन दोनों ने समवेत स्वर में कहा।

"मैं कुछ भी कर सकूं आप सब के लिए तो मेरी खुश - नसीबी होगी।"
प्रशांत ने कहा।

नवल जी और शांतनु जी ने अपने पूरे प्लान में प्रशांत को भी शामिल कर लिया। उसके बाद सब अपने अपने काम में लग गए।

शांतनु जी प्लान के मुताबिक अपने कमरे में चले गए और आराम करने लेट गए।
साक्षी ने चाय बनाई और नव्या को बोला, " भाभी आप पापा को कमरे में चाय दे आओ और मैं बाकी सब की चाय दे देती हूं। "

नव्या शांतनु जी के कमरे में चाय लेकर गई चाय साइड टेबल पर रख कर बोली , " पापा चाय पी लीजिए.... ।" पर शांतनु जी कुछ नहीं बोले।

नव्या ने सोचा शायद पापा की आंख लग गई है।अब इस समय सी लेंगे तो फिर रात में नींद ना आने की शिकायत करेंगे। इस लिए हिला कर बोली,
"पापा उठिए .... चाय पी लीजिए।

पर शांतनु जी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी । अब नव्या घबरा गई की अभी तो पापा बिल्कुल ठीक ठाक बाहर लॉन में बैठे थे । अभी अचानक क्या हो गया।
वो आवाज लगा कर घर में सभी को बुलाने लगी।
उसे इस तरह तेज आवाज में पुकारते सुन नवल जी ,साक्षी और प्रशांत ने सोचा कि प्लान का पहला स्टेज शुरू हो गया।
सभी भाग कर शांतनु जी के पास कमरे में आए।
नवल जी ने घबराते हुए कहा , " क्या हुआ नव्या ? तुम चिल्ला क्यों रही हो?
नव्या ने कहा "पापा की चाय लेकर आई थी। उन्हे उठा रही हूं पर वो कुछ बोल नहीं रहे।"
प्रशांत और साक्षी भी उन्हें उठाने लगी। पर वो कुछ भी नहीं बोल रहे थे।

साक्षी की मां भी अब तक आ गई थी। पति को इस हालत में देख वो रोने लगी। गायत्री उन्हें संभालने में लग गईं। दिलासा देने लगी कि भाई साहब को कुछ नहीं होगा वो ठीक हो जाएंगे।


प्रशांत ने नवल जी से कहा, " अंकल आप गाड़ी निकालिए मैं शांतनु अंकल को लेकर आता हूं।"

नवल जी गाड़ी की चाभी ले कर गाड़ी निकलने बाहर चले गए। प्रशांत, नव्या और साक्षी की मदद से शांतनु जी को बाहर लाकर गाड़ी में लिटा दिया।
नवल जी ने गाड़ी आगे बड़ा दी। साथ में सिर्फ साक्षी को लिया। नव्या भी साथ आने को बोल थी थी ,पर नवल जी ने मना कर दिया कि ,तुम यही रहो भाभी जी को संभालो। हम सब ले जा रहे हैं हॉस्पिटल जैसे भी होगा तुम सब को बताएंगे। इतना कह कर नवल जी ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।

पास के हॉस्पिटल में लेकर जाने लगे। वे सब सोच रहे थे कि ये तबियत करें होने का बहाना किया है शांतनु जी ने तय प्लान के अनुसार। पर साक्षी के और प्रशांत के बार बार बुलाने पर भी शांतनु जी कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे थे।
अब प्रशांत घबरा गया । बोला, " अंकल ये तो सच में ही शांतनु अंकल बीमार ही गए क्या ! कुछ बोल ही नहीं रहे।"

नवल जी तेजी से गाड़ी चलाने लगे कि कहीं वास्तव में ही ना कुछ हो जाए शांतनु जी को।

कुछ ही देर में हॉस्पिटल आ गया। इमरजेंसी में उन्हे दिखाया गया।
डॉक्टर ने जांच किया और बताया कि उन्हें ब्रेन स्ट्रोक आया है। लगता है किसी चीज के बारे में इन्होंने बहुत सीरियसली सोच लिया है इस कारण इनकी ये हालत हुई है । आईसीयू में भर्ती करना पड़ेगा।

हतप्रभ से नवल जी, प्रशांत और साक्षी एक दूसरे का मुंह देखने लगे। उनकी प्लानिंग क्या थी और ये क्या हो गया!

प्रशांत ने सारी व्यवस्था अच्छे से कर दी। डॉक्टर ने तुरंत ही पचास हजार रुपए जमा करने को कह दिया। तभी इलाज शुरू हो पाएगा। अपने एटीएम कार्ड से प्रशांत ने पेमेंट कर दिया।

कुछ देर बाद नव्या ने फोन कर शांतनु जी की तबियत के लिए अपने पापा से पूछा।
ये सुनते ही कि पापा आईसीयू में भर्ती हैं। नव्या ने कहा , "मैं तुरंत आती हूं।"

मां और अपनी मम्मी को समझा कर की जैसा भी होगा मैं वहां पहुंच कर आप दोनों को बताऊंगी । वो हॉस्पिटल आ गई।


आगे पढ़े शांतनु जी के पास गई नव्या ने क्या देखा? क्या वो ज्यादा बीमार थे?