अध्याय 3
विभिन्न उपचार
चिकित्सा
शर्माजी ने अपने पुत्र को एक मानसिक विशेषग्य डॉक्टर को बताया I
डॉक्टर ने कहा, “ श्रीमान आपके पुत्र को तीव्र डिप्रेशन की बीमारी है I
आपको इसका लम्बा इलाज करवाना पड़ेगा I “
डॉक्टर ने कुछ दवाइयां लिखी I
मोनू ने जब दवाएं लेना शुरू किया तो उसे दिन रात बड़ी बैचेनी रहने लगी I
वह रात भर सो नहीं पाता था I
डॉक्टर को समस्या बताने पर उन्होंने दवा बदलते हुए उसके प्रॉपर डोस के लिऐ एक बड़ी क्लिष्ट प्रक्रिया बतलाई जिसमे मोनू के खून की रोज जाँच करवाना व उसके आधार पर दवा का डोस निर्धारित करना था I
शर्माजी को यह कार्य बड़ा परेशानी भरा लगा I अतः दवाएं बंद कर दी गई I
होमियोपैथी आयुर्वेद चिकित्सा फेल
किन्तु मोनू का मानसिक रोग बढ़ता चला गया I
शर्माजी स्वयं होमियोपैथी के जानकार थे I
उन्होंने मोनू को एक से बढ़कर एक होमियोपैथी की दवाएं दीं किन्तु उसे कोई फायदा होता नहीं दिखाई दिया I
उन्होंने मोनू का एक बड़े आयुर्वेदिक वैद्य से भी इलाज करवाया किन्तु आयुर्वेदिक उपचार से भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ I
फिर किसी व्यक्ति से उन्हें ऐक पीर की मजार पर पागलों के पुख्ता इलाज की बात मालूम हुई I
वे अपने पुत्र को लेकर एक शुक्रवार उस मजार पर पहुंचे I
वह मजार किसी दूसरे शहर में स्थित थी I वह स्थान स्टेशन से दस किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित था I
हर शुक्रवार को वहां अनेक मानसिक रोगी इकट्ठे होते थे I
शर्माजी जब वहां पहुंचे तो उन्होंने वहां बड़ा भयानक नजारा देखा I
वहां एक बड़े मैदान में तरह तरह के पागलों व उनके रिश्तेदारों का जमघट लगा हुआ था I
कोई पागल जोर जोर से हुंकार भरते हुए अपना सर घुमा रहा था I
ऐक अन्य पागल धरती पर सर पटक रहा था I
मजार में एक मौलवी उन पर झाड फूंक कर रहा था I
वह रोगी पर कोई पवित्र धुआं उड़ाते हुए उसे डांटते हुए कह रहा था, “ इसे छोड़ दे नहीं तो तुझे यहीं हमेशा के लिए गाड़ दूंगा I मरीज के परिजन मजार पर भेंट चढ़ा रहे थे I
शर्माजी मोनू को लेकर वहां अनेक शुक्रवार जाते रहे किन्तु उसे कोई फायदा नहीं हुआ I
पागल हे !
वर्माजी एक बहुत सीधे सादे विद्वान अध्यापक थे I
उनकी दो बेटियां व एक पुत्र था I दोनों बेटियां उच्च शिक्षित थी I किन्तु उनका एकमात्र पुत्र सोहन पागल था I
वह फटे पुराने कपड़े पहनता व सड़क पर निकल कर ऊलजुलूल हरकतें करता था I
उसके बाल खिचड़ी व दाढ़ी मूंछ बढी हुई रहती थी I
शरारती लड़के उसे देखते ही ऐक दुसरे को आवाजें लगाते,
“ अरे आओ रे ! पागल आ गया है I उसके मजे लो ! “
उसके चारों ओर शरारती लड़कों का एक बड़ा झुण्ड इकठ्ठा हो जाता I
उनमे से एक लड़का “ पागल हे “, कहकर उसके सर पर जोरों से मारता I
फिर दूसरा लड़का उसके कपडे खींचकर भागता I तीसरा उसके पीठ पर धौल जमाता और जोरों से हँसता I उन लड़कों को सोहन को परेशान करने में बड़ा मजा आता I
परेशान सोहन उन्हें आश्चर्य से देखता I उसे समझ नहीं आता कि वे लड़के उसे क्यों तंग कर रहे हैं i
वह अपने दिमाग पर जोर डालता किन्तु उसे अपने प्रश्न का कोई उत्तर नहीं मिलता I
निराश होकर वह भी उनके साथ हंसने लगता व ऊलजुलूल हरकतें करने लगता I
कभी वह नाचता, कभी हँसता तो कभी जोरों से आवाजें निकालता I
कुछ आगे जाने पर एक दूसरे लड़कों का झुण्ड उस पर निर्दयता से प्रहार करने लगते I
वे उसे तब तक मारते जब तक वह जमीन पर गिर नहीं जाता I
कोई एक राहगीर उसके घर पर उसके घायल होने की सूचना देता I
तब उसके माता पिता उसे रिक्शे में डालकर घर लाते I
उसके घर में माता पिता और बहने घंटों उसे घायल देखकर रोते रहते I
उसकी माँ उससे कहती, “ बेटा ! यह दुनिया बड़ी जालिम है I ये दुनिया मंदिर जाने वाले बनावटी बेरहम लोगों की दुनिया है जो भगवान के करुणा सेवा के सन्देश को नहीं सुनते I लोगों के दिल में रहम, दया, सेवा, सहायता नाम मात्र को भी नहीं होते हैं I ये जालिम दुनिया वाले दूसरों के दुःख में बहुत खुश होते है I ये तुझे एक दिन मार डालेंगे I “ ऐसा कहकर वह अपने बच्चे की दयनीय दशा पर बहुत देर तक रोती रहती I
बाद में घर के लोग सोहन पर नजर रखने लगे I वे उसे बाहर निकलने से रोक देते I
किन्तु सोहन घर वालों की नजर चुराकर जाने कब बाहर निकल जाता I
एक दिन सोहन को बाहर निकले बहुत देर हो गई I रात होने पर जब वह नहीं लौटा तो घर के सभी लोग सोहन को ढूंढने निकले I किन्तु वह कहीं नहीं मिला I
निराश होकर वे अपने घर लौट आऐ I देर रात तक सभी लोग बड़ी देर तक सोहन को याद क़रके रोते रहे I
सुबह होते ही घर के सभी लोग फिर से उसकी खोज में जुट गए I
बहुत खोजने पर सोहन उन्हें ट्रेन की पटरियों के पास एक गड्ढे में घायल अवस्था में बेहोंश मिला I
वह सारी रात बेसुध होकर दर्द से कराहता उस अनजान जगह पर पड़ा हुआ था I
उसके पूरे शरीर पर चोंट के निशान थे I
बड़ी मुश्किल से उसे होंश में लाया गया I
अनेक दिनों की गहन चिकित्सा के बाद वह स्वस्थ हो पाया I
बाद में सोहन को घर में ऐक कमरे में बंद करके रखा जाने लगा I