वेलेंटाइन डे...! - 3 Deepak Bundela AryMoulik द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वेलेंटाइन डे...! - 3

पार्ट -3

रोहन सडक के किनारे बाइक रोकता हैं...

रीटा - यहां क्यों रोक दी तुमने बाइक ..?

रोहन - अब जाना अपने को इसी रास्ते से सीधा हैं कितना आगे से जाकर गाड़ी घुमा कर लानी पड़ेगी... और फिर वापस जाना पड़ेगा तुम यही रुको मैं यू गया और यूं आया

रीटा बाइक से उतरती हैं रोहन भी बाइक का साइड स्टेण्ड लगते हुए उतरता हैं..

रोहन - तुम यही रुको में अभी आता हूं

और रोहन रोड क्रास करते हुए सडक के दूसरी तरफ जाता हैं रीटा उसे खुश होकर जाते हुए देखती हैं...

गाड़िया रोड के दोनों तरफ से आ जा रही हैं...

रीटा रोहन को देख रही हैं रोहन हाथ मे पार्सल लेता हैं और दुकान दार को पैसे देता हैं... और पलट कर रीटा को देखता हैं.. रोहन रीटा के पास सडक क्रॉस करके मस्ती करता हुआ आ रहा होता हैं

रीटा भी रोहन की मस्ती देखते हुए हंस रही हैं.... तभी उसकी हंसी एकदम चीख में बदल जाती हैं

रीटा - रोहन..S... S.... S.... S....

रीटा रोने लगती हैं.

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क्या हुआ मेडम...मेडम...पास से गुज़र रहें एक सभ्य से आदमी ने रीटा के पास आकर पूछा था.

रीटा का सपना टूटता हैं...रीटा उस आदमी की तरफ देखती हैं... और अपने आंसू पोछते हुए बोलती हैं.

रीटा - कुछ नहीं भाई सहाब...बस यूं हीं...

आदमी- ओह कोई बात नहीं... अपना ख्याल रखियेगा...

इतना कह कर वो आदमी वहां से चला जाता हैं...
रीटा अपनी साड़ी का पल्लू सम्हालते हुए ख़डी होती हैं..और जिस दिशा में रोहन गया था वो उसकी तरफ दौड़ती हुई जाती हैं.... वो अस्पताल की गैलरी में पहुंचती हैं सामने और गैलरी में देखती हैं... लोगों के चलते उसे रोहन कही दिखाई नहीं देता हैं तो रीटा अपने हीं कॉंफिडेंस के हिसाब से आगे को जाती हैं... तभी उसे रोहन दूसरी गैलरी में जाता हुआ दिखाई देता हैं रीटा तेज़ कदमों से उसके पीछे पीछे चल देती हैं... लेकिन तभी एकदम से उसके कदम ठिठक जाते हैं...और उसकी अंतर आत्मा की आवाज़ सुनाई देती हैं.

रीटा - ये तू क्या कर रही हैं रीटा... गुज़रे हुए ज़माने के पीछे इस तरह भागना ठीक नहीं रीटा... तेरा आज और आने वाला वर्तमान ज़िन्दगी और मौत से लड़ रहा हैं...और तूँ आज फिर उस बीते हुए कल को फिर से जगाने जा रही हैं...

रीटा अपने कदम यही सोचते हुए मोड़ लेती हैं...और धीरे धीरे वो अपने पति के पास लौटने लगती हैं..

रीटा -अरे ये क्या...? तूँ बहुत स्वाभिमानी हैं...तेरी वजह से आज रोहन की ज़िन्दगी ऐसी नर्क बन गई हैं... इतने सालों बाद जब पश्यताप का मौका मिला तो आज फिर तूँ ऐसा वेयौहार कर रही हैं..

रीटा के कदम रुक जाते हैं...

रीटा - नहीं नहीं... मुझे एक बार रोहन से तो मिलना ही होगा...

फिर रीटा के कदम फिर ठीठकते है... और उसके कदम रोहन की तरफ पलटते हैं..

रीटा- इन बीते पांच सालों में मैं और वो कहां और किस हाल में रहें ना उसने कभी मेरे वारे में सोचा और ना मैंने सोचा...

यही सोचते हुए रीटा तेज़ क़दमों से रोहन के वार्ड की और जाती है... जहां लाइन से 10-12 कमरों के दरवाज़े है.. कोई खुले है तो कोई बंद है रीटा खुले हुए दरवाजों में झाकते-देखते हुए जाती है..
एक वार्ड के खुले दरवाज़े में जैसे ही झाकती है तो वो देखती है के रोहन अपनी छड़ी को फोल्ड करके सामने दीवार से लगी टेवल पर एक तरफ रख रहा है.. रीटा दरवाज़े के एक बंद दरवाज़े के पल्ले की आड़ से झाकते हुए देख रही है.. रोहन अपना गिटार कंधे से उतारता है और दीवार में लगी कील को टटोल कर गिटार को टांग देता है.. तभी उसे फिर रीटा की महक महसूस होती है..वो कमरे की फ़िज़ा में महक को महसूस करते हुए बोलता है...

उन खूबसूरत पलों की यादों सी है महकती तिरि खुशबू..!
शुक्र है उस खुदा का जो यादें महक तिरि मुरझाती नहीं...!!

इतना सुनते ही रीटा की सिसकियाँ निकल पढ़ती है वो अपने दोनों हांथो से अपने मुंह को दबाते हुए जल्दी से बंद दरवाज़े की दीवार से सिमट कर ख़डी हो जाती है..

रोहन दरवाजे की तरफ शेर बोलता हुआ आता है

महक ए एहसास से तिरा वजूद ए मौजूद जो जान पड़ता है..!
लगता है यूं के तुम आए हो बहाने ए महक के जान पड़ता है..!!

रोहन अपनी गर्दन दरवाज़े के बाहर निकलता है पहले बाए गर्दन घुमा के महक को महसूस करता है फिर दाए जहां रीटा दीवाल से भिची ख़डी है उसके तरफ गर्दन घूमता है और रीटा की महक को महसूस करता है..

ये वहम नहीं मिरा यकी है के तूँ है मौजूद यही कही..!
तू जो आए ना नज़र महसूस करें हूं तूँ है मौजूद यही कही..!!

और रोहन एक यकीन के साथ अपनी गर्दन पीछे खींच लेता है... और दरवाज़ा बंद कर लेता है... दरवाजा बंद होते ही रीटा सिसकते हुए दीवार के सहारे बैठ जाती है.. और रोने लगती है...तभी वहां से गुजरते हुए वार्ड बॉय ने रीटा को इस हाल में देखते हुए पूछा..

वार्ड बॉय - एनी प्रूवलम मेम..?

रीटा वार्ड बॉय की आवाज़ सुन उसके तरफ देखती है.. और अपने आसुओं को पोछते हुए

रीटा - नो थेक्स...

कहती हुई वहां से दौड़ती हुई सी निकल जाती है...!
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क्रमशः -4