पार्ट-2
रीटा गार्डन में आती हैं जो कवर्ड हैं... कुछ मरीज और उनके परिजन हरी हरी और रंग बिरंगियों की वादियों में लोग अपने आप को तरों ताज़ा कर कर रहें हैं.. रीटा की नजर पेड के पास लगी बेंच पर पड़ती हैं जहां एक शख्स बैठा गिटार पर धुन छेड़ रहा हैं जिस धुन को सुन कर रीटा यहां तक खींची चली आई थी...रीटा रोहन के पीछे की तरफ उसके करीब आ कर ख़डी हो जाती हैं.
रोहन गिटार बजाने में मगन हैं.. मंद मंद ठंडी हवा मानो बज रहें गिटार की धुन पर आठखेलिया कर रही हो... तभी रोहन को कुछ महक महसूस होती हैं... गिटार की लय थोड़ी बिगड़ती सी धीमी होने लगती हैं तभी रोहन बुद बूदाता हैं...
रोहन- रीटा...
इतना सुन रीटा थोड़ा पीछे को हटती हैं..
रोहन गिटार बजाना बंद कर देता हैं गिटार बेंच के ऊपर एक तरफ रख कर रीटा की महक को महसूस करने की कोशिस करता हैं.. रीटा और दूर को हो जाती हैं रोहन को जब रीटा की महक आनी बंद हो जाती हैं...तो रोहन फिर कहता हैं
रोहन- मैं तुम्हे कैसे भूलू रीटा... तुम्हारी महक तुम्हारा एहसास मुझे जीने नहीं देता...जैसे जैसे दिन करीब आते जा रहें हैं वैसे वैसे तुम्हारा वहम भी अब मुझे हक़ीक़त सा लगने लगा हैं...
रोहन खड़ा होता हैं अपना गिटार लेता हैं और छड़ी के सहारे रीटा के पास से होकर निकलता हैं.. उसे फिर रीटा के होने की गहरी महक का एहसास होता हैं और वो फिर बोल पड़ता हैं.
यूं ना आया करों तुम महक ए मिरे एहसास में
तिरे एहसास से जो हम वहक जाया करते है..!
और वो फिर एक अफ़सोस भरी सांस लेता है कुछ छड़ो के लिए सोचता है और फिर बुद बुदाता है
तिरि महक ए फ़िज़ा का गर हम एतवार कर भी लें
तो कभी ज़िन्दगी के इस विराने में आ जाया कारों..!!
वो रीटा के पास से निकलते हुए थोड़ा ठिठकता सा है..
तू फिर गहरी हो रही है रफ्ता रफ्ता मिरि सांसो में...!
गहरा हो रहा यकी जो तिरा मिरि ज़ेहन की आसों में..!!
रोहन- तुम यही हो रीटा मेरे.... आसपास हो तुम...पर क्यों हो... ये मैं नहीं जानता... पर तुम यही हो...
रोहन थोड़ा मुस्कुराता हैं और अपनी छड़ी के सहारे रास्ता तलाशते हुए आगे को निकल जाता हैं..रीटा चुपचाप अपनी सांसे रोक कर उसे जाता हुआ देख रही हैं... रोहन मानो क़दमों को गिनता हुआ प्राइवेट वार्ड की तरफ बने गेट से उस परिसर मे चला जाता हैं..
रीटा धक्क से रह जाती हैं... और वो वही असहाय सी होकर बैठ जाती हैं..असमंजस की मरोड़ उसके दिल में उठने सी लगी थी....वो मन हीं मन सोचने लगी थी
"ये कैसा इकफाक़ हैं आज रोहन का जन्मदिन भी हैं और आज हीं हमारी एनिवर्सरी भी हैं और आज पूरे 7 साल के बाद यहां आज मिले हैं... हे ईश्वर आप क्या कहना चाहते हो क्या समझना चाहते हो मैं नहीं समझ पा रही हूं... वो बिता हुआ कल और वर्तमान दोनों हीं एक हीं जगह पर.... मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा हैं... आखिर ये हो क्या रहा हैं.."
सोचते सोचते रीटा के आंसू गिरने लगते हैं और वो अपने आंसुओं को रोक नहीं पाती हैं... और रीटा सिसकते हुए रोहन जहां बैठा था उस बेंच के पास आती हैं और बड़े गौर से रीटा उस बेंच को देखती हैं और धीरे धीरे उस बेंच पर अपने हाथ को फेरते हुए महसूस करती हैं.. और रीटा बीते हुए कल के सोच में डूब जाती हैं...
रीटा और रोहन एक रेस्टोरेंट में कॉफी पी रहें हैं आज दोनों बेहद खुश हैं..
रोहन - चलो कम से कम आज के दिन तो तुम्हारे घर वाले हम दोनों की शादी के लिए राज़ी तो हो गए..
रीटा - ये गिफ्ट हैं आज के वेलेंटाइन का वो भी मेरी तरफ से समझें.....कल टाइम पर घर आ जाना मा और बाबा से मिलने..
रोहन रीटा के हांथ अपने हाथों में थामते हुए बोलता हैं...
रोहन कैसी बात कर रही हो रीटा..तुम देखना मैं तुम्हे एक दिन ऐसा गिफ्ट दूंगा के तुम भी याद करोगी...
रीटा -हां हां ठीक हैं पिछले पांच साल से यही सुनती आ रही हूं... देखती हूं ऐसा क्या गिफ्ट हैं जो मुझे आजतक नहीं मिला.... खैर छोड़ो कल कोई बहाना नहीं समझे टाइम पर घर आ जाना मां बाबा मेरी तरह तुम्हारा इंतज़ार नहीं करेंगे समझे..
रोहन - तुम कहो तो अभी चला जाऊं...
रीटा - मज़ाक़ छोड़ो रोहन..अब बहुत हुआ आज कही और चलते हैं.... ओ हां चलोना आज बनवारी के यहां की रबड़ी खाते हैं..मुझे कुछ मीठा खाने का मन कर रहा हैं...
रोहन - अभी... बनवारी रबड़ी की रबड़ी...?... रिटू मैं क्या सोच रहा हूं..
रीटा - फिर बहाने बाज़ी... देखों रोहन तुम मेरा मूढ़ खराब तो करों अब चुपचाप उठो यहां से और चलो यहां से
रीटा हेंड बेग से पैसे निकलती हैं और और उठ कर केश काउंटर की तरफ चली जाती हैं
रोहन जल्दी से अपने कप की कॉफी पीता हैं और उठ कर रीटा के पास जाता हैं
रोहन- अरे इतनी भी क्या जल्दी हैं रीटा.. दो मिनट तो रुको यार पेमेंट मैं किए देता हूं तुम रुको
और रोहन काउंटर पर पेमेंट करता हैं.. रीटा रोहन की शर्ट की जेब में पैसे रख कर बहार बाइक के पास चली जाती हैं... रोहन रीटा के पास आता हैं
रोहन - अब ये पैसे मेरी जेब में क्यों रख दिए तुमने
रीटा - क्यों इस जेब पर मेरा हक़ नहीं हैं क्या..?
रोहन - मेरा ये मतलब नहीं हैं रीटा...
रीटा- अब चलो ना यार तुम बकवास बहुत करने लगे हो..
रोहन- सॉरी... ओके..
और रोहन बाइक निकलता हैं बाइक स्टार्ट करता हैं और दोनों लम्बी सडक पर निकल जाते हैं.