वेलेंटाइन डे...! - 6 - अंतिम भाग Deepak Bundela AryMoulik द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

वेलेंटाइन डे...! - 6 - अंतिम भाग

पार्ट - 6

तीस दिन बाद

रीटा- क्या मैं अपने हसबेंड को देख सकती हूं...?

डॉ. अभी नहीं 24 घंटे बाद ही आप उन्हें दूर से देख सकती हैं... सब ठीक रहा अपना ख्याल रखियेगा....ओके टेक केयर..

इतना कह कर डॉ. वहां से चला जाता हैं... रीटा अपने दोनों हाथ जोड़ कर ईश्वर का धन्यवाद करती हैं जैसे ही अपनी आंखे खोलती हैं तो उसके सामने मुकुंद खड़ा हैं..उसके हाथ में एक एनवलप हैं

मुकुंद- (दोनों हाथ जोड़ कर) नमस्ते..मेडम..!

रिया- (रिया आश्चर्य से ) जी नमस्ते.....! लेकिन मैंने आपको पहचाना नहीं..?

मुकुंद एन वलप देते हुए

मुकुंद- ये रोहन भईया ने आपको देने को कहां था.

रीटा - र... रोहन..?

मुकुंद - जी

रीटा जल्दी से एनवलप लेते हुए

रीटा- क्या हैं इसमें...?

मुकुंद- ये तो मुझे नहीं पता आप खुद देख लीजिए.. अच्छा नमस्ते मैं चलता हूं

रीटा -अरे सुनो... एक मिनट मेरी बात तो सुनो
लेकिन मुकुंद वहां से तेजी से चला जाता हैं..

रीटा उसे जाता हुआ देखती भर रह जाती हैं.. और सोचने लगती हैं तभी उसे अपने हाथ में लिए एनवलप का ख्याल आता और वो एनवलप को खोलती हुई सामने लगी चेयर पर बैठ जाती हैं एनवलप से एक पेपर निकलता हैं रीटा उसे खोल कर देखती हैं..

पत्र

रीटा अब मत कहना के मैंने तुम्हे गिफ्ट नहीं दिया
मयंक का ख्याल रखना और हां अपना भी....हैप्पी वेलेंटाइन डे...

अलबिदा...

इतना पढ़ते ही रीटा के मुंह से आह निकल जाती हैं उसे समझ नहीं आता के वो क्या करें. उसकी आंखो से आंसू गिरने लगते हैं..रीटा को नेहा की बातें याद आने लगती हैं

नेहा- ये कैसी बातें कर रही हैं तूँ... पिछले 3 साल तुम लोगों ने एक दूसरे को प्यार करके निकाले हैं आज वो अपनी आंखे खो चुका हैं तो तूँ इतना बदल जायेगी ये मैंने सोचा नहीं था... मैं तो तुझसे इतना कहने आयी थी आज पूरे एक साल होने को हैं आज ही के दिन उसका एक्सीडेंट हुआ था... उस वक़्त तू भी उसके साथ ही थी... देख वो आज भी तेरा इंतज़ार कर रहा हैं... आज वेलेंटाइन डे हैं कम से कम आज तो उसे विष कर दें...?

रीटा- देख नेहा अब बहुत हुआ... मैं इस बारे में अब कुछ नहीं सुनना चाहती मैं अच्छे से जानती हूं मुझे मेरी ज़िन्दगी कैसे जीना हैं... उस अंधे का बोझ मैं ज़िन्दगी भर नहीं ढो सकती मेरी भी ख्वाहिशे हैं... मेरी भी आशाए हैं...

नेहा- मतलब तुझे उससे प्यार नहीं हुआ था..?

रीटा- जवानी के जोश में भटक गई थी और गलती कर बैठी थी... अगर तुझे इतनी हमदर्दी हैं तो तू जाकर विष कर दें.

सोचते सोचते रीटा फफक फफक कर रो पड़ती हैं...

रीटा - मैं कितनी सेल्फिश हो गई थी आज भगवान ने मेरा घमंड तोड़ दिया... रोहन के इस एहसान को मैं कैसे चुका पाउंगी.... हे भगवान मयंक जब इस बारे में पूछेंगे तो क्या कहूंगी उनसे....

और रीटा के आंसू बहे जा रहें थे....

तभी उसे गिटार की धुन कानों में सुनाई पड़ती हैं... धुन सुन कर रीटा एकदम चौक जाती हैं वो बिना वक़्त गवाये धुन बजने की दिशा में भागती हैं... बाजू में ही चाइल्ड वार्ड हैं उस वार्ड के दरवाज़े पर रीटा के कदम ठिठक जाते हैं रीटा धीरे धीरे अपने कदम अंदर बढ़ाती हैं... वो देखती हैं के एक 15-16 साल का बच्चा गिटार पर धुन बजा रहा हैं...
रोहन... रीटा के मुंह से एकदम रोहन का नाम फुट पढ़ता हैं इतना सुनते ही वो लड़का एक दम से रीटा को पलट कर देखता हैं..

लड़का - जी...!

रीटा अचकचा सी जाती हैं..

लड़का - क्या आप भी रोहन भईया को जानती हैं..
लेकिन रीटा कुछ नहीं कहती और वहां से भागती सी निकल जाती हैं...
---------------
समाप्त