सलाखों से झाँकते चेहरे - 5 Pranava Bharti द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सलाखों से झाँकते चेहरे - 5

5 -

" तुम्हारा नाम रैम किसने रखा ? क्या मतलब है इसका ? "

रैम थोड़ा हिचकिचाया फिर बोला ;

"मैडम ! आपको यहाँ की गरीबी के बारे में तो पता होगा, हम लोको बी भोत गरीब थे | अमारी मम्मी बताते हैं के उनके परिवार के सारे बच्चा लोको अपने को छुपाने का वास्ते अपने मुख पर चूला का राख मलके भीक माँगने को जाता | दादा जी के पास हमेरे परिवार को खिलाने का वास्ते कुछ बी नहीं था | उन दिनों में ---आपने देखा --रास्ते में जो बड़ा सा चर्च है ने --तब्बी वो बनरा था --हमेरे दादा जी को फ़ादर ईसाई धरम लेने को बोला | दादा जी के पास कोई काम नईं था --उनोने ईसाई धरम ले लिया और हमरे सबके नाम फ़ादर ने ही रखे| पहले मेरा नाम रामा था ---अब्बी मैं रैम और मेरा भाई सैम --"

इशिता की आँखें भर आईं, पेट आदमी से क्या-क्या करवाता है ! लेकिन उसके सामने जो युवा बैठा था वह एकदम मस्त था, बिंदास !

"ख्रिस्ती बन जाने का बाद अमेरा परिवार को कोई प्रॉब्लेम नईं हुआ --अबी हमेरा अपना म्युज़िक-बैंड है, खुद का दो माल का घर है | पापा बैंक में पीयून है, मम्मा छोटे स्कूल में टीचर है --हम दोनों बाई बैंड बजाता है | "

इतनी देर में रैम ने अपने पूरे परिवार की कहानी बयान कर दी थी | इशिता को लिखने के लिए एक सॉलिड प्वॉइंट मिल गया था |उसने रैम के सिर पर स्नेह से हाथ फेरा |

"मैडम ! सच्ची-सच्ची एक बात बोलेंगा ---?रैम ने कुछ झिझकते हुए इशिता से पूछा |

उसके चेहरे पर 'हाँ' देखकर वह बोला ;

" बुरा मत लगाने का मैडम ---आप रात को वो टाँगेला तीर-कमान देखकर गबरा गया था न ?"

इशिता को फिर से याद आ गया वह सब जो उसके 'बैक ऑफ़ द माइंड 'था | रैम के साथ वह और बहुत सी बातों में खोने लगी थी | उसके चेहरे पर फिर से पीलापन पसरने लगा|

"मैडम, घबराने का नईं, ये तो आपको हरेक गर में मिलेगा, ये हमेरा मतलब आदिवासी का रिवाज है | इससे हम किसीको मारता नईं है ---" रैम ने कितनी सहजता से उसे बता दिया था कि डरने की कोई बात नहीं थी | वह उसे क्या बताती कि वह नर्स की उस कहानी से खुद को जोड़ने लगी थी जिसे मि. कामले उसके पति के सामने शेखी बघारकर आए थे |

बातों में पता ही नहीं चला नौ कब बज गए | मि. कामले रैम को आवाज़ देते हुए बरामदे में आ रहे थे|

"यस ---सर ---गुड मॉर्निंग ---आपके वास्ते खुर्सी लाता, मैं चा ----"

"नहीं रैम, अब बैठने का टाइम नहीं है | तुम चाय बनाकर अंदर मेरे कमरे में रख दो, मुझे जल्दी तैयार होना है ---"फिर वे इशिता की तरफ़ मुड़े;

"गुड मॉर्निंग मैडम, हाऊ वाज़ नाइट---?" फिर बिना उत्तर की प्रतीक्षा किए हुए कहा ;

"मैडम, अपने को लेट नहीं होने का --तैयार हो जाइए ---"

कामले की इस जल्दबाज़ी पर इशिता के चेहरे पर मुस्कान तैर गई |

"आप तैयार होइए मि.कामले, मैं तो दस मिनट में आपको तैयार मिलूँगी --"कहकर इशिता अपने कमरे में चली गई |

और ठीक दस मिनट बाद इशिता तैयार होकर सिटिंग रूम में आकर बैठ गई  |

" ओ मैडम ! गुड मॉर्निंग ---सो हैप्पी टू सी यू ----" एक स्त्री ने अंदर आते हुए उसे विश किया | उसके हाथ में टिफ़िन था जिसे टेबल पर रखकर उसने इशिता के पैर छुए |

" हमेरा मॉम है --मिसेज़ एलिसा जॉर्ज ---" रैम ने महिला से परिचय कराने की कोशिश की |

"अरे ! पर आप मेरे पैर क्यों छू रही हैं ?"वह महिला एलिसा या जो कोई भी नाम था उसका इशिता को बड़े असमंजस में डाल रही थी |

" आप बड़े लोको ---मतलब ---इतना पडा --लिखा ?"शायद उसकी समझ में नहीं आ रहा था, वह क्या बोले |

"सर --कहाँ पर हैं ? उनोने सब बताया आपका बारे में --कितना बड़ा बड़ा काम करता है आप?"

"ओहो ! गुड मॉर्निंग मैडम मिसेज़ जॉर्ज, मिले आप हमारी मैडम से ---?"

"जी, बिलकुल मिला ---आपने कितना बात बोलै इनके बारे में ---"

"क्या बोले मि.कामले आप इनको ? मेरे पैर छू रही थीं | कितनी बड़ी हैं मेरे से ---"वह इस अजीब सी स्थिति में उलझ सी गई थी |

" हा--हा-- " मि. कामले अपनी चिर परिचित मुद्रा में खिलखिलाए |

"मैडम ! मैंने इनको बोला था कि अगर मैडम बोलेंगी तभी मैं आपको सीरियल में वही रोल दूँगा जो मैडम बताएंगी -" इशिता का चेहरा सफ़ेद पड़ गया | पता नहीं ये कामले भी क्या-क्या करते रहते हैं |

"मि, कामले डायरेक्टर आप हैं, आपको ही ये सब डिसीज़न लेने होते हैं | कौनसा कलाकार किस पात्र में फ़िट बैठ सकेगा ? आप भी ----"

" अच्छा मैडम ! देखेंगे, अभी आप नाश्ता करिए। मिसेज़ जॉर्ज आपके लिए स्पेशल गर्मागर्म नाश्ता बनाकर लाई हैं ---" रैम और उसकी माँ ने मिलकर टेबल पर सलीके से नाश्ता लगा दिया था | इशिता बहुत असहज थी लेकिन उसने अपने चेहरे पर एक ओढ़ी हुई मुस्कान ओढ़े रखी |