अनैतिक - १४ suraj sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अनैतिक - १४

अब मै किसी भी तरह से कशिश का दिल नहीं दुखाना चाहता था, माँ की बाते अब भी मेरे दिमाग में घूम रही थी. मेरी आँखों के सामने जैसे उसका बचपन और शादी की तस्वीरे घूम रही थी, कितनी रोई होगी वो, बचपन से कितना कुछ सहा है उसने. बहोत सी बाते थी जो मेरे दिल को तेज़ी से धड़का रही थी शाम का अँधेरा हो गया था।। सोचा शिफ्ट शुरू होने के पहले एक बार सिगरेट पि लेता हूँ, मै ऊपर आया, और बस सिगरेट जलायी ही थी की वो दोनों फिर मेरे पीछे आकर खड़े हो गये...पर इस बार मेरा पूरा ध्यान सिर्फ कशिश पर था, आपके किसी को दखने का नजरिया अपने आप बदल जात है जब आपको किसी के बारे मे ऐसी बाते पता चले की उसने अपने ज़िन्दगी में कितना कुछ सहा है..उसके प्रति इज्जत और हमदर्दी आ जाती है मेरे साथ भी कुछ ऐसे ही हुआ.

रीना मुझसे गले मिल रही थी पर मेरा ध्यान कशिश के पास था जो पीछे से मुझे देख रही थी..मैंने सोचा अगर आज रीना नहीं होती तो कशिश को ही फ्रेंड जैसे गले लगता. कभी कभी हमें अपनी भावनाओ की नियंत्रण में रखना मुश्किल ओ जाता है पर मैंने खुद पर काबू रखा और फिर हम तीनो निचे चले गये. मैंने उन्हें बताया था की थोड़ी देर बाद मेरी शिफ्ट शुरू होने वाली है पर अगर वो चाहे तो मेरे साथ रूम में रुक सकते है पर हमने थोड़ी बहोत बाते की और वो जाने लगे, मुझे जाते जाते रीना ने बताया था की वो २ दिन बाद ससुराल जाने वाली है, मुझे रीना के जाने के गम से ज्यादा इसका दुःख था की फिर कशिश अकेली रह जाएगी. वो दोनों चले गये.

मुझे रोज २ बार नाहने की आदत थी, दिन में एक बार उठने के बाद और एक बार शिफ्ट शुरू होने के पहले, मैंने फटाफट सब काम किया और खाना खाकर लग गया अपने काम में, तभी मुझे कशिश का मेसेज आया

"हाय"

मैंने कहा "हेल्लो"

बिजी हो?

नहीं बस, अभी शिफ्ट शुरू हुई है तो देख रहा था आज क्या क्या करना है..

अच्छा, खाना हो गया?

हाँ और आपका..?

हाँ, अगर आपको बुरा ना लगे तो एक बात बोलू?

जी बोलो..

इतनी सिगरेट क्यों पिते हो?

आदत हो गयी..

छोड़ दो..

नहीं छोड़ सकता..

आदत ही तो है, कोशिश करोगे तो छुट जाएगी..शायद अपने कभी कोशिश नहीं की होगी..

आजतक किसीने छोड़ने को कहा ही नहीं...मुझे ऐसा लगने लगा था जैसे उसे मेरी फ़िक्र थी, या शायद जो मै उसके बारे मे सोच रहा था क्या वो भी मेरे लिए ऐसा ही कुछ...पर मै जल्दी फैसला नहीं करना चाहता था इसीलिए मैंने अभी वो सब बाते करना गलत समझा...

ठीक है छोड़ दी आजसे..

पक्का?

हाँ, पक्का ..

और अगर पि तो ?

आपको कैसे पता चलेगा..?

चल जाता है..

मै उसे और परेशान नहीं करना चाहता था इसीलिए मैंने कहा,

सच में छोड़ दिया पर एकदम से नहीं छोड़ सकता, पर हाँ दिन में अब तक ४ पिता था कल से २ ही पियूँगा और धीरे धीरे पूरी छोड़ दूंगा...