अनैतिक - १3 suraj sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अनैतिक - १3

कशिश के पापा की डेथ बचपन में ही हो गई थी, घर वालो के कहने पर उसकी माँ ने दूसरी शादी तो कर ली, पर कुछ ही दिनों में उसके माँ की डेथ भी हो गयी, कशिश तब ४-५ साल की होगी उसने माँ बाप दोनों को खो दिया था, उसके नए पापा ने उसे उसके मामा के यहाँ छोड़ चले गये. कशिश के मामा उसे सिर्फ इसी लालच में पाल रहे थे की कशिश के माँ ने मरते वक़्त कुछ प्रॉपर्टी कशिश के नाम कर दी थी. कशिश का गाँव छोटा था, वो अपने मामा के यहाँ रहने लगी तब उसके मामा मामी ने उसे बहोत परेशान किया, जबकि उनके खुद के दो बच्चे थे पर वो कशिश से सारा घर का काम करवाते, जब वो १८ साल की हुई, उसके मामा ने उसकी माँ की प्रॉपर्टी भी खुद के नाम करवा ली और उसको आगे कॉलेज पड़ने भी नहीं भेजा.

कशिश बारहवी तक पडाई की जबकि उसके मामा के बच्चे आज अच्छी जॉब कर रहे है.. कशिश भी पड़ना चाहती थी पर कोई उसे पड़ने वाला नहीं था, कशिश के मामा, रीना के पापा के यहाँ ठेकेदारी का काम करते है, एक दो बार जब निकेत(रीना के भाई) ने कशिश को देखा तो वो उसे छेड़ने लगा, उसका मामा ये सब देख रहा था पर कुछ नही बोला..आखिर एक दिन कशिश ने रीना के पापा को रोते रोते सारी बाते बताई की कैसे निकेत उसे घर पर आकर परेशान करता है..रीना के पापा ने समाज में नाम ख़राब होने के डर से कशिश की शादी रीना के भाई से करवा दी और उसके मामा को कुछ पैसे दे दिए... कशिश शादी से खुश नहीं थी, उसे निकेत पसंद नहीं था।। सिर्फ कशिश को ही नहीं निकेत हर लड़की को छेड़ता था, रोज दोस्तों के साथ शराब पीना, घूमना सब करता था, पैसा है उनके पास इसीलिए बाते बाहर नहीं आती थी. रीना, तू और कशिश सब एक ही उम्र के है जबकि निकेत, कशिश से ४-५ साल बड़ा है.. वो तो रीना के माँ पापा अच्छे है इसीलिए हम उनसे रिश्ता रखते वरना निकेत को तो मै अपने घर भी ना आने दू ..पहले पहले तो निकेत बहोत मारता था कशिश को पर अब धीरे धीरे उन दोनों में बात होना कम हो गयी, रीना की मम्मी के कशिश की कॉलेज में एडमिशन करा दी, जिसके वजह से उसका ध्यान थोडा पडाई में लगने लगा, नहीं तो कशिश अकेली चुपचाप गुमसुम रहती, उसे मुझसे बात करके अच्छा लगता इसीलिए वो रोज एक बार तो भी अपने घर आकर थोड़ी देर बैठकर चली जाती, रीना की शादी भी उसके भाई के कारनामे के वजह से जल्दी करनी पड़ी..

मुझे रीना की माँ ने ये सब बताया बेटा, बहोत अच्छी लड़की है पर निकेत को अब वो पसंद नहीं, वो बात भी नहीं करता उस से।। दोनों अलग अलग रूम में रहते है, रीना जब भी आती कशिश को अपने साथ बाहर ले जाती, ताकि उसका मन लगा रहे..

ये सब सुनकर मै मानो स्तब्द रह गया..एक पल के लिए मुझे समझ ही नही आ रहा था की क्या बोलू, सीरियल, पिक्चर में मैंने ऐसा देखा था की ये सब हकीकत में होता है, आज पहली बार मुझे यकीन नहीं हो रहा था की भगवन सच में है या नहीं? ...ना जाने क्यूँ कशिश को जानकर मुझे सिर्फ २ महीने ही हुए थे पर उसकी कहानी सुनकर मेरी आँखे भर आई, माँ भी जैसे भरे हुए गले से मुझे बता रही थी, आगे मै कुछ सुनना नहीं चाहता था या फिर मुझमे आगे सुनने की इच्छा ही नहीं बची थी. मैंने बिना कुछ कहे बस अपने रूम में आ गया...शाम होने आई थी. मन तो कर रहा था सीधा रीना के घर जाकर कशिश को प्यार से गले लगा लू पर निकेत का चेहरा याद आ गया, उस कमीने के बारे में मुझे बिलकुल नहीं पता था की वो इतना गिरा हुआ है. रात को ९ बजे मेरी शिफ्ट शुरू हूने वाली थी...मैंने फेसबुक देखा पर कशिश ऑफलाइन थी..शायद अब मै उस से कभी नाराज़ नहीं होता, मुझमे उसके जितनी सहने की ताकत नहीं थी, ये वो कशिश वो नहीं थी जिसे मै अब तक सझता था, मर्ज़ी के बिना शादी करके उसने पहले ही बहोत भुगत चुकी थी..

अब मै कैसे भी उसकी मदद करना चाहता था, मैंने खुद से वादा किया की जाने के पहले मै निकेत को सुधारूँगा. शायद कशिश उसे छोड़कर जा भी नहीं सकती थी, क्यूंकि जाती कहा? किसके पास उसका मामा ने तो उसे जैसे बेच दिया था..