उसने आत्महत्या क्यो की Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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उसने आत्महत्या क्यो की

"क्या बात है रमेश?काफी परेशान लग रहे हो।"रमेश के चेहरे पर नज़र पड़ते ही महेश बोला था।
"कुछ नही"राााेे रमेश के गले से मरी सी आवाज निकली थी।वह महेेेश के पास नही रुका और कोने में रखी कुर्सी पर हारे हुए जुआरी की तरह बैठ गया।
"तुम चाहे जुबा से कुछ मत कहो लेकिन तुम्हारा चेहरा बता रहा है,कोई बात है जरूर।लगता है भाभी से झगड़ा हो गया है।इसलिए रेस्ट के दिन भी ऑफिस चले आये हो।"
रमेश ने महेश की बात को अनसुना कर दिया।उसका मन किसी से बात करने को नही कर रहा था।उसने अपना हाथ सिर पर रखकर आंखे मूंद ली।वह उस बात को भूल जाना चाहता था।नही चाहता था कि उस बारे में सोचे।इसलिए घर से आफिस चला आया था।लेकिन यहाँ आने पर भी उस बात ने उसका पीछा नही छोड़ा था।जितना ज्यादा वह उस बात को भुलाने की कोशिश कर रहा था।उतनी ज्यादा वह बात उसे याद आ रही थी।उसे समझ मे नही आ रहा था कि रमा ने उसके साथ ऐसा क्यों किया।उसे दिन प्रतिदिन क्या होता जा रहा है?उग्र स्वभाय और झगड़ालू प्रवर्ती।उसे शादी से पहले औऱ शादी के बाद के रमा के व्यवहार मे कोई साम्य नज़र नही आ रहा था।
रमेश का जन्म गरीब परिवार में हुआ था।तीन भाई बहनों मे वह सबसे बड़ा था।उसके पिता गांव में मज़दूरी करते थे।रोज मजदूरी नही मिलती थी।इसलिए आर्थिक तंगी बनी रहती।फिर भी उसके पिता ने उसे खूब पढ़ाया था।
पढ़ाई पूरी होते ही उसने नौकरी की तलाश शुरू कर दी। कई जगह फॉर्म भरने और इन्टरव्यू देने के बाद उसे टेलीफोन ऑपरेटर की नौकरी मिल गई।ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उसकी पोस्टिंग ताजनगरी में हो गई।यहाँ आते ही उसने किराये पर मकान ले लिया और अपने माँ बाप को बुला लिया था।
एक दिन वह ड्यूटी पर था तभी फोन की घण्टी बजी थी।फोन कान से लगाते ही मधुर स्वर सुनाई पीडीए,"हमारा टेलीफोन खराब है
उस आवाज में सम्मोहन था।जादू था।कशिश थी।उस आवाज से रमेश इतना प्रभावित हुआ कि फ़ोन पर ही दोसती कर ली।दोस्ती होने के बाद रमेश की रमा से फोन पर बाते होने लगी।धीरे धीरे उनकी दोस्ती प्रगाढ होती गई।एक दिन रमेश बोला,"क्या हम जिंदगी भर फोन पर ही बाते करते रहेंगें या कभी मिलेंगे भी?"
"मिल लो"
औऱ दोनो की पहली मुलाकात ताजमहल में हुई थी।रमेश, रमा की सुरीली आवाज का तो पहले ही दीवाना था।उसे देखने के बाद उसकी सुंदरता का भी दीवाना हो गया।रमा को रमेश की सादगी,शराफत और व्यक्तित्व ने प्रभावित किया था।उस दिन के बाद वे मिलने लगे।समय गुज़रने के साथ वे एक दूसरे के इतने करीब आ गए कि एक दिन रमेढ रमा से बोला,"मैं अपने प्यार को स्थाई रूप देना चाहता हूँ।मैं शादी करके तुम्हे अपनी बनाना चाहता हूँ।"
और रमा ने रमेश के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था।
रमा अमीर बाप की बेटी थी,जबकि रमेश गरीब था।रमा के पिता ने दूसरी जाति के गरीब लड़के को अपना दामाद बनाने से साफ इंकार कर दिया।रमा के पिता अपनी बेटी की शादी अपने स्तर के परिवार के ऐसे लड़के से करना चाहते थे।जी डॉक्टर या इंजीनयर हो।जबकि रमेश एक मामूली सा टेलीफोन ऑपरेटर था।