चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 62 Suraj Prakash द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 62

चार्ली चैप्लिन

मेरी आत्मकथा

अनुवाद सूरज प्रकाश

62

उस शाम हमने, सिर्फ ऊना और मैंने चुपचाप घर पर ही खाना खाया। हम कोई अखबार, कोई टेलीफोन कॉल नहीं चाहते थे। मैं किसी से बात करना या किसी को देखना नहीं चाहता था। मैं खाली, घायल और अपने चरित्र से वंचित किया गया महसूस कर रहा था। यहां तक कि घरेलू स्टाफ की मौजूदगी भी परेशान कर रही थी। डिनर के बाद ऊना ने एक तेज जिन और टॉनिक बनाया और हम आग के पास बैठ गए और तब मैंने उसे फैसले में देरी की वजह बतायी और उस औरत के बारे में बताया जो यह कह रही थी कि यह अभी भी आज़ाद देश है। कई महीनों के तनाव के बाद यह एन्टी क्लायमेक्स हुआ था। उस रात मैं अपने बिस्तर में इस सुखद ख्याल के साथ सोया कि अगली सुबह मुझे अदालत में हाज़री बजाने के लिए जल्दी नहीं उठना है।

एक या दो दिन बाद लायन फ्यूचवेंगर ने मज़ाक में कहा,'आप थिएटर के एक अकेले ऐसे कलाकार हैं जिनका नाम अमेरिका के इतिहास के पन्नों पर इसलिए लिखा जाएगा कि आपने पूरे राष्ट्र का राजनैतिक विरोध का तूफान खड़ा कर दिया है।

और अब पितृत्व के मामले में, जिसके बारे में मैं मान कर चल रहा था कि खून की जांच के साथ निपट जाएगा, एक बार फिर उठ खड़ा हुआ। स्थानीय राजनीति से प्रभावित हो कर एक और वकील मामले को चतुराई भरा मोड़ दे कर फिर से खोलने में सफल हो गया था। बच्ची के संरक्षण को मां से अदालत के पक्ष में हस्तांतरित करने की उसकी चालबाजी भरी तरकीब से मां के करार का उल्लंघन नहीं हुआ था और वह 25000 डॉलर अपने पास रख सकती थी और अब अदालत संरक्षक के रूप में बच्ची के लालन पालन के लिए मुझ पर मामला दायर कर सकती थी।

पहले ट्रायल में जूरी इस बात से असहमत रही। मेरे वकील जो ये मानकर चल रहे थे कि ये तो जीता जिताया है ये देख कर बहुत निराश हुए। लेकिन दूसरे ट्रायल में खून की जांच के बावजूद, जिसे अब तक पितृत्व के मामले में कैलिफोर्निया स्टेट लॉ द्वारा सकारात्मक सबूत के तौर पर स्वीकार किया जा चुका था, फैसला मेरे विरोध में पलट दिया गया।

एक बात जो ऊना और मैं चाहते थे, ये थी कि हम कैलिफोर्निया से निकल चलें। हमारी शादी को एक बरस हो गया था और तब से हम चक्की में पिस रहे थे और अब हमें आराम की ज़रूरत थी। इसलिए हमने अपनी छोटी काली बिल्ली को साथ लिया और न्यू यार्क जाने वाली गाड़ी में सवार हो गये। वहां से हम न्यैक गये। वहां पर हमने एक मकान किराये पर ले लिया। ये सारी चीज़ों से बहुत दूर था। चारों तरफ पत्थर थे, बंजर ज़मीन थी, इसके बावजूद इसका अपना एक खास आकर्षण था। ये छोटा सा प्यारा सा,1780 में बना हुआ घर था और किराये की एक खास बात ये थी कि साथ में बहुत ही सहानुभूति रखने वाला हाउसकीपर था। वह अद्भुत रसोइया भी था। घर के साथ ही एक प्यारा सा बूढ़ा काला कुत्ताा भी मिला जो हमारे साथ महिला के साथी के तरह लग लिया। वह नाश्ते के समय पर नियमित रूप से पोर्च में हाज़िर हो जाता और शराफत से पूंछ हिलाता रहता। फिर बैठ जाता और जब तक हम नाश्ता करते रहते, इंतज़ार करता। जिस वक्त हमारी नन्हीं काली बिल्ली ने उसे देखा तो उस पर गुर्रायी और उस पर थूका लेकिन उसने अपनी थूथनी फर्श पर टिका दी मानो मिलजुल कर रहने के लिए तैयार हो।

उन दिनों न्यैक रमणीय हुआ करता था। हालांकि वहां पर अकेलापन था। न कोई हमसे मिलने आता और न ही हम किसी से मिलने जाते। ये ठीक भी था क्योंकि मैं अब तक ट्रायल की परेशानियों से उबरा नहीं था।

हालांकि इस मशक्कत ने मेरी सृजनात्मकता के पर कतर डाले थे, इसके बावजूद मैं मोन्स्योर वेरडाऊ का काफी काम कर चुका था। अब इसे पूरा करने की मेरी इच्छा होने लगी थी।

हमने पूरब में कम से कम छह महीने तक रहने के बारे में सोचा था। ऊना अपने बच्चे को वहीं जन्म देने वाली थी। लेकिन मैं न्यैक में काम नहीं कर सकता था, इसलिए पांच सप्ताह के बाद हम कैलिफोर्निया लौट आए। शादी के तुरंत बाद ही ऊना ने इच्छा व्यक्त की थी कि फिल्मों या मंच पर अभिनेत्री बनने की उसकी कोई चाह नहीं है। इस खबर से मुझे खुशी हुई। इससे कम से कम मेरी एक बीवी तो होगी और वह कैरियर की चाह रखने वाली लड़की नहीं होगी। तभी मैंने शैडो एंड सब्सटेंस फिल्म छोड़ दी और मोन्स्योर वेरडाऊ पर काम करना शुरू कर दिया। लेकिन तभी सरकार ने बड़ी बेरहमी से खलल डाला। मैं अक्सर सोचा करता हूं कि फिल्मों ने एक बेहतरीन कॉमेडियन को खो दिया क्योंकि ऊना में बहुत ही शानदार हास्य बोध था।

मुझे याद है ट्रायल से एकदम पहले ऊना और मैं बेवरली हिल्स में उसका शृंगारदान ठीक कराने के लिए एक आभूषण की दुकान में गये। इंतज़ार करते समय हमने कुछ ब्रेसलेट्स देखने शुरू किये। एक बहुत ही खूबसूरत हीरों और रूबी वाला सेट हमें पसंद आया लेकिन ऊना को लगा कि उसकी कीमत बहुत ज्यादा है, इसलिए मैंने ज्वेलर को बताया कि हम इसके बारे में बाद में सोचेंगे और हम दुकान से चले आये। जैसे ही हम कार में पहुंचे, मैंने नर्वस होकर कहा,'जल्दी करो, फटाफट कार चलाओ।' तभी मैंने अपनी जेब में हाथ डाला और सावधानी से वही ब्रेसलेट बाहर निकाला जिसे उसने पसंद किया था। 'जब हम दूसरे ब्रेसलेट देख रहे थे तो ये ब्रेसलेट मैंने चुपके से जेब में सरका लिया था।' मैंने बताया।

ऊना का चेहरा सफेद पड़ गया,'नहीं, आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था।' वह गाड़ी चलाती रही। तब उसने एक गली में गाड़ी मोड़ी, ब्रेक लगाए और गाड़ी रोक दी। 'हमें इस पर सोचना चाहिए,' उसने कहा और दोहराया,'आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था।'

'ठीक है, मैं इसे वापिस तो नहीं कर सकता' मैंने कहा। लेकिन ये नाटक मैं ज्यादा देर तक नहीं चला पाया। मुझे हँसी आ गयी और मैंने उसे इस मज़ाक के बारे में बताया कि जब वह दूसरी चीज़ें देख रही थी तो मैं सुनार को एक तरफ ले गया था और ब्रेसलेट खरीद लिया था।

मैंने हँसते हुए कहा,'और तुम सोच रही थीं कि मैंने इसे चुराया है।' अपराध के ऊपर एक और अपराध करने के लिए तैयार?'

'दरअसल, मैं नहीं चाहती थी कि आप और मुसीबतों में फंसें।' कहा उसने।

*****

ट्रायल के दौरान हम कई प्रिय दोस्तों से घिरे हुए थे। सबके सब वफादार और सहानुभूति रखने वाले। सालका वीरटेल, क्लिफोर्ड, ओडेत्स दम्पत्ति, हेन्स एस्लर दम्पत्ति, फ्यूशवेंगर दम्पत्ति और कई अन्य।

सालका वीरटेल सांता मोनिका में अपने घर पर बहुत बढ़िया खाने की पार्टियां दिया करती थीं। उनके घर पर कला और साहित्य, दोनों से जुड़े लोग आते। टॉमस मान, ब्रटोल्ट ब्रेख्त, शोनबर्ग, हेन्स एस्लर, लायन फ्यूशवेंगर, स्टीफेन स्पेंडर, सिरियल कोनोली और अन्य कई विभूतियां वहां आतीं। सालका जहां कहीं रहती थीं वहीं पर अपनी खूबसूरत दुनिया बसा लेती थी।

हेन्स एस्लर दम्पत्ति के यहां हमारी मुलाकात ब्रेटोल्ट ब्रेख्त के साथ होती। वे घुटे हुए सिर के साथ बेहद ताकतवर लगते और जहां तक मुझे याद पड़ता है, वे हमेशा सिगार पीते रहते थे। कई महीने बाद मैंने उन्हें मोन्स्योर वेरडाऊ की पटकथा दिखायी थी। उन्होंने इसे पूरा पढ़ा था। उनकी एक ही टिप्पणी थी: 'ओह, आप चीनी शैली में लिखते हैं।'

मैंने लायन फ्यूशवेंगर से पूछा कि वे अमेरिका में राजनैतिक स्थिति के बारे में क्या सोचते हैं। उन्होंने मज़ाक में कहा: 'इस तथ्य में कोई खास बात हो सकती है कि जब मैंने बर्लिन में अपना नया मकान बनाना पूरा किया तो हिटलर सत्ता में आया और मुझे बाहर निकलना पड़ा। जब मैंने पेरिस में अपने फ्लैट की साज सज्जा पूरी की तो नाज़ी चले आये और मैं एक बार फिर वहां से निकला। और अब मैंने अमेरिका में हाल ही में सांता मोनिका में घर खरीदा है।' उन्होंने कंधे उचकाए और एक खास ढंग से मुस्कुराए।

अक्सर हम ऑल्डस हक्सले दम्पत्ति से मिलते। उस समय वे रहस्यवाद के झूले में बहुत अधिक हिचकोले खा रहे थे। मैं उन्हें बीस पच्चीस बरस के सनकी युवा के रूप में ज्यादा पसंद करता था।

एक दिन हमारे मित्र फ्रांक टेलर ने फोन करके बताया कि डायलैंड थॉमस, वेल्श कवि हमसे मिलना चाहेंगे। हमने कहा कि हमें बहुत खुशी होगी। 'दरअसल' फ्रांक ने हिचकिचाते हुए कहा,'अगर वे नशे में न हुए तो मैं उन्हें लेता आऊंगा।' बाद में उस शाम जब घंटी बजी तो मैंने दरवाजा खोला और डायलैन थॉमस सीधे अंदर गिर पड़े। अगर ये नशे में न होना होता है तो तब उनकी हालत क्या होती होगी जब वे सचमुच पिये हुए होते हों। दो एक दिन बाद वे डिनर के लिए आए और बेहतर तरीके से पेश आए। उन्होंने अपनी गहरी आवाज़ में अपनी कोई कविता पढ़ कर सुनायी। मुझे कविता की छवि तो याद नहीं लेकिन एक शब्द 'सेलोफेन' उनकी जादुई आवाज़ से सूर्य की किरणों की तरह परावर्तित हो रहा था।

हमारे मित्रों में थिओडोर ड्रेसर भी थे। मैं उनका बहुत बड़ा प्रशंसक था। वे और उनकी प्यारी सी पत्नी हेलन अक्सर हमारे घर खाना खाते। हालांकि उनके भीतर हमेशा नाराज़गी की भट्टी जलती रहती, वे बहुत विनम्र और दयालु आदमी थे। उनकी मृत्यु पर नाटककार जॉन हॉवर्ड लावसन, जिन्होंने अंतिम संस्कार के समय शोक पत्र पढ़ा था, ने मुझसे पूछा था कि क्या मैं उनकी अर्थी को आगे से कंधा दूंगा और बाद में शोक सभा में ड्रेसर द्वारा लिखी गयी कविता पढ़ूंगा। मैंने ये दोनों काम किये थे।

हालांकि बीच बीच में मेरे कैरियर को लेकर शक के मौके आते लेकिन मैं अपने इस विश्वास से कभी नहीं डिगा कि एक अच्छी कॉमेडी मेरी सारी तकलीफों को सुलझा देगी। इसी दृढ़ निश्चय वाली भावना के साथ मैंने मोन्स्योर वेरडाऊ फिल्म पूरी की। इसमें दो साल की मेहनत लग गयी क्योंकि इसके लिए प्रेरणा पाना मुश्किल काम था, लेकिन इसकी वास्तविक शूटिंग बारह हफ्ते में ही पूरी हो गयी। ये मेरे लिए रिकार्ड समय था। तब मैंने इसकी पटकथा सेंसरशिप के लिए ब्रीन ऑफिस में भेजी। जल्दी ही मुझे उनकी तरफ से ख़त मिला कि इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जा रहा है।

ब्रीन ऑफिस लीज़न ऑफ डीसेंसी की एक शाखा है जो मोशन पिक्चर एसोसिएशन द्वारा स्वघोषित सेंसरशिप करती है। मैं सहमत हूं कि सेंसरशिप ज़रूरी है लेकिन इसे लागू करना मुश्किल होता है। मुझे सिर्फ यही सुझाव देना है कि इसके नियम लचीले होने चाहिए न कि पत्थर की लकीर और इस पर विषय वस्तु के आधार पर निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए बल्कि अच्छी रुचि, बौद्धिकता और संवेदनशील निर्वाह पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

नैतिक दृष्टि से देखें तो मेरा विचार है कि कामुक सैक्स दृश्य की तरह शारीरिक हिंसा और झूठे दर्शन भी उतनी ही हानि पहुंचाते हैं। बर्नार्ड शॉ ने कहा था कि किसी खलनायक के जबड़े पर घूंसा मारना ज़िंदगी की समस्याओं को सुलझाने का बहुत आसान तरीका है।

मोन्स्योर वेरडाउ की सेंसरशिप पर बहस करने से पहले यह ज़रूरी है कि कथा की ख़ास ख़ास बातों का उल्लेख कर दिया जाए। मोन्स्योर वेरडाऊ एक स्‍त्रीघाती नायक, नामालूम सा बैंक क्लर्क है जिसकी नौकरी मंदी के कारण चली गयी है। वह एक योजना बनाता है और बूढ़ी कुवांरी औरतों के साथ शादी रचा के उनके धन को लूट कर उनकी हत्या कर देता है। उसकी वैध पत्नी अपंग है जो गांव में अपने छोटे बेटे के साथ रहती है। लेकिन उसे अपने पति की आपराधिक हरकतों का पता नहीं है। किसी शिकार की हत्या कर देने के बाद वह वैसे ही घर लौटता है जैसे कोई बुर्जुआ पति दिन भर की मेहनत करने के बाद घर लौटता है। वह अच्छाई और बुराई का विरोधाभास है: एक ऐसा व्यक्ति जो अपनी गुलाब की झाड़ियां संवारता है, इल्ली पर पैर रखने से भी बचता है जबकि उसके बगीचे के आखिर में उसकी एक शिकार को भट्टी में भूना जा रहा है। इस कहानी में क्रूर हास्य, कड़वा व्यंग्य और सामाजिक आलोचना है।

सेंसरबोर्ड ने मुझे एक लंबा पत्र भेजा और बताया कि वे फिल्म को क्यों पूरी तरह से बैन कर रहे हैं। मैं यहां पर उनके पत्र का ये हिस्सा दे रहा हूं:

हम उन तत्वों की बात करेंगे जो अपनी संकल्पना में और महत्ता में असामाजिक लगते हैं। कहानी में ऐसे अंश हैं जहां वेरडाउ सिस्टम पर उंगली उठाता है और आज के दिन के सामाजिक ढांचे पर आरोप लगाता करता है। इसके बजाये, हम आपका ध्यान उस ओर दिलाना चाहते हैं जो कि और भी अधिक खतरनाक है और संहिता के अंतर्गत बाकायादा न्याय विचार किया जाना मांगता है।
वेरडाउ का यह बनावटी दावा कि उसकी ज्यादतियों की सीमा से दंग रह जाना बेवकूफी है, कि वे युद्ध के कानूनी आधार पर बड़े पैमाने पर कत्लेआम की तुलना में तो कत्लों की कॉमेडी मात्र हैं जिन्हें हम सिस्टम द्वारा सोने के पतरे मढ़ कर गुणगान करते हैं। इस बात पर किसी बहस में उलझे बिना कि युद्ध बड़े पैमाने पर कत्लेआम या न्यायोचित रूप से मारना है या नहीं, इस बहस में उलझे बिना ये तथ्य अभी भी अपनी जगह पर है कि वेरडाउ अपने भाषणों के दौरान अपने अपराधों की नैतिक गुणवत्ता का मूल्यांकन करने की गम्भीर कोशिश करता है।

इस कहानी को स्वीकार न किये जाने के पीछे दूसरा मूल कारण ये है कि हम अधिक संक्षेप में अपनी बात कर सकते हैं। ये इस तथ्य में निहित है कि ये बहुत कहें तो ये एक ऐसे विश्वास से भरे आदमी की कहानी है जो कई औरतों को अपने प्रेम जाल में फंसाता है ताकि उनकी दौलत उसके कब्जे में आ जाये और इसके लिए वह उन्हें एक के बाद एक नकली शादियों के झांसे में फंसाता चलता है। कहानी के इस अंश में अवैध संबंधों का कुरुचिपूर्ण मज़ा लिया गया है जो कि हमारे निर्णय के अनुसार उचित नहीं है।

इस स्थल तक आ कर उन्होंने अपनी आपत्तियों की एक लम्बी फेहरिस्त दी थी। उनके कुछ नमूने देने से पहले मैं अपनी पटकथा में से वे कुछ पन्ने यहां डालना चाहूंगा जो लिडिया, वेरडाउ की अवैध पत्नियों में से एक है, से संबंध रखते हैं। वह एक बूढ़ी औरत है जिसका वह आज रात कत्ल करने वाला है।

लीडिया कम रौशनी वाले हॉल में आती है और बत्ती बंद करती है और अपने बेडरूम में चली जाती हैं जहां से एक बत्ती जलती है और रौशनी की एक फांक अंधियारे गलियारे में फैल जाती है। अब वेरडाउ धीरे धीरे आता है। हॉल के आखिर में एक बड़ी सी खिड़की है जिसमें से पूर्णिमा का चांद चमक रहा है। मोहित सा वह उस तरफ बढ़ता है।

वेरडाउ : (दबी आवाज़ में) कितना सुंदर .. ये पीला, एंडिमियन का समय .. .

लिडिया की आवाज़: (बेडरूम में से) आप किसके बारे में बात कर रहे हैं?

वेरडाउ: (तंद्रा में) एंडिमियन माय डीयर, . . चांद द्वारा मोहित एक खूबसूरत नौजवान।

लीडिया की आवाज़: ठीक है, भूल जाओ उसके बारे में और बिस्तर पर चले आओ।

वेरडाउ: हां, माय डीयर, हमारे पैर फूलों से नाज़ुक थे।

वह लिडिया के बेडरूम में चला जाता है और हॉल को अर्ध अंधेरे में छोड़ जाता है। वहां पर चांद की रौशनी ही रह जाती है।

वेरडाउ की आवाज: (लीडिया के बेडरूम में से) चांद की तरफ देखो ज़रा, मैंने आज तक इसे इतना चमकीला नहीं देखा। बदजात चंद्रमा।

लीडिया की आवाज़: बदजात चंद्रमा?? आप भी कितने मूरख हैं? हा हा हा बदजात चंद्रमा!!

संगीत की लहरियां बहुत ऊंचे सुर तक ऊपर उठती हैं और तब दृश्य डिजाल्व हो कर सुबह में बदल जाता है। ये वही हॉल वाला रास्ता है लेकिन अब वहां पर सूर्य की रौशनी आ रही है। वेरडाउ लीडिया के बेडरूम में से गुनगुनाता हुआ आता है।

इस दृश्य के बारे में सेंसरबोर्ड की आपत्ति इस तरह से थी:

कृपया लीडिया के इस वाक्यांश को बदलें: 'उसे भूल जाओ और बिस्तर में आ जाओ।' इसके बजाये कहें,'सो जाओ।' हम ये मान कर चल रहे हैं कि ये पूरा का पूरा दृश्य इस तरह से फिल्माया जायेगा कि कहीं भी ये आभास न दे कि वेरडाउ और लीडिया अब शादी के बाद वाले आनंद में उतरने वाले हैं। दोबारा आये शब्द 'बदजात चंद्रमा' को भी हटा दें। अगली सुबह वेरडाउ के लीडिया के बेडरूम से गुनगुनाते हुए आने के दृश्य को भी हटा दें।

अगली आपत्ति उस संवाद को ले कर थी जो वेरडाउ उस लड़की से करता है जिससे वह देर रात को मिलता है। उनका कहना था कि लड़की का चरित्र जिस तरह से बताया गया है, उससे साफ-साफ लगता है कि वह लड़की वेश्या है। इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

स्वाभाविक है कि मेरी कहानी में लड़की एक सड़क छाप है और ये सोचना ही वाहियात होगा कि वह वेरडाउ के अपार्टमेंट में उसकी पेंटिंग देखने आती है। लेकिन इस मामले में वह उसे इसलिए ले कर आता है ताकि वह उस पर वह तीखा ज़हर आजमा सके जिसका कोई सबूत बाकी नहीं रहता। लेकिन वह उसके अपार्टमेंट से जाने के एक ही घंटे के बाद वह मर जायेगी। ये दृश्य कुछ भी हो सकता है लेकिन कम से कम अश्लीलता या कामुकता जगाने वाला तो कत्तई नहीं है।

मेरी पटकथा में ये इस तरह से है:

वेरडाउ: तुम्हें बिल्लियां अच्छी लगती हैं ऐय?

लड़की: ऐसी तो कोई खास बात नहीं है, लेकिन बाहर बहुत ठंड है और सब गीला है। मुझे नहीं लगता कि आपके पास इसे देने के लिए थोड़ा सा दूध होगा?

वेरडाउ: इसके विपरीत, दूध है मेरे पास। देखो तो, हालात इतने खराब नहीं हैं जितने लगते हैं।

लड़की: क्या मैं इतनी निराशावादी लगती हूं?

वेरडाउ: लगती तो हो लेकिन मुझे नहीं लगता कि तुम निराशावादी हो।

लड़की: क्यों?

वेरडाउ: रात को इस तरह से बाहर निकलना, इसके लिए तो तुम्हें आशावादी होना ही चाहिये।

लड़की: मैं आशावादी छोड़ कर सब कुछ हूं।

वेरडाउ: इसके खिलाफ हुंअ!!

लड़की: (ताना मारते हुए) पता लगाने का तो आप में गज़ब का गुण है!!

वेरडाउ: तुम इस धंधे में कब से हो?

लड़की: तीन महीने से।

वेरडाउ: मुझे यकीन नहीं होता!

लड़की: क्यों?

वेरडाउ: तुम जैसी आकर्षक लड़की को कुछ और करना चाहिये था।

लड़की:(ताना मारते हुए) धन्यवाद।

वेरडाउ: अब मुझे सच-सच बता दो। तुम अभी-अभी या तो अस्पताल से आयी हो या जेल से। बोलो कहां से आयी हो?

लड़की: (अच्छे मूड में लेकिन चुनौती देते हुए) आप ये किस लिये जानना चाहते हैं?

वरडाउ: क्योंकि मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूं।

लड़की: मानवतावादी हुं!!

वेरडाउ: (विनम्रता से) एक दम सही ... और मैं बदले में कुछ भी नहीं मांगता।

लड़की: (उसे परखते हुए) क्या है ये? साल्वेशन आर्मी?

वेरडाउ: अच्छी बात है, अगर तुम इसी तरह से महसूस करती हो तो तुम अपनी राह पर जाने के लिए आज़ाद हो।

लड़की: (दो टूक) मैं अभी अभी जेल से छूट कर आ रही हूं।

वेरडाउ: तुम्हें अंदर क्यों किया गया था?

लड़की: (कंधे उचकाती है) क्या फर्क पड़ता है? छोटी मोटी हेराफेरी। वे इसे यही कहते हैं। किराये के टाइपराइटर को गिरवी रख देना।

वेरडाउ: ओ मेरी प्यारी लड़की। तुम्हें इससे बेहतर करने के लिए कुछ नहीं मिला क्या? कितनी सज़ा मिली तुम्हें इसके लिए?

लड़की: तीन महीने।

वेरडाउ: तो इसका मतलब, ये तुम्हारा जेल से बाहर पहला दिन है?

लड़की : हां।

वेरडाउ: भूख लगी है क्या?

(वह सिर हिलाती है और यूं ही मुस्कुराती है)

वेरडाउ: अच्छी बात है। जब तक मैं अपनी पाक कला के हुनर का प्रदर्शन करूं, तुम एक काम करो। रसोई में मुझे कुछ चीजें थमा दो। आओ।