चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 54 Suraj Prakash द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 54

चार्ली चैप्लिन

मेरी आत्मकथा

अनुवाद सूरज प्रकाश

54

मैं अभी भी इसी बात पर विचार कर रहा था कि अपना सारा काम समेटूं और हांग कांग या चीन की तरफ कूच कर जाऊं जहां पर मैं आराम से रह सकता हूं और सवाक फिल्मों को भूल सकता हूं बजाये यहां हॉलीवुड में सड़ते रहने के।

तीन हफ्ते तक मैं ऊभ चूभ में गोते खाता रहा। तभी जो शेंक ने टेलीफोन करके बताया कि मैं अपना वीक एंड उनके याच के लिए बचा कर रखूं। ये एक सौ अड़तीस फुट लम्बी खूबसूरत सेलिंग नाव थी और इस पर आराम से चौदह लोग रह सकते थे। जो अक्सर अवालोन के पास कैटेलिना द्वीप के आसपास ही घूमते रहते। उनके मेहमानों में शायद ही कोई उत्तेजना होती। आम तौर पर पोकर खिलाड़ी ही होते और पोकर में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन वहां पर दिल बहलाने की दूसरी चीज़ें होतीं। जो अक्सर नाव पर खूबसूरत लड़कियों का जमावड़ा जुटा लेते और चूंकि उन दिनों मैं बेहद अकेला था, मैंने सोचा शायद उम्मीद की कोई क्षीण रेखा अपनी किस्मत में भी हो।

और सचमुच हुआ भी यही। मैं पॉलेट गोदार्द से मिला। वह हंसमुख लड़की थी और शाम के वक्त उसने मुझे बताया कि वह अपने भूतपूर्व पति से अलगाव के हर्जाने के रूप में मिले धन में से 50,000 डॉलर फिल्म कारोबार में निवेश करने जा रही है। वह अपने साथ नाव पर सारे कागज़ात लेती आयी थी जिन पर बस, हस्ताक्षर किये जाने थे। मैंने उसे इस काम में हाथ डालने से रोकने के लिए एक तरह से उसका गला ही पक़ड़ लिया था। जिस कम्पनी में वह पैसा डालने जा रही थी वह जाहिर तौर पर हॉलीवुड की घुमंतु कम्पनी थी। मैंने उसे बताया कि मैं फिल्म लाइन से इसकी शुरुआत से ही जुड़ा हुआ हूं और मेरा जो ज्ञान है फिल्म लाइन का उसे देखते हुए मैं अपनी फिल्म में भी एक पैसा तक न लगाऊं। उसमें भी जोखिम है। मैंने उसे तर्क दिया कि अगर हर्स्ट जैसे व्यक्ति, जिनके पास साहित्यिक स्टाफ था और जिनकी पहुंच अमेरिका की बेहतरीन कहानियों तक थी, ने फिल्मो में निवेश करके अपने 7,000,000 डॉलर गवां दिये तो वे किस खेत की मूली हैं। आखिरकार मैं उसे इसमें हाथ डालने से रोकने में कामयाब हो गया। ये हमारी दोस्ती की शुरुआत थी।

पॉलेट और मेरे बीच संबंध का आधार दोनों का अकेलापन था। वह अभी अभी ही न्यू यार्क से आयी थी और किसी को भी नहीं जानती थी। हम दोनों के लिए ये मामला रॉबिनसन क्रूसो द्वारा फ्राइडे को खोजने जैसा था। सप्ताह के दौरान तो करने के लिए बहुत कुछ होता, क्योंकि पॉलेट सैम गोल्डविन की फिल्म में काम कर रही थी और मैं अपना कारोबार देखता। लेकिन इतवार का दिन काटने को दौड़ता। हताशा में हम लम्बी ड्राइव पर निकल जाते। सच कहूं तो हमने कैलिफोर्निया की पूरी की पूरी तटीय दूरी ही ख्ंागाल डाली थी। सबसे ज्यादा रोमांचक अनुभव होता सैन पैड्रो हार्बर जाना और वहां पर मौज मस्ती वाली नावों को देखना। एक नाव बिक्री के लिए खड़ी थी। पचपन फुट लम्बी मोटर क्रूजर जिसमें तीन राजसी कमरे, एक गैली और एक बेहद आकर्षक व्हील हाउस बना हुआ था। ये उस किस्म की बोट थी जिसकी चाहत मेरे मन में थी।

'अगर आपके पास इस तरह की कोई शै होती,' पॉलेट ने कहा,' हम रविवारों के दिन खूब मौज मज़ा कर सकते और कैटेलिना जा सकते।' सलिए मैंने उसे खरीदने के बारे में पूछताछ करनी शुरू की। इसके मालिक कोई मिस्टर मिशेल थे जो मोशन पिक्चर कैमरे बनाया करते थे। उन्होंने हमें नाव पर घुमाया फिराया और अच्छी तरह से सब कुछ दिखाया। एक हफ्ते के भीतर ही हम तीन बार उस नाव को देखने के लिए पहुंच गये। यहां तक कि वहां पर हमारी मौजूदगी परेशानी का कारण बनने लगी। अलबत्ता, मिस्टर मिशेल ने कहा कि जब तक ये बिक नहीं जाती, हम हमेशा नाव पर आ सकते हैं और उसे देख सकते हैं।

पॉलेट की जानकारी के बिना मैंने नाव खरीद ली और उसे कैटेलिना की यात्रा के लिए ठीक कर लिया। मैं नाव पर अपने खुद के रसोइया और कीस्टोन के एक भूतपूर्व सिपाही एंडी एंडरसन को ले गया। एंडी लाइसेंस शुदा कैप्टन था। अगले रविवार सब कुछ तैयार था। पॉलेट और मैं अल सुबह ही निकल पड़े। उसने यही सोचा कि हम लम्बी ड्राइव के लिए निकल रहे हैं। वह इस बात पर राजी हो गयी थी कि हम सिर्फ एक कप कॉफी ले कर निकलेंगे और बाद में कहीं नाश्ते के लिए चले चलेंगे। तब उसने पाया कि हम तो सेन पैड्रो की तरफ जा रहे हैं। 'ये बात तय रही कि आप उस नाव को देखने के लिए दोबारा नहीं जा रहे हैं?'

'मैं तय करने से पहले एक बार फिर उसे देख लेना चाहूंगा!' मैंने जवाब दिया।

'तब आप अकेले ही जाना अंदर। बहुत खराब लगता है।' उसने अफसोस के साथ कहा.'मैं कार में ही बैठी रहूंगी और आपका इंतजार करूंगी।'

जब हम नाव की लैंडिंग पर रुके तो वह किसी भी कीमत पर कार से बाहर निकलने को राजी ही न हो।

'नहीं, आपको अकेले ही जाना होगा। लेकिन जल्दी करो, हमने अब तक नाश्ता भी नहीं किया है।'

दो ही मिनट के भीतर मैं कार के पास आया और पॉलेट को मनाने की कोशिश की, उसकी इच्छा के खिलाफ कि वह नाव तक आये तो सही। केबिन को गुलाबी और नीले मेजपोश से बहुत अच्छी तरह से सजाया गया था और उसके साथ मेल खाते गुलाबी और नीले चीनी परदे थे। गैली से बैकन और अंडे तले जाने की मस्त कर देने वाली महक आ रही थी।

'कैप्टन ने मेहरबानी करके हमें नाश्ते के लिए आमंत्रित किया है।' मैंने कहा.'हम बेकन और व्हीटकेक, टोस्ट और कॉफी लेंगे।' पॉलेट ने गैली में झांका तो उसने हमारे रसोइये को पहचान लिया। 'दरअसल,' मैंने कहा,'आप चाहती थीं न कि हम रविवारों को कहीं जायें तो हम लोग नाश्ते के बाद कैटेलिना तैराकी के लिए जा रहे हैं।' तब मैंने उसे बताया कि मैंने नाव खरीद ली है।

उसकी प्रतिक्रिया बहुत ही मज़ेदार थी। 'एक मिनट रुको,' कहा उसने। वह उठी, नाव से बाहर आयी और बंदरगाह पर पचास गज की दौड़ लगायी, अपने हाथों से अपना चेहरा ढक लिया।

'हेय आओ, नाश्ता करो इधर,' मैं चिल्लाया।

जब वह नाव पर वापिस आयी तो बोली,'इस झटके से उबरने के लिए मुझे ये सब करना पड़ा।'

तब फ्रेडी जापानी कुक खींसे निपोरता हुआ नाश्ता ले कर आया। इसके बाद हमने इंजिन गर्म किया, नाव को बंदरगाह की तरफ ले गये और फिर वहां से बाइस मील परे कैटेलिना की तरफ प्रशांत महासागर में उतर गये। वहां हम नौ दिन तक लंगर डाले पड़े रहे।

काम करने की अभी भी कोई योजना सामने नहीं थीं। पॉलेट के साथ मैं आलतू फालतू हरकतें करता रहता। रेस मीटिगों में भाग लेता, नाइट्स स्पाट्स में और सार्वजनिक आयोजनों में घूमता फिरता रहता। कुछ भी ऐसा करता जिससे वक्त गुज़र जाये। मैं न तो अकेले रहना चाहता था और न ही सोचना ही चाहता था। लेकिन इन सारी मौज मस्तियों में भीतर ही कहीं एक भावना काम कर रही थी। अपराध बोध का लगातार अहसास: मैं यहां क्या कर रहा हूं? मैं अपने काम पर क्यों नहीं हूं?

इसके अलावा, मैं एक युवा आलोचक की टिप्पणी से भी हताशा से घिरा हुआ था। उसने कहा था कि सिटी लाइट्स बहुत अच्छी फिल्म है लेकिन इसे संवेदनाओं की सीमा रेखा पर बनाया गया है और कि भविष्य में मुझे चाहिये कि मैं अधिक यथार्थवादी फिल्में बनाने के बारे में सोचूं। मैंने अपने आपको उससे सहमत पाया। अगर उस समय मुझे वह सब मालूम होता जो कि अब है तो मैंने उसे बताया होता कि ये जो तथाकथित यथार्थवाद होता है, अक्सर नकली, बनावटी, नीरस और सुस्त होता है और किसी फिल्म में यथार्थवाद इतना मायने नहीं रखता जितना ये कि इसमें कल्पना से क्या क्या किया जा सकता है।

ये सोचने की बात है कि किस तरह से एक संयोग से और ऐसे वक्त में जब मैं इसके बारे में सोच भी नहीं सकता था, मैं अचानक एक और मूक फिल्म बनाने के लिए प्रेरित हुआ। पॉलेट और मैं मैक्सिको में ट्रिजुआना रेसकोर्स में गये जहां पर कैंटकी या ऐसा ही कुछ नाम था उसका, विजेता को रजत कप से नवाज़ा जाना था। वहां पर पॉलेट से पूछा गया कि क्या वह विजेता जॉकी को पदक प्रदान करेगी और दक्षिणी अमेरिका में बोले जाने वाले उच्चारण में कुछ शब्द बोलेगी। उसे प्रेरित करने में थोड़ा सा ही वक्त लगा। मैं उसे लाउडस्पीकर पर सुन कर हैरान रह गया। हालांकि वह ब्रुकलिन से है, उसने किसी केंटकी सोसाइटी लड़की की बहुत ही बढ़िया नकल करके दिखायी। इससे मैं इस बात का कायल हो गया कि वह अभिनय कर सकती है।

इस तरह से मेरी प्रेरणा को सोता फूटा। पॉलेट मुझे कुछ हद तक सड़कों पर आवारा घूमने वाली लड़की की तरह लगी। मेरे लिए ये बहुत ही बढ़िया मौका होगा कि इस बात को परदे पर दिखाऊं। मैं कल्पना करने लगा कि हम पुलिस की भीड़ भरी गश्त करने वाली गाड़ी में मिलते हैं, ट्रैम्प और सड़क छाप लड़की। चूंकि ट्रैम्प बहुत उदार और बहादुर है, उसे अपनी सीट दे देता है। ये वो आधार था जिस पर मैं अपनी कहानी का ढांचा खड़ा करता और हास्य के पल पैदा करता।

तब मुझे अपना एक साक्षात्कार याद आया जो मैंने न्यू यार्क में एक होशियार युवा रिपोर्टर को दिया था। ये सुनने पर कि मैं डैट्रियट जा रहा हूं, उसने मुझे वहां पर फैक्टरी बेल्ट सिस्टम के बारे में बताया था। ये बड़े उद्योगों का एक भयावह गोरख धंधा था जो हट्टे कट्टे किसानों को उनके खेतों से लालच दे कर लाता था और काम में झोंक देता था। चार या पांच बरस तक बेल्ट सिस्टम में काम करने के बाद ये लोग मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाते थे।

यही बातचीत थी जिसने मुझे माडर्न टाइम्स बनाने की प्रेरणा दी। मैंने समय बचाने की तरकीब के रूप में एक फीडिंग मशीन बनायी ताकि कामगार लंच टाइम में भी काम करते रह सकें। फैक्टरी के दृश्यों की परिणति ही इस बात में होती है कि ट्रैम्प का दिमाग चल जाता है। ये प्लाट घटनाओं के स्वाभाविक रूप से घटते चले जाने के आधार पर विकसित किया गया था। ठीक हो जाने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है और वहां पर एक सड़क छाप छोकरी से मिलता है। उसे भी रोटी चुराने के इल्जाम में गिरफ्तार किया गया है। वे अपराधियों से भरी पुलिस की एक गश्त गाड़ी में मिलते हैं। इसके बाद कहानी इस तरह से चलती है कि दो नामालूम से प्राणी आधुनिक समय, माडर्न टाइम्स में जीवन यापन करने की कोशिश करते हैं। उन्हें मंदी का, हड़तालों का, दंगे का और बेरोज़गारी का सामना करना पड़ता है। पॉलेट लगभग रो ही पड़ी थी जब मैंने उसे गंदी दिखने के लिए उसके चेहरे पर राख पोत दी थी। 'ये राख तुम्हारे ब्यूटी स्पाट हैं,' मैंने उसे समझाया।

किसी अभिनेत्री को फैशनेबल कपड़ों में आकर्षक ढंग से तैयार करना आसान होता है लेकिन किसी लड़की को फूल बेचने वाली लड़की की तरह तैयार करना और उसे सुंदर भी दिखाना जैसा कि सिटी लाइट्स में किया गया था, मुश्किल काम होता है। गोल्ड रश में नायिका के कॉस्टÎूम तैयार करने में कोई समस्या नहीं आयी थी। लेकिन माडर्न टाइम्स में पॉलेट की पोशाकों के लिए फैशन डिज़ाइनर के बनायी पोशाकों की तरह बहुत सोचना विचारना पड़ा। यदि सड़क छाप लड़की की वेशभूषा के बारे में बिना सोचे समझे फैसला कर लिया जाता तो थिगलियां नकली और अविश्वसनीय लगतीं। गली गली घूमने वाली आवारा लड़की या फूल बेचने वाली लड़की के रूप में नायिका को तैयार करके मैं काव्यात्मक प्रभाव पैदा करना चाहता था और उसे उसके व्यक्तित्व से वंचित नहीं करना चाहता था।

माडर्न टाइम्स के प्रदर्शन से पहले कुछ समीक्षकों ने लिखा कि उन्होंने इस तरह की अफवाहें सुनी हैं कि ये फिल्म साम्यवादी विचारधारा का पोषण करती है। मेरा ख्याल है ये इस वजह से हुआ क्योंकि अखबारों में फिल्म की कहानी का सार संक्षेप छप चुका था। अलबत्ता, उदार पाठकों ने लिखा कि ये न तो साम्यवाद के पक्ष में है और न ही उसके खिलाफ ही, बल्कि सच तो ये है कि मैं फेंस पर ही बैठा हुआ हूं।

इस तरह के समाचार बुलेटिन सुनने से ज्यादा नसें तड़काने वाली और कोई बात नहीं होती कि पहले हफ्ते आने वाले दर्शकों की संख्या ने अब तक के सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं और दूसरे हफ्ते में मामूली सी गिरावट आयी है। इसलिए न्यू यार्क और लॉस एंजेल्स में प्रीमियर के बाद मेरी एक ही इच्छा थी कि जितनी जल्दी हो सके, फिल्म की खबरों से जितना दूर जा सकूं, चला जाऊं इसलिए मैंने होनोलुलु जाने का फैसला किया। मैं अपने साथ पॉलेट और उसकी मां को ले गया और पीछे ऑफिस में ये हिदायतें छोड़ दीं कि मुझे किसी भी तरह का कोई भी संदेश न भेजा जाये।

हम लॉस एजेंल्स पहुंचे। सैन फ्रांसिस्को में जिस वक्त हम पहुंचे, बरसात हो रही थी। अलबत्ता, कोई भी बात हमारी हिम्मत पर पानी नहीं फेर सकी। हमारे पास थोड़ा सा समय था कि हम शॉपिंग कर सकें और नाव पर लौट सकें। गोदामों के पास से गुजरते हुए मैंने मालवाहक पर लिखा हुआ देखा - चीन

'चलो, हम वहीं चलते हैं।'

'कहां?' पॉलेट ने पूछा।

'चीन!'

'पागल हो गये हैं क्या?"

'हमें अभी नहीं जाना है। नहीं तो कभी नहीं जा पायेंगे।'

'लेकिन मेरे पास कपड़े नहीं हैं।'

'तुम्हें जो भी चाहिये होनोलुलु में खरीद सकती हो।' मैंने सुझाया।

सारी नावों का नामकरण करके उन्हें पैनेशिया नाम दे देना चाहिये क्योंकि समुद्री यात्रा से ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक और कुछ नहीं होता। आपकी सारी चिंताएंं स्थगित हो जाती हैं, नाव आपको गोद ले लेती है, और आपकी देखभाल करती है, और आखिरकार जब नाव पत्तन पर पहुंचती है तो आपको संकोच के साथ हड़बड़ाती दुनिया को लौटा देती है।

लेकिन जिस वक्त हम होनोलुलु में पहुंचे तो मेरे आतंक का ठिकाना न रहा जब मैंने माडर्न टाइम्स के बड़े बड़े होर्डिंग देखे और पत्तन पर प्रेस वाले मेरा स्वागत करने के लिए तैयार खड़े थे। बचने का कोई उपाय नहीं था।

अलबत्ता, टोकियो में मुझे इतना डर नहीं लगा क्योंकि कैप्टन ने मेहरबानी करके मुझे दूसरे यात्री के रूप में पंजीकृत कर रखा था। जापानी प्राधिकारियों ने जब मेरा पासपोर्ट देखा तो इसे मामले को तिल का ताड़ बना दिया,'आपने हमें बताया क्यों नहीं कि आप आ रहे हैं?' कहा उन्होंने। चूंकि वहां पर कुछ ही दिन पहले सैन्य विद्रोह हो चुका था जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये थे, उनका ये पूछना ठीक ही था, मैंने सोचा। जापान में हमारे ठहरने के दौरान सरकार की तरफ से तैनात एक अधिकारी ने एक पल के लिए भी हमें अकेला नहीं छोड़ा। सैन फ्रांसिस्को से चलने से ले कर हांग कांग पहुंचने तक हमने किसी भी यात्री से बात नहीं की थी लेकिन हांग कांग पहुंचते ही ये मौन उवपास धरा रह गया। 'चार्ली,' एक लम्बे से, चुप्पे से दिखने वाले व्यापारी ने मुझसे कहा.'मैं कनेक्टिकट से नाता रखने वाले एक अमेरिकी पादरी से ज़रूर मिलूं। वे पिछले पांच बरस से कोढ़ियों की बस्ती में टिके हुए हैं। फादर के लिए ये अकेलापन काट खाने वाला होगा इसलिए हर रविवार वे हांग कांग अपनी अमेरिकी नावों को देखने आते हैं।'

पादरी लम्बे, खूबसूरत, लगभग सैंतीस बरस के शख्स थे। उनके गुलाबी गाल थे और भेदने वाली मुस्कुराहट थी। मैंने एक ड्रिंक मंगावाया फिर मेरे दोस्त ने एक ड्रिंक मंगवाया, इसके बाद फादर ने एक ड्रिंक का आर्डर दिया। पहले तो ये छोटा सा ही समूह था लेकिन जैसे जैसे शाम ढलती गयी, जमावड़े में पच्चीस आदमी हो गये। हर कोई दूसरे के लिए ड्रिंक मंगवा रहा था। फिर ये संख्या बढ़ कर पैंतीस हो गयी और अभी भी ड्रिंक आ रहे थे। कई लोगों को बेहोशी के आलम में नाव पर ले जाया गया। लेकिन फादर जिन्होंने एक ड्रिंक भी मिस नहीं किया था, अभी भी होश में थे और मुस्कुरा रहे थे और सबसे बात कर रहे थे। आखिरकार मैं उन्हें विदाई देने के लिए उठा। और जब उन्होंने मुझे आग्रहपूर्वक थामा तो मैंने उनसे हाथ मिलाया। मैंने उनका हाथ खुरदरा महसूस किया। मैंने उनका हाथ उलट कर देखा और उसकी जांच की। हथेली कटी फटी थी और बीचों बीच एक सफेद दाग था। 'मेरा ख्याल है, ये कोढ़ नहीं है,' मैंने मज़ाक में कहा। वे हँसे और हाथ मिलाया। एक बरस बाद हमने सुना था कि कोढ़ की वजह से उनकी मृत्यु हो गयी थी।

हम पांच महीने तक हॉलीवुड से परे रहे। इस ट्रिप के दौरान पॉलेट और मैंने शादी कर ली थी। इसके बाद हम स्टेट्स लौटे। हमने वापसी के लिए सिंगापुर में एक जापानी नाव ली।

यात्रा का पहला ही दिन था कि मुझे एक पर्ची मिली जिसमें लिखा था कि पर्ची के लेखक और मेरे कई सांझे दोस्त हैं और कि कई बरसों से हम कई बार, बस, मिलते मिलते रह गये हैं और अब साउथ चाइना समुद्र के बीचों बीच मुलाकात का एक सुनहरा मौका है। हस्ताक्षर: 'ज्य़ां कॉकटेयु' । इसके बाद फिर लिखा था: शायद वह मेरे केबिन में डिनर से पहले खाना खाने से पहले एक आध पैग पीने के लिए आये।

तुरंत ही मुझे लगा कि कोई भेस बदल कर मिलना चाहता है। ये शहरी बाबू इस साउथ चाइना समुद्र के बीचों बीच क्या कर रहा होगा। अलबत्ता, ये बात सच निकली। क्योंकि कॉकेटयु फ्रांसीसी अखबार फिगारो के दिये एक काम को करने के लिए निकला था।

कॉकटेयु अंग्रेजी का एक भी शब्द नहीं बोल पाते थे और न ही मैं फ्रेंच ही बोल पाता था। हां, उनके सचिव को थोड़ी बहुत अंग्रेजी बोलनी आती थी लेकिन बहुत अच्छी तरह से नहीं। इस तरह से उनके सचिव ने हमारे लिए दुभाषिए की तरह काम किया। उस रात हम अल सुबह तक बैठे रहे और ज़िंदगी और कला की अपनी अपनी थ्योरियों की बात करते रहे। हमारा दुभाषिया धीरे धीरे और हिचकते हुए बात करता था जबकि कॉकटेयु अपनी छाती पर अपने खूबसूरत हाथ फैलाए, मशीन गन की सी तेजी के साथ बोलते। उनकी अपील करती आंखें एक बार मुझ पर रहतीं और फिर दुभाषिये पर। दुभाषिया संवेदनाशून्य तरीके से बोल रहा था। 'मिस्टर कॉकटेयु - वे कहते हैं - आप कवि हैं - सूर्योदय के कवि - और कि वे कवि हैं - रात के।'

तत्काल ही कॉकटेयु दुभाषिये से मेरी तरफ मुड़ते और तेज, चिड़िया की तरह सिर हिलाते और अपनी बात जारी रखते। इसके बाद मैं बात का सिरा आगे बढ़ाता और गहराई से दर्शन और कला पर अपना ज्ञान बधारने लगता। जब हम दोनों एक दूसरे से सहमत होते तो इस दूजे को गले लगाते और हमारा दुभाषिया ठंडी ठंडी आंखों से देखता रह जाता। इस तरह से, इसी महान तरीके से हम रात भर बाते करते रहे। हम सुबह चार बजे तक बतियाते रहे और ये वायदा किया कि एक बजे लंच पर फिर मिलेंगे। लेकिन हमारा उत्साह अपने परम बिंदु तक पहुंच चुका था। हम दोनों ही क्लाइमेक्स तक पहुंच चुके थे लेकिन दोनों ने ही इसका आभास नहीं हाने दिया। दोपहर के वक्त हम दोनों के ही माफी मांगते हुए पत्र एक दूसरे के पास पहुंचे। उन दोनों खतों की विषय सस्तु एक जैसी ही थी, दोनों ही क्षमा याचनाओं से भरे हुए थे कि हम अब और मिल नहीं पा रहे है। हम दोनों ने एक दूसरे को ज़रूरत से ज्यादा ही देख परख लिया था।