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चार्ली चैप्लिन - मेरी आत्मकथा - 44

चार्ली चैप्लिन

मेरी आत्मकथा

अनुवाद सूरज प्रकाश

44

डब्ल्यू आर ने इसका उल्टा सोचा,"ओह नहीं," कहा उन्होंने,"आदमी ही हमेशा चुनता है।"

"हम सोचते हैं कि हम चुनते हैं," मैंने जवाब दिया,"लेकिन होता है कि कोई नन्हीं परी अपनी छोटी उंगली से आपकी तरफ इशारा करती है और कहती है ये मेरा है, और आपको ले लिया जाता है।"

"आप बिलकुल ही गलत कह रहे हैं।" डब्ल्यू आर ने पूरे विश्वास के साथ कहा।

"मुसीबत ये है," मैं कहता रहा,"उनकी तकनीक इतनी शानदार तरीके से छुपी होती है कि हमें यही विश्वास दिलाया जाता है कि चयन हम ही कर रहे हैं।"

डब्ल्यू आर ने अचानक मेज़ पर ज़ोर का घूंसा मारा कि मेज पर ब्रेकफास्ट की चीजें उलट पुलट गयीं,"जब मैं कहता हूं कि कोई चीज़ सफेद है तो आप कहते हैं कि काली है।" वे चिल्लाये।

मुझे लगा कि मैं थोड़ा पीला पड़ गया। उस वक्त बटलर मेरी कॉफी डाल रहा था। मैंने सिर उठाया और कहा,"क्या आप किसी को मेरा सामान पैक करने के लिए कहेंगे और मेरे लिए एक टैक्सी बुलवा देंगे।" तब एक शब्द भी बोले बिना मैं उठा और बालरूम में चला गया और वहां पर गुस्से से भरा हुआ चुपचाप चहल कदमी करने लगा।

एक पल बाद मेरियन आयीं,"क्या हो गया चार्ली?"

मेरी आवाज़ कांपी,"मुझ पर इस तरह से कोई आदमी चिल्ला नहीं सकता। वह अपने आप को समझता क्या है? नेपोलियन? नीरो?"

मेरी बात का जवाब दिये बिना वे मुड़ीं और तेज़ी से कमरे से चली गयीं। एक पल के बाद डब्ल्यू आर आये और ऐसे जतलाने लगे मानो कुछ हुआ ही न हो,"क्या बात है चार्ली?"

"मैं इस बात का आदी नहीं हूं कि कोई मुझ पर चिल्लाये, खास तौर पर तब जब मैं घर में मेहमान हूं। इसलिए मैं.. मैं जा रहा हूं।" मेरी आवाज गले में ही फंस कर रह गयी और मैं वाक्य ही पूरा नहीं कर पाया।

डब्ल्यू आर ने एक पल के लिए सोचा और वे भी वहीं पर चहल कदमी करने लगे।

"आओ हम इस बारे में बात कर लें।" उन्होंने कहा, उनकी आवाज़ भी भर्रा गयी थी।

मैं उनके पीछे पीछे हॉल में और वहां से आराम करने वाले कमरे में चला जहां पर एक एंटीक डबल कुर्सी रखी हुई थी। डब्ल्यू आर छ: फुट चार इंच के थे और बहुत बड़ी काया थी उनकी। वे बैठ गये और जितनी भी जगह बची थी उसमें मुझे भी बैठने का इशारा किया।

"बैठ जाओ चार्ली, और हम बातचीत से इसे सुलझा लेंगे।"

मैं उनके पास बैठ गया। लेकिन मैं सिकुड़ कर ही बैठ पाया। बिना एक शब्द भी बोले उन्होंने मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ाया, हालांकि बैठे हुए मैं अपना हाथ हिला भी नहीं सकता था, मैंने हाथ मिला ही लिया।

तब उन्होंने सफाई देनी शुरू की, उनकी आवाज़ अभी भी कांप रही थी,"देखो चार्ली, मैं सचमुच नहीं चाहता कि मेरियन ये क्रिप्ट करे, और वह तुम्हारी राय की कद्र करती है। और जब तुमने उसे अनुमोदित कर दिया तो मेरा ख्याल है मैं इसी वजह से तुम्हारे साथ ऊंचा नीचा बोल गया।"

मैं तत्काल ही पिघल गया और मैं ही अपने आपको दोषी बताने लगा कि ये सब मेरी ही गलती थी। अंतिम सद्भावना के रूप में हम दोनों ने एक बार फिर हाथ मिलाये और उठने की कोशिश की लेकिन हम दोनों ही चिंपेंडेल में फंस गये थे और कुर्सी के क्रैक होने की आवाज़ें आने लगीं कई बार कोशिश करने के बाद हम दोनों अपने आप को कुर्सी से मुक्त करा पाये और कुर्सी को भी कुछ नहीं हुआ।

ऐसा लगता है कि मेरियन मुझसे मिल कर गयीं तो सीधे हर्स्ट के पास गयी होगीं और उन्हें मेरे प्रति इतना बदतमीज होने के लिए उन्हें फटकारा होगा और कहा होगा कि जाओ और चार्ली से माफी मांगो। मेरियन इस बात को जानती थीं कि किस वक्त अपनी बात मनवानी है और किस वक्त चुप रहना है। वह अक्सर ऐसा ही करती थीं। हर्स्ट के खराब मूड में, मेरियन ने बताया, तूफान ज़ोरदार शोर शराबे के साथ तरह आता है।

मेरियन आकर्षक औरत थीं। और जब हर्स्ट को अपने कारोबार के सिलसिले में न्यू यार्क जाना पड़ता तो वे अपने सारे दोस्तों को बेहरली हिल्स वाले अपने घर (ये बीच हाउस के बनने से पहले की बात है) पर बुला लेतीं और वहां पर हम पार्टियां करते, और आधी रात तक चेरेड्स खेलते रहते। तब रुडोल्फ वेलेन्टिनो अपने छोटे से घर पर पार्टी देते और मैं भी अपने घर पर यही कुछ करता। कई बार हम पब्लिक बस किराये पर ले लेते और उसमें खाने पीने का सामान एक तरह से ठूंस ठूंस कर भर देते और हम दस या बीस लोग मालीबू बीच पर चले जाते जहां पर हम कैम्प फायर जलाते और आधी रात की पिकनिकें मनाते और ग्रनिऑन मछलियां पकड़ते।

लॉयेला पारसंस, हर्स्ट की कॉलम लेखिका अनिवार्य रूप से आतीं और उनके साथ होते हैरी क्रोकर जो बाद में जा कर मेरे सहायक निर्देशकों में से एक बने। इस तरह के अभियानों के बाद हम तीन चार बजे तक वापिस घर न जाते। मेरियन लॉयेला से कहतीं, "अगर हर्स्ट को इस सबके बारे में पता चल जाये तो हम दोनों में से एक की नौकरी जायेगी और वो कम से कम मैं मैं नहीं होऊंगी।"

मेरियन के घर पर इस तरह की एक मौज मज़ा पार्टी के दौरान हर्स्ट ने न्यू यार्क से फोन किया, जब मेरियन फोन सुन कर वापिस आयीं तो वे गुस्से से लाल पीली हो रही थीं,"क्या आप कल्पना कर सकते हैं?" उन्होंने हिकारत से कहा,"हर्स्ट ने मुझ पर जासूस छोड़ रखे हैं।"

फोन पर ही हर्स्ट ने अपने जासूस की रिपोर्ट पढ़ी कि जब से वे बाहर गये थे, यहां पर क्या कुछ चल रहा था।

कि वे फलां के घर से रात चार बजे वापिस आयीं और ढिमका के घर से सुबह पांच बजे वापिस आयीं और इस तरह से। मेरियन ने मुझे बाद में बताया कि हर्स्ट तुरंत ही लॉस एंंजेल्स लौट रहे हैं ताकि उनके साथ सारे मामले निपटा लें और कि दोनों अलग हो जायेंगे। बेशक मेरियन नाराज़ थीं, क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था और सिर्फ दोस्तों के साथ मौज मजा करती रही थीं। देखा जाये तो जासूस की रिपोर्ट सच थी लेकिन इसे गलत छवि देने के लिए तोड़ मरोड़ दिया गया था। कन्सास सिटी से हर्स्ट ने तार भेजा,"मैंने अपना इरादा बदल लिया है, और मैं कैलिफोर्निया नहीं लौटूंगा क्योंकि मैं उन जगहें पर अपना चेहरा नहीं दिखा सकता जहां पर मुझे इतना अधिक आनंद मिला है, इसलिए मैं न्यू यार्क लौट रहा हूं।"

लेकिन जल्द ही उन्होंने एक और तार भेजा कि वे लॉस एंजेल्स आ रहे हैं।

जब हर्स्ट लौटे तो हम सब के लिए ये बहुत ही तनावपूर्ण पल थे। अलबत्ता, मेरियन से उनकी जो बातचीत हुई उसका बहुत अच्छा परिणाम रहा। इसकी परिणति हुई बेवरली हिल्स पर हर्स्ट के सम्मान में बहुत ही भव्य पार्टी दी गयी। मेरियन ने अपने किराये के घर में एक अस्थायी डाइनिंग रूम बनवाया जिसमें एक सौ साठ मेहमान आ सकते थे। इसे दो ही दिन में पूरा कर लिया गया। डांस फ्लोर की इमारत सहित इसे सजाया गया। बिजलियों से इसे सजाया गया था, मात्र दो दिन में। मेरियन को केवल जादुई चिराग रगड़ना था और काम हो जाता। उस शाम वह अपनी 75000 डॉलर की पन्ने की अंगूठी पहन कर आयी थीं। ये हर्स्ट की ओर से भेंट थी और संयोग से किसी को भी अपनी नौकरी से हाथ नहीं धोना पड़ा।

सैन सेमियन और मेरियन के बीच हाउस से बदलाव के तौर पर हम अक्सर अपने वीक एंड हर्स्ट के याच पर बिताते और कैटैलिना या सैन डियेगो के दक्षिण की तरफ समन्दर की सैर करते। इन्हीं क्रूस यात्राओं में से किसी एक के दौरान ऐसा हुआ कि थॉमस एच इन्स जिन्होंने हर्स्ट की कॉस्मोपोलिटन फिल्म प्रोडक्शन ली थी, को नाव से उतार कर सैन डिऐगो ले जाना पड़ा। मैं उस ट्रिप पर मौजूद नहीं था लेकिन एलिनॉर ग्लिन जो उस वक्त मौजूद थी ने बाद में मुझे बताया था कि इन्स खुशमिजाज इन्सान थे और मौज कर रहे थे लेकिन लंच के दौरान उन्हें अचानक ऐसा दर्द उठा मानो लकवा मार गया हो और उन्हें मेज पर से उठ जाना पड़ा। सबने यही सोचा कि हो सकता है ये हाजमे वाली गड़बड़ होगी लेकिन वे इतने बीमार हो गये कि यही ठीक समझा गया कि उन्हें किनारे पर उतार कर अस्पताल भिजवा दिया जाये। अस्पताल में ही पता चला कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है। फिर उन्हें बेवरली हिल स्थित उनके घर पर भिजवा दिया गया। वहां पर तीन हफ्ते बाद उन्हें एक और दौरा पड़ा और वे चल बसे।

इस किस्म की गंदी अफवाहें उड़ने लगीं कि इन्स को गोली मारी गयी थी और इसमें हर्स्ट शामिल थे। ये अफवाहें पूरी तरह से झूठ थीं। मैं इस बात को जानता हूं क्योंकि मैं, हस्ट्र, मेरियन एक साथ उनकी मृत्यु से दो हफ्ते पहले मिलने के लिए उनके घर पर गये थे और वे हम तीनों को देख कर बहुत खुश हुए थे और विश्वास कर रहे थे कि वे जल्द ही ठीक हो जायेंगे।

इन्स की मौत से हर्स्ट की कॉस्मोपालिटन प्रोडक्शन की योजनाएं खटाई में पड़ गयीं इसलिए उन्हें वार्नर ब्रदर्स ने अपने हाथ में ले लिया। लेकिन दो बरस बाद हर्स्ट प्रोडक्शन एमजीएम के पास चली गयी जहां पर मेरियन के लिए एक बहुत ही विशाल बंगला ड्रेसिंग रूम बनाया गया था (मैंने इसे ट्रियानन नाम दिया)।

यहां पर हर्स्ट अपने अखबारों के कारोबार के ज्यादातर मसले निपटाते। कई बार मैंने मेरियन के स्वागत कक्ष में उन्हें पूरे फर्श पर बीस या उससे भी अधिक अखबार फैलाये हुए राजसी कुर्सी पर बैठे देखा। अपनी कुर्सी पर बैठे बैठे वे अलग अलग अखबारों की हैड लाइनों पर निगाह डालते, और ऊंची आवाज़ में बोलना शुरू कर देते,"ये बेहद सिड़ी सेटअप है," फिर दूसरा अखबार उठाते, "और फलां ये स्टोरी क्यों दे रहा है?" तब वे एक पत्रिका उठाते और दोनो हाथों में वजन करते, फिर बोलते,"इस महीने क्या मामला है? ये इतनी हल्की क्यों है? विज्ञापन विभाग क्या कर रहा है। रे लाँग को तार करके तुरंत यहां आने को कहो।" इस दृश्य के बीच मेरियन अपनी शानदार तड़क भड़क में अवतरित होतीं, अभी अभी फिल्म के सेट से आते हुए और अपनी महारानी वाली चाल से जानबूझ कर अखबारों के ऊपर से चलती हुई आतीं, और कहतीं, "हटाओ ये सब कचरा, मेरे सारे ड्राइंगरूम को घेर रखा है।"

हर्स्ट बेहद नौसिखिये बन जाते थे। मेरियन की किसी फिल्म के प्रीमियर पर जाते समय वे मुझे बुलवाते कि मैं उनके साथ ही चलूं और प्रवेश द्वार पर पहुंचने से पहले ही वे कार में से उतर जाते ताकि लोग उन्हें मेरियन के साथ आता हुआ न देख लें। इसके बावजूद जब हर्स्ट के एक्जामिनर और लॉस एंजेल्स का टाइम्स एक राजनैतिक झगड़े में उलझे हुए थे, हर्स्ट बुरी तरह से हमला कर रहे थे और टाइम्स पिछड़ रहा था, टाइम्स ने व्यक्तिगत हमले करने शुरू कर दिये और हर्स्ट पर आरोप लगाया कि वे दोहरा जीवन जी रहे हैं तथा सांता मोनिका बीच पर एक प्यार का घोंसला बनाये हुए हैं, अखबार ने मेरियन का नाम भी उछाल दिया। हर्स्ट ने अपने अखबार में इस हमले का कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन एक दिन बाद (उसी दिन मेरियन की मां गुज़री थीं) मेरे पास आये और बोले, "चार्ली, क्या मिसेज डेविस की अंतिम यात्रा में तुम मेरे साथ अर्थी को आगे की तरफ से कंधा दोगे?" और मैंने बेशक उनकी बात मान ली थी।

1933 या उसके आस पास हर्स्ट ने मुझे अपने साथ यूरोप की यात्रा के लिए न्यौता दिया। उन्होंने कुनार्ड लाइंस नाम के जहाज की पूरी एक साइड ही अपनी पार्टी के लिए अपने नाम पर बुक करा ली थी। लेकिन मैंने मना कर दिया। क्योंकि इस का मतलब होता, दूसरे लोगों के साथ घिसटते रहो। जहां हर्स्ट ले जायें, वहीं जाओ, जहां हर्स्ट को जल्दी हो, वहीं लपकते हुए जाओ।

मुझे इस तरह का अनुभव एक बार पहले हो चुका था। मैं मैक्सिको की ट्रिप में उनके साथ था। उस वक्त मेरी दूसरी पत्नी गर्भवती थी। दस कारों का एक काफिला हर्स्ट और मेरियन की कार के पीछे पीछे उबड़ खाबड़ सड़कों पर चल रहा था। मैं इसकी वजह से सारे के सारे अमले को कोस रहा था। सड़कें इतनी खराब थीं कि हमें अपने मंज़िल की यात्रा बीच में ही छोड़ देनी पड़ी और रात भर के लिए एक मैक्सिकन फार्म हाउस में रुकना पड़ा। हम बीस लोगों के लिए वहां पर सिर्फ दो ही कमरे थे। मेहरबानी पूर्वक एक कमरा मेरी पत्नी, एलिनॉर और मुझे दे दिया गया था। कुछ लोग मेजों पर सोये, कुछ कुर्सियों पर, कुछ लोग मुर्गियों के दड़बों में सोये, और कुछ रसोई में।

उस छोटे से कमरे में नज़ारा बहुत ही शानदार था। मेरी पत्नी अकेले बिस्तर पर, मैं मुड़ी तुड़ी दो कुर्सियों पर, और एलिनॉर, इस तरह की पोशाक में मानो रिट्ज जा रही हों, अपना हैट पहने हुए, नकाब वाली जाली लगाये और दस्ताने पहने हुए एक टूटे फूटे दीवान पर लेटीं। वे अपने हाथ अपनी छाती पर यूं बांधे हुए थीं मानो कब्र में कोई आलसी काया हो। वे एक ही पोज़ में बिना किसी बाधा के सोती रहीं। मैं इस बात को जानता हूं क्योंकि मैंने रात भर एक बार भी पलक नहीं झपकायी थी। सुबह मैंने अपनी आंख की कोर से देखा कि वे जैसे सो रही थीं, वैसे ही उठीं, उनका बाल तक इधर से उधर नहीं हुआ था, उनकी गोरी चमड़ी और चमक लिये हुए, मानो वह रात भर प्लाज़ा होटल के टीरूम में टहलती रही हों।

यूरोप की ट्रिप पर हर्स्ट अपने साथ हैरी क्रोकर को ले गये। अब वह हर्स्ट का सामाजिक सचिव बन गया था। हैरी ने मुझसे पूछा कि क्या मैं हर्स्ट को सर फिलिप सासून के नाम परिचय का एक पत्र दूंगा। मैंने ये पत्र दिया।

फिलिप ने हर्स्ट को काफी समय दिया। यह बात जानने के बाद कि हर्स्ट कई बरस तक घोषित रूप से ब्रिटिश विरोधी रहे हैं, उन्होंने हर्स्ट की पिंस ऑफ वेल्स के साथ मुलाकात रखवायी।

सासून ने उन दोनों को पुस्तकालय के एक बंद कमरे में बातचीत के लिए छोड़ दिया। जहां फिलिप के कथनानुसार प्रिंस ने हर्स्ट से साफ साफ पूछ लिया कि वे इतने अधिक ब्रिटिश विरोधी क्यों हैं। वे वहां पर दो घंटे के लिए रहे, बताया सासून साहब ने, और उनका मानना था कि इस बातचीत के बहुत अच्छे परिणाम आये।

मैं कभी भी हर्स्ट की ब्रिटिश विरोधी भावना को समझ नहीं पाया क्योंकि उनकी इंगलैंड में बेशकीमती सम्पत्ति थी और उन्हें वहां से खूब लाभ मिलते थे। उनकी जर्मन के पक्ष की प्रवृतियां पहले विश्व युद्ध के समय से चली आ रही थीं, जिस आड़े वक्त में काउंट बर्नस्ट्राफ के साथ उनके साथ और मित्रता ने एक स्कैंडल का रूप ले लिया था। उस वक्त काउंट जर्मन राजदूत हुआ करते थे। इसलिए हर्स्ट की असीम शक्ति भी तब उस स्कैंडल का दबा नहीं पायी थी। तब भी उनके अमेरिकी विदेशी संवाददाता कार्ल वॉन वीगैंड दूसरे विश्व युद्ध के शुरू होने तक जर्मनी के पक्ष में लगातार लिखता रहा।

अपनी यूरोप ट्रिप के दौरान हर्स्ट जर्मनी गये और हिटलर से मिले। और उनके साथ बातचीत की। उस वक्त तक हिटलर के यातना शिविरों के बारे में कोई भी नहीं जानता था। इनके बारे में सबसे पहले खबर मेरे मित्र कोर्नेलियस वेंडरबिल्ट की रिपोर्टों से आयी जो किसी न किसी बहाने से एक यातना शिविर में घुस गया था और वहां पर नाजियों के अत्याचारों के बारे में लिखा। लेकिन इन अमावनीय अत्याचारों के बारे में उसके रिपोर्टें इतनी शानदार थीं कि उनके सच होने के बारे में किसी को विश्वास ही नहीं हुआ।

वेंडरबिल्ट ने मुझे पोस्ट कार्डों की एक सीरीज भेजी थी जिनमें हिटलर भाषण दे रहे थे। उसका चेहरा अश्लीलता की हद तक कॉमिक था, मेरी बहुत ही खराब नकल। उसकी घिनौनी मूंछें, बेतरतीब खड़े बाल, और हिकारत पैदा करने वाला पतला चेहरा। मैं हिटलर को गम्भीरता से नहीं ले पाया। हरेक पोस्टकार्ड में उसे अलग पोज में दिखाया गया था। एक में उसके हाथ पंजों की तरह थे, भीड़ को हांकते हुए, एक में एक हाथ ऊपर और दूसरा हाथ नीचे था, तीसरे में क्रिकेटर की भूमिका में जैसे गेंद फैंकने वाला हो। एक और पोस्टकार्ड में दोनों हाथ इस तरह से आगे की तरफ रखे हुए थे मानो काल्पनिक मुगदर उठाया जा रहा हो। सलामी लेते हुए एक हाथ पीछे की तरफ जा रहा था, हथेली ऊपर की तरफ मुझे लगा कि गंदी प्लेटें इस हाथ पर धर दी जायें। ये तो खड़ूस है मैंने सोचा, लेकिन जब आइंस्टीन और थॉमस मान को जर्मनी छोड़ने पर मज़बूर होना पड़ा तो हिटलर का ये चेहरा मज़ाकिया न रह कर पापी का हो गया था।

मैं आइंस्टीन से पहली बार 1926 में मिला था जब वे कैलिफोर्निया में व्याख्यान देने के लिए आये थे। मेरी एक थ्योरी है कि वैज्ञानिक और दार्शनिक प्रकाशमान रूमानी दुनिया में बसने वाले लोग होते हैं जो अपनी आवेश को दूसरी दिशाओं की तरफ मोड़ देते हैं। ये थ्योरी आइंस्टीन के व्यक्तित्व पर पूरी तरह से माफिक बैठती थी। वे सबसे अच्छे अर्थों में हँसोड़ और मित्रवत व्यक्तित्व के साथ एकदम आल्प पर्वत पर रहने वाले जर्मन लगते थे। हालांकि उनके तौर तरीके शांत और विनम्र थे, मैंने ये महसूस किया कि ये बातें बेहद संवेदनशील उत्तेजना के नीचे छुपी हुई थीं और इसी स्रोत से वे अपनी असाधारण बौद्धिक ऊर्जा ग्रहण करते हैं।

युनिवर्सल स्टूडियोज के कार्ल लाएमले ने फोन करके मुझे बताया कि आइंस्टीन महोदय मुझसे मिलना चाहेंगे। मैं रोमांच से भर गया। इस तरह से हम लंच के लिए युनिवर्सनल स्टूडियो मे मिले। प्रोफेसर, उनकी पत्नी, उनके सचिव हेलेन डुकास और उनके सहायक, प्रोफेसर वाल्टर मायेर। मिसेज आइंस्टीन अंग्रेजी बहुत अच्छी बोल लेती थीं, दरअसल प्रोफेसर से भी बेहतर। वे विराट ऊर्जा वाली चौड़े बदन की महिला थीं। वे इस महान व्यक्ति की पत्नी होने का सुख सहजता से भोग रही थीं, और इस तथ्य को छुपाने का उन्होंने कोई प्रयास नहीं किया। उनका उत्साह देखते ही बनता था।

लंच के बाद जिस वक्त मिस्टर लाएमेले स्टूडियो में चारों तरफ घुमा रहे थे तो मिसेज आंइस्टीन मुझे एक तरफ ले गयीं और फुसफुसा कर बोलीं,"आप प्रोफेसर को अपने घर पर आमंत्रित क्यों नहीं करते? मुझे पता है वे सिर्फ हम तीनें के बीच शांत बातचीत का खुब लुत्फ उठायेंगे।" जैसा कि मिसेज आइंस्टीन ने अनुरोध किया था, ये एक छोटी सी पार्टी होनी चाहिये, मैंने सिर्फ दो और दोस्तों को बुलवाया। डिनर के वक्त मिसेज आइंस्टीन ने मुझे उस सुबह का किस्सा बताया जब प्रोफेसर को सापेक्षता का सिद्धांत सूझा था।

"प्रोफेसर हमेशा की तरह अपने ड्रेसिंग गाउन में नीचे नाश्ते के लिए आये लेकिन शायद ही उन्होंने किसी चीज़ को छुआ हो। मुझे लगा कि कुछ न कुछ गड़बड़ है। इसलिए मैंने पूछा कि कौन सी बात आपको परेशान किये हुए है। 'डार्लिंग,' वे बोले,'मेरे दिमाग में एक शानदार विचार आया है।' अपनी कॉफी पी लेने के बाद वे पिआनो पर गये और बजाना शुरू कर दिया। बीच बीच में वे रुक जाते, कुछ देर तक कुछ नोट्स लेते और फिर से बजाने लगते। 'मेरे दिमाग में एक शानदार विचार आया है, अद्भुत विचार!'

मैंने कहा,'तो भगवान के नाम पर मुझे तो बताइये कि ये विचार है क्या, मुझे रहस्य में मत रखो!'

वे बोले,'बहुत मुश्किल है, मुझे अभी उस पर और काम करना है।'

मैडम ने मुझे बताया कि वे लगातार आधे घंटे तक पिआनो बजाते रहे और नोट्स लेते रहे। तब वे ऊपर अपनी स्टडी में चले गये, मुझसे कहा कि वे किसी भी किस्म का व्यवधान नहीं चाहते, वे ऊपर दो हफ्ते तक रहे और मैं उनका खाना ऊपर ही भेजती रही। बताया उन्होंने,'और कभी शाम के वक्त वे एक्सरसाइज करने के लिए थोड़ा सा टहल लेते और फिर से अपने काम पर वापिस चले जाते।

'आखिरकार,' मैडम ने बताया, 'वे अपनी स्टडी से नीचे आये। वे बहुत ही पीले नज़र आ रहे थे।' 'ये रहा,' उन्होंने थकान भरी आवाज में कहा और मेरे सामने मेज़ पर दो कागज़ रख दिये। और ये था सापेक्षता का सिद्धांत।'"

डॉक्टर रेनॉल्ड्स को मैंने उस शाम आमंत्रित किया था क्योंकि वे भौतिकी के थे। उन्होंने प्रोफेसर से डिनर के दौरान पूछा कि क्या उन्होंने डुने की एन एक्स्पेरिमेंट विद टाइम पढ़ी है।

प्रोफेसर ने सिर हिला दिया।

रेनाल्ड्स हवा बांधने लगे,"विस्तार, डाइमेन्शन के बारे में उनकी एक रोचक थ्योरी है। एक तरह की ... यहां पर वे हिचकिचाये, एक तरह के विस्तार का विस्तार!"

प्रोफेसर तुरंत मेरी तरफ मुड़े और शरारत पूर्ण तरीके से फुसफुसाये,"विस्तार का विस्तार, ये क्या होता है?"

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