नवलकथा के बारे में: दोस्तों, हमारे आसपास, जान-पहचान वाले या अनजाने लोग, पता नहीं कितने लोग इस देश में आत्महत्या कर रहे है। रोज हम अखबार में, टीवी में ऐसी कई घटनाओं के बारे में सुनते है। इस नवलकथा का उद्देश्य आत्महत्या जैसी घटनाएं रोकने के लिए है। इस नवलकथा में अलग-अलग Suicides की सच्ची घटनाएं, Suicide के पीछे की कहानी, वजह, और ऐसा ना करने की सलाह जैसे विषयों पर चर्चा करेंगे। उम्मीद है इस सीरीज़ को भी आप सभी पाठक मित्रों का प्यार मिलेगा। जिसमें हर एपिसोड में अलग-अलग और सच्ची कहानी होंगी, सिर्फ पात्र के नाम बदल दिए जाएंगे।
आभार: Matrubharti के सभी पाठक मित्रों एवं सभी दोस्त और परिवारजन को दिल से Thanks, आप लोगो के प्यार और आशीर्वाद के बदौलत ही मैं इन कहानियों को लिख पाया हूं।
Suicide Story 1: ज्योतिका
उम्मीद करता हूं आप लोगों ने ‘Real Incidents' novel की पहली कहानी ‘The Jacket’ जरूर पढ़ी होगी, जिसमें अश्विन दर्शिता को अपने जैकेट की स्टोरी बताता है और आखिर में ये कहता है कि उसकी दोस्त ज्योतिका ने Suicide किया था, अब आगे…
“Suicide, Why?” दर्शिता ने पूछा।
“माफ़ करना पर मैं वो प्रकरण याद नहीं करना चाहता।” अश्विन ने कहा।
“सॉरी यार। पर तूने इस बात का जिक्र किया तो पूछ लिया।”
इसके पश्चात दोनों अपने-अपने काम में लग गए। दर्शिता काम तो कर रही थी पर उसका मन यही सोच रहा था कि आखिर ऐसा क्या हुआ की ज्योतिका को आत्महत्या करनी पड़ी। लंच ब्रेक में वो वापस से अश्विन के पास गई और कहा, “सॉरी यार, मुझसे रहा नहीं जा रहा है, पर अगर तू कम्फ़र्टेबल ना हो तो तू मुझे शॉर्ट में भी बता सकता है।”
“किस बारे में?” अश्विन ने पूछा।
“ज्योतिका के बारे में, उसने आखिर ऐसा क्यों किया?” दर्शिता ने पूछा।
“ये तो मैं भी जानना चाहता हूं कि आखिर उसने ये रास्ता क्यों अपनाया? उसे तो ज़िंदगी से बहुत प्यार था। वो खुशमिजाज थी, हंमेशा लोगो से हँस के बातें करती थी। मेरा कितना भी मुड़ ऑफ क्यों ना हो, उसकी एक मुस्कान से मेरी सारी परेशानियों को मैं भूल जाता था।” अश्विन की आंख में ये बोलते हुए आंसू आ गए।
“हुआ क्या था बता पाएगा?” दर्शिता ने कहा। अश्विन ने उसे देखा और फिर उसने अपनी यादों को शब्दों में बयान करना शुरू किया।
12 साल पहले,
मैं कॉलेज के आखिरी साल में आ गया था। ज्योतिका ग्रैजुएट हो गई थी। हम दोनों अच्छे दोस्त थे, पर इतने भी अच्छे नहीं कि हमारी रोज़ बातें हो। वैसे भी लड़के और लड़की की दोस्ती को हमारा समाज किसी अलग ही नज़रिये से देखता है।
ज्योतिका पढ़ने में काफ़ी होशियार थी। वो यूनिवर्सिटी में रैंकर थी। उसके मां-बाप की वो इकलौती संतान थी। हर मां-बाप की तरह उसके मां-बाप की भी यही तमन्ना थी कि ज्योतिका पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करें। ग्रैजुएट होने के बाद उसके मां-बाप की इच्छा थी कि वो आगे और पढ़े पर अब ज्योतिका को आगे नहीं पढ़ना था। मां-बाप उसकी ज़िद के आगे झुक गए और उसे आगे पढ़ने के लिए फ़ोर्स नहीं किया। ज्योतिका उसी कॉलेज में लेब असिस्टेंट के तौर पर जॉब करने लगी। उसके साथ ग्रेजुएशन करने वाला कपिल भी उसके साथ लेब असिस्टेंट था।
मेरी और ज्योतिका की मुलाकात लेब में प्रेक्टिकल के दौरान होती थी, पर अब वो पहले जैसी नहीं रही थी। उसके चेहरे पर उदासी छाई रहती थी। उसे जब मैं बुलाता तो भी वो ध्यान नहीं देती थी। मेरे पास उस वक्त कोई फोन नहीं था, वरना उसको मैसेज कर के उससे उसके हालात जान लेता। एक दिन मैं कॉलेज के टॉयलेट में गया तो सामने ही लेडीज़ टॉयलेट में मैंने किसी के रोने की आवाज़ सुनी। मैं जानना चाहता था कि किसे क्या हुआ? पर मैं लेडीज़ टॉयलेट में नहीं जा सकता था। मैं बाहर ही इंतज़ार करने लगा। 10 मिनिट तक कोई बाहर नहीं आया, तो मैं अपने घर चला गया।
अगले दिन जब मैं कॉलेज में आया तो लोग आपस में ही खुसुर-फुसुर कर रहे थे। मुझे यह अंदेशा हो गया था कि कुछ तो गलत हुआ है। मैंने अपने दोस्तों से पूछा तो उन्होंने मुझे बताया कि ज्योतिका ने अपने घर के रूम में अपनी चुनरी से पंखे पर लटककर आत्महत्या कर ली थी। मुझे दो घड़ी इस बात का विश्वास ही नहीं हुआ। अभी कल ही तो उसे लेब में देखा था। जब मैंने उसकी ओर देखकर स्माइल की तो उसने भी स्माइल की थी। अचानक से ऐसा क्या हो गया की उसे ये कदम उठाना पड़ा।
इसका जवाब जिस किसी से मैंने जानने की कोशिश की सभी ने अलग-अलग वजह बताई। किसी ने कहा, वो डिप्रेशन में थी। किसी ने कहा, उसके मां-बाप उस पर पढ़ने का प्रेशर डाल रहे थे। किसी ने कहा, वो पढ़ना चाहती थी पर उसके मां-बाप उसे पैसा कमाने के लिए फ़ोर्स कर रहे थे। किसी ने कहा, उसके मां-बाप उसकी जबरन शादी करना चाहते थे। किसी ने कहा, उस पर भूत-प्रेत का साया था। किसी ने कहा, कॉलेज के किसी प्रोफेसर के साथ उसका चक्कर चल रहा था और वो गर्भवती थी। इन सब के बीच कई लोगों ने अपनी मनघडंत कहानी बनाई थी।
मुझे बाद में ये पता चला कि, अगले दिन वो ज्योतिका ही थी जो टॉयलेट में रो रही थी। उसके रोने की वजह भी टॉयलेट में थी। किसी ने ज्योतिका और उसके साथ काम कर रहे लेब असिस्टेंट कपिल के बारे में बहुत ही अश्लील बातें टॉयलेट के दीवारों पर लिखी थी, ऐसी बातें जो मैं बता भी नहीं पाऊंगा। वो बातें जब कॉलेज के मैनेजमेंट के ध्यान में आई तब उन्होंने उस दीवार पर रंग पोत दिया, और कैसे भी कर के कॉलेज का नाम बदनाम ना हो बस यही ध्यान दिया गया।
वर्तमान में,
“तो आखिर सच्चाई क्या थी? ज्योतिका ने अपनी जान क्यों ली?” दर्शिता ने पूछा।
“मैं इस बात से मायुष हो गया था, मैंने सच्चाई जानने की जगह अपने आपको संभालना बेहतर समझा। दूसरे दिन अखबार में खबर आई कि ज्योतिका के मां-बाप ने उसे कॉलेज में पढ़ाने के लिए मना कर दिया था इसलिए उसने आत्महत्या कर ली। अखबार में चाहे जो भी हो पर इतनी छोटी वजह से कोई अपनी जान नहीं लेता इतना तो हर कोई जानता है। ये तय कर पाना मुश्किल था कि उसकी आत्महत्या की वजह क्या थी क्योंकि उसने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा था।” अश्विन ने कहा।
“तो वजह क्या थी?” दर्शिता से अब रहा नहीं जा रहा था।
“मैं कुछ दिनों बाद कपिल से मिला, उसने अपनी नौकरी छोड़ दी थी। जब मैंने उससे पूछा तब उसने मुझे बताया,
'मैं और ज्योतिका एक साथ ही कॉलेज में पढ़ते थे। हम दोनों बहुत ही अच्छे दोस्त थे। हमारे बारे में लोगो को यह गलतफ़हमी हो गई थी कि हम दोनों रिलेशनशिप में है, जब कि हम दोनों अच्छे दोस्त ही थे। इन अफवाहों के चलते हम दोनों के बीच झगड़े भी बढ़ गए थे। कभी मैं उससे दूर हो जाता था, कभी वो मुझसे दूर हो जाती थी। पर ऐसा करने पर भी हम दोनों की अफवाहें फैलनी बंध नहीं हुई। हम दोनों ने निश्चय किया कि ऐसी अफवाहों पर हमारी ज़िंदगी और दोस्ती पर कोई असर ना पड़े। हमारी दोस्ती इतनी गहरी थी कि हम दोनों ने जॉब भी साथ ही करनी सही समझी, पर इसका अंजाम मुझे नहीं मालूम था कि ये होगा। किसी ने शायद हम दोनों के बारे में ज्योतिका के मम्मी पापा को बढ़ा चढ़ा कर बता दिया। उसके मां-बाप चाहते थे कि वो आगे पढ़ें, अच्छी जॉब करें, शादी कर के सेटल हो जाए पर ज्योतिका को ये सब नहीं चाहिए था। उसे आज़ादी पसंद थी। उसे आगे नहीं पढ़ना था, जिससे वो अपने पापा के पैसे बचा पाए। वो काम कर के अपने मम्मी पापा के सर से सारे बोझ हटा देना चाहती थी। वो दुनिया घूमना चाहती थी। हम दोनों के बारे में फैली अफवाह इस हद तक पहुँच गई कि उसके मम्मी पापा ने उसे जॉब छोड़ने और शादी करने के लिए फोर्स किया। उसके फैमिली मैटर में मैं कुछ नहीं बोल सकता था, वैसे भी मैं उसके मां-बाप की नज़र में गिर ही चुका था। उसके आखिरी दिनों में उसके मां-बाप ने, मैंने या किसी और ने उसका साथ नहीं दिया। उसका कॉलेज में आना भी दुश्वार हो गया था। रोज़ की ज़िल्लत भरी जिंदगी जीने से अच्छा उसको मौत प्यारी लगी।'
कपिल ने तो अपने आप को संभाल लिया, पर मैं बहुत ही सेन्सिटिव हूं। मैंने उस दोस्त को खो दिया था जिसने मुझे अपनी झिझक दूर करना सिखाया था। जिसने मुझे दोस्ती के सही मायने सिखाये थे। वो दोस्त मुझे अभी तक याद आती है।” अश्विन ने अपनी बात अपने आंखों से आंसू छिपाते हुए कही। दर्शिता अब भी सोच रही थी, उसके मन में जो सवाल थे वो सवाल सभी के मन में होंगे।
गलती किसकी?
1- उसके सबसे अच्छे दोस्त कपिल की? जिसने ज्योतिका को अपने बंधन से मुक्त नहीं किया और अपने साथ ही जॉब करने को मना लिया। ज्योतिका के आखिरी वक्त में उसका साथ देने के बजाय उसने उसका साथ छोड़ दिया।
2- उसके मां-बाप की? जो झूठी अफवाहों से प्रभावित हो गए और अपनी इकलौती बेटी को समझ नहीं पाए।
3- अश्विन की? जो टॉयलेट के बाहर या लैब में उसकी खबर ना पूछ पाया।
4- ज्योतिका खुद? जिसने हालात से लड़ने के बजाय मौत को चुना।
5- कपिल और ज्योतिका के बारे में अफ़वाह फैलाने वाले लोग?
6- कपिल और ज्योतिका के बारे में ज्योतिका के मां-बाप को कहने वाला?
7- ये समाज? जो अब भी लड़के और लड़की की दोस्ती को हजम नहीं कर पाता।
इन सभी सवालों के जवाब आप खुद भी सोच सकते है। हो सकता है ये सभी लोग गलत हो या सभी सही हो। आपकी क्या सोच है? ये आप सभी मुझे अवश्य बताए।
मेरा मानना है कि हर चीज़ का सॉल्यूशन होता है, हम सभी लोग बुरे हालातों से गुजरते है। किसी भी समस्या का समाधान आत्महत्या बिल्कुल नहीं है। उम्मीद करता हूं आप सभी इस बात पर सहमत होंगे कि आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं है। आप क्या सोचते है ज्योतिका की जगह आप होते तो इस समस्या को कैसे सुलझाते? ये आप सभी मुझे अवश्य बताए।
Suicide Story 1 समाप्त 🙏
सच्ची घटना पर आधारित।
✍️ Anil Patel (Bunny)