मोबाइल में गाँव - 12 - डैम की सैर Sudha Adesh द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मोबाइल में गाँव - 12 - डैम की सैर

डैम की सैर -12
‘ बहू अब खाना लगा दो । सब थक गये होंगे ।’

‘ हाँ भाभी, खाना लगा दो । जब यहाँ आये हैं तो बच्चों को नरोरा डैम भी दिखा दें ।’ चाचा जी ने कहा ।

‘ नरोरा डैम...।’ सुनयना और रोहन ने एक साथ पूछा ।

‘ हाँ बेटा, अब हम नरोरा डैम देखने चलेंगे ।’

ममा और चाची खाना लगाने लगीं । जल्दी-जल्दी खाना खाकर हमने सामान पैक करके गाड़ी में रखा तथा चल दिये । नरोरा डेम के पुल के पास पहुँचकर चाचाजी ने कहा ‘ यह पुल 1962 से 1967 के बीच में बनाया गया है । इसकी विशेषता यह है कि इसमें मछलियों के आने जाने के लिये भी रास्ता बनाया गया है ।'

‘ मछलियों के लिये रास्ता...पर कहाँ है रास्ता ?’ सुनयना और रोहन ने कहा ।

‘ बेटा, यह जगह है ।’ चाचाजी ने एक स्थान की ओर इशारा करते हुये कहा ।

सुनयना और रोहन थोड़ी देर उस स्थान को देखते रहे तथा फिर सुनयना ने कहा, ‘ ‘ चाचाजी, यहाँ तो कोई मछली नहीं दिखाई दे रही है ।’

‘ बेटी, इस समय मछली कम रहतीं हैं, बरसात में ज्यादा आतीं हैं ।’ पास खड़े एक आदमी ने कहा ।

‘ चाचाजी डैम कहाँ है ?’ सुनयना ने इधर-उधर देखते हुये पूछा ।

‘ बेटा, यही डैम है । देखो उस तरफ पानी इकट्ठा है जबकि दूसरी तरफ बहुत कम है ।’

‘ चाचाजी, नदी पर डैम क्यों बनाया जाता है ?’ सुनयना ने पूछा ।

‘ बेटा, डैम के द्वारा नदी के पानी को रोककर, आसपास के गाँवों में भेजा जाता है जिससे किसान अपनी फसलों की सिंचाई कर सकें । सिंचाई के साथ शहरों और गाँवों में पीने के लिये इस पानी का उपयोग करने के अलावा इस पानी से बिजली भी बनाई जाती है । इसके लिये यहाँ पर एटामिक पावर स्टेशन हैं जिसमें बिजली बनाकर बिजली उद्योगों और आस-पास की जगहों को दी जाती है ।’

‘ यह उसी तरह का है जैसा कि कासिमपुर पावर स्टेशन है ।’

‘ हाँ बेटा, कासिमपुर में थर्मल पावर स्टेशन है जबकि यहाँ एटोमिक पावर स्टेशन हैं ।’

‘ चाचाजी थर्मल और एटोमिक पावर स्टेशन में क्या अंतर है ?’

‘ बेटा थर्मल पावर स्टेशन में कोयला, गैस से पानी गर्म करके गर्मी पैदा करते हैं जबकि एटोमिक पावर प्लांट में यूरेनीयम एटम को तोड़कर उससे गर्मी पैदा की जाती है । जैसा मैंने तुम्हे पहले बताया था कि इस तरह पैदा हुई हीट गर्मी से पानी को गर्म कर भाप पैदा कर टरबाइन...चेम्बर में भेजा जाता है । जिसके कारण टरबाइन तेजी से घूमता है तथा अपने साथ लगे इलेक्ट्रिकल जनरेटर / आलटेरनेटर को घुमाता है जिससे बिजली पैदा होती है । इस तरह से पैदा हुई बिजली को जगह-जगह भेजा जाता है । ‘
‘ ओ.के. चाचाजी । यह डैम तो बहुत लंबा है ।’ सुनयना ने कुछ समझते कुछ न समझते हुए कहा ।

‘ हाँ बेटा, इसकी लंबाई 922. 0 मीटर है ।’

पुल के प्रवेश द्वार पर चौधरी चरण सिंह बैराज, नरोरा लिखा हुआ था ।

' चाचा जी, यहाँ चौधरी चरण सिंह बैराज लिखा है । चौधरी चरण सिंह कौन थे ।'

' चौधरी चरण सिंह हमारे देश के प्रधानमंत्री थे । उन्हीं के नाम पर इस पल का नाम रखा गया है ।'

' ओ.के.चाचा जी ।'

उस स्थान पर ग्रुप फोटो खिंचवाने के पश्चात् पुल पर बने रास्ते पर घूमते हुये उन्होंने कई फोटो खींचीं । शाम हो गई थी अतः लौटना था जबकि दृश्य इतना सुंदर था कि उनका घर लौटने का बिल्कुल मन ही नहीं था । एक रेस्टोरेंट में खाने के पश्चात् उस दिन घर लौटने में रात के दस बज गये थे ।

उनके घर पहुँचते ही भुलई ने गेट खोला, समान उतारते हुए उसने कहा, ‘ मास्टरजी आप सबन को बुलावे आए रहें, कहे रहें कि कल दोपहर में उनके घरे दावत है । आप सबन को जरूर आना है । ‘

‘ कल उनका पोता ग्यारह दिन का हो जाएगा...नामकरण के पश्चात दावत भी दे रहे होंगे । ‘ दादीजी ने कहा ।

‘ दावत...पोता...। ‘ सुनयना ने आश्चर्य से पूछा ।

‘ बेटा, मास्टरजी के बेटे को लड़का हुआ है, इस खुशी में वह दावत अर्थात पार्टी दे रहे हैं । ‘

‘ क्या मैं पार्टी में चल सकती हूँ ? मुझे भी छोटा बच्चा देखना है । ‘

‘ अवश्य बेटा ।‘ दादीजी ने कहा ।

‘ थैंक यू दादीजी । ‘ सुनयना ने खुशी से कहा ।

सुधा आदेश

क्रमशः