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खूबसूरत बला

खूबसूरत बला

यह कहानी है अमित नाम के एक लड़के की। अमित एक दिन एक लड़की का पीछा करते हुए उसके घर तक गया और उसके घर का पता लगाया। दूसरे दिन शाम को जब वो लड़की अपने घर लौट रही थी तब अमित ने उससे पूछा आप यह पता बता सकती हो? लड़की पता देखते ही बोली यह तो मेरे ही घर का पता है। अमित बोला अच्छा हुआ आप यहाँ मिल गई यह लिफ़ाफ़ा रख लीजिये और साइन कर दीजिये। लड़की का नाम सुलोचना था। सुलोचना भी लिफाफा लेकर अपने घर चली गई। कुछ देर बाद उसने वो लिफाफा देखा।

लिफ़ाफ़े में ऊपर लिखा था प्रिय मित्र, में एक मुसीबत में फस गया हूँ और आप मेरी मदद कर सकती हो इसलिए यह सब आपको लिख रहा हूँ। मेरा नाम अमित है और आपको मेरी मदद करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं करना है। तुम्हें पांच दिन जिस रंग का ड्रेस कहूँगा वो पहनना है बस और कुछ नहीं करना है। इसमें तुम्हारी कोई बदनामी नहीं होगी, तुमसे कोई कुछ पूछेगा नहीं, तुम्हें किसी से कोई बात भी नहीं करनी है और इसमें तुम्हारा कोई खर्च भी नहीं होगा।

अब तुम सोच रही होगी ऐसी तो क्या मुसीबत होगी जो मेरे अलग अलग रंग के कपड़ों से इसकी मुसीबत दूर हो जाएगी। सच बात तो यह है की मेने खुद ही मुसीबत को न्यौता दे दिया है। में काव्या नाम की लड़की से प्यार करता था पर उसे कभी बताने की हिम्मत नहीं हुई। एक दिन उसकी सहेली(हेमा) से बात की, उसने कहा में काव्या को दोपहर में अपने घर बुला लेती हूँ तब तुम भी आ जाना और अपने प्यार का इजहार कर देना। में कुछ कहूं उसके पहले ही हेमा बोली अरे डरो मत दोपहर में मेरे घर कोई नहीं रहता है।

दूसरे दिन में पहले ही पहुंच गया था थोड़ी देर बाद काव्या भी आई। काव्या मुझे देखकर बोली तुम यहाँ क्या कर रहे हो। इतने में हेमा बोली अरे मेरे भाई को इससे कुछ काम है तो यहाँ बुलाया है। हेमा कुछ बहाने से घर के बहार गई और फिर मेने मौका देखते ही अपने बैग से एक ग्रीटिंग कार्ड और एक गुलाब का फूल निकाल कर काव्या के सामने घुटनो पर बैठ कर बोला क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनना पसंद करोगी। काव्या को इस बात का गुस्सा आया और वो हेमा को आवाज़ देते हुए बहार गई। हेमा भी बहार से तुरंत अंदर आई बोली क्या हुआ। काव्या बोली तुम भी इसके साथ मिली हुई हो ना? यही सब करना था तो पहले क्यों नहीं बताया, तुम मेरी सहेली हो या इसकी? हेमा के पास कोई जवाब नहीं था तो फिर में ही बोला देखो इसमें हेमा की कोई गलती नहीं है यह सब मेरा प्लान था। काव्या बोली तुम तो चुप ही रहो कुछ बोलो ही मत। मुझे थोड़ा बुरा लगा तो मेने कहा देखो अगर जवाब ना है तो ना बोलो इतना हंगामा करने की क्या जरुरत है।

काव्या बोली तुझे में तो क्या मेरी जूती भी हाँ न बोले। इस बात पर मेने भी उसे कह दिया १ महीने में तुमसे भी सुन्दर गर्लफ्रेंड नहीं बनायीं तो देख लेना। अरे में भी किस लड़की से हाँ की उम्मीद कर रहा था जिसे ढंग से ना बोलना भी नहीं आता इतना बोलकर में वहां से चला गया।

अगर तुम मेरी मदद के लिए तैयार हो तो में हेमा से कहूंगा की मुझे काव्या से भी सुन्दर गर्लफ्रेंड मिल गई है। हेमा से कहूँगा क्योंकि काव्या से में बात नहीं करता। जब दोनों तुम्हें देखना चाहेंगे तो तुम्हें में दूर से उन्हें दिखा दूँगा। अगर वो बोलेगी की हम कैसे यकीन कर ले की वो तुम्हारी गर्लफ़्रेंड है, तब में कहूँगा की देखना अगले सप्ताह जो रंग बोलूंगा उसी रंग का उसका ड्रेस होगा। हो सकता है वो सिर्फ १-२ दिन ही देखने आए। तुम मदद करने को तैयार हो तो कल केसरी रंग का ड्रेस पहनकर आना। तो फिर में हेमा से भी कल ही बात कर लूँगा। और हाँ अगर उन दोनों में से तुमसे आकर कोई भी पूछे की तुम अमित को जानती हो या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है तो मना कर देना। जब वो मुझसे पूछेंगे तो में उनसे कह दूँगा कोई भी लड़की अपने प्यार का ढिंढोरा नहीं पीटती और ऐरो गैरो को तो बिलकुल भी नहीं बताती। पांच दिन के रंग याद कर लो कही कोई गड़बड़ ना हो जाए (सोमवार-सफ़ेद, मंगलवार-हरा, बुधवार-नीला, गुरुवार-पीला और शुक्रवार को गुलाबी रंग) और तुम्हारे पास पांचो रंगो के ड्रेस है। माफ़ करना तुम्हारे ड्रेस की जानकारी रखने के लिए।और हाँ में तुम्हें कुछ दिनों बाद बस स्टॉप पर ही एक और लिफ़ागा दूँगा जिस पर प्रिय मित्र लिखा होगा वो तुम रख लेना उसमे में बताऊंगा की आगे क्या हुआ।

सुलोचना ने बहोत सोचा की इसमें मेरा तो कोई नुकसान है नहीं। मुझे कुछ नया करना है नहीं सिर्फ ५ दिन की तो बात है। वह दूसरे दिन केसरी रंग का ड्रेस पहनकर बस स्टॉप पर आयी। आज सुलोचना थोड़ा मुस्कुरा रही थी क्योंकि उसे पता था की अमित उसे छुपकर कही से देख रहा होगा।

सुलोचना ने जैसे अमित ने कहा था वैसे ही रंगों के ड्रेस पहने और उसके कुछ दिन बाद अमित ने एक लिफाफा एक बच्चे को दिया और कहा उस लड़की का लिफाफा है गिर गया था उसे दे दो। सुलोचना ने प्रिय मित्र लिखा हुआ देखा तो तुरंत लिफाफा ले लिया। सुलोचना को अब लिफाफा पढ़ने की उत्सुकता थी की क्या हुआ होगा आगे। शाम को घर पहुँचते ही उसने पत्र पढ़ना शुरू किया।

पत्र में लिखा था प्रिय मित्र आपका बहोत बहोत शुक्रिया।अब आगे की बात सुनो जब मेने तुम्हें केसरी रंग के ड्रेस में देखा तब में बहोत खुश हो गया था की चलो अब काव्या को सबक सिखाने का मौका मिल गया। मेने तुरंत हेमा को बताया उसने कहा में काव्या को बताउंगी पता नहीं उसे इन सब बातों में कोई दिलचस्पी है या नहीं। मेने भी कह दिया दिलचस्पी हो ना हो पर एक बार देख जरुर ले ताकि उसे भी पता चले की उस से भी खूबसूरत लड़कियाँ इस दुनिया में है। शुक्रवार को दोनों भी बस स्टॉप से थोड़ी दूर खड़े रहकर तुम्हारा इंतजार कर रही थी। फिर जब मेने उन्हें कहा की वो देखो वो लड़की है तो उन्होंने पहले तो माना ही नहीं की हम कैसे यकीन माने ऐसे तो तुम किसी भी लड़की को अपनी गर्लफ़्रेंड बताओगे। मेने कहा मुझे पता था तुम यकीन नहीं करोगी। सोमवार को दोनों यहीं आकर देखना उसने सफ़ेद रंग का ड्रेस पहना होगा। और सोमवार को शाम को बताऊंगा की मंगलवार कोनसा रंग होगा।

इसमें कोई शक मत करना की मेरा कोई दोस्त उसके घर के पास खड़ा रहता है और सुबह जब घर से बहार निकलती है तो मुझे फ़ोन करके ड्रेस का रंग पता चल जाता है, में तुम्हें एक दिन पहले उसके ड्रेस का रंग बता रहा हूँ। दो दिन काव्या आई और तीसरे दिन सिर्फ हेमा आयी थी देखने के लिए।

फिर से एक बार तुम्हारा शुक्रिया। तुम्हारी मदद से ही में यह सब कुछ कर पाया।अगर तुम्हें इन दिनों में कोई तकलीफ़ हुई हो या काव्या या हेमा ने तुमसे कोई बात कही हो तो तुम मुझे बता सकती हो। में अपना मोबाइल नंबर भी लिख रहा हूँ कोई भी बात करनी हो तुम मुझे बता सकती हो।

अमित को सुलोचना के फ़ोन का इंतजार था, पर २-४ दिन तक कोई फ़ोन आया नहीं, अमित समझ गया की कोई बात नहीं होगी इसलिए सुलोचना ने कॉल नहीं किया। एक दिन अचानक से अमित के नंबर पर मेसेज आया जिसमे सिर्फ सॉरी लिखा था। अमित ने जवाब दिया तुम कौन हो? और सॉरी किस बात के लिए? सामने से जवाब आया इतने जल्दी भूल गए? कुछ दिन पहले मेने तुम्हारा दिल दुखाया था। अमित ने कहा तुम जो कोई भी हो साफ़ साफ़ अपना नाम बताओ। सामने से जवाब आया में वही हूँ जिसने कुछ दिन पहले तुम्हें प्यार का इजहार करने पर थप्पड़ मारा था, याद आया कुछ? अमित के पसीने छूटने लगे क्योंकि ऐसी कोई बात हुई ही नहीं थी यह सब मनगढ़ंत कहानी बनाकर उसने सुलोचना को बताई थी, जिससे वह सुलोचना से दोस्ती कर सके।

रात भर अमित सो नहीं पाया की यह मेसेज किसने भेजा होगा? सुलोचना ने? नहीं यह मेसेज किसी और ने भेजा है कल ही जाकर सुलोचना से बात करता हूँ। दूसरे ही दिन अमित बस स्टॉप पर पहुंचा और बोला मुझे तुमसे कुछ जरुरी बात करनी है। सुलोचना बोली हाँ बोलो,अमित बोला यहाँ नहीं तुम बाइक पर बैठो में तुम्हें तुम्हारे ऑफिस छोड़ देता हूँ वहीँ बात करते है। सुलोचना उसके बाइक पर बैठी और ऑफिस के पास पहुंचकर बोली बोलो क्या बात है इतने परेशान क्यों हो?

अमित ने अपना मोबाइल दिखाकर पूछा ये मेसेज किसने किए है? सुलोचना बोली अरे यह तो काव्या ने मेसेज किए होंगे? अमित बोला नहीं काव्या ने नहीं किए होंगे में उसे अच्छी तरह से जानता हूँ। सुलोचना बोली तो फिर उसकी सहेली हेमा ने किए होंगे। अमित बोला नहीं उसने भी नहीं भेजे है। अमित बोला एक बात बताओ जो पत्र मेने तुम्हें दिए थे वो कहाँ है। सुलोचना बोली मेने उसका फोटो निकालने के बाद जलाकर फेक दिए। अमित बोला तो फिर तुम्हारे मोबाइल से किसीने वह पत्र पढ़े होंगे। सुलोचना बोली शायद हो सकता है। अमित बोला शायद नहीं पक्का ये मेसेज तुम्हारी ही किसी सहेली ने किए है। क्योंकि ये बात हम दोनों के सिवाय और कोई नहीं जानता है। सुलोचना बोली ठीक है में पता करती हूँ और तुम्हें बताती हूँ। अमित बोला ठीक है पर तुम मुझे अपना मोबाइल नंबर तो देती जाओ कोई बात करनी हो तो कैसे करुंगा। सुलोचना ने अपना नंबर दिया और फिर अमित ने नाम पूछा, सुलोचना बोली तुम ही तो कहते हो में बहोत खूबसूरत हूँ। अमित ने फिर नंबर खूबसूरत नाम से ही सेव कर लिया। २ दिन बाद सुलोचना ने कॉल करके बताया की यह सब मेरी ही एक सहेली ने किया था उसने मेरे मोबाइल में तुम्हारे पत्र पढ़ लिए थे और थोड़ा मजाक करने के इरादे से सब किया। मुझे माफ़ करना मेरी वजह से सब हुआ मेने उसे बहोत डांटा है, अगली बार मेरा तो क्या किसी का भी मोबाइल नहीं देखेगी। यह सब सुनकर अमित को थोड़ा सुकून मिला क्योंकि वो हैरान था की उसने बनायीं हुई मनगढ़त कहानी अचानक सच कैसे हो गई।

फिर शाम को सुलोचना की सहेली ने फिर से सॉरी का मेसेज किया और बोली में सुलोचना की सहेली हूँ, अमित मन में ही बोला अच्छा तो उसका नाम सुलोचना है, फिर आगे सहेली बोली मेरी वजह से तुम्हें परेशानी हुई हो तो मुझे माफ़ कर देना। अमित बोला जी नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, अचानक से कोई अपनी व्यक्तिगत बात जान ले तो थोड़ी परेशानी होती है ना, बस इसीलिए सुलोचना से पता करने को कहा था। और तुम मुझे बार बार सॉरी मत कहो जो हो गया सो हो गया। सहेली बोली एक बात बताओ तुम्हारा और सुलोचना का कोई चक्कर चल रहा है क्या? अमित बोला नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, पर तुम ऐसे क्यों पूछ रही हो? नहीं जब उसे पता चला की मेने मेसेज किये थे तो बहोत गुस्से में बात कर रही थी। जैसे उसका कोई राज खुल गया हो। नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है वो तो में एक परेशानी में फसा था और उसने मेरी मदद की बस और कुछ नहीं। और कोई भी किसीकी व्यक्तिगत बात का गलत इस्तेमाल करे तो किसी को भी गुस्सा आ सकता है। सहेली बोली तुमने मुझे माफ़ किया इसलिए शुक्रिया बाद में बात करती हूँ मुझे कुछ और काम है।

दूसरे दिन सुलोचना ने अमित से पूछा फिर उस बला का कोई मेसेज आया था? अमित बोला बला? सुलोचना बोली अरे वो मेरी सहेली वो किसी बला से कम नहीं है। अमित बोला हाँ एक सॉरी का मेसेज किया था और उसे अपनी गलती का एहसास हो गया है। सुलोचना बोली तुम उस बला से दूर ही रहना, खुद तो फसेंगी किसी दिन तुम्हें भी फसा देगी। शाम को फिर बला का मेसेज आया कैसे हो?अमित बोला सब ठीक है। बला बोली मुझे भी यह जानना था की काव्या का क्या हुआ फिर? अमित बोला कुछ नहीं उसे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा पर में खुश हूँ की अपना वादा पूरा किया। काव्या और सुलोचना दोनों से अब दूर हो, तो कोई और एक नई गर्लफ्रेंड बनाने का कोई विचार है? अमित बोला अब क्या बताऊ में कुछ समज नहीं आ रहा है। बला बोली क्यों सुलोचना से प्यार तो नहीं हो गया है? अमित बोला नहीं हम दोनों तो अच्छे दोस्त है। बला बोली अगर मुझसे प्यार का कोई इरादा हो तो बताओ मुझे। अमित को कुछ समज नहीं आ रहा था क्या जवाब दे। फिर बला ही बोली जानती हूँ, मेरी तस्वीर अब तक देखी नहीं तो हाँ कैसे बोलोगे। अमित तुरंत बोला नहीं ऐसी बात नहीं है। बला बोली रहने दो में सब समझती हूँ। में रात ९ बजे तुम्हें अपना फोटो भेज दूंगी कल तक सोचकर अपना जवाब बता देना। अमित के तो पैर जमीन पर रुक नहीं रहे थे, कल तक एक भी गर्लफ़्रेंड नहीं थी और अब सामने से लड़की पूछ रही है।

अमित को अब रात ९ बजे का इंतजार था। ९ के जगह १० बजे फोटो आया। लड़की बहोत खूबसूरत थी और यह देखकर अमित के ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने दूसरे दिन तक का इंतजार किये बिना रात में ही जवाब में हाँ बोल दिया। सुबह होते ही उसने सोचा एकबार सुलोचना से भी बात कर लेता हूँ, अगर वो मना कर देती है तो फिर में और बला आराम से प्यार मोहब्बत कर सकेंगे। सुलोचना से उसने कहा देखो मेरे घर वाले अब मेरी शादी की बात कर रहे है, अगर तुम मुझ से प्यार करती हो या इन दिनों में मुझसे प्यार हो गया है तो बता दो। सुलोचना ने कहा में सोचकर बताऊंगी मुझे थोड़ा समय दो। अमित बोला कल शाम को में इसी जगह तुम्हारा इंतजार करूँगा अगर तुम आई तो में समझूंगा तुम्हारा जवाब हाँ है। दूसरे दिन सुलोचना को उसी जगह देखकर अमित खुश हुआ और फिर थोड़ा चिंतित भी क्योंकि सुलोचना और बला दोनों लड़की उसके जीवन में एक साथ आयी है।

सुलोचना ने कहा देखो हम दोनों शादी में कोई जल्दी नहीं करेंगे। मेरी बड़ी बहन की शादी हो जाएगी उसके बाद ही मेरी शादी होगी। अमित बोला कोई बात नहीं में अपने घरवालों को समझा दूँगा। सुलोचना बोली देखो में तुमसे रोज रोज नहीं मिल सकती किसीने देख लिया तो मेरे घर में बवाल हो जायेगा और मेरी बहन की शादी पर भी इसका असर होगा, जिस दिन मिलना है उस दिन में तुम्हें सुबह ही मेसेज कर दूंगी। अमित मन में ही बोला यह तो और भी अच्छी बात है, बाकी के दिन बला के साथ घूम फिर लूँगा।

शाम में अमित बहोत खुश था चलो अब बला से इश्क़ भी हो जायेगा और सुलोचना से शादी भी हो जाएगी। बला का मेसेज आया, शुक्रिया तुमने मुझे अपने प्यार के काबिल समजा। अमित बोला क्यों मजाक करती हो। बला बोली अच्छा तुम मुझसे मिलना चाहोगे, अमित बोला हाँ क्यों नहीं कब मिलना है बोलो? बला बोली कल तो में छुट्टी पर हूँ परसो शाम ७ बजे मिलते है, मेरे ऑफिस से थोड़े दूर एक पार्क और कैंटीन दोनों है वहीँ मिलते है। अमित बोला हाँ ठीक है परसो मिलते है। परसो सुबह होते ही सुलोचना का मेसेज आया

आज शाम ७ बजे मिलते है, मेसेज पढ़ते ही उसे याद आया आज शाम को तो बला को भी मिलना है। अमित सोच में पड़ गया किसे मना करु, बला से पहली मुलाकात है और सुलोचना को मना करुंगा तो वह बुरा मान जाएगी। आखिर उसने सोचा बला को ही कुछ झूठा कारण बता दूँगा। सुलोचना को मिलते ही उसने अपना मोबाइल बंद कर दिया ताकि बला का कोई कॉल या मेसेज ना आ सके। अमित ने रात में १ बजे फ़ोन चालू किया तब बला के ६५ मेसेज थे और ११ कॉल , अमित की हिम्मत नहीं हो रही थी बला से बात करने की। उसने दूसरे दिन बला को मेसेज किया मुझे माफ़ कर देना कल मेरा भाई, पिताजी को हॉस्पिटल लेके जानेवाला था पर उसे कुछ काम आया तो मुझे ले जाना पड़ा और मेरे मोबाइल की बैटरी भी कम हो गई थी तो मेने मोबाइल बंद कर दिया था इसलिए तुमसे कोई बात नहीं कर पाया। बला ने रिप्लाई दिया कोई बात नहीं फिर कभी मिलेंगे। अमित बोला कल शाम ७ बजे पक्का मिलते है, बला ने कहा ठीक है। अमित ने सुलोचना को पहले ही कह दिया की कल मुझे पिताजी को हॉस्पिटल ले जाना है तो कल नहीं मिल सकते, सुलोचना बोली कोई बात नहीं। दूसरे दिन अमित बन ठन के बला से मिलने निकला पार्क तक पहुंचा और फिर उलटे पैर दौड़ा क्योंकि पार्क के सामने बस स्टॉप पर सुलोचना खड़ी थी। ७ बजते ही बला के मेसेज शुरु हो गए, अमित ने पहले कोई जवाब नहीं दिया फिर कहा ट्रैफिक बहोत है तो थोड़ी देर होगी, ७.३० बजे तक सुलोचना वहीं खड़ी थी और उसके बाद एक बस में चली गई। सुलोचना के जाते ही अमित ने बला को कॉल किया बला ने उठाया नहीं। अमित ने फिर मेसेज किया, बला बोली में काफी देर इंतजार कर रही थी पर तुम आये नहीं तो में अब निकल गई हूँ। अमित ने फिर माफ़ी मांगी और बला ने माफ़ भी कर दिया।

बला ने कहा तुम्हें आख़िरी मौका देती हूँ अब अगर तुम नहीं मिल पाए तो मुझे भूल जाना। आज १० तारीख है हम १५ तारीख को शाम ६ बजे मिलेंगे, इन ५ दिनों में तुम अपना सारा काम निपटा लो और समय पर पहुँच जाना, अमित ने कहा हाँ हाँ पहुँच जाऊँगा और इस बार तुम्हें शिकायत का कोई मौका नहीं दूँगा। ३ दिन बाद उसने सुलोचना से १४ तारीख को मिलने को कहा ताकि फिर दूसरे दिन सुलोचना मिलने नहीं आएगी और १५ तारीख को बला से फ़ुरसत में मुलाकात हो।

१५ तारीख को फिर अमित बन ठन के पार्क पहुंचा, उसने देखा आजु बाजु कही सुलोचना तो नहीं है ना क्योंकि उसकी ऑफिस का रास्ता भी वहीँ से था। पार्क में बैठते ही उसने बला को मेसेज कर दिया में पहुँच गया हूँ, तुम भी जल्दी आ जाओ, बला का जवाब आया हाँ में भी आ रही हूँ पर शायद २०-२५ मिनिट देर होगी। अमित बोला कोई बात नहीं में इंतजार करता हूँ। १५ मिनिट बाद अचानक से सुलोचना को अपने तरफ आते हुए देखा तो अमित के होश उड़ गए, उसकी जबान लड़खड़ाने लगी। सुलोचना ने पूछा अरे तुम यहाँ?, अमित बोला हाँ वो मेरा एक दोस्त आ रहा है उसका ही इंतजार कर रहा हूँ, तुम यहाँ क्या कर रही हो? सुलोचना बोली में तो घर जा रही थी पर बहोत भूख लगी थी तो सोचा कुछ खा कर जाऊ।

सुलोचना बार बार कोई न कोई सवाल पूछ रही थी पर अमित ठीक से जवाब नहीं दे पा रहा था और उसका ध्यान सिर्फ और सिर्फ मोबाइल में था, यह देखकर सुलोचना बोली दोस्त आनेवाला है या आनेवाली है? अमित बोला तुम ऐसा क्यों पूछ हो ? सुलोचना बोली इतना सज धज के जो आए हो जैसे किसी से पहली मुलाकात हो। अमित बोला नहीं वो मेरे दोस्त की बहन की सगाई है तो हम दोनों वहीँ जानेवाले है इसलिए थोड़ा तैयार हो कर आया हूँ। सुलोचना ने कहा देखो अमित अगर तुम्हारे जिंदगी में कोई और लड़की है तो साफ़ साफ़ बता दो नहीं तो आगे चलकर हम दोनों को तकलीफ़ होगी। अमित बोला नहीं नहीं तुम ये क्या बोल रही हो, में तो तुमसे शादी करने का वादा भी कर चूका हूँ। अचानक बला का मेसेज आया तुम सुलोचना के साथ क्या कर रहे हो? अमित तुरंत आजु बाजु बला को देखने लगा, बला दिख नहीं रही थी। अमित ने मेसेज किया तुम हो कहाँ दिखाई नहीं दे रही हो। जवाब आया तुम्हारे सामने टेबल पर ही तो बैठी हूँ। अमित यहाँ वहां देख रहा था, सुलोचना बोली क्या लिखा है मेसेज में? अमित बोला कुछ नहीं दोस्त यहीं आस पास है लेकिन सामने नहीं आ रहा है, शायद मज़ाक-मस्ती कर रहा है।सुलोचना बोली ठीक है तुम करो मजाक मस्ती मुझे जाना है में अब निकल रही हूँ। सुलोचना के जाते ही अमित ने चैन की सांस ली। फिर बला को कॉल किया, बला बोली बस आ रही हूँ २ मिनिट में। अमित बोला तो तुमने ऐसा क्यों कहा की तुम्हारे सामने टेबल पर तो बैठी हूँ। बला बोली वो तो में मजाक कर रही थी। अमित बोला ठीक है अब जल्दी से आ जाओ। बला बोली पीछे मुड़ कर तो देखो अमित जैसे ही पीछे मुड़ा तो उसके हाथ से मोबाइल ही छूट गया। क्योंकि उसके पीछे जो लड़की आ कर खड़ी थी वो बला नहीं पर सुलोचना थी। अमित बोला तुम? सुलोचना बोली हाँ में।

सुलोचना के चेहरे पर का गुस्सा देखकर वो समज गया खूबसूरत और बला दो नहीं पर एक ही लड़की है। सुलोचना ने बड़े गुस्से से कहा इसी वक़्त यहाँ से चले जाओ वरना में क्या करुँगी मुझे खुद को पता नहीं। अमित डर के मारे वहां से चला गया। इस वक़्त सुलोचना खूबसूरत बला ही लग रही थी उसने अपने आपको संभाला और गुस्से को काबू में रख के वहां से चली गई।

रिश्ते बनाना बहोत आसान हे फिर चाहे हो प्यार, मोहब्बत हो या दोस्ती का हो, अपनों से हो या गैरो से हो पर रिश्ते में ईमानदारी या वफ़ादारी को बनाये रखना बहोत मुश्किल है, यह तभी मुमकिन है जब प्यार या रिश्ता सच्चे दिल से और बिना किसी स्वार्थ के निभाया जा रहा हो।


जय हिन्द

नरेंद्र राजपूत

मुंबई

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