दादी की सिलाई मशीन - 4 S Sinha द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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दादी की सिलाई मशीन - 4

भाग 4

जज साहब एक नेक इंसान थे. उन्होंने मोहन के लिए पटना जा कर बड़े साहब से पैरवी की. कुछ दिन बाद मोहन ने नौकरी ज्वाइन कर लिया हालांकि कमला उसे अभी और पढ़ने के लिए बोल रही थी. जज साहब ने कमला को समझाया कि सरकारी नौकरी है, बड़ी किस्मत से मिलती है. जिंदगी भर वेतन की गारंटी और रिटायर करते के बाद आजीवन पेंशन और बीमारी में दवा और इलाज भी मुफ्त होगा. आप अभी मोहन को ज्वाइन करने दें. मोहन मेहनती लड़का है, आगे पढ़ लेगा और पोस्टल डिपार्टमेंट में आगे भी तरक्की के बहुत अवसर मिलेंगे.

मोहन ने नौकरी ज्वाइन तो कर ली, पर उसकी पोस्टिंग किसी कस्बे में हो गयी जो करीब 30 किलोमीटर दूर था. वह रोज सुबह बस से जाता और देर रात तक लौटता था. वह चाह कर भी आगे नहीं पढ़ सकता था क्योंकि पढ़ाई के लिए समय ही नहीं बचता उसके पास. रविवार या अन्य छुट्टी के दिन घर का ही काफी काम होता था.

मोहन ने उसी कस्बे में एक मकान किराए पर लिया और वह माँ और बहनों के साथ रहने लगा. वह माँ को कहता कि अब मुझे नौकरी मिल गयी है, धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा, वह सिलाई का काम छोड़ दे. कमला ने अपनी सिलाई जारी रखी हालांकि उसकी तबीयत ठीक नहीं रहती थी. मोहन उसे मना करता पर वह नहीं मानती. वह बोलती “ बेटियों की शादी सर पर है. मुझे भी कुछ पैसा जमा करना चाहिए, सिर्फ तेरी नौकरी से दो बेटियों की शादी नहीं हो सकती है. और वैसे भी तू तो सबसे छोटा है, ये सब जिम्मेवारी तो मुझे उठानी चाहिए न. “

धीरे धीरे जैसे जैसे कुछ पैसे जमा हुए कमला और मोहन ने मिल कर सिया की शादी कर दी. अब कमला और मोहन को कुछ राहत मिली. उन्हें सिया से कुछ मदद की उम्मीद थी क्योंकि कि अब जानकी के विवाह के बारे में बड़ी बहन होने के नाते वह भी कुछ जरूर सोचेगी. सौभाग्य से सिया के पति ने भी उसका साथ दिया. दो साल के अंदर ही सिया, उसके पति और मोहन ने मिल कर जानकी की भी शादी तय कर दी. दोनों बहनें छोटे भाई को बहुत प्यार करती थीं, और भला क्यों न करें. मोहन ने अपने कैरियर की परवाह न कर खुद सबसे छोटा होते हुए बड़ी बहनों के लिए बड़े भाई का फ़र्ज़ निभाया था.

अब कमला मोहन पर शादी का दबाव बनाने लगी. वह बोलती कि बहू के आ जाने से उसे घर के कामों में मदद मिलेगी, उसकी भी उम्र हो चली है और उसे कुछ आराम चाहिए. कुछ महीने बाद मोहन की भी शादी हो गयी. भाग्य से उसकी पत्नी मीरा एक अच्छी गृहिणी थी. घर का ज्यादातर काम वही किया करती. अब जा कर कमला ने सही मायने में चैन की सांस ली. उसे लगा कि उसका सपना पूरा हो गया और उसने अपनी ज़िम्मेदारी यथाशक्ति निभाई है.

मोहन की नौकरी के बाद भी कमला ने सिलाई का काम जारी रखा था और उससे होने वाली आमदनी बचा कर रखती. जब कुछ पैसे जमा हो गए तब कमला ने एक छोटा सा जमीन का टुकड़ा मोहन के नाम खरीद लिया. मोहन के नाम जमीन जानबूझ कर लिया था ताकि मोहन को उस पर घर बनाने के लिए सरकारी लोन मिल सके. मोहन ने ऑफिस से होम लोन ले कर उस पर दो कमरों का रहने लायक एक मकान बना लिया. अब मोहन ने फिर से कमला को सिलाई बंद करने को कहा तो वह बोली “ अब यह मेरी आदत बन गयी है, बिना मशीन चलाये मन लगता ही नहीं है. ठीक है बाहर के आर्डर लेना बंद कर दूंगी, पर अपने लिए और नाती पोतों के कपड़े तो सिलूँगी ही. “

मोहन ने हँस कर कहा “ पता नहीं नाती पोता कब आये और तुम अभी से उनकी तैयारी करोगी. अगर इससे तुम्हें ख़ुशी मिलती है तो ठीक है. पर याद रखना बाहर के आर्डर बिलकुल नहीं लेने दूंगा तुम्हें. “

शादी के पांच साल के अंदर ही मोहन को तीन बच्चे हुए दो बेटियां और सबसे छोटा बेटा, बेटियां रीता और गीता और बेटा आकाश. कमला को बड़ी पोती रीता से कुछ ज्यादा ही लगाव था. रीता भी दादी को बहुत प्यार करती थी. कमला अपने पोते पोतियों को बढ़ते देख फूले नहीं समाती. वह बच्चों के लिए तरह तरह के रंग बिरंगे कपड़े सिला करती. रीता पढ़ने में बहुत तेज थी. उसने मेट्रिक बोर्ड की परीक्षा सेकंड डिवीजन से पास किया, उसके मार्क्स अच्छे थे. मैट्रिक के बाद मोहन बेटी को आगे कॉलेज में पढ़ाना चाहता था. पर रीता ने आगे पढ़ने के लिए एक शर्त रखी. इंटरमीडियट में एडमिशन लेने के पहले उसने जिद्द ठान लिया और कहा “ पापा को भी मेरे साथ प्राइवेट इंटर करना होगा,तभी मैं आगे पढूंगी. “

कमला ने भी रीता का समर्थन करते हुए कहा “ हाँ, सही बोल रही है बेटी. जो काम मैं न कर सकी अब मेरी पोती करने जा रही है. मोहन आगे पढ़ेगा तभी तो अफसर बनने का मौका मिलेगा. “

मोहन बोला “ इस उम्र में मैं पढूंगा, क्या कहेंगे लोग ? बच्चों के साथ मैं पढूंगा और परीक्षा दूंगा. सभी मेरी हँसी उड़ाएंगे. मुझे अच्छा नहीं लगेगा. “

गीता ने पापा की बात काटते हुए कहा “ आप लोगों की सोचेंगे कि दादी, दीदी और हमारी. आपको आगे पढ़ना है जिससे आपको आगे भी प्रमोशन मिले. इसी में हम सभी की ख़ुशी है, अपने लिए नहीं तो हम लोगों के लिए आपको दीदी के साथ पढ़ना होगा. “.

रीता और मोहन यानि बाप - बेटी दोनों ने एक साथ इंटर की पढ़ाई शुरू की. रीता तो कॉलेज जाती थी पर मोहन रात में उसके साथ बैठ कर पढता. दोनों ने इंटरमीडियट की परीक्षा दी और दोनों पास हुए हालांकि मोहन को रीता से कुछ कम अंक मिले थे. वह बोला “ मैं कह रहा था न कि मुझसे पढ़ाई नहीं होगी. “

रीता बोली “ पढ़ाई कैसे नहीं हुई. सही मायने में आपका प्रदर्शन मुझसे कई गुना ज्यादा अच्छा रहा है. नौकरी और परिवार की जिम्मेदारियां उठाते हुए और बिना कॉलेज गए आपने इतना किया, वह बहुत है पापा. मैं आपकी जगह होती तो शायद पास भी नहीं कर पाती. “

मोहन के आई ए करने के कुछ महीनों के अंदर ही उसका प्रमोशन हुआ. अब वह क्लर्क से सहायक पोस्ट मास्टर बन गया था. उसकी तरक्की से परिवार में सभी खुश थे. मोहन ने अब बेटी को बी ए में एडमिशन लेने की बात कही. रीता ने फिर पहले वाला पासा फेंकते हुए कहा “ मैं ग्रेजुएशन में तभी एडमिशन लूंगी जब पापा भी मेरे साथ बी ए करेंगे. “

कमला और छोटी बेटी गीता ने भी रीता की बात का समर्थन किया. इस बार तो सबसे छोटा बेटा भी बोल उठा “ हाँ, पापा को जरूर पढ़ना होगा. “

मोहन बोला “ बिना कॉलेज गए बी ए मैं नहीं कर पाऊंगा , तुमलोग समझ क्यों नहीं रही हो ? “

“ इसमें समझने की बात कहाँ है ? हम दोनों कोई साइंस सब्जेक्ट तो पढ़ नहीं रहे हैं कि लैब में प्रैक्टिकल की समस्या होगी. आर्ट्स के पेपर आप घर पर मेरे साथ तैयार करेंगे. इस बार आपको मुझसे अच्छे नंबर मिलेंगे मुझे पूरी उम्मीद है. आपने देखा न कि आई ए में इंग्लिश में आपको मुझसे काफी ज्यादा अंक मिले थे, मैं तो बस पास भर कर आई थी. और मैं ग्रेजुएशन के लिए फिर वही शर्त रखूंगी - अगर आप नहीं पढ़ेंगे तो मैं भी नहीं पढ़ने जा रही हूँ. “ रीता ने कहा

मोहन रीता के साथ बी ए करने के लिए मजबूर हो गया. एक बार फिर मोहन और रीता ने साथ साथ बी ए की परीक्षा दी. इस बार भी दोनों सफल हुए. इस बार मोहन के अंक बेटी की अपेक्षा बेहतर थे.रीता ने कहा “ आपने देखा पापा, मैंने कहा था न कि इस बार आपको मुझसे ज्यादा अंक मिलेंगे. यू आर ग्रेट पापा. “

एक बार फिर परिवार में ख़ुशी का माहौल था. पोस्टल डिपार्टमेंट में प्रोमोशन के लिए इंटरनल सर्कुलर निकला था. योग्यता के लिए बी ए और पांच साल का अनुभव चाहिए था और डिपार्टमेंटल परीक्षा में पास करना था. ये दोनों मोहन में थे, उसने भी आवेदन दिया.

मोहन ने डिपार्टमेंटल परीक्षा दिया. वह पास कर गया और मोहन का प्रमोशन हो गया, वह सहायक पोस्ट मास्टर से पोस्ट मास्टर बन गया. अब उसके घर में फोन भी लग गया. मोहन ने कहा “ अब रिटायर करने के बाद भी मुझे घर पर फोन लाइन तुरंत मिल जायेगा और शुल्क भी नाम मात्र का होगा. “

मोहन रीता को आगे पढ़ाना चाहता था, पर उसकी पत्नी मीरा और कमला दोनों ने कहा “ पढ़ना तो बहुत अच्छी बात है पर इसको इतना ज्यादा न पढ़ाओ कि इसके लायक वर ढूढ़ने की हैसियत न हो हमारी. “

“ नहीं मेरी बेटी ने मुझे ग्रेजुएट बनाया है मैं इसे आगे एम ए तक पढ़ाऊंगा. बोल बेटी पढ़ेगी न ? “ मोहन ने रीता से पूछा

“ मुझे भी इसका आगे पढ़ना अच्छा लगता है, तुमको अभी गीता और आकाश को भी देखना है. रीता चाहे तो शादी के बाद भी एम ए कर सकती है. आखिर तुमने भी तो इतने दिनों की नौकरी के बाद मैट्रिक से बी ए किया

है. “ मीरा ने कहा और फिर तुरंत रीता की तरफ देख कर कहा “ बोल बेटी क्या मैं गलत बोल रही हूँ. शायद इसी बहाने जीते जी मुझे नानी बनने का मौका मिल जाए. ठीक कहा न मैंने ? “

रीता बोली “ नहीं माँ, तुमने सही कहा है. “

मीरा ने आगे कहा “ आगे की पढ़ाई के लिए यूनिवर्सिटी जाना होगा और हॉस्टल में रहना होगा. इस से अतिरिक्त खर्चा भी बढ़ेगा. आपके रिटायर होने में भी ज्यादा दिन नहीं रहे और हमें गीता की शादी और आकाश की पढ़ाई के लिए भी पैसे चाहिए. क्या मैंने गलत कहा ? “

“ आपने बिल्कुल ठीक कहा है, मैं बाद में प्राइवेट एम ए कर लूंगी. “ रीता बोली

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