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कर्मा - 7 - आप भंवर जाल में है

आप भंवरजाल में है....
(गतांक से आगे)


"क्या हुआ मॉम को आरती? साफ-साफ बताओ.. तुम कहां हो?.. फ़ॉर गॉड सेक रोना बंद करो.."

सिद्धार्थ ने घबराते हुए कहा।

" सिद्धार्थ मॉम की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी और वह बेहोश हो गईं.. मैं उन्हें हॉस्पिटल लेकर आई तो पता चला उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ है.. उनके हार्ट में काफी ब्लॉकेज है और तुरंत ऑपरेशन करना पड़ेगा.. मैंने बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया और हड़बड़ी में इतने बड़े हॉस्पिटल में लेकर आ गई.. अब एडमिट करने के बाद मेरी हिम्मत नहीं हो रही कि मैं इन्हें यहां से निकाल कर किसी सस्ते हॉस्पिटल में ले जाऊँ.. पर इतने महंगे हॉस्पिटल में ऑपरेशन का खर्चा कहां से आएगा? मैं घबरा रही हूं सिद्धू.. मुझे लगता है मैं अपनी मां को खो दूंगी.. वह क्रिटिकल हालत में है.. अगर मैं उन्हें यहां से लेकर जाती हूं तो भी खो दूंगी और यहां छोड़ती हूं तो भी खो दूंगी क्योंकि मेरे पास इतने पैसे नहीं है "
कहकर वह फूट-फूट कर रोने लगती है।
" आरती तुम बिल्कुल भी टेंशन मत लो.. तुम मुझे बस अस्पताल का एड्रेस दो.. मैं अभी वहां पहुंचता हूं "
सिद्धार्थ चंदन और प्रिया के साथ तुरंत सिटी हॉस्पिटल पहुंचता है। जहां आईसीयू के बाहर आरती रोते हुए मिलती है। सिद्धार्थ को देखते व दौड़ कर आती है और उससे लिपट जाती है।
" सिद्धू मैं क्या करूं? प्लीज बताओ मॉम के सिवा मेरा दुनिया में और कोई नहीं है "

सिद्धार्थ कुछ सोचता है फिर आरती से कहता है

" तुम यह पैसे रख लो और रजिस्ट्रेशन करवा दो ऑपरेशन के लिए.. डॉक्टर से कहो तैयारी करें.. पैसे आ जाएंगे"
सिद्धार्थ हॉस्पिटल के बाहर आकर अंकित को फोन लगाता है।

" अंकित भाई! मुझे अर्जेंटली कुछ पैसे चाहिए"

" अरे सिद्धू कल ही तो दिए थे.. इतनी जल्दी सारे पैसे खर्च कर दिए.. "

" नहीं नहीं भाई बात वो नहीं है.. मुझे थोड़ा बड़ा अमाउंट चाहिए "

" बड़ा.. कितना बड़ा?"

"मुझे पांच लाख चाहिए "

"ब्रो! होश में आओ.. मैं स्टूडेंट हूं भाई.. मेरे पास इतने पैसे कहां से आएंगे? इतने दिनों से तो हार हार कर हालत खराब थी.. तेरे चलते कल जीते तो सारे कर्जा चुकता किए.. अब मैं पैसे कहां से लाऊँ तुझे देने के लिए?"

" नहीं भाई मैं आपसे नहीं मांग रहा हूं.. आप बिग बॉस से कह के इंतजाम करवा दो ना.. मैं आज के गेम में सब बराबर कर दूंगा "

" भाई आज तो पॉसिबल ही नहीं है वैसे भी.. आज फाइनल है प्रीमियर लीग का.. हम जैसे छोटे मोटे लोगों का कुछ नहीं हो सकता है और कैश की तो आज उन्हें सख्त जरूरत होती है.. वह तुझे कैसे देंगे? मुझे तो लगता है आज तू खेल भी नहीं सकता है "

" पर भाई आपने ही तो कहा था कि बिग बॉस को मेरा खेल पसंद आया तो फिर उन्हें मुझ पर भरोसा नहीं है? "

" बात भरोसे की नहीं होती है सिद्धू! यह लक की बात भी हो सकती है.. कल चला आज नहीं चला.. तू समझ नहीं रहा.. मैं तेरा दुश्मन नहीं हूं पर तुझे समझा रहा हूं खुदा ना खास्ता इतना बड़ा अमाउंट अगर हम हार गए तो जान देनी पड़ेगी और कोई चारा नहीं है क्योंकि इस लाइन में दूसरा मौका नहीं दिया जाता.. किराने की दुकान नहीं है भाई "

" मैं समझ सकता हूं अंकित भाई.. मुश्किल है पर आप एक बार बात करके देखो प्लीज! मैं आपका हमेशा एहसानमंद रहूंगा "
सिद्धार्थ वही बेचैनी में हॉस्पिटल के आगे घूमता है और सोचता है क्या मां से मदद मांग लूँ? नहीं मां कहां से देगी? और पापा से तो बोलने का सवाल ही नहीं पैदा होता। भला मेरी किसी अजनबी दोस्त के लिए वह क्यों पैसे देने लगे और मुझे चाहिए भी नहीं उन के पैसे क्या.. करूं? क्या करूं? तब तक फोन आता है अंकित का
"हां जी भाई कुछ इंतजाम हुआ"

"मानना पड़ेगा भाई कुछ तेरा नसीब है और कुछ मेरी गिड़गिड़ाने की कला.. बिग बॉस के आदमी मान गए हैं.. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है लेकिन वह तुझे एडवांस में पैसे दे रहे हैं पर याद रख तुझे गेम खेलना है और पूरे डबल पैसे शाम को वापस करने हैं क्योंकि आज फाइनल है। यह पैसे वह जहां भी लगाते हैं उन्हें दूना ही मिलता। वह तुझे दे रहे हैं तो तुझ से भी डबल ही लेंगे "

" हां भाई मैं शाम को पहुंच जाऊंगा.. मैं करता हूं.. थैंक यू.. थैंक यू सो मच.. "

सिद्धार्थ को पैसे कुछ देर में अंकित एक बैग में भरकर दे जाता है। सिद्धार्थ पैसे लेकर आरती को दे देता है। चंदन सिद्धार्थ को संशय भरी नजरों से देखता है।
" इतने सारे पैसे कहां से आए? "

" हो जाएगा यार शाम को हम कर लेंगे कुछ.. "

" हम कर लेंगे.. अबे मैं क्या कर सकता हूं? खेल तो तू खेलता है और तुझे पता है ना यह अंकित और बिग बॉस के लोगों को लगता है हमें टीम है.. भाई मुसीबत हुई तो हम सब फसेंगे"

" तू ऐसी बात कह रहा है? तूने मुझे प्रोत्साहित किया था ना इन सब चीजों में पड़ने के लिए और मैं तुझे उसके लिए कोई दोष नहीं दे रहा हूं.. अच्छा ही है ना यह.. एक लास्ट बार है बस आरती की मदद हो जाए.. अगर किसी की जान बचती है तो क्या बुरा है? चल अब तू दुआ कर सब ठीक हो जाए "
कह कर सिद्धार्थ और चंदन वहां से चले आते हैं।
वह लोग अंकित के घर पर पहुंचते हैं आज गेम देखते समय सिद्धार्थ महसूस करता है उसका दिमाग पहले की तरह स्ट्रेस फ्री और फ्रेश नहीं है। उसका आधा मन आरती के तरफ अटका हुआ था कि पता नहीं ऑपरेशन में क्या होगा? वह कितनी परेशान होगी? इस समय उसे उसके पास होना चाहिए था ना कि यहां पर! मजबूरी है.. और दूसरी तरफ मैं यह सोच रहा था कि अगर इन सब कारनामों के बारे में मां को पता चलेगा तो क्या होगा? मां तो टूट जाएगी उसने कभी सोचा भी नहीं होगा कि मैं उसे इतना बड़ा धोखा दूंगा। कल मैं मां को सब कुछ बता दूंगा। बस एक बार यह सारी चीजें ठीक हो जाए. फिर दोबारा इन सब चीजों में नहीं पड़ूंगा.. पर कहते हैं ना किस्मत में जो लिखा रहता है वही होता है। एक-एक करके सिद्धार्थ की सारी प्रिडक्शन गलत होती चली गई और वह फाइनली हार चुका था। अंकित अपना सर पकड़ कर बैठ गया।
"बॉस बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई.. हम सब मरने वाले हैं.. ना तो मेरे पास इतने पैसे हैं और ना तेरे पास.. मैंने गारंटी ली थी तेरी.. भाई सब मरेंगे.. तू कहीं से भी पैसे लेकर आ कर दे... तुम दोनों लेकर आओ.. हम तो हारे हैं और उसके जिम्मेदार चलो हम अगर तुमको न माने तो भी तुम्हें अपने हारे हुए पैसे देने ही पड़ेंगे यानी कल तक तुम्हें बिग बॉस को दस लाख लौटाने है। भगवान जाने मुझे क्या-क्या करना पड़ेगा अपने हिस्से का लौटाने के लिए पर तुम और चंदन पैसे कल लौटा देना "
चंदन के होश फाख्ता हो जाते हैं। 10 लाख उसके पूरे खानदान में भी किसने दस लाख नहीं देखे होंगे। सिद्धार्थ परेशान होता है सबसे पहले वह आरती को फोन लगाता है। आरती बताती है कि ऑपरेशन सक्सेसफुल हुआ और मैं अब ठीक है यह सुनकर सिद्धार्थ की सांस में सांस आती है।

" सुनो अंकित भाई! आप मेरी बात बिग बॉस से करवा दो। मैं उनसे बात कर लेता हूं.. मुझे और मौका दे आगे के गेम्स में मिलकर मैं यही सब बराबर कर दूंगा। आज दिमाग थोड़ी सही जगह पर नहीं था।"

"तू पागल है अबे बिग बॉस किसी से बात नहीं करते और तू अब पैसों का इंतजाम करने में लग जा भाई यह फालतू की बातें मत कर.. यहां इमोशंस नहीं चलते हैं यहां सिर्फ पैसा चलता है। मैं अपना देख लेता हूं हुआ इंतजाम तो ठीक वरना अंडरग्राउंड हो जाऊंगा.. मुझे अपनी जान प्यारी है जिंदा रहा तो कहीं ना कहीं पढ़ाई पूरी कर लूंगा.. तेरे चक्कर में बहुत बुरा फंसा.. सही कहते हैं भलाई का जमाना नहीं रहा "

सिद्धार्थ परेशान होकर घर वापस आ जाता है। मां रात को सोती है तो वह सोचता है कि क्यों ना तिजोरी से निकाल कर पैसे लौटा दो और बाद में जब गेम से जीत जाऊंगा तो वापस यहीं ला कर रख दूंगा। सिद्धार्थ भारी कदमों से मां के कमरे की ओर बढ़ता है। जैसे ही हाथ मां के तकिए के नीचे रखी चाभी के लिए बढ़ाता है तब तक मां की नींद खुल जाती है।
"सिद्धू इस समय?.. सब ठीक है बेटा?कुछ चाहिए था?"

"नहीं मैं बस ऐसे ही.. नींद नहीं आ रही तो आपको देखने चला आया.."
पूनम सिद्धार्थ को ध्यान से देखती है और उसे वह परेशान नजर आ रहा था।

" बेटा अगर कोई बात है.. कुछ चाहिए तो साफ-साफ बताओ.."
सिद्धार्थ सर हिला देता है और चला जाता है।

पूनम घबरा जाती है ऐसी शिकन वह पहले भी देख चुकी थी जाने क्यों अतीत के काले साए उसे बार-बार डराने लगे पर उसे अपने परवरिश और संस्कारों पर भरोसा था।
सिद्धार्थ अपने कमरे में जाकर फूट-फूट कर रोने लगा। यह मैं क्या करने जा रहा था? मां के दी हुई सीख तो मैं पहले ही खो चुका हूं और खुद को इसी मुसीबत में डाल चुका हूं कि आज मैं अपने ही घर में चोरी जैसा घिनौना काम करने जा रहा था। इससे अच्छा तो यही होता कि मैं मर ही जाता। नहीं नहीं मेरे बाद मां का क्या होगा? आरती को कौन संभालेगा? सोचते हुए रात भर सिद्धार्थ को नींद नहीं आती है।

सुबह होते ही वह अंकित को फोन लगाता है पर अंकित का फोन स्विच ऑफ आता है। फिर वह चंदन से मिलने जाता है। चंदन का हाल बुरा था। साफ पता चल रहा था कि वो रात भर सोया नहीं था।

" सिद्धू हम बड़ी मुसीबत में फंस चुके हैं.. मुझे पता है ये अंकित बहुत बड़ा कमीना है.. जरूर बिग बॉस को हमारा नाम बोलकर खुद गायब हो गया होगा.. अब हम नहीं बचेंगे.. कोई चमत्कार भी हमें नहीं बचा सकता.. कहां से आएंगे दस लाख? तब तक एक काम करते हैं हम भी कहीं छुप जाते हैं "

" पागल है क्या चंदू? हम कहां छुप सकते हैं? और कब तक छुपे रहेंगे तू बता? "

" कुछ भी करते हैं यार.. एक-दो दिन के लिए हम भी कोई बहाना बना कर घर से चले जाते हैं.. फिर शायद यह लोग भूल जाए फिर हम आकर सब ठीक कर देंगे.. "

" हम हालातों से नहीं भाग सकते चंदू.. "

"तो क्या करें? तू बता? जान दे दे बोलो? हमें मार डालेंगे वो.. या हो सकता है हमारे पूरे परिवार को ही मार डाले.. दस लाख छोटी रकम नहीं होती है सिद्धू.. तेरे मदद करने के चक्कर में और मेरे लालच में मेरी ही जान खतरे में डाल दी है और ना सिर्फ मेरी मेरे पूरे परिवार की जान खतरे में डाल दी है। "
कहकर चंदन रोने लगा।
" मैं कुछ करता हूं "
फिर अपने मन ही मन से सिद्धार्थ ने कहा
मैं कुछ नहीं कर सकता हूं.. मैं क्या करूं? मुझे समझ नहीं आ रहा?
सिद्धार्थ अपने मामा को फोन लगाता है
" मामा क्या मुझे कुछ पैसे मिल सकते हैं.. "

" हां बेटा जरूर.. कितने चाहिए बोल?"

"वह मुझे दस लाख चाहिए"

" दस लाख? तुम्हारा दिमाग जगह पर है? इतनी बड़ी रकम.. हुआ क्या है?.. घर पर सब ठीक तो है? क्या कांड किया है तुमने? खुल कर बताओ सिद्धार्थ तो शायद मैं तुम्हारी मदद कर पाऊं.. "
सिद्धार्थ ने फोन काट दिया। उसे लगा उसने भारी गलती कर दी। मामा जरूर अब माँ को भी बता देंगे और क्या जवाब देगा वह?
तभी चंदन का फोन बजता है

" नहीं.. नहीं.. नहीं.. प्लीज! नहीं.. मेरी फैमिली को कुछ मत करो.. बात समझो मैं करता हूं कुछ.. हां हां शाम तक तुम्हारे सारे पैसे मिल जाएंगे... भाई इसमें मेरी कोई गलती नहीं है.. मुझे तो बेटिंग का बी भी नहीं पता.. मैंने ना तो कभी कोई प्रेडिक्शन किए हैं.. ना ही कोई पैसे लगाए है.. भाई मैं तो सिर्फ उसका दोस्त हूं. हां मैं बोलता हूं उससे... प्लीज तुम मेरे फैमिली को कुछ मत करना... "
फोन कटते ही चंदन सिद्धार्थ पर झपट पड़ता है और उसका कलर पकड़ता है।

" अबे तेरे चलते मेरी पूरी फैमिली की जान खतरे में है.. वह लोग मेरे घर पर पहुंच गए हैं... मेरे पूरे परिवार को बंधक बना लिया है और मुझे धमकी दी है कि अगर शाम तक पैसे नहीं मिले तो सब को मार देगा "
सिद्धार्थ डर जाता है यानी मामा तो बताएंगे ही मां को, साथ ही बिग बॉस के आदमी भी उसके घर पर पहुंच जाएंगे। वह मां को सब बता देंगे। मां की जान को खतरा.. मुझे पता है मामा और पापा बिग बॉस को पैसे दे देंगे मुझे बचाने के लिए... पर फिर मैं कौन सी शक्ल लेकर मां को दिखाऊंगा?

तभी सिद्धार्थ के फोन पर एक अननोन नंबर से कॉल आता है.. कांपते हुए हाथों से फोन उठाता है
" तुम बताओगे तुम हमें कहां मिलोगे? कितने परिवारों को खतरे में डालोगे? देखो हम नहीं चाहते कि बात बिग बॉस तक पहुंचे.. वह हमें भी बाते सुनाएंगे कि हमने तेरे जैसे एक नए लड़के को इतनी बड़ी रकम उधार खेलने के लिए कैसे दे दी क्योंकि बिग बॉस के एक गेम में भी कोई उधारी नहीं चलती और अंकित ने हमें सब कुछ बताया है अगर तूने पैसे नहीं दिए शाम तक तो भाई मैं तो बिग बॉस को तेरे पास भेज दूंगा। हमें जरा भी टाइम नहीं लगेगा तुझे ट्रैक करने में समझा तू.. तो भागने की तो सोचना भी मत.. रही बात उस लड़की की जिसकी मदद के लिए तूने इतने बड़ा रिस्क लिया है तो वह और उसकी मां भी नहीं बचेंगे "

सिद्धार्थ फोन कटने के बाद सर पकड़ के कॉलेज के गेट पर ही बैठ जाता है और जोर जोर से चिल्ला कर रोने लगता है.. उसने बहुत बड़ी गलती कर दी...

क्रमशः..

©सुषमा तिवारी


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