Hostel Boyz (Hindi) - 20 - Last Part Kamal Patadiya द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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Hostel Boyz (Hindi) - 20 - Last Part

प्रकरण 31 : हॉस्टल और कॉलेज के त्यौहार

अक्सर त्यौहारों में छुट्टी होने के कारण हम लोग ज्यादातर त्यौहार घर पर ही मनाते थे लेकिन मकर संक्रांति का त्योहार हम लोग राजकोट में ही मनाते थे। हम लोग छत पर पतंग उडाने जाते थे और मकर संक्रांति का त्यौहार का आनंद लेते थे। नवरात्रि में हम लोग हॉस्टल के प्रार्थना होल में आरती, कीर्तन, दर्शन करते थे और वहां पर गरबे घूमते थे।
कॉलेज में हम अलग अलग days celebration करते थे और हमारा ऐसा प्रयास होता था कि कॉलेज के सब क्लास के छात्र छात्राऐ उसमें शामिल हो।

प्रकरण 32 : हॉस्टल और कोलेज का फेयरवेल

वैसे तो, हमारे हॉस्टल में फेयरवेल का कुछ महत्व नहीं था क्योंकि पूरे month के दौरान कई लोग हॉस्टल में आते थे और कई लोग हॉस्टल से चले जाते थे इसलिए हमारे फेयरवेल का कोई स्पेशल प्रसंग नहीं है। लेकिन उस दिन हम सब लोग मिलकर आखरी बार चाय पीने के लिए गए, बाद में मैंने वहां से विदाई ली थी और सच बताओ तो फेयरवेल जैसी कोई feelings भी नहीं थी क्योंकि नये भविष्य की खोज में निकलना था।

उस समय मित्रों को विदाई देना आसान था लेकिन आज उन दोनों की याद आती है तब ऐसा लगता है कि का......श हम लॉग 1 साल से ज्यादा वक्त साथ में गुजारते तो हमारी यादें और भी शानदार होती।

हाल ही में हम लोग जूनागढ़ में सब लोग मिले थे तब भवनाथ, जूनागढ़ और सोमनाथ साथ में गए थे और साथ में रहने का आनंद उठाया था लेकिन हॉस्टल में जो आनंद आया था उसके आगे यह आनंद तो कुछ भी नहीं था लेकिन फिर भी हम लोग 18 साल बाद मिले और साथ में 2 दिन गुजारे, उसका आनंद अलग था। अब हम लोग whatsapp में ग्रुप बनाकर मिलते रहते हैं।

कॉलेज का फेयरवेल
वैसे तो, कॉलेज में भी हॉस्टल की तरह फेयरवेल कि कोई परंपरा नहीं थी फिर भी विदाई के समय हम लोग साथ में नाश्ता करने गए थे और बाद में एक-एक करके सब ने विदाई ले ली। हॉस्टल की तरह कॉलेज का भी whatsapp ग्रुप है जिसमें हम लोग मिलते रहते हैं।

आप भी कॉलेज और हॉस्टल की बहुत याद आती है, फिर से सब यादें ताजा हो जाती है और आखेँ नम हो जाती है।

समाप्त