Hostel Boyz (Hindi) - 4 Kamal Patadiya द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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Hostel Boyz (Hindi) - 4

पात्र परिचय: भोला भाविन


भोला भाविन भी विनय की तरह जूनागढ़ का एक प्राणी था। भोलो भाविन, जैसा नाम वैसे ही भोला और हर किसी की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता था। भोला होने के बावजूद काम में होशियार और मजबूत आदमी। विनय की तरह दक्षिण भारतीय हास्य कलाकार। भाविन को पूरे हॉस्टल की चिंता थी, यानि अगर हॉस्टल में कोई दुखी होता तो भाविन भी दुखी होता, इतना वह रहेमदिल और दयावान था।
हमारे ग्रुप में भाविन ही एकमात्र ऐसा था जो पैसा बचाता था। जब भी हमें किसी आपात स्थिति में पैसे की जरूरत होती, तो वो पैसे हमें भाविन के पास से ही मिलते। जब भाविन हॉस्टल में आया तो उसे कोई व्यसन नहीं था लेकिन हमारे साथ रहकर वो फाकी, मावे खाना सीख गया था।

भाविन समजदार के साथ सहनशील भी था। वैसे तो, भाविन का कमरा ऊपर (दूसरे माले पे) था, लेकिन कभी प्रितला की कमी के कारण तो कभी प्रियवदन की कमी के कारण उसे हमारे कमरे में सोने का मौका मिल जाता था। इसलिए वह ज्यादातर हमारे कमरे में ही रहता था। भाविन को परिचिय बढाने का बड़ा शौक था। हॉस्टल में आने से पहले, भाविन और मेरा थोड़ा परिचिय था, जिसके कारण वह हमारे ग्रुप में शामिल हो गया था। भाविन की छोटे से छोटे आदमी से लेकर बड़े से बड़े आदमी तक पहेचान थी। लेकिन उसकी खासियत यह थी कि उसने कभी अपने लिए पहेचान का दुरुपयोग नहीं किया था। भाविन का व्यक्तित्व बिलकूल down to earth था। बहुत से लोग भाविन की इस मासूमियत का फायदा उठाते थे और उससे अपना काम करवाते थे। उदाहरण के लिए, चिका के भोजन की थाली प्रतिदिन भाविन ही लाता था (इसमें चिका की चतुराई और भाविन की मासूमियत नजर आती हैं)। उसे चिका की चतुराई का पहेले से ही पता होता था, लेकिन फिरभी वो सबकी मदद करता था। वह कभी-कभी भोलेपन के कारण मजाक का पात्र भी बन जाता था लेकिन उसके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी।

पात्र परिचय: कन्वीनर श्री जयंती बापा


हॉस्टल के कन्वीनर श्री जयंती बापा, नारियल जैसी शख्सियत, ऊपर से सख्त और अंदर से नरम थे। जयंती बापा के भतीजे हॉस्टल में रहते थे लेकिन जयंती बापा हॉस्टल के सभी लोगों से भी उतना ही स्नेह करते थे। उसे हॉस्टल के लोगों के प्रति जीतना स्नेह था, उतनी ही व्यसनी लोगो से नफ़रत थी। वह किसी भी समय व्यसनी लोगो पर सर्जिकल स्ट्राइक करते थे। जयंतीबापा भीतर से शांत और सौम्य व्यक्तित्व। जयंतीबापा ने हमेशा सफ़ेद कुर्ता और पायजामा पहनते थे। जब भी वे हॉस्टल में आते थे तब हॉस्टल के लोग स्वयम अनुशासन मोड में आ जाते थे। जब भी वे हॉस्टल में आते थे तो हॉस्टल में रहने वाले लोगों को कोई भी परेशानी ना हो उसका छोटे से छोटे विवरणों का ध्यान रखते थे। एक बार जब हमने हॉस्टल में मच्छरों की शिकायत की थी तो उन्होंने पूरे हॉस्टल में नीम का धुप करवाया था और हर कमरे में कछुआ छाप मच्छर अगरबत्ती दी थी। वह हमेशा हॉस्टल के लोगों की शिकायतों को सुनने और उन शिकायतों का निवारण करने के लिए तैयार रहते थे।


उन्होंने हमेशा हॉस्टल में स्वच्छता और व्यसनमुक्ति के लिए प्रयास किये थे, लेकिन उनके प्रयास सफल नहीं हुए। हॉस्टल में लोग गुटखा, मावे, पान, सिगरेट बंद दरवाजों के पीछे खाते थे क्योंकि वे किसी ना किसी नशे की चीज के आदी थे। यही वजह है कि कभी-कभी जयंती बापा जासूस की तरह अचानक सभी लोगों को इकट्ठा कर लेते थे और सबकी तलाशी लेते थे, कमरों की तलाशी लेते थे, अगर उन्हें ज्यादा शक होता तो वह सबके सामान की भी तलाशी लेते थे लेकिन वह दिल के इतने उदार थे कि एक बार उन्होंने हमें कमरा देने के लिए अपना ऑफिस तक खाली कर दिया था। वो हॉस्टल के आतंरिक व्यवश्था की देखभाल करते थे। जयंती बापा सामाजिक और धार्मिक कार्यों में भी रुचि रखते थे इसलिए वे कई संगठनों से जुड़े हुए थे। हॉस्टल में अक्सर सामाजिक संगठनों की बैठकें भी होती थीं। जयंतीबापा एक सरल और मजबूत व्यक्तित्व थे। हम भाग्यशाली थे कि हमें ऐसे बहु-प्रतिभाशाली कन्वीनर मिले थे।

पात्र परिचय: सिक्योरिटी गार्ड नटू बापा


हॉस्टल समिति ने सुरक्षा गार्ड के रूप में एक बुजुर्ग ब्राह्मण को काम पर रखा था। उसका नाम नटवरलाल था। सभी लोग उन्हें नटू बापा कहेते थे। वे वर्षों तक हॉस्टल के सुरक्षा गार्ड रहे चुके थे। वह छात्रों और हॉस्टल के लोगों की देखभाल करते थे। वह हॉस्टल की सफाई और भोजनशाला के लिए व्यवश्था करते थे।


नटू बापा का घर राजकोट में था, लेकिन वे शायद ही कभी उनके घर गए होंगे। वह पूरा दिन और रात हॉस्टल में ही रहेते थे।


जो लड़के नटू बापा की तारीफ करते थे, उन्हें वह अधिक पसंद करते थे। वह बाहर चाली में खटिया डालकर बिस्तर लगाकर सोते थे। हर रात उनके पास चार-पाँच लड़के बैठे रहेते थे। हम भी कभी-कभी रात को उसके पास बैठने के लिए जाते थे। नटू बापा अपने समय और हॉस्टल के पुराने दिनों की यादों को बयां करते थे। हॉस्टल के छात्रों को उसके साथ बैठकर बातें करने में मज़ा आता था। अधिकांश, वह शांत ही रहेते थे, लेकिन हॉस्टल में गड़बड़ी होने पर वह क्रोधित भी हो जाते थे। उन्होंने हॉस्टल प्रणाली को अच्छी तरह से बनाए रखा।


वह छात्रों की कई सुविधाओं का ध्यान रखते थे, जैसे कि रात कों तीन बजे भी वह छात्रों को चाय-पानी पीने के लिए बाहर जाने देते थे, बदले में छात्र भी नटू बापा के चाय पानी, बीडी आदि की व्यवस्था करते थे।

अगले प्रकरणों में अलग-अलग पात्र होंगे जिन्हें हम गाँव के नाम से पहचानेंगे और प्रकरणों का आनंद लेंगे।

क्रमश: