The Author Appa Jaunjat फॉलो Current Read नागिन का आखरी इंतकाम - भाग -३ By Appa Jaunjat हिंदी लघुकथा Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books You Are My Choice - 35 "सर..." राखी ने रॉनित को रोका। "ही इस माई ब्रदर।""ओह।" रॉनि... सनातन - 3 ...मैं दिखने में प्रौढ़ और वेशभूषा से पंडित किस्म का आदमी हूँ... My Passionate Hubby - 5 ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन... इंटरनेट वाला लव - 91 हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त... अपराध ही अपराध - भाग 6 अध्याय 6 “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Appa Jaunjat द्वारा हिंदी लघुकथा कुल प्रकरण : 4 शेयर करे नागिन का आखरी इंतकाम - भाग -३ (1) 1.4k 4.9k हमणे पिछले अध्याय मैं देखा कि शुभांगी ओर नक्ष गायब हो जाते हैं लेकिन शिवकन्या शुभांगी के बेहन मीनाक्षी के घर रहेती थी शिवकन्या का पुणा मै शो था वो जाती है वाहा Apsara Aali इस गाणे पे उसणे डान्स किया था और वो जित जाती हे उसे इनाम मिलता हे ओर अपनी गाडी से मुंबई के लिए निकलती हे रातमे शिवमंदिर के पास उसकी गाडी बंद हो जाती है तब वो उतरके देखती हे तब उसकी नजर शिव मंदिर मे जाती हे तब वो शिवमंदिर के अंदर जाती है उसे कोछ तो होता हे तब आसमान मै बिजलीया बजती हे ओर हवा चलणे लगती हे तब चमत्कार होता हे उसे नागिन का वरदान ओर एक वरदान मिलता हे लेकिन उसे वो वरदान सही वक्त मे मिलेगा तब शिवकन्या शिवजी को प्रणाम करके चली जाती हे तब एक लडका उसके गाडी को टकर मार देता हे तब शिवकन्या उसे बोहत सुनाती हे वो लडका उसे sorry बोलकर उसे अपने गाडी मे बिठाकर उसे उसके घर छोडदेता हे तब शिवकन्या उसे उसका नाम पुछती हे वो बोलता हे मेरा नाम शिव हे वो नाम बताकर चला जाती हे शिवकन्या नये कामपे जाती हे उस कमपणी का boss ओर कोई नही शिव होता हे तब शिव शिवकन्या को नोकरी पे रखलेता हे कोछ दिन मे शिव को शिवकन्या से प्यार हो जाता है तब धिरे धिरे दोनो शादी करणे का फेसला लेते हे ओर दोनोकी शादी हो जाती है लेकिन शिव के घरवाले मना कर देते हे तब शिव और शिवकन्या और मीनाक्षी मिलकर शिवमंदिर जाते हे और उनकी शादी हो जाती है शिव उसे घर ले जाता है उसकी मा बोलती हे फस गई तब शिव उसे घर के काम करवाता हे तब शिव का भाई कुणाल ओर बेहन रोहिणी उससे बोहत काम करवाते हे तब शिवकन्या अपना असली रूप लेकर उन्हे डराती हे तब शिव नाग का रूप लेकर उसे धीखाता हे तब शिवकन्या शिवमंदिर जाती हे तब वो गिरती हे तब उपरसे किताब गिरती हे शिवकन्या वो किताब पढती हे उसमे चंद्रकला, मानसी, शुभांगी कि काहाणी थी तब शिवकन्या शुभांगी कि काहाणी पढती हे शुभांगी और नक्ष कहा गायब हो गए हे उसे तुम्हे उन्हे धुडंणा हे तब एक लडकी आती है उसे बोलती हे तुम शिवकन्या हो तब वो हा बोलती हे तब शिवकन्या उसे अपना नाम पुछती हे वो बताती हे मेरा नाम दिपाली हे तब दिपाली बोलती हे तुम्हे डान्स आता हे तब वो हा बोलती हे तब वो डान्स सिखाने केलिये बोलती हे तब वो दोनो मिलकर डान्स करते हे वाजले की बारा इस गाणे पे डान्स खतम हो जाता है तब दिपाली उसके सारे दोस्तों की पेहचाण करवाती हे तब दिपाली बोलती हे तुम कल आणा और रात को आणा तब शिवकन्या घर जाती हे शिव उसे बोहत दाटता हे तब शिवकन्या उसपे जादु करती हे तब शिव बदल जाता है तब कल रात शिवकन्या वाहा जाती हे उसे वाहा कोई नही दिखता हे तब पिछेसे दिपाली आती है तब दिपाली उसे गाणे के रुप मे अपनी काहाणी बताती एक पंडित होता हे और नरेंद्र नाम का एक आदमी था पंडित ने बताया तुम्हे नागमणी चाहिए तो एक लडकी को मारणा होगा वो लडकी खुबसुरत होनी चाहिए ओर उसकी शादी ना होई हो और वो एक नागिन हो तब दिपाली के साथी नरेंद्र के पास जाते हे उससे पोछते हे एक डान्स रख सकते हैं तब नरेंद्र बोलता हे नाचणे वाली कहा हे तब आती है दिपाली तब नरेंद्र को पता चलता हे कि दिपाली एक नागिन हे ओर उसकी शादी नही होई तब सब चले जाते हे डान्स हो जाता है तब नरेंद्र पंडित को बोलता हे और दिपाली कि सारी शक्ती या छिन लेता हे और उसे मार देते है ओर उसके साथी दार को भी मारडालते हे उसमे शुभांगी ओर नक्ष भी थे तब शिवकन्या बोलती हे मै आपका इंतकाम लुंगी ओर रात को उन्हे मारूगी तब नरेंद्र और कोई नही उसका ससुर होता हे तब शिवकन्या उसे बोलती हे तुम मेरे मा के दुश्मन हो तब नरेंद्र शिवकन्या को मारता हे तब उसका पती शिव नरेंद्र को पीछेसे मारता हे तब नरेंद्र उसे मारता हे तब नरेंद्र चला जाता है तब शिव बोलता हे की तुम इसे क्यो लढरही हो वो खुणी हे तब शिव बोलता हे तुम्हे ईसे दारू पीलाके सच उगलाना हे और नागमणी कहा हे तब शिवकन्या एक hot लडकी का रुप लेकर उसके घर जाती हे तब शिवकन्या ये ना साजणा इस गाणे पे डान्स करती है और उसे बोहत दारु पिलाती हे तब वो रेकोडर लेकर उससे पोछती हे कि तुमह णे दिपाली को मारा था और नागमणी कहा हे तब वो बोलता हे कि दिपाली को मारा था और नागमणी मेरे दोस्त पंडीत के पास हे और वो महापर्वत पे रेहता हे तब शिवकन्या चली जाती हे महापर्वत पे चली जाती हे वहा वो बोलती हे हे भगवान मेरी मदत करना तब पिछेसे एक औरत आती है उसे पोछती हे की तुम्हे नरेंद्र से पता चला हे ना तब तुम फस गई तब वो गायब हो जाती है तब शिवकन्या पाहाड पे जाती है उसे शिव शंभू का मंदिर दिखता हे तब वो गायब हो जाता है शिवकन्या बोहत उपर जाती हे उसे दो नाग मारणे आते है तब शिवकन्या सब सच्चाई बाता देती है तब वो नाग उसे छोड देते हे तब शिवकन्या बोहत उपर जाती हे तब वो उपरसे गिर जाती हे तब शिव चमत्कार करते हे और वो महामंदिर मे होती हे तब वाहा चंद्रकला आती है और बोलती हे कि ईस पंडित को मैंने मारडाला हे और ये लो नागमणी अब मै तुम्हे इस मंदिर कि काहाणी बताती हो इस पर्वत पे शिव स्थापित हे ओर यहा सिर्फ सच्चे लोग आसकते हे और इधर आणे केलिये बोहत कठणा ईको पार करके आणा पडता है तब शिवकन्या बोलती हे अब मुझे जाणा होगा शिवकन्या चली जाती हे . लेकीन अचानक से शिवकन्या मर जाती हे वो केसे मरी मंदिर मैं चंद्रकला नही पंडित था उसणे शिवकन्या पै जादु किया था तब असली चंद्रकला आती है और उसे जिन्दा करके उसके घर छोडदेता हे तब शिवकन्या सोचती हे की इसके पीछे किसी बडे दुश्मन का हात हे तब शिवकन्या बोहत तपस्या करती है तब शिव आते है तब शिवकन्या बोलती हे कि नरेंद्र कैसे मरेगा तब शिवजी उसे पहेली देते हे आज नही होगा अंत आएगा एक समय उस दिन होगा बडा ढमाका तब मिलेगा तुम्हे वरदान तब शिवकन्या घर जाती हे तब उसका पती उसे बोलता हे आज हमारी आखरी रात ३१ डिसेंबर को हे तब हम दोणो एक हो जाएगे मुझे सब पता हे तब शिवकन्या को पत्ता चलता हे की जो बडा दुश्मन कोई और नही मेरी सासु या हे तब शिवकन्या को और शिव को कोई तो फोन करके बोलता हे महापर्वत पे आए तब दोनो जाते हे वाहा कोई नही होता हे तब नरेंद्र ओर मीनाक्षी आती है तब मीनाक्षी बोलती हे कि मे तेरी बली देके नागमणी लोगी तब मीनाक्षी और नरेंद्र शिवकन्या की सारी शक्ती या छिन लेते हे और उसे गिरा देते हे तब शिवकन्या धिरे से निचे आती है लेकिन उसे कोछ होता नही तब शिवजी उसे बोहत शक्तिया देते हे ओर वो उस मंदिर जाती हे तब शिवकन्या मीनाक्षी को मार देती है तब नरेंद्र उसको पीछेसे मारता हे और उसपे वेलपञ कि माला डालता हे तब शिवकन्या बोलती हे मा शुभांगी, चंद्रकला, मानसी आईये मेरी मदत करणे तब बोहत जोरसे बिजलिया गिरती हे तब शिव जी का उपर से ञिशूल गिरता तब उस ञिशूल पे दो नागिन होती हे चंद्रकला और शुभांगी होती हे तब चंद्रकला नरेंद्र को ढसती हे और शुभांगी भी ढसती हे तब शिवजी चमत्कार करते हे तब शिवकन्या को ताकदवर नागिन का वरदान मिलता हे तब शिवकन्या दिपाली को बोलाके मीनाक्षी को मार डालते हे तब शुभांगी बोलती हे चलो मै चलती हु तब सब अपने रस्ते से चले जाते हे तब शिवकन्या घर जाती हे और शिव भी दोनो को बच्ची हो जाती है और वो बडी हो जाती है वो शुभांगी कि तरह दिखती थी और उसका नाम शुभांगी होता हे और वो भी एक नागिन थी चलो ये काहाणी याहा खतम होती हे हम फिर लोटेगे एक नइ काहाणी लेके story कैसे लगी comment करके बताना ‹ पिछला प्रकरणनागिन का आखरी इंतकाम - भाग -२ › अगला प्रकरण नागिन का आखरी इंतकाम - भाग -४ - अंतिम भाग Download Our App