नागिन का आखरी इंतकाम - भाग -४ - अंतिम भाग Appa Jaunjat द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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नागिन का आखरी इंतकाम - भाग -४ - अंतिम भाग

हमणे पिछले अध्याय मैं देखा कि शिवकन्या की काहाणी खतम हो जाती है खतम मतलब शिवकन्या मर जाती हे ओर उसके साथ शिव और शुभांगी भी लेकिन कैसे चलो देखे एक शहर में शुभांगी का पुनर्जन्म हो जाता है वो बडी हो जाती है तब शुभांगी का इस दुनिया में कोई नही होता इसलिए शुभांगी एक कंपनी मै काम करती थी और उसका boss उसे बोलता हे ओर उसे सेलेरी देता हे तब शुभांगी घर जाती हे तब रस्ते मै शुभांगी के दोस्त आते उसे बोलते है कि कल तुम्हरा २५ वा जन्म दिन हे और हमणे एक रहस्य मय शिवमंदिर जाने का तय किया हे ओर तुम्हे आणा है तब वो कल सुबह शिवमंदिर जाते हे तब शुभांगी को कोछ तो होता हे तब उसे कोछ तो याद आता है तब सब अचानक से गायब हो जाते हैं तब शुभांगी शिवमंदिर के अंदर जाती है तब वो अचानक से तांडव करती है तब उसे सब याद आता है तब शिवजी वोसे बोलते है की तुम्हारी आखरी काहाणी हे तब तुम्हे कातील को और तुम्हारे मा बाबा का और तुम्हारा इंतकाम लेना हे तब शुभांगी चली जाती हे अब रस्ते में शुभांगी को कोछ तो दिखता हे एक लडका गिरा होवा हे तब शुभांगी उसे Hospital ले जाती हे तब वो लडका कोण होता हे ये याद आता है वो लडका कातील हे मेरा तब शुभांगी चली जाती हे तब वो कल सुबह कंपनी मै जाती हे उसका नया boss वही लडका होता हे तब शुभांगी उसे उसका नाम पुछती हे वो बताता हे सागर होता हे तब उसे शुभांगी से प्यार हो जाता है तब सागर उसे पुछता हे मुझसे शादी करोगी तब शुभांगी हा बोलती हे और दोनो शादी करलेते हे तब शुभांगी उसके घर जाती हे सागर के मा बाबा उसे बहु माणलेते हे अब कल सुबह शुभांगी किचीन मे जाती हे उसे खाणा बनाना था शुभांगी कि सासु मा उसका नाम चंद्रीका था वो उससे बोहत काम करवाती हे तब शुभांगी सब काम करके कमरे मे जाती हे तब वो अपना असली रूप लेकर मंदीर जाती हे तब शुभांगी को एक शादु इ आयना दिखता हे तब वो बताता हे कि तम अंदर से बोहत अच्छी हो लेकिन तुम सबके मनको जित लेती हो लेकिन तुम कबीबी मर सकती हू और तुम्हे अगले जन्म में सब याद आजा एगा तब शुभांगी घर जाती हे तब उसे चंद्रीका मारणे कि कोशीस करती है तब सागर के पापा रघु उसके पंडित को बोलता हे तब वो पंडित शुभांगी कि सारी शक्ती या छिन लेता हे और उसे मार देता हे तब सागर भी उसे मारडालता हे शुभांगी कि पुनर्जन्म एक नए अवतार से होता हे उसका चेहरा बदल जाता है और वो इतनी खुबसुरत थी की कोई भी उसके प्यार मैं पड जाए इस जन्म में उसका नाम राधा होता हे अब राधा कामपे जाती हे उसकी मिटिंग थी सागर के साथ तब मिटिंग हो जाती है तब राधा घर जाती हे तब उसके मा बाबा उसका २५ वा जन्म दिन बनाना चाहते थे तब ठिक १२ बजे राधा अचानक से शिवमंदिर जाती हे वाहा वो तांडव करती है और वाहा आती है उसकी मा की मा शुभांगी उसे बोलती हे कि तुम एक नागिन हो और तुम हमारा इंतकाम लेना आइ हो तब शुभांगी गायब हो जाती है तब राधा को सब याद आता है उसको और उसके मा बाबा को किसने मारा तब वो बोहत ताकद वर बन जाती हे और वो सागर को प्यार में गिराती हे ओर उससे शादी करलेती हे और घर जाती हे तब चंद्रीका बोलती ये हे बहु तब सागर उसे कमरे मे जाता है और चंद्रीका उसे गेहेणे देती है तब राधा उसे मारडालती हे तब राधा चिलाने का नाटक करती है तब सब आते है की पोछती हे की क्या होवा तब राधा बोलती हे कि सापने इसे मारडाला हे तब सब उसे hospital ले जाते हे लेकिन वो मर जाती हे तब राधा महापर्वत पे जाती हे वाहा वो तांडव करती है उसे एक रहस्य मय किताब मिलती है उसमे लिखा था कि वो वापस आएगी अपणी काहाणी फिरसे दोहराने और एक दुश्मन भी आएगा तब होगा इस काहाणी का अंत तब राधा घर जाती हे वाहा पे आया होता हे नरेंद्र तब राधा उसे देखके चली जाती हे तब उसका पती सागर पडा होता हे तब राधा बोलती हे कि इसे किसणे मारा तब राधा अपने जादुइ शक्ती यो से देखती हे की सागर ने उसे नही मारा था की नरेंद्र ने मारा था तब राधा अपने जादुइ शक्ती से सबको शिवमंदिर लाती हे तब राधा नरेंद्र को मारने की कोशीस करती है तब नरेंद्र राधा को मारता हे तब राधा बोलती हे मा तब बोहत जोरसे हवा चलती है और तबी शिवजी आते है उनके पीछे शिवकन्या और शुभांगी आती है तब राधा रघु और पंडित को मारडालती हे तब शिवकन्या और शुभांगी नरेंद्र को मारडालते हे तब शिवजी उसे इस संसार से गायब करदेते हे तब शिवजी राधा को बोलते है की अब याहा तुम्हरा भी इंतकाम खतम हो गया है तब ये काहाणी का यही अंत होता हे तब राधा शिवजी को प्रणाम करती है तब शिवजी चले जाते हे तब शिवकन्या ओर शुभांगी बोलती हे हम अपने घर चलते है तब राधा बोलती हे आप सब मेरे साथ रहेगे तब शिवकन्या बोलती हे हमारे पती नही हे तब राधा अपने जादुई शक्ती यो से उन्हे लाती हे तब शिवकन्या शिव ओर शुभांगी नक्ष और राधा सागर सब मीलकर शादी करलेते हे ये आखरी काहाणी भी याहा पे खतम होइ.