The Author Smita फॉलो Current Read हिमाचल बाल साहित्य पर बारीक नजर By Smita हिंदी पुस्तक समीक्षाएं Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books मंजिले - भाग 3 (हलात ) ... राजा और दो पुत्रियाँ 1. बाल कहानी - अनोखा सिक्काएक राजा के दो पुत्रियाँ थीं । दोन... डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 76 अब आगे,राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि अब राजवीर के पी ए दीप... उजाले की ओर –संस्मरण नमस्कार स्नेही मित्रो आशा है दीपावली का त्योहार सबके लिए रोश... नफ़रत-ए-इश्क - 6 अग्निहोत्री इंडस्ट्रीजआसमान को छू ती हुई एक बड़ी सी इमारत के... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी शेयर करे हिमाचल बाल साहित्य पर बारीक नजर (4) 1.4k 7.1k बाल साहित्य की प्रेरक कहानियां और कविताएं आप जिस परिवेश में रहते हैं, वे आपको किस्से-कहानियां और कविताएं गढ़ने के लिए प्रेरित करता है। हिमाचल प्रदेश में सफेद बर्फ से ढंकी पहाड़ियां, जंगल, दूर-दूर तक फैली हरियाली, स्थानीय लोगों का मीठा और स्नेह से भरा व्यवहार बड़ों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी रोचक रचनाएं लिखने की प्रेरणा देता है। यहां के कण-कण में लोक और बाल कथाएं मौजूद हैं, जिन्हें समय-समय पर लेखकों ने बाल पाठकों के सामने लाया है। हाल में डायमंड बुक्स प्रकाशन से लेखक पवन चौहान की किताब "हिमाचल का बाल साहित्य' प्रकाशित हुई है। पवन चौहान ने गद्य और पद्य दो खंडों में बांटकर किताब लिखी है। लेखक ने सबसे पहले आम बोलचाल की भाषा में हिमाचल में बाल साहित्य की शुरुआत किस तरह हुई और किस तरह यह आगे बढ़ी और अब किस तरह की बाल कहानियां और कविताएं लिखी जा रही हैं, बताया है।इसकेतब की खासियत यह है कि इससे आपको बाल साहित्य किस तरह विकसित हुई और आगे फली-फूली, पता चल जाएगा। आज के समय में इस साहित्य को किस तरह की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, यह भी पता चल जाएगा। कोरोना संकट में एक शब्द जो सबसे ज्यादा चर्चित हुआ, वह है लॉक डाउन। एक कहानी के बहाने लेखक ने यह भी संदेश देने की कोशिश की है कि हमें कोरोना संक्रमण के दौर में किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए। लेकिन लोग किस तरह लापरवाह हैं। भले ही लेखक ने अपनी किताब में हिमाचल का संदर्भ दिया है, लेकिन बाल साहित्य को लेकर बताई बात पूरे देश का प्रतिनिधित्व करती है। इससे बच्चों-किशोरों को यह भी जानकारी मिल जाएगी कि जब टीवी-इंटरनेट की उपस्थिति नहीं थी, तो बच्चों-किशोरों के लिए किस तरह की कहानियां लिखी जा रही थीं। लेखक ने हर अध्याय में पहले लेखक के बारे में बताया है और फिर उनकी किसी एक प्रसिद्ध कहानी को शामिल किया है। इसमें हिमाचल के साथ-साथ पूरे देश के बाल पाठकों के बीच धूम मचाने वाले लेखकों तथा उनकी रोचक कहानियों को स्थान दिया गया है। पुस्तक में शामिल ज्यादातर कहानियां रोचक और संदेशप्रद हैं। उदाहरण के लिए अमर सिंह शाैल अपनी कहानी "चीनी और शक्कर' में चीनी और शक्कर के बीच काल्पनिक व रोचक संवाद के जरिये यह संदेश देते हैं कि अपनी सुंदरता पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए। हर सुंदर चीज के पीछे सहनशीलता और कठिन मेहनत छिपी होती है। लेखक अमरदेव अंगिरस अपनी कहानी "हंस और उल्लू' में यह संदेश देते हैं कि कड़वी लगने के बावजूद बच्चों को अपने अभिभावकों की बात पर ध्यान देना चाहिए। स्वयं लेखक पवन चौहान ने "तरकीब खेल की' कहानी में बड़े ही मजेदार ढ़ंग से बड़ी बहन द्वारा खेल-खेल में छोटी बहन को पढ़ाई करने की आदत विकसित करते हुए दिखाया है। प्रभात कुमार की कहानी "थोड़ी सावधानी बेहतर अंक' कम शब्दों में बड़ी सीख दे जाती है। कवि और कवयित्रियों ने अपनी कविताओं में प्रकृति की सुंदरता का वर्णन और पेड़-पौधों के बारे में जानकारी भी दी है। पुस्तक का मूल्य भी अधिक नहीं, मात्र 250 रुपये है। स्मिता Download Our App