Hostel Boyz (Hindi) - 12 Kamal Patadiya द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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Hostel Boyz (Hindi) - 12

प्रकरण 15 : होटल के रूम में कव्वाली का प्रोग्राम और लूंगी डांस


हम रातों के राजा थे इसलिए अक्सर हम हमारे रूम में कोई ना कोई प्रोग्राम करते रहते थे। एक बार हमने हमारे रूम में से सब गददे हटा दिए और जमीन पर सारे गददे बिछा दिए फिर हम लोग रात को प्रोग्राम करने लगे। कभी कव्वाली तो कभी डांस, कभी फैशन शो तो कभी शायरी। आसपास के कमरे वाले भी हमारे कमरे में आते जाते रहते थे। हम लोग कव्वाली शुरू करने से पहले कव्वालो की तरह तैयार हो जाते थे फिर बाद में एक के बाद एक, हम सब लोग कव्वाली गाते थे और सब लोग उसमें participate किया करते थे। जो कव्वाली नहीं गा सकते थे उन लोगो को डांस करना पड़ता था। मैं और विनय रात को लुंगी पहनते थे इसलिए हम लोग एक-एक कर सब लोगों को खड़ा करके उसके साथ लूंगी डांस करते थे। जैसे ही रात होती हमारे हॉस्टल के कमरे में महफिल जम जाती। मैं सबको ऑनलाइन कविता और जोक सुनाता था। हमारा प्रोग्राम देखने के लिए भीड़ इकट्ठा होने लग गई थी और हमारे प्रोग्राम पूरे हॉस्टल में famous हो गए थे। रात को हमारे कमरे में मेला लगता था।
जिन लोगों को कव्वाली और डांस की समझ नहीं पड़ती थी वह लोग भी हमारे प्रोग्राम में शामिल हो जाते थे। कव्वाली, डांस, जोक्स, अंताक्षरी; bollywood songs वगैरह सब चलता रहता था।
हमारी हॉस्टल में बीजापुर से एक छात्र था जो सबके अच्छे स्केच बनाता था। एक बार उसने चिका का हूबहू स्केच बनाकर हम सबको प्रभावित किया था। वो हमारा अच्छा दोस्त बन गया था। वह हमें अपने sketches दिखाता था। कभी-कभी वह हमको अपने कॉलेज के फंक्शन में भी लेकर जाता था।

प्रकरण 16 : हमारे रूम का एक की नारा, जो भी बिना परमिशन आए उसको मारा"


दूसरी हॉस्टल की तरह हमारे हॉस्टल में भी चोरियां होती रहती थी लेकिन हमारा कमरा चौबीसों घंटे खुला रहता था और कोई भी हमारे सामान को हाथ लगाने की हिम्मत नहीं कर सकता था। वैसे तो सुबह को जब चिका और प्रितला कोलेज गए होते थे तब मैं और विनय हॉस्टल में होते थे और दोपहर को मैं और विनय कोलेज के लिए निकलते थे तब चिका और प्रितला हॉस्टल में होते थे। हम लोग हॉस्टल में होते या नहीं होते थे पर हमको हमारे सामान की कोई फिक्र नहीं थी। पूरे दिन भर में हमारे कमरे में कौन-कौन आता था उन सब की जानकारी हमें हारिज और सावरकुंडला दे देते थे। वैसे तो, हमको उसकी भी परवाह नही थी। पर हमको इतना विश्वास जरूर था कि कोई गलती से भी हमारा रूम में से कोई सामान ले जाता है तो वह बाद में हमारे रूम में ही रख कर जाएगा। हमारे ग्रुप के डर के कारण कोई भी बिना इजाजत हमारे रूम में नहीं आता था। अगर गलती से भी आ गया तो उसे सजा भुगतने के लिए तैयार रहना पडता था। रात को हम उसको उसके कमरे से खींचकर बाहर निकालते थे और हमारे कमरे में ले जाते थे, फिर हम हॉस्टल का कोई काम उसको सौंप देते थे। हमने पहले ही सबको सूचित कर दिया था कि "हमारा रूम का एक ही नारा, जो भी बिना परमिशन आए उसको मारा"

क्रमश: