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एक पत्र भगवान के नाम

भगवान जी
नमस्कार, आशा है कि आप कुशलतापूर्वक होंगे, हाँ.. होंगे ही… क्योंकि आप तो भगवान हैं जो सबकी इच्छाएं पूरी करते हैं, सभी आपसे सुख की कामना करते हैं तो आप स्वयं का ध्यान रखने में भी पूर्ण सक्षम क्यों नहीं होंगे !
पर एक बात बताइये प्रभु, क्या आप भगवान बनने से पहले बाल्यावस्था में थे अथवा आप आरम्भ से ही वयस्क रहे हैं?पूजा करते समय जब आपकी छवि दिखती है तब अक्सर मैं यह सोचता हूँ।
माता- पिता के स्नेह व संरक्षण की आवश्यकता आपको भी महसूस होती होगी तभी तो आपने अवतार लिए ,कभी राम कभी कृष्ण कभी यीशु तो कभी मोहम्मद साहब और कभी नानक बनकर। बचपन को जीने के लिए माँ के स्नेह की ऊष्मा और पिता के प्यार व सुरक्षा से भरे स्पर्श की बहुत अहम भूमिका होती है। यह बात वे नहीं समझ सकते जिनके पास यह दौलत है लेकिन आप समझ सकते हैं क्योंकि मेरी ही तरह आपके जीवन में भी यह अभाव है नहीं तो भगवान के माता- पिता का नाम भी आपके अवतारों के माता- पिता के नाम की तरह लिया जाता।
आप तो सर्वशक्तिमान है इस कारण आपने तो माता-पिता के सुख को येन केन प्रकारेण प्राप्त कर लिया लेकिन मैं.. मैं तो एक मानव हूँ वह भी बहुत साधारण फिर मैं किस प्रकार माँ की गोद और पिता के कंधों को पा सकता हूँ!
जानते हैं प्रभु, कल रात मैंने सपने में अपनी माँ को देखा था, वह अपने हाथों से मुझे खाना खिला रही थी , उज़के हाथ से सूखी रोटी और नमक भी मुझे अमृत जैसा लग रहा था। भावावेश में मेरी आँखों से आँसू बहने लगे तो मेरे पिता ने तुरन्त मुझे अपनी गोद में बैठा लिया और गुदगुदी करके हँसाने लगे और मेरे भाई- बहन को आवाज़ देने लगे। मैं हँस रहा था पर वह गुदगुदी बन्द नहीं कर रहे थे ..मैं मचलता हुआ उनकी गोदी से जैसे ही उतरा मेरी नींद खुल गई। मैंने देखा मैं ज़मीन पर हूँ और मेरा कुत्ता शेरू अपनी पूंछ से मेरे शरीर को सहला रहा था। यह देखकर मेरे आँसू रुलाई के साथ बहने लगे।
शेरू भी मेरी तरह है, इसका भी कोई नहीं। जब यह नंन्हा सा था तब एक दिन फुटपाथ पर मुझे मिला था। उस दिन से हम दोनों साथ हैं।
भगवान जी ,क्या ऐसा नहीं हो सकता कि आप कोई चमत्कार कर दो और जैसा फिल्मों में होता है उसी तरह कोई हमें भी अपना ले, प्यार करे, स्कूल भेजे, गलती करने पर डांटे और फिर उदास होने पर अपने गले से लगा ले।
आपको एक बात बताऊं ...जिस दिन मुझे भूखा सोना होता है तब मैं किसी होटल के पास सोने के लिए जगह तलाशता हूँ और कल्पना करता हूँ कि आज लोग काफी जूठन छोड़ेंगे और मुझे पेट भर कर खाना मिलेगा और कभी- कभी यह सच भी हो जाता है और कभी वहां का चौकीदार मुझे पेट भर गालियां और डंडे भी देता है।
... भगवान जी, रात को लगने वाले स्कूल में जाकर पढ़ने लगा हूँ क्योंकि सब कहते हैं कि पढ़ लिख लूंगा तो आगे जीवन सुधर जाएगा। मैंने भीख मांगना भी छोड़ दिया है, छोटे- मोटे काम कर लेता हूँ जो कई बार मिलते हैं क़भी नहीं भी मिलते।
अगर आपको मेरा यह पत्र मिले तो मेरी इतनी विनती मान लेना कि मेरी तरह किसी को अनाथ न होना पड़े। मैं रूठना चाहता हूं, डर लगने पर माँ से लिपट कर सोना चाहता हूं पर ... पर मेरे पास न माँ है न पिता।
प्रभु, जीवन दिया है तो अब मुझे शक्ति भी देना और भविष्य में कोई अपना भी ताकि मैं अनाथ न कहलाऊँ और न ही बेचारा।
आपका
कोई भी नाम चुन लीजिये क्योंकि मेरे जैसे कई बच्चे आपसे यही कहना चाहते हैं।

Megha

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