अनकहा अहसास - अध्याय - 33 Bhupendra Kuldeep द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनकहा अहसास - अध्याय - 33

अध्याय - 33

ये अचानक कौन आ गया। तुमने तो किसी को इसके बारे में नहीं बताया रमा। बताओ वरना गोली चला दूँगा।
मैंने किसी को नहीं बताया जो भी आएगा उसी से पूछ लेना।
तभी अनुज और मधु अंदर आते दिखे। वहीं रूक जाओ नहीं तो मैं गोली चला दूँगा। गगन जोर से चिल्लाया।
मधु तुम गाड़ी में जाकर बैठो। अनुज बोला।
ठीक है भैया। कहकर मधु गाड़ी में चली गई।
गगन मुझे तुम्हारे कारनामों के बारे में पहले से ही शक था। स्टोर में तो तुम कितना कमीशन खा रहे थे मुझे पूरा आईडिया था, पर इतनी हद तक नीचे गिर जाओगे इसका आईडिया नहीं था।
चुप कर अनुज, मैं तो यहाँ आना ही नहीं चाहता था। तुम्हारी माँ ने मुझे यहाँ भेजा था तुम दोनो को अलग करने कि लिए। उसी ने रमा को तुमसे अलग किया था।
यह सुनते ही रमा ने अनुज की ओर देखा, अनुज ने भी उसकी ओर देखकर पलकें झपकायी।
रमा को लगा कि वो आज पाप मुक्त हो गई और उसके बिना बोले ही अनुज को पता चल गया कि उसकी कोई गलती नहीं थी।
मैंने ही तुम दोनों के बीच गलतफहमी पैदा की थी।
क्या बोला तुमने ? रमा हतप्रभ थी।
हाँ मैडम, काफ्रैंस रूम में मैने ही अनुज को बुलाया था क्योंकि तुम्हारी और शेखर की बात मैंने पहले दिन ही सुन ली थी।
कमीने तुझे क्या चाहिए, पैसा ? बता कितना पैसा चाहिए, पर आभा और रमा को छोड़ दे।
मुझे तो दोनो चाहिए अनुज पैसा और रमा एक साथ। आज तो मैं तुम्हारे सामने रमा से शादी करूँगा और तुम चुपचाप खड़े होकर देखते रहना।
तभी पीछे से आवाज आई। गगन फौरन पीछे पलटकर देखा। शेखर आभा को छुड़ाकर भाग रहा था।
रूक जाओ वरना मैं गोली चला दूँगा। रूक जाओ शेखर, रूक जाओ आभा। तब तक वो खंम्बे के पीछे पहुँच गए थे इधर अनुज ने भी मौका देखकर गगन की ओर दौड़ लगा दी।
गगन ने आव देखा ना ताव फटाक से गोली चला दी।
धाँय !!!!!!!
सेकेण्ड के सौंवे हिस्से में रमा पलट कर अनुज के सीने लिपट गई और गोली सीधे रमा के कंधे में धंस गई। दोनो लहराते हुए धड़ाम से जमीन पर जा गिरे।
तभी दूसरी गोली की आवाज आई।
धाँय !!!!!!!
ये गोली पुलिस ने चलाई थी जिससे उसके हाथ का पिस्तौल दूर जा गिरी। तत्काल पुलिस ने उसे दबोच लिया।
सब लोग रमा की ओर भागे।
रमा, रमा, रमा, होश में आओ रमा। अनुज जोर-जोर से चिल्ला रहा था।
रमा बेहोश हो चुकी थी।
रमा, रमा। तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती रमा।
अनुज चिल्ला चिल्लाकर रो रहा था। उसके कपड़े रमा के खून से लथपथ थे।
सभी वहाँ आकर खड़े हो गए थे। मधु ने जैंसे ही गोली की आवाज सुनी वो तेजी से दौड़ते हुए अंदर आई। उसने देखा रमा खून से लथपथ पड़ी थी। उसका सिर अनुज ने अपनी गोद में ले रखा था और जोर-जोर से चिल्लाकर रो रहा था।
तुमने मुझे बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी रमा। उठो। देखो मुझे तुम छोड़कर नहीं जा सकती रमा। उठो! उठो ना प्लीज।
वो अब भी सुबक सुबक कर रो रहा था।
मुध पास आई और रमा की सांस चेक की।
उसकी सांसे चल रही थी।
भैया आप चुप हो जाईये। रमा को कुछ नहीं होगा। ये सिर्फ बेहोश हुई है। हमें इसे जल्दी हॉस्पिटलले जाना चाहिए। नहीं तो गोली का जहर पूरे शरीर में फैल जाएगा।
अनुज ने खून से लथपथ रमा को गोद में उठाया और गाड़ी में डालकर सीधे हास्पिटल ले गया। सभी लोग साथ ही थे।
हास्पिटल पहुँचकर उसे फौरन आपरेशन थियेटर के अंदर ले जा लिया गया।
बाहर सभी लोग अनुज, मधु, शेखर, आभा और आभा के मम्मी-पापा तथा रमा के मम्मी-पापा को भी बुला लिया गया था।
लगभग दो घंटे के आपरेशन के बाद ग्रीन लाईट जली।
क्या हुआ! डॉक्टर साहब ? अनुज ने पूछा। रमा कैसी है ?
हमने गोली तो निकाल दी है। परंतु अभी भी वो बेहोश है। होश आते तक रूकते हैं।
ये सब मेरी वजह से हुआ है बेटा। अनीता देवी सुबकने लगी।
नहीं माँ होनी को कौन टाल सकता है। ये सब तो लिख हुआ होता है, अनुज बोला।
भैया ठीक कह रहे है माँ ये सब नसीब का लिखा होता है इसलिए तुम दोष अपने ऊपर मत लो। तुम देखो कि जिसे तुम दुर्भाग्य समझती थी उसने दो बार इस परिवार की जान बचाई। यही भाग्य का खेल है। मधु वहीं माँ के पास बैठ गई।
अनुज। शेखर बोला। मुझे भी तुम्हें कुछ बताना है।
मैं जानता हूँ पागल। अनुज ने शेखर के गाल पर हांथ फेरते हुए कहा फिर उसने आभा के पिता की ओर देखा अंकल जी आज आभा का हाथ शेखर को दीजिए क्योंकि शेखर आपकी बेटी से बहुत प्यार करता है, और मुझे माफ़ कर दीजिए, क्योंकि एक तरह से मैं उसे धोखा ही दे रहा था।
थैंक्स अनुज। कहकर शेखर उसके गले लग गया।
आभा तुम्हें तो कोई आपत्ति नहीं है ना ? अनुज ने आभा की ओर देखा।
आभा ने नहीं में सिर हिला दिया।
फिर अनुज रमा के पिता के पास गया और बोला -
अंकल जी, रमा की इस हालत का जिम्मेदार मैं हूँ। आप मुझे जो चाहे सजा दीजिए पर प्लीज रमा को मुझसे अलग मत करिएगा।
वो उनके पैरों में गिर गया।
रमा के पिता ने उसको उठाया।
देखो बेटा हमारी खुशी तो रमा से है वो खुश तो हम भी खुश। अगर तुम दोनो शादी करना चाहते हो तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।
तभी नर्स बाहर आई और बोली -
पेसेंट् को होश आ गया है सब लोग अंदर मत जाईये। सिर्फ उसके माता-पिता अंदर जायें।

क्रमशः

मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर सम8कशा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप।