अनकहा अहसास - अध्याय - 32 Bhupendra Kuldeep द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनकहा अहसास - अध्याय - 32

अध्याय -32

बेटा मुझे लगा कि उसी के भाग्य की वजह से मेरे पति की जान चली गई और उसका भाग्य मेरा और कुछ नुकसान ना करे करके मैनें उसे दूर जाने को कहा। मुझे माफ कर देना बेटा। मैने ही गगन को वहाँ भेजा था तुमको और रमा को अलग करने के लिए। वो काफ्रैंस रूम में जो हुआ था उसी बात को लेकर गगन ने अपना प्लान बनाया । उसको पहले से पता था कि कल दोनो प्रैक्टिस करने वाले हैं इसलिए उसने भूमिका बाँधकर तुम्हे फंसा दिया। असल में शेखर जिस लड़की को चाहता है वो आभा ही है बेटा।
क्या अनुज आश्चर्यचकित था, पर उसने मुझे बताया क्यों नहीं?
क्योंकि तब तक तुम्हारी सगाई हो चुकी थी। रमा और शेखर के बीच कुछ भी नहीं है बेटा। मैं जानती हूँ कि तुम और रमा एक दूसरे को कितना प्यार करते हो बेटा। मुझे लगा कि अब तुम दोनो ने अपनी अलग राह चुन ली है इसलिए आभा से शादी करने से मैं तुम्हें रोक भी नहीं रही थी। पर आज ही मुझे ये सब पता चला। तुम भगवान के लिए रमा को बचा लो बेटा।
ये आप क्या बोल रही हैं माँ ? अनुज बोला।
माँ ठीक बोल रही है भैया। मधु बीच में ही बोली।
ऐसी क्या बात है जो आप दोनों को मालूम है पर मुझे नहीं मालूम ? अनुज हैरान था।
बेटा गगन ने आभा किडनैप कर लिया है और बदले में वो रमा से शादी करना चाहता है। रमा वहाँ चली गई है।
उस कमीने की इतनी हिम्मत। उसे तो मैं जिंदा नहीं छोड़ूगा। अनुज गुर्राया। कहाँ लेकर गया है वो ?
मुझे नहीं पता बेटा। उसने फोन काट दिया था। अनीता देवी बोलीं
मुझे पता है भैया, पर प्लीज आप पहले शांत हो जाईए।
तुम्हें सब कुछ पता था मधु फिर भी तुमने मुझसे सब छिपाया।
माँ ने उन्हें मना किया है ये बात मुझे नहीं पता थी भैया। रमा ने आपको या मुझे कभी भी माँ का नाम नहीं बताया बल्कि उसने तो माँ की जान बचाई और आज वो आभा की जान बचाने गई है।
अनुज रोने लगा। मैंने उसे हमेशा गलत समझा मधु। अनुज सुबक रहा था।
नहीं भैया। आपने तो हमेशा उन्हें प्यार किया। उन्होंने भी आपसे बहुत प्यार किया। सिर्फ एक मजबूरी की वजह से उसने कभी स्वीकार नहीं किया।
मुझे बताओ मधु वो कमीना गगन मुझे कहाँ मिलेगा। अनुज चिल्लाया।
वो आभा को शहर से बाहर पुराने बंद पड़े राईस मिल में लेकर गया है भैया। आज वो उससे जबरदस्ती शादी करेगा क्योंकि उसके पास पिस्तौल है।
पिस्तौल कहाँ से मिल गई उस कमीने को ?
पता नहीं भैया पर समझदारी से काम करेंगे तभी सब कुछ ठीक होगा। अन्यथा किसी को गोली लग गई तो जान चली जाएगी। शेखर पुलिस थाना गया है वहाँ से वो सीधे वहीं जाएगा। वहाँ पीछे के किसी रास्ते से अंदर घुसने की कोशिश करेगा ताकि आभा को छुड़वा सके।
और रमा का क्या ? अनुज बोला।
एक बार आभा छूट जाए तो रमा को किसी तरह बचाया जा सकता है भैया।
अभी तो आभा के हाथ उसने बाँध रखें हैं।
तो चलो जल्दी। आज उस कमीने को मैं सबक सिखलाता हूँ।
फिर आप गुस्सा कर रहे हो भैया। उसे तो पुलिस सबक सिखलाएगी हमें तो सिर्फ आभा और रमा को बचाना है। कहकर दोनो उठे और गाड़ी चलाते हुए पुराने राईस मिल की ओर निकल पड़े।
आओ, आओ मेरी जान। गगन रमा को बोला।
कमीने तुझे शर्म नहीं आती। सब जानते हुए भी जबरदस्ती कर रहा है।
किस बात की शर्म मैडम। तुम्हारा अनुज भी तो बदले की भावना से आभा से शादी कर रहा है। उसने पिस्तौल तान रखा था।
उसने बदले में मुझे नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि आभा से सहमति लेकर अपनी खुशी हांसिल करने की कोशिश की, और तुम एक नम्बर के मक्कार हो, एक तरफ दोस्ती दिखाते हो और दूसरी तरफ पिस्तौल तानकर शादी करना चाहते हो।
तो इसमें गलत क्या है उसे वो तरीका समझ आया और मुझे ये तरीका समझ आया।
इस कमीने से शादी मत करना रमा। आभा चिल्लाई।
उसे पता नहीं था कि पीछे से शेखर अंदर आकर छुपा था।
चुपकर कमीनी। गगन चिल्लाया। वरना मैं तुझे गोली मार दूँगा।
नहीं, नहीं गगन रूक जाओ। तुम्हें तो मुझसे मतलब है ना। मैं तुझसे शादी करने के लिए तैयार हूँ। आभा को जाने दो। रमा बोली।
नहीं मैडम, जब तक हमारी शादी नहीं हो जाती तब तक तो उसे छोड़ूंगा नहीं।
उसे छोड़ दिया और तुम भी भाग गई तो ? मैं ऐसा रिक्स कभी नहीं लूँगा। पंडितजी आप शादी की तैयारी करिए। वो अब भी पिस्तौल तान रखा था। तभी बाहर गाड़ी की आवाज सुनाई दी।

क्रमशः

मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप।