अनकहा अहसास - अध्याय - 31 Bhupendra Kuldeep द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनकहा अहसास - अध्याय - 31

अध्याय - 31

अब जाओ भी और मुझे भी जाने दो। कहकर वो मेन गेट से गाहर निकल गई।
इधर राइस मिल के एक कोने में आभा को उसने बाँध कर रखा था। वो बेहोशी में थी क्योंकि स्टोर से क्लोरोफार्म लेकर गगन ने उसे लगभग बेहोश कर दिया था। अब वो धीरे-धीरे होश में आ रही थी। गगन के अलावा वहाँ एक पंडित भी था और शादी की पूरी तैयारी कर रखी थी।
आह। मैं कहां हूँ ? आभा होश में आते हुए बोली।
आप मेरे साथ हो मैडम। गगन बोला।
आप गगन हो ना। ये मेरे हाथ क्यों बाँध रखे हैं। आभा अपने हाथों को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली।
एक सौदे के लिए मैडम।
कैसा सौदा गगन ?
मुझे रमा चाहिए।
क्यों ?
क्योंकि मुझे उससे शादी करनी है।
तो ये क्या तरीका शादी करने का ? जाकर उससे बात करो। मुझे क्यों बाँध रखा है।
उससे बात करने का कोई फायदा नहीं है। मैडम क्योंकि वो तो अनुज का चाहती है।
चाहती है तो जबरदस्ती करके तुम्हें क्या फायदा होगा।
मुझे दो फायदे होंगे मैडम एक तो लड़की मिलेगी और दूसरा ढे़र सारा पैसा मिलेगा।
पैसा ? कौन देने वाला है तुम्हें पैसा।
अनुज की माँ और कौन। उसी ने तो मुझे यहाँ भेजा है अनुज और रमा को अलग करने।
आभा एकदम शाक्ड थी।
ये क्या बकवास कर रहा हो तुम।
मैं सही बोल रहा हूँ मैडम। आपसे अनुज की शादी करवाना भी उन्हीं की प्लानिंग है। आज ये मेरा काम पूरा हो जाएगा।
तुम जिसको भी मिलो, शेखर को या अनुज को मुझे क्या मतलब। मुझे तो सिर्फ रमा चाहिए और पैसा भी।
कमीने, उस मासूम लड़की का जीवन खराब करना चाहते हो।
खराब क्यों करूँगा। अच्छे से रखूँगा उसकी तुम चिंता क्यों कर रही हो। अभी आती ही होगी वो। अनुज की माँ नहीं चाहती तो वैसे ही वो उस घर में नहीं जा सकती। अच्छा ख्याल आया। मैं आंटी जी को बता तो देता हूँ कम से कम। वो भी खुश हो जाऐंगी। कहकर उसने अनुज की माँ को फोन लगाया।
हेलो आंटी जी। मैं गगन बोल रहा हूँ।
ओह! गगन, हाँ बताओ बेटा। अनीता देवी बोली।
आंटी जी। मैने आपका काम कर दिया है जिसे मैं आज पूरे तरीके से निपटा दूँगा।
कौन सा काम बेटा ?
वही अनुज और रमा को अलग करने का काम।
अच्छा। वो उस समय की बात अलग थी बेटा अब उसकी कोई आवश्यकता नहीं।
आवश्यकता नहीं आंटी। मैने दोनों को अलग कर दिया है।
अनीता देवी के कान चैकन्ने हो गये। उसे एहसास हुआ कि कहीं गगन कुछ गलत तो नहीं कर रहा अनुज के साथ। उसने पूछा।
कैसे भला ?
मैनें उन दोनों के बीच एक गलतफहमी पैदा कर दी कि शेखर और रमा एक दूसरे को चाहते हैं। गगन बोला।
और तुम्हारी इस बात पर अनुज ने यकीन कर लिया ?
हाँ क्योंकि अनुज ने जब शेखर से उसका नाम पूछा जिससे वो प्यार करता है तो वो चुप रहा और इससे शंका और पुख्ता हो गई।
अरे तो उसने बताया क्यों नहीं कि वो लड़की रमा नहीं है। अगर वो किसी और को चाहता है।
इसलिए क्योंकि उस लड़की का नाम आभा है जिससे आप उसकी शादी कराना चाहती थी। ओह। तुमने अब क्या किया ? वो उससे सब उगलवाना चाहती थी।
मैने आभा को किडनैप कर लिया है और रमा को यहाँ बुलाया है। अगर वो मुझसे शादी कर लेगी तो आपकी सब प्राबलम खत्म। चिंत मत करिए मैं किसी को कुछ नहीं करूँगा।
तभी अचानक ऑटो की आवाज आई।
ठीक है आंटीजी शायद रमा आ गई। यह कहकर उसने खटाक से फोन रख दिया।
गगन, गगन, गगन,। फोन कट चुका था।
उन्होंने तुरंत अनुज को फोन लगाया।
अनुज और मधु केबिन में ही बैठे थे।
हेलो अनुज।
ओ हाँ माँ। बताईये।
मुझे तुम्हें कुछ जरूरी बात बतानी है।
हाँ, हाँ बताईये ना माँ।
पहले ये बताओ कि तुम मुझे माफ करोगे कि नहीं।
आपको किसी भी बात के लिए माफी मांगने की जरूरत नहीं है माँ आप तो सजा भी देंगी तो वो मेरे लिए आशीर्वाद है। आप बताईये।
तुम्हारे और रमा के बीच की दूरी मैनें पैदा की थी।
क्या ?
हाँॅ बेटा जिस दिन तुम्हारे पिता और तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ था उस दिन रमा अपने पिता के साथ वहाँ आई थी, पर मैंने उन्हें वहाँ से भला बुरा कहकर तुम्हारे जीवन से दूर जाने के लिए कह दिया था।
पर आपने ऐसा क्यों किया माँ ? अनुज की आँख में आसू थे।
क्या हुआ भैया। किसका फोन है। स्पीकर ऑन करिए मधु बीच में ही बोली।
माँ का फोन है। कहकर अनुज ने स्पीकर ऑन कर दिया।

क्रमशः

मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चास्य और मीठा भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप।